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हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल (आईपीएस) ने बांग्लादेश को संकटपूर्ण स्थिति में डाल दिया है.
इस साल अक्टूबर में बांग्लादेश की यात्रा के दौरान अमेरिका के उप विदेश मंत्री स्टीफ़न बिगन ने इस बात का आकलन किया और यह स्पष्ट किया कि उनका देश अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति (Indo-Pacific Strategy-IPS) में बांग्लादेश को अमेरिका के एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखता है. अपनी यात्रा के दौरान, बिगन ने प्रधान मंत्री शेख हसीना और विदेश मंत्री अब्दुल मोमन और अधिकारियों सहित बांग्लादेश के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की.
इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने दीर्घकालिक आर्थिक और विकास साझेदारी, कोविड-19 की महामारी से निपटने में सहयोग, रोहिंग्या शरणार्थी संकट सहित कई मुद्दों पर चर्चा की. हालाँकि, सभी मंचों पर बिगन का प्राथमिक ज़ोर हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल (आईपीएस) को लेकर था, जिससे यह बात स्पष्ट हो गई कि अमेरिका अपनी इस रणनीतिक पहल को लेकर बांग्लादेश के समर्थन की इच्छा रखता है.
बांग्लादेश ऐसी किसी भी अंतरराष्ट्रीय पहल में शामिल होने के लिए बेहद तत्पर नहीं है जिसके सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से कोई प्रभाव हो सकते हैं. वह इस बात को लेकर आशंकित है कि हिंद-प्रशांत पहल में शामिल होने से वह महा शक्तियों के बीच जारी टकराव में उलझ सकता है.
बांग्लादेश जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का सदस्य है वह इस बाबत अपनी प्रतिक्रिया रखने को लेकर सतर्क है, क्योंकि उसे डर है कि जल्दबाज़ी में दी घई कोई भी प्रतिक्रिया देश के हित के लिए हानिकारक हो सकती है. ढाका की आशंकाएं इस बात पर टिकी हैं कि हिंद-प्रशांत रणनीति को लेकर लोकप्रिय धारणा यह है कि वह चीन द्वारा शुरु किए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की प्रतिक्रिया में शुरु की गई पहल है.
बांग्लादेश ऐसी किसी भी अंतरराष्ट्रीय पहल में शामिल होने के लिए बेहद तत्पर नहीं है जिसके सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से कोई प्रभाव हो सकते हैं. वह इस बात को लेकर आशंकित है कि हिंद-प्रशांत पहल में शामिल होने से वह महा शक्तियों के बीच जारी टकराव में उलझ सकता है. इस संदेह के बावजूद, बांग्लादेश पर अमेरिका का ध्यान देश के लिए बड़े पैमाने पर अवसरों का एक क्षेत्र खोलता है. बांग्लादेश को इस मायने में आत्म निरीक्षण करने की आवश्यकता है कि अमेरिका की इस पहल का उसके सर्वोत्तम हित के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है.
हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के क्षेत्रों तक फैली है और एशिया में अमेरिका की प्रमुख पहल है, हिंद-प्रशांत रणनीति के तहत, अमेरिका सभी के लिए साझा समृद्धि के साथ, मुक्त, समावेशी, शांतिपूर्ण और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की दृष्टि का प्रचार करता है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, अमेरिका निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक भागीदारी को शामिल करके इस क्षेत्र में इन देशों के साथ आर्थिक संबंधों का विस्तार करना चाहता है. सुरक्षा से संबंधित सहयोग को बढ़ाना भी आईपीएस का एक महत्वपूर्ण पहलू है.
बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति, अमेरिका के लिए बांग्लादेश में रुचि रखने का एक महत्वपूर्ण कारण रही है. यह देश बंगाल की खाड़ी का एक क्षेत्र है, जो हिंद महासागर के अभिन्न क्षेत्र के रूप में एक प्रमुख समुद्री व्यापारिक मार्ग है. इसके अलावा, बांग्लादेश के प्रभावशाली आर्थिक और सामाजिक विकास में भी अमेरिका अपने हितों को साकार होते हुए देखता है.
