Published on Feb 28, 2019 Updated 0 Hours ago

जब भी भारत सीमा पार करके आगे बढ़ा तो उसने यही संदेश देने की कोशिश की कि वह पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाने के लिए इस तरह के कदम नहीं उठाना चाहता था।

भयादोहन के लिए पाकिस्तान पर केवल एक हमला काफी नहीं

पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के ठिकानों को नेस्तानाबूत करना निश्चित तौर पर एक बेहतरीन कदम है। रावलपिंडी से जिस तरह आतंकवाद को भारत के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है भारत के इस कदम से उस पर रोक लगेगी। हम यह पहले भी कर चुके हैं। भारत द्वारा सीमा पार करके पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक की जा चुकी हैं। 2016 में उरी में भारतीय सैन्य शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद नई दिल्ली से भारत द्वारा द्वारा की गई कार्रवाई को “सर्जिकल स्ट्राइक” के तौर पर प्रचारित किया गया था। लेकिन भारत द्वारा की गई कार्रवाई पाकिस्तान को रणनीतिक तौर पर आतंक का उपयोग जारी रखने में नहीं रोक सकी। यहां यह विचार करना बहुत जरूरी है क्यों?

इसका प्रमुख कारण है भारत द्वारा पहले जो कार्रवाई की गई जो हमले किए गए उनसे मुख्य उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पा रही थी। उस कार्रवाई का उद्देश्य दीर्घकालिक समाधान की बजाए तात्कालिक रूप से घाव पर मरहम लगाने जैसा था।

प्रतिशोध और न्याय एक समाधान करने की रणनीति का हिस्सा हैं क्योंकि यह निश्चित है कि हमले का बदला लिया जाएगा और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा।

लेकिन इस मौके पर यदि सही प्रतिशोध नहीं लिया गया तो यह भविष्य के लिए ठीक नहीं होगा। भारत द्वारा इससे पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ जो हमले किए या कार्रवाई की गई वह अस्थायी उपाय की तरह ही थी। जैसे ही पाकिस्तान को लगा कि भारत द्वारा की गई कार्रवाई सिर्फ उसने त्वरित तौर पर की है और इससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा तो वह फिर से अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया और उसने आतंक को एक रणनीति के तौर पर भारत के खिलाफ प्रयोग करना शुरू कर दिया। दरअसल पाकिस्तानी सेना अच्छे से जानती है कि कभी-कभार भारत की तरफ से होने वाली कार्रवाई की चिंता क्यों करनी जबकि उसकी आतंकी रणनीति इतनी सस्ती और प्रभावी है। यदि और कुछ नहीं तो कम से कम पाकिस्तान के लिए संतोष देने वाली तो है ही।

यदि भारत की तरफ से इस बार पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाई भारत द्वारा पहले की गई कार्रवाई से अलग है तो यह भारत की रणनीति का हिस्सा होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि भारत को इस कार्रवाई से आगे बढ़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। उसे पाकिस्तान की तरफ से जवाब देने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। निश्चित तौर पर पाकिस्तान जवाबी हमला करेगा या तो हवाई हमला या फिर मिसाइल या फिर आगे आतंकी हमले। यह भी संभव है पाकिस्तान सोच-समझ कर छोटे-छोटे आतंकी हमले करे। सीमा पार से किए गए इन छोटे-छोटे हमलों का जवाब देना भी भारत के लिए मुश्किल होगा। पाकिस्तान द्वारा किए गए यह छोटे-छोटे हमले बड़े हमले के लिए एक रास्ते की तरह होंगे। भारत को उन हमलों को गंभीरता से लेते हुए अपना रूख स्पष्ट करना होगा भले ही इसमें थोड़ी देर हो लेकिन जो लक्ष्य लिया जाए वह पूरी तरह से सटीक हो।

लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि भारत के रणनीतिकारों और भारत के नेताओं को आगे बढ़ने से पहले सेना को मजबूत बनाने के लिए सभी तरह के हथियारों से लैस करना चाहिए। खुफिया जानकारी एकत्रित करनी चाहिए और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। भारत पाकिस्तान पर हावी हो सकता है, अपना वर्चस्व कायम रख सकता है क्योंकि भारत की सैन्य क्षमता किसी भी स्थिति में पाकिस्तान की तुलना में बहुत मजबूत है।

भारत को अपनी पारंपरिक क्षमता का लाभ उठाना चाहिए और अपनी बढ़ोतरी करनी चाहिए क्योंकि इसी में भारत का लाभ है।

हालांकि इससे पहले जब भी भारत सीमा पार करके आगे बढ़ा तो उसने यही संदेश देने की कोशिश की कि वह पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाने के लिए इस तरह के कदम नहीं उठाना चाहता था। पाकिस्तान की शह पर भारतीय नागरिकों और भारतीय सेना पर आतंकी हमले किए जाते हैं। पाकिस्तान इन आतंकी हमलों का प्रायोजक होता है। यहां कुछ चीजों का भारत को ध्यान रखना चाहिए दरअसल समाधान के लिए यह आवश्यक है। इस बार फिर विदेश मंत्रालय ने वायुसेना द्वारा की गई कार्रवाई को ‘गैर-सैन्य पूर्वव्यापी कार्रवाई’ बताया यानी भारत द्वारा जो सर्जिकल स्ट्राइक की गई वह पाकिस्तानी फौज के लिए नहीं थी बल्कि जैश के आतंकियों के खिलाफ की गई कार्रवाई थी। भारत की तरफ से पाकिस्तान को ऐसा संकेत दिया गया कि भारत सैन्य स्तर तक आगे नहीं बढ़ना चाहता। यह अजीब डर है जबकि इससे पहले हुए भयंकर हमलों और खून-खराबे के बाद भी पाकिस्तान ने आगे बढ़ने की इच्छा नहीं दिखाई है। और पाकिस्तान के लिए यह तर्कसंगत भी है जब विवाद हो तो कमजोर पक्ष के आगे बढ़ने का कोई मतलब नहीं होता। लेकिन भारत के नीति-निर्धारणकर्ताओं ने बिना किसी ठोस साक्ष्य के स्वयं को आश्वस्त कर लिया हैं। पाकिस्तान पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता इस बात का डर हमेशा बना रहना चाहिए। जब तक भारत इस तरह से नहीं सोचता तब तक पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को रोका नहीं जा सकता। भारत के नीति निर्धारणकर्ताओं को इस बारे में सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हुआ कि भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ पहले की गई कार्रवाई से इस सबका समाधान क्यों नहीं निकला? हम अभी तक आतंकी गतिविधियों को क्यों नहीं रोक सके ? हम बालाकोट पर भारत द्वारा की गई कार्रवाई का जश्न मना सकते हैं और यह जश्न मनाने वाली बात भी है लेकिन यदि भारत पिछली घटनाओं से नहीं सीखता है तो यह जश्न सिर्फ अल्पकाल के लिए होंगे। पाकिस्तान भले ही आगे न बढ़े पर इसका जवाब जरूर देगा। वह अपनी प्रकृति से बात नहीं जाएगा। वह भारत की सहने की क्षमताओं को बार-बार परखेगा जब तकि यह नहीं हो जाता कि उसे उसके किए की कीमत चुकानी पड़ेगी।

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