Author : Ashwini Asokan

Published on Dec 15, 2020 Updated 1 Hours ago

खुदरा यानी रीटेल, मौजूदा दौर के सबसे पारंपरिक यानी पुराने ढंग से चलने वाले उद्योगों में से एक है. इस तथ्य के साथ कि आज ग्राहक व उपभोक्ता इस उद्योग से कहीं आगे निकल चुके हैं, यह सही समय है कि इस उद्योग को चलाने के तरीकों में आमूलचूल बदलाव किए जाएं. 

मैड स्ट्रीट डेन: व्यापक स्तर पर इस्तेमाल के लिए कैसे तैयार किया जाए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ढांचा

ओआरएफ: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए लोगों को सक्षम बनाने को लेकर, आपकी अलग सोच क्या है? हमें बताएं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर औसत भारतीय को क्यों उत्साहित होना चाहिए?

अश्विनी अशोकन: हमारी कंपनी का केंद्रीय ध्येय और उद्यमियों के रूप में हमारी यात्रा हमेशा से ‘लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बुनियादी रूप से समझने में मदद करने से संबंधित रही है.’ अब हमारे सामने एक अलग ही मील का पत्थर है. एक जहां सभी बुनियादी ढांचे, हार्डवेयर, क्लाउड, सॉफ्टवेयर, और स्मार्ट सिस्टम्स ठीक उसी तरह काम करेंगे जैसा कि हम उनसे चाहते थे, और बाज़ार इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. इस महामारी ने दुनियाभर में कहर बरपाया है, लेकिन इसने उद्योगों को आगे बढ़ाने के अपने उद्देश्य को समझने और बदलाव को एक विकल्प के रूप में नहीं बल्कि ज़रूरत के रूप में अपनाने के लिए उत्प्रेरित किया है. ऐसे में प्रशिक्षित प्रतिभाओं, अनुभव और बुनियादी ढांचे तक पहुंच एक दौड़ के रूप में हमारे सामने आती है. चीन स्पष्ट रूप से इस दौड़ में आगे है और उसके साथ ही थोड़ा पीछे है अमेरिका. ऐसे में भारत को वाकई ठहर कर खुद से यह सवाल करने की ज़रूरत है कि वो इस दौड़ में कहां है. हमारे सामने एक विकल्प है- या तो चीन और अमेरिका की दशकों से चली आ रही और अपने काम में पारंगत, प्रतिभाशाली कंपनियों की तरह बनकर, उन्हें टक्कर देने का काम किया जाए या एक ऐसी ताक़त के रूप में उभरना जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपने नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करने और उन तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सार्थक रूप में तकनीक के उपयोग को भड़ावा देती है. इसमें वित्त, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन शैली और इस तरह के दूसरे क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल शामिल है. हमारा मकसद निगरानी राष्ट्र (surveillance nation) बनने की दौड़ में शामिल होना नहीं है. यह वह दिशा नहीं है जिस पर हमें ध्यान केंद्रित करना चाहिए. देश में अपार प्रतिभा है जो नई कंपनियों व नई तकनीकों के ज़रिए, देश के लिए नया बुनियादी ढांचा बनाने और इस दिशा में बहुत कुछ करने के लिए तैयार हैं. इन कंपनियों द्वारा लागू की जा रही प्रक्रियाओं और तकनीकों में आपसी तालमेल बैठाना और इन्हें विपरीत दिशाओं में काम करने से रोकने के तरीके खोजना बेहद ज़रूरी है. यानी ऐसी व्यवस्था बनाना जो विकास में बाधक न हो, बल्कि उसे आगे ले जाने का काम करे यह अत्यंत महत्वपूर्ण है.

इस महामारी ने दुनियाभर में कहर बरपाया है, लेकिन इसने उद्योगों को आगे बढ़ाने के अपने उद्देश्य को समझने और बदलाव को एक विकल्प के रूप में नहीं बल्कि ज़रूरत के रूप में अपनाने के लिए उत्प्रेरित किया है.

संक्षेप में, हमारी प्रेरणा और महत्वाकांक्षाएं, साक्षरता के स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समझने वाले, उसे मूल प्रतिभा के रूप में विकसित करने वाले और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकों में पारंगत विभिन्न प्रकार के लोगों का एक कार्यबल तैयार करना है, जो एआई के निर्माण और डिज़ाइन में रचनात्मक रुची रखते हों और कुछ नया बनाने का लक्ष्य रखते हों, न कि केवल बने बनाए तंत्र में मामूली बदलाव के ज़रिए ‘रेडीमेड’ समाधानों को लागू करने की इच्छा जताएं.

ओआरएफ: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर आप इस अनूठी और बुनियादी सोच तक कैसे पहुंचीं?

अश्विनी अशोकन: 2000 के दशक के अंत में यानी कुछ साल पहले तक, एआई काफी हद तक शुरुआती प्रयोगों तक ही सीमित थी. इस मायने में हम हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, आर्किटेक्चर, सिलिकॉन, न्यूरोसाइंस, यूज़र इंटरफ़ेस, इंसानी व्यवहार की समझ और इस तरह की अन्य चीज़ों पर मारक सफलता हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं. पिछले दस सालों में मोबाइल तकनीक ने पिछले 50 सालों की तुलना में कई गुना अधिक तेज़ी से विकास किया है. मोबाइल, डेटा और इंटरनेट ने हर चीज़ को बेहद तेज बना दिया है.

अमेरिका स्थित सिलिकॉन वैली में इंटेल नामक कंपनी के साथ काम करते हुए, मैं इन विषयों पर काम करने वाली अलग-अलग विशेषज्ञों की एक अंतःविषय (interdisciplinary) टीम का हिस्सा थी. यह एक मौका था बेहद प्रतिभावान और अद्भुत मानवविज्ञानी व नेत्री जिनवीव बैल के साथ काम करने का, जिन्होंने कॉरपोरेट कंपनियों की तकनीक के प्रति सोच को बदला और उनके काम करने के तरीकों के केंद्र में उपभोक्ताओं को रखकर तकनीकी परिवर्तन के बारे में सोचा. दशकों से, वह और इंटेल में काम करने वाले अन्य लोग जैसे लामा नाचमन उस ज़मीन को तैयार कर रहे थे जहां आज हम हैं, और जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक के आधुनिक विकास की बुनियाद बनी है. वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पारिस्थितिकी तंत्र से इस दिशा में सोचने के लिए कह रहे थे कि इंसान सेंसर के साथ किस तरह बातचीत करेंगे, वह उस प्रौद्योगिकी के साथ किस तरह मिलकर काम करेंगे जिसमें ‘स्मार्टनेस’ हो. इसी के साथ, मैं अपने पति और अब मेरे को-फाउंडर, आनंद चंद्रशेखरन के काम को भी नज़दीक से देख रही थी जो शिक्षा क्षेत्र में न्यूरोसाइंस और न्यूरोमॉर्फिक इंजीनियरिंग (neuromorphic engineering) में अकादमिक स्तर पर काम कर रहे थे. मैं प्रौद्योगिकी के भविष्य के बारे में अपना दृष्टिकोण विकसित करने और इंटेल में इसके कुछ संस्करणों के निर्माण के दौरान शिक्षा और उद्योग जगत में हो रहे विकास के बारे में लगातार सोचती थी और इस बात का अवलोकन करती थी मैं इस बारे में नया क्या सोच सकती हूं.

हमारा मकसद निगरानी राष्ट्र (surveillance nation) बनने की दौड़ में शामिल होना नहीं है. यह वह दिशा नहीं है जिस पर हमें ध्यान केंद्रित करना चाहिए. देश में अपार प्रतिभा है जो नई कंपनियों व नई तकनीकों के ज़रिए, देश के लिए नया बुनियादी ढांचा बनाने और इस दिशा में बहुत कुछ करने के लिए तैयार हैं. 

मुझे यह स्पष्ट हो गया कि अकादमिक और कॉरपोरेट जगत, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक ही चश्मे से देख रहे हैं, जिसमें भौतिकी और प्रदर्शन पर अधिक ज़ोर था. यह निस्संदेह महत्वपूर्ण और मौलिक है, लेकिन यह तरीका, उस सोच को पीछे धकेलने की कीमत पर ही अपनाया जा सकता है, जो किसी भी तथ्य के पीछे मौजूद क्यों और कैसे पर विचार करती है. हम ही इस बारे में शायद ही सोच रहे थे कि इंसानों से भरी इस दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्या जगह होगी, इसके कौन इस्तेमाल करेगा और कैसे इस्तेमाल करेगा. हमारे पास मौजूद फिल्मों और टीवी शो से परे, मुझे इस बात में संदेह है कि हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इंसानी इस्तेमाल के लिए बेहतर बनाने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दिशा को सचेत रूप में निर्देशित करने को लेकर कुछ किया है.

यह बहुत हद तक मेरी थीसिस का आधार बन गया कि मैं इन तीन चीज़ों पर ध्यान देने के लिए इस कंपनी का निर्माण क्यों करना चाहती हूं:

  1. नए एआई आर्किटेक्चर का निर्माण, जिसने हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक फलक पर लोगों की वास्तविक ज़रूरतों से प्रेरित एप्लीकेशन बनाने की ओर प्रेरित किया.
  2. एआई-संचालित समाधानों को विकसित करना और डिजाइन करना, जो लोगों के काम और जीवन को उन तरीकों से बेहतर बनाते हैं जिन्हें देख पाना उनके लिए संभव नहीं था.
  3. एआई के निर्माण और डिजाइनिंग की दुनिया में लोगों को भर्ती के लिए उन्हें सक्षम बनाना.

मैड स्ट्रीट डेन में हमारा रास्ता यही है.

ओआरएफ: मैड स्ट्रीट डेन ने सबसे पहले रिटेल यानी खुदरा जगत पर ध्यान केंद्रित किया. आपको क्यों लगता है कि एआई-समर्थित समाधान खुदरा उद्योग का चेहरा बदल देंगे?

