Published on Sep 16, 2020 Updated 0 Hours ago

यात्रा से भारत द्वारा बांग्लादेश को दिया जाने वाला महत्व भी प्रदर्शित हुआ है. इससे आपसी संबंध गतिशील हुए हैं.

भारत-बांग्लादेश संबंध: भारतीय विदेश सचिव की यात्रा से द्विपक्षीय संबंध बढ़े

भारत-बांग्लादेश के आपसी संबंधों में पिछले महीने भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के ढाका दौरे (18-19 अगस्त) से बड़ा उछाल आया है. श्रृंगला की कोविड-19 महामारी से यात्रा पर लगे प्रतिबंधों के बाद यह पहली विदेश यात्रा थी. दौरे को सफल माना जा रहा है. श्रृंगला पहले विदेशी दूत हैं जिनसे कोविड-19 महामारी फैलने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद मिली हैं.

दो दिन की यात्रा में भारतीय विदेश सचिव ने बांग्लादेश के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की जिनमें विदेश सचिव ए के अब्दुल मोमेन एवं श्रृंगला के समकक्ष मसूद बिन मोमेन शामिल थे. उन्होंने बांग्लादेश के सैन्य प्रमुख से वर्चुअल बैठक की. बातचीत के दौरान श्रृंगला ने विकास के लिए भागीदारी, कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति से निपटने को आपसी सहयोग एवं वैक्सीन तैयार करने आदि आपसी हित के विभिन्न मुद्दों पर राय मशविरा किया. इस दौरान प्रमुख घटना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशिष्ट संदेश प्रधानमंत्री हसीना को सौंपने की रही. उन्होंने दोनों देशों के संबंध घनिष्ठ करने का उपाय सुझाने के लिए अपने विशेष दूत के हाथ संदेश भेजने की श्री मोदी की पहल की सराहना की.

सत्ता का खेल

इस यात्रा का मीडिया ने व्यापक प्रचार किया क्योंकि संयोग से उसी दौरान भारत एवं चीन के बीच तनाव बढ़ रहा था जिसके परिणामस्वरूप बीजिंग द्वारा भारत के पड़ोस में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए सत्ता का घना जाल बुना जा रहा है. भारत के पड़ोसियों को प्रभावित करने का चीन का खेल बांग्लादेश में भी दिखाई दे रहा है. इसके तहत चीन द्वारा बांग्लादेश के बाजारों में शुल्करहित चीनी सामान की सूची में नई चीज़ें शामिल करने और विकास परियोजनाओं के लिए मोटा कर्ज देने जैसे दाव आज़माये जा  जा रहे हैं.

स्थानीय मीडिया ने इस दौरे को भारत द्वारा अपने भरोसेमंद पड़ोसी बांग्लादेश को मना कर फिर से अपने पाले में लाने का प्रयास बताया. मीडिया के इन दावों पर आ​धारित कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले इनकी प्रामाणिकता जांचने के लिए विस्तृत विश्लेषण की आवश्यकता है क्योंकि दोनों देश आपसी संबंध को किसी भी तीसरे देश की परछाईं से मुक्त एवं स्वतंत्र मानते हैं. हाल में भारत के विदेशी मामलों के मंत्रालय (एमईए) ने भारत-बांग्लादेश संबंधों की तुलना बाग्लादेश-चीन संबंध से करने पर एतराज़ जताया था.

यात्रा के एजंडे के विश्लेषण से स्पष्ट है कि बांग्लादेश में भारत के लिप्त होने के दो अलग-अलग पहलू हैं जिनका दोतरफ़ा संबंधों पर हो रही तात्कालिक टिप्पणियों में कोई उल्लेख नहीं कर रहा. यह मानवीय नज़रिए से संबंधित है जो दुतरफा संबंध का आधार है. इसके साथ ही साझा संस्कृति एवं विरासत पर भी दोनों देशों को नाज़ है जिससे हम आपस में बंधे हुए हैं.