एक वक्त था जब बांग्लादेश को ‘बास्केट केस’ यानी एक ऐसे देश के रूप में जाना जाता थी जिसकी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई हो और उसके आर्थिक हालात सुधरने के कोई आसार न हों. आज बांग्लादेश एशिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. साल 2020 में, बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय उसके पड़ोसी देश और क्षेत्रीय महाशक्ति कहलाए जाने वाले भारत से आगे निकल गई है. बांग्लादेश रेडीमेड परिधानों के निर्यात के मामले में वैश्विक रूप से अग्रणी है. उसके पास प्रभावशाली मानव संसाधन है क्योंकि बड़ी संख्या में देश की आबादी युवा है जिनकी उपस्थिति के कारण यह माना जाता है कि बांग्लादेश के पास मानव पूंजी की ताक़त है. बांग्लादेश अब संभावनाओं से भरे उन देशों में शामिल है जो अपनी प्रभावशाली आर्थिक विकास दर के चलते, अग्रिम पंक्ति में अपनी जगह बना सकते हैं. चूंकि हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल इस क्षेत्र में मौजूद देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को मज़बूत बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है, इसलिए बांग्लादेश की साख, व्यवसायों को आकर्षित करती है और हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल के लिए उसे आकर्षक बनाने में मदद करती है. बांग्लादेश व्यवसायों के लिए निवेश का एक आदर्श गंतव्य हो सकता है, जो उनके लिए महत्वपूर्ण लाभ सुनिश्चित कर सकता है.
बांग्लादेश की विदेश नीति के दो मूल उद्देश्य आर्थिक विकास और व्यापार को बढ़ावा देना रहे हैं. इन उद्देश्यों को देखते हुए, बांग्लादेश हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल से महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त कर सकता है. इस संबंध में, बुनियादी ढांचा एक ऐसा क्षेत्र है जहां बांग्लादेश आईपीएस (IPS) से सबसे अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है. विशेष रूप से, क्योंकि सदस्य देशों में बुनियादी ढांचे का विकास, हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल का मुख्य केंद्र बिंदु है.
बांग्लादेश की विदेश नीति के दो मूल उद्देश्य आर्थिक विकास और व्यापार को बढ़ावा देना रहे हैं. इन उद्देश्यों को देखते हुए, बांग्लादेश हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल से महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त कर सकता है.
दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश लगातार अपने बुनियादी ढांचे को विकसित करने की दिशा में प्रयासरत है और इस पर ज़ोर देता रहा है. वह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित गतिविधियों के लिए समर्थन देने व वित्तीय सहायता प्रदान करने की मांग कर रहा है. चीन के नेतृत्व में ‘बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव’ में शामिल होने को लेकर बांग्लादेश की प्राथमिक वजह, बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित परियोजना का वित्त पोषण था. चीन ने देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 24 बिलियन डॉलर प्रदान करने का वादा किया है. इस मायने में हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल बांग्लादेश को विभिन्न विकासात्मक कार्यों के लिए धन सुरक्षित करने में मदद कर सकती है.
हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल में विकास पर ज़ोर होने के बावजूद, इसे सुरक्षा गठबंधन के रूप में अधिक देखा और माना जाता है, और यह बांग्लादेश के संकोच का मुख्य कारण भी है. देश में लोकप्रिय राय यह है कि हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल, देश की विदेश नीति के सिद्धांत के विरोध में है जिसके तहत, ‘सभी से मित्रता और किसी के प्रति द्वेष नहीं’ का सिद्धांत लागू किया जाता है. बांग्लादेश इस बात को लेकर डरता है कि हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल में शामिल होने की कार्रवाई, उसके रणनीतिक सहयोगी चीन के साथ बांग्लादेश के संबंधों को बिगाड़ सकती है. हालांकि इसी तर्ज पर वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों की अनदेखी भी नहीं कर सकता है. अमेरिका बांग्लादेश के लिए एक प्रमुख विकास भागीदार रहा है. दोनों देशों के बीच नज़दीकी आर्थिक और सुरक्षा संबंध हैं. देश के सबसे बड़े निर्यात उत्पादक के रूप में बांग्लादेश के लिए अमेरिका सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है. इसके अलावा अमेरिका, बांग्लादेश में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक भी है.
हिंद-प्रशांत रणनीतिक पहल (आईपीएस) ने बांग्लादेश को संकटपूर्ण स्थिति में डाल दिया है. देश के सामने यह चुनौती है कि वह चीन और अमेरिका के साथ अपने हितों को प्रभावित किए बिना अपने संबंधों को कैसे संतुलित करे. बांग्लादेश ने आज तक, सभी महान वैश्विक शक्तियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने को लेकर बेहतर प्रदर्शन किया है. वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए बांग्लादेश भविष्य में किस ओर क़दम बढ़ाता है यह देखने के योग्य होगा, क्योंकि वैश्विक ताकतें तेज़ी से इस क्षेत्र में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने को लेकर मुखर हो रही है.
यह लेख साउथ एशिया वीकली में प्रकाशित हो चुका है.
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Joyeeta Bhattacharjee (1975 2021) was Senior Fellow with ORF. She specialised in Indias neighbourhood policy the eastern arch: Bangladeshs domestic politics and foreign policy: border ...
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