अश्विनी अशोकन: खुदरा आज के सबसे पारंपरागत उद्योगों में से एक है. इस क्षेत्र को लेकर सबसे बड़ा तथ्य यह है कि उपभोक्ता व ग्राहक जिस तेज़ी से बदल रहे हैं और उनका नया प्रारूप, इस उद्योग से बहुत आगे है, यानी खुदरा उद्योग में अपने उपभोक्ताओं जैसा कुछ नहीं है. यह वजह है कि आमूलचूल बदलाव की शुरुआत करने के लिए यह सबसे अहम और सटीक उद्योग है. खुदरा उद्योग को अलग-अलग भागों में विकसित किया जा रहा है और इसमें होने वाले बदलाव टुकड़ों में बंटे हैं. इसी के साथ खुदरा उद्योग में हो रहे बदलाव महामारी के कारण बेहद तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं. इन सभी बदलावों के केंद्र में हम एआई को देखते हैं. चाहे वह संपर्क रहित भुगतानों को संसाधित करना हो, खुदरा विक्रेताओं को संपर्क रहित फोटोग्राफी करने में सक्षम बनाना हो, या व्यापारियों और उनकी टीमों को सभी प्रक्रियाओं को स्वचालित करने में मदद करना हो, ताकि वे मैन्युअल रूप से काम करने के बजाय बेहतर प्रदर्शन और उपभोक्ताओं को बेहतर मूल्य प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर सकें. इस मायने में एआई के लिए यह बहुत बड़ा अवसर है, और हम दुनियाभर में मौजूद अनुभव अधिकारियों (chief experience officers) को इस बदलाव को अपनाने के लिए प्रेरित होते हुए देख रहे हैं. इसके अलावा वो अपने कर्मचारियों को भी इस नए कलेवर में ढलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

अकादमिक और कॉरपोरेट जगत, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक ही चश्मे से देख रहे हैं, जिसमें भौतिकी और प्रदर्शन पर अधिक ज़ोर था. यह निस्संदेह महत्वपूर्ण और मौलिक है, लेकिन यह तरीका, उस सोच को पीछे धकेलने की कीमत पर ही अपनाया जा सकता है, जो किसी भी तथ्य के पीछे मौजूद क्यों और कैसे पर विचार करती है.

ओआरएफ: मैड स्ट्रीट डेन (Mad Street Den) में उपलब्ध कराए जा रहे प्लेटफॉर्म आधारित समाधानों को लेकर आप किन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और इसके साथ आप वैश्विक बाजारों में कैसे संपर्क कर सकते हैं?

अश्विनी अशोकन: हम शुरुआत से ही अपने तौर-तरीकों में वैश्विक रहे हैं. दुनिया भर में खुदरा क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के अवसर अविश्वसनीय हैं. मैड स्ट्रीट डेन में, हमारी महत्वाकांक्षाएं खुदरा क्षेत्र से बहुत आगे तक हैं. व्यू-एआई (Vue.ai) नाम की हमारी खुदरा क्षेत्र की इकाई केवल एक शुरुआत है. हमने अनुशासन, कठोरता, व्यवसाय की पेंचीदगी, डोमेन यानी क्षेत्र की ज़रूरतें और संगठन निर्माण सीखा है. आने वाले सालों में, हम निश्चित रूप से विस्तार करना चाहते हैं. इस क्षेत्र में आमूल-चूल बदलाव के लिए यह बाज़ार पूरी तरह से तैयार है. वित्त, बीमा, स्वास्थ्य सेवा, शिपिंग और बहुत सी ऐसी गतिविधियां हैं जहां कई तरह की समस्याएं हैं. तकनीक विशेषज्ञों यानी डेवलपर्स को इन समाधानों के प्रति उत्प्रेरित करने की समस्या भी है.

खुदरा उद्योग में अपने उपभोक्ताओं जैसा कुछ नहीं है. यह वजह है कि आमूलचूल बदलाव की शुरुआत करने के लिए यह सबसे अहम और सटीक उद्योग है. खुदरा उद्योग को अलग-अलग भागों में विकसित किया जा रहा है और इसमें होने वाले बदलाव टुकड़ों में बंटे हैं.

मैड स्ट्रीट डेन में हम इसे मांग और आपूर्ति की समस्या के रूप में देखते हैं. यह केवल उन उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिन्हें मदद की ज़रूरत है, यह तकनीकी प्रतिभा व उन समुदाय पर ध्यान केंद्रित करने के नज़रिए से भी महत्वपूर्ण है, जो इसका निर्माण करेंगे व इसका उपयोग करेंगे. यही हमारा लक्ष्य है. हम एआई को मांग और आपूर्ति की समस्या के रूप में देखते हैं न कि समस्याओं को हल करने के लिए एक उपकरण के रूप में. हमें इस समुदाय को बनाने और देश भर में इसे बढ़ाने के लिए निवेश कर रहे हैं. हमने व्यू-एआई (Vue.ai) के ज़रिए यह काम किया है, और हम इसे विकसित करने और दोहराने के लिए तैयार हैं.

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