Published on Dec 15, 2020 Updated 0 Hours ago

अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में ये सामूहिक राहत और रोंगटे खड़े करने वाला दिन था. टीवी चैनल के कैमरों ने वैक्सीन ले रहे नर्स और डॉक्टर्स की खुली बांह पर नज़र गड़ाई

अमेरिका में ऐतिहासिक वैक्सीनेशन अभियान शुरू: हमें अब तक क्या पता है और क्या नहीं…

अमेरिका के 3,00,000 नागरिकों के लिए पहली कोविड-19 वैक्सीन बहुत देर से आई. लेकिन जो लोग ज़िंदा बच गए उनके लिए अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान 14 दिसंबर को शुरू हुआ. स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी बांह पर फाइज़र-बायोएनटेक की वैक्सीन लगवाई जो रिकॉर्ड 10 महीने में तैयार हुई है.

अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में ये सामूहिक राहत और रोंगटे खड़े करने वाला दिन था. टीवी चैनल के कैमरों ने वैक्सीन ले रहे नर्स और डॉक्टर्स की खुली बांह पर नज़र गड़ाई. ये इस विनाशकारी प्रकोप में एक निर्णायक मोड़ था.

न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड जूइश मेडिकल सेंटर में क्रिटिकल केयर की नर्स सैंड्रा लिंडसे ने अपनी बाईं बांह पर वैक्सीन लगवाने के बाद कहा, “आज मैं उम्मीद से भरी लग रही हूं. चिंता से मुक्त. मुझे लगता है कि इलाज आ गया है.”

जिस दिन वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई, उसी दिन सुबह में जॉन्स हॉपकिन्स कोरोना वायरस ट्रैकर के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों की संख्य़ा 3,00,000 के पार चली गई. 

जिस दिन वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई, उसी दिन सुबह में जॉन्स हॉपकिन्स कोरोना वायरस ट्रैकर के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों की संख्य़ा 3,00,000 के पार चली गई. ये 9/11 हमले का 100 गुना या वियतनाम युद्ध में मरने वाले अमेरिकी नागरिकों का पांच गुना या पिट्सबर्ग की पूरी आबादी के बराबर है. मोर्चे पर तैनात डॉक्टरों का मानना है कि जान गंवाने वाले लोगों की असली संख्य़ा इससे काफ़ी ज़्यादा है. इसकी वजह ये है कि महामारी के शुरुआती महीनों में मौतों का सटीक आंकड़ा नहीं रखा गया था. सात दिनों के औसत के आधार पर 13 दिसंबर को संक्रमण के शिकार लोगों का मामला बढ़कर एक दिन में 2,14,000 हो गया.

उम्मीदों के साये में

अमेरिका को उम्मीद है कि दिसंबर के आख़िर तक 2 करोड़ लोगों को वैक्सीन मिल जाएगी. इनमें हेल्थकेयर वर्कर और नर्सिंग होम के स्टाफ और डॉक्टर शामिल हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिज़ीज़ के डायरेक्टर डॉ. एंथनी फाउची के मुताबिक, एक औसत अमेरिकी नागरिक को अगले साल की “दूसरी तिमाही” में वैक्सीन लगाए जाने की उम्मीद है.

पहले चरण में 30 लाख वैक्सीन भेजी गई है. सरकार ने वैक्सीन की दूसरी डोज़ को संभालकर रखा है ताकि जिन लोगों को पहली डोज़ मिली है, उन्हें दूसरी डोज़ मिल सके. पहले चरण में इस 64 लाख डोज़ के अलावा 5,00,000 अतिरिक्त डोज़ को किसी भी आपातकाल के लिए रखा गया है. राज्यों को 18 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र वाली आबादी के आधार पर वैक्सीन की डोज़ मिल रही है.

पहले चरण में इस 64 लाख डोज़ के अलावा 5,00,000 अतिरिक्त डोज़ को किसी भी आपातकाल के लिए रखा गया है. राज्यों को 18 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र वाली आबादी के आधार पर वैक्सीन की डोज़ मिल रही है.

ये मानकर कि मॉडर्ना की वैक्सीन को भी रेगुलेटरी मंज़ूरी मिल जाती है तो अमेरिकी  अधिकारियों को उम्मीद है कि दिसंबर के आख़िर तक दो करोड़ लोगों को वैक्सीन देने के लिए उनके पास पर्याप्त डोज़ बचेगी. इसका ये मतलब है कि फाइज़र/बायोएनटेक और मