Author : Melissa Frakman

Published on Aug 12, 2020 Updated 0 Hours ago

मुख्य वित्तीय सेवाओं की पेशकश के अलावा डिजिटल फिनटेक प्लेटफॉर्म ने अपनी डिलीवरी व्यवस्था का इस्तेमाल इस चुनौतीपूर्ण समय में उपभोक्ताओं की ज़रूरतों को पूरा करने में किया.

पोस्ट कोविड डिजिटल दुनिया में भारत की वित्तीय सर्विस को मिल सकता है नया मौका

भारत में डिजिटल सर्विस की डिलीवरी के लिए कोविड-19 “नोटबंदी जैसा मौक़ा” हो सकता है. 2016 में अचानक हुई नोटबंदी के कारण लोगों के पास नक़दी नहीं होने की वजह से डिजिटल भुगतान में तेज़ी आई. पहले से स्थापित तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण इसमें आसानी हुई. अब अलग वजह से उसी तरह के अचानक झटके के कारण देश भर के स्टार्टअप इकोसिस्टम से जुड़े उद्यमी तकनीक का फ़ायदा ले रहे हैं. वो भारत में सेहत और उसकी वजह से खड़े आर्थिक संकट में उपभोक्ताओं और छोटे कारोबारियों की चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं.

RBI ने सिस्टम में पर्याप्त मात्रा में पूंजी उपलब्ध कराने के लिए कई क़दम उठाए हैं जिनमें रेपो ऑपरेशन और बैंकों को कर्ज़ देने के लिए प्रेरित करने जैसे क़दम शामिल हैं.

2017 से भारत के वित्तीय सेवा उद्योग ने तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की है और डिजिटाइज़ेशन की नई व्यवस्था को व्यापक रूप से अपनाया है. सक्रिय नियामक और वित्तीय समावेशन के लिए नीतिगत कोशिशों के अलावा किफ़ायती इंटरनेट और स्मार्टफ़ोन की उपलब्धता में तेज़ी की वजह से फिनटेक वित्तीय सेवा के ज़रिए आर्थिक विकास के लिए शहरी, अर्द्ध-शहरी और आख़िरी उपभोक्ता तक पहुंच में महत्वपूर्ण कड़ी बन गई है.

कोविड की वजह से लॉकडाउन के दौरान पूरे भारत में आर्थिक गतिविधियां क़रीब-क़रीब थम गईं. आगे बढ़ता हुआ फिनटेक उद्योग इस मामले में कोई अपवाद नहीं है. उदाहरण के तौर पर, नये कर्ज़ के बंटवारे और बकाया पैसे की वसूली रुक गई. इसकी एक वजह रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ़ से कर्ज़ को चुकाने के लिए मोरेटोरियम में बढ़ोतरी भी है. ये स्थिति छोटे कारोबारियों के साथ-साथ उन उपभोक्ताओं के लिए भी चुनौती पेश करती है जिन्हें पैसे की ज़रूरत है. आर्थिक उथल-पुथल के जारी रहने और उपभोक्ताओं की तरफ़ से गैर-ज़रूरी खर्च में कटौती के कारण क्रेडिट स्टार्टअप- ई-कॉमर्स और स्टार्टअप इकोसिस्टम की अग्रणी कंपनियों के सामने दिक़्क़त आ रही है. क्रेडिट स्टार्टअप ने अपना ध्यान वसूली बढ़ाने पर दिया है. वो एक तरफ़ कर्ज़ लेने वालों को कर्ज़ चुकाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं तो दूसरी तरफ़ और ज़्यादा कर्ज़ देने के लिए पूंजी इकट्ठा कर रहे हैं. RBI ने सिस्टम में पर्याप्त मात्रा में पूंजी उपलब्ध कराने के लिए कई क़दम उठाए हैं जिनमें रेपो ऑपरेशन और बैंकों को कर्ज़ देने के लिए प्रेरित करने जैसे क़दम शामिल हैं. बैंक किस तरह इस फंड का इस्तेमाल अपने इकोसिस्टम के साझेदारों की वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए करते हैं, उसका वित्तीय सेक्टर की रिकवरी में महत्वपूर्ण योगदान होगा.

सर्वश्रेष्ठ कारोबार और विचार उथल-पुथल और अनिश्चित समय के दौरान सबसे ज़्यादा सामने आते हैं. भारत के स्टार्टअप तेज़ी से बदलते माहौल में ख़ुद को फुर्ती से बदलने में सक्षम हैं. मुख्य वित्तीय सेवाओं की पेशकश के अलावा डिजिटल फिनटेक प्लेटफॉर्म ने अपनी डिलीवरी व्यवस्था का इस्तेमाल इस चुनौतीपूर्ण समय में उपभोक्ताओं की ज़रूरतों को पूरा करने में किया. उदाहरण के लिए, किराने और ज़रूरत के सामानों की मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए फ़ोनपे (जिसमें बड़ा मालिकाना हक़ वॉलमार्ट का है) जैसी कंपनियों ने अपने मोबाइल ऐप पर स्थानीय कारोबार के लिए वर्चुअल स्टोर की सुविधा दी है ताकि वो अपने उत्पाद को ऑनलाइन बेच सकें. बैंगलुरु के स्टार्टअप निकी ने छोटे शहरों में रहने वाले अपने ग्राहकों के लिए तमिल और गुजराती समेत कई स्थानीय भाषाओं में वॉयस चैट की सुविधा दी है ताकि वो लॉकडाउन के दौरान घरेलू लेन-देन डिजिटल तरीक़े से कर सकें, साथ ही राज्य सरकारों से अपने स्वास्थ्य की जानकारी साझा कर सकें.

लॉकडाउन की अवधि के दौरान कुछ ख़ास तरह के उत्पादों के लिए ऑनलाइन भुगतान में बढ़ोतरी हुई है. भारतीय उपभोक्ताओं के व्यवहार में निश्चित तौर पर बदलाव दिख रहा है. अब वो स्थानीय किराना दुकान में नकद भुगतान के बदले अपने जियो फ़ोन पर कम डाटा का इस्तेमाल करने वाले ऐप के ज़रिए सामान का ऑर्डर दे रहे हैं. वो दुकान भी अब अपनी ख़रीद-बिक्री मोबाइल फ़ोन के ज़रिए कर सकती है.

दुनियाभर में कोविड-19 के मामले बढ़ने के बाद अलग-अलग देशों ने पता लगाया कि तेज़ी से तकनीक का इस्तेमाल करके आर्थिक शासन प्रणाली की चुनौतियों को कैसे आसान बनाया जाए.

साथ-साथ भारत सरकार ने भी कोविड से निपटने की अपनी आर्थिक तैयारी के तहत डिजिटल फ़ाइनेंस की कोशिशों में बढ़ोतरी की है. सरकार लेन-देने के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के इस्तेमाल को ज़ोरदार बढ़ावा दे रही है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की तरफ़ से वित्तीय समावेशन की पहल का प्रमुख हिस्सा रहे जन-धन बैंक खाते इस समय समाज के कमज़ोर वर्ग तक डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के लिए बेहद फ़ायदेमंद रहे.

दुनियाभर में कोविड-19 के मामले बढ़ने के बाद अलग-अलग देशों ने पता लगाया कि तेज़ी से तकनीक का इस्तेमाल करके आर्थिक शासन प्रणाली की चुनौतियों को कैसे आसान बनाया जाए. मज़बूत, कम लागत वाले भुगतान और फिनटेक इन्फ्रास्ट्रक्चर के ज़रिए भारत इस चुनौती से निपटने में आगे रहा. इस इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके स्टार्टअप नई खोज करने में कामयाब रहे.

अब फिनटेक भारत के दूर-दराज के हिस्सों से भी जुड़ गए हैं और आर्थिक राहत के प्रभावशाली और भरोसेमंद हिस्से के तौर पर उभरने में सफल रहे हैं. नतीजतन बैंक भी अपनी डिजिटल पेशकश को ज़्यादा ग्राहकों तक पहुंचाने में लग गए हैं. इसके लिए वो अक्सर छोटी तकनीकी कंपनियों को अपना साझेदार बनाते हैं.

कई पेमेंट और ई-कॉमर्स कंपनियों ने बीमा कंपनियों के साथ मिलकर अपने ग्राहकों को  कोविड-19 स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराया है: ये भारतीय बीमा कंपनियों के लिए नई चुनौती पेश करती है. इस हालात की वजह से हेल्थकेयर और इंश्योरटेक स्टार्टअप का कारोबार बढ़ा है क्योंकि पूरे भारत में ग्राहक, छोटे कारोबार और रोज़गार देने वाले ख़ुद को और अपने कर्मचारियों को वित्तीय रूप से सुरक्षित रखने का महत्व समझ गए हैं. भारत में अभी भी बीमा कराने वालों की संख्या बेहद कम है. डिजिटल ज़रिया बीमा उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए स्वागत योग्य है.

कोविड-19 के बाद भारतीय उपभोक्ताओं में बदलाव आएगा- वो डिजिटल और कॉन्टैक्टलेस पेमेंट को प्राथमिकता देंगे, बचत और निवेश पर ज़ोर देंगे ताकि अनिश्चित समय के लिए उनके पास पैसे हों, स्वास्थ्य और जीवन बीमा को लेकर उनकी दिलचस्पी बढ़ेगी जिससे कि आगे किसी अप्रत्याशित वित्तीय झटके से निपट सकें. कोविड-19 के बाद की दुनिया में भारत के शुरुआती दौर वाले टेक स्टार्टअप अपनी नक़दी पर पहले के मुक़ाबले सोच-समझकर फ़ैसला लेंगे, दफ़्तर से दूर काम-काज का प्रयोग करेंगे और ऐसे उत्पाद बनाएंगे जो हर सामाजिक-अर्थिक तबके के भारतीयों की आजीविका की चुनौतियों को हल कर सकें. इस संकट से भारत के हज़ारों डिजिटल फिनटेक कारोबार के सामने काफ़ी चुनौतियां हैं. इनमें से कई वैश्विक स्तर पर ज़्यादा मज़बूत होकर उभरेंगी और इसमें भारतीय खोज उनको रास्ता दिखाएंगे.

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