आजादी के बाद भी भारत हमेशा बांग्लादेश को मानवीय सहायता प्रदान करने में आगे रहा है चाहे वह समुद्री तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हो अथवा कोविड-19 जैसा स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल हो. स्वास्थ्य पर्यटन की भी द्विपक्षीय संबंधों में बड़ी भूमिका है

 बांग्लादेश से भारत का रिश्ता रणनीतिक सरोकारों से कहीं ऊपर है. पाकिस्तान की सेना के हाथों बांग्लादेशियों पर अत्याचार और उससे बचने को बंगाली शरणार्थियों का बड़ी संख्या में हमारे यहां पलायन उनके मुक्ति संघर्ष को 1971 में भारत द्वारा समर्थन का प्रमुख कारण था. आजादी के बाद भी भारत हमेशा बांग्लादेश को मानवीय सहायता प्रदान करने में आगे रहा है चाहे वह समुद्री तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हो अथवा कोविड-19 जैसा स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल हो. स्वास्थ्य पर्यटन की भी द्विपक्षीय संबंधों में बड़ी भूमिका है.

दो उत्सव

यात्रा के दौरान भारत के विदेश सचिव ने दो प्रमुख अवसरों— बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायक ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी (मुजीब बर्षो) तथा बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती का उत्सव मनाने पर भी चर्चा हुई. द्विपक्षीय संबंधों के पथ प्रदर्शन का श्रेय बंगबंधु को दिया गया है और दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप में उनकी जन्म शताब्दी मनाने से आपसी संबंधों को नया आयाम मिलेगा. इसी प्रकार बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती भी ऐसा ही क्षण है जिसका उत्सव बांग्लादेश एवं भारत को मिलकर आयोजित करना चाहिए.

बांग्लादेश को विजय एवं मुक्ति अपने मुक्ति योद्धाओं तथा भारत की सेना के संयुक्त प्रयास से प्राप्त हुई. भारत की सेना ने 1971 में बंगाली मुक्ति योद्धाओं के कंधे से कंधा मिलाकर आतताइयों का मुकाबला किया. इन अवसरों के महत्व के मद्देनज़र भारत के शीर्ष राजनयिक द्वारा इन ऐतिहासिक संदर्भों के बारे में चर्चा से दोनों देशों के बीच सामूहिकता की भावना उत्पन्न हुई.

भारत एवं बांग्लादेश के बीच सहयोग दोनों देशों के विकास में मददगार होने के साथ ही दक्षिण एशिया भी समृद्ध होगा. शीर्ष नेतृत्व एवं अधिकारियों के बीच नियमित बातचीत से भी आपसी संबंधों को बल मिलेगा.

वायदों का पालन

बहरहाल, यात्रा से उत्पन्न सद्भाव का लाभ उठाने के लिए भारत को बांग्लादेश से किए गए वायदों पर अमल करना चाहिए. बांग्लादेश में विकास परियोजनाओं में काम की गति बढ़ाना प्रगति की दिशा में उल्लेखनीय उपाय सिद्ध होगा. म्यांमार के राखिने में रोहिंग्या शरणार्थियों की बांग्लादेश से घरवापसी में भी भारत द्वारा सहायता से आपसी संबंध मज़बूत होंगे. रोहिंग्या शरणार्थी साल 2017 से बांग्लादेश में शरणागत हैं क्योंकि उन्हीं के बीच से किसी समूह द्वारा म्यांमार के सुरक्षा बलों पर धावा बोलने से बौखलाए सुरक्षा बलों ने राखिने प्रांत में उनके घरों में घुसकर मारा जिससे बचने को रोहिंग्या घर छोड़कर बांग्लादेश में घुस गए.

भारत एवं बांग्लादेश के बीच सहयोग दोनों देशों के विकास में मददगार होने के साथ ही दक्षिण एशिया भी समृद्ध होगा. शीर्ष नेतृत्व एवं अधिकारियों के बीच नियमित बातचीत से भी आपसी संबंधों को बल मिलेगा.

यात्रा से भारत द्वारा बांग्लादेश को दिया जाने वाला महत्व भी प्रदर्शित हुआ है. इससे आपसी संबंध गतिशील हुए हैं. यह पिछले कुछ समय से वर्चुअल बातचीत तक ही सीमित थे.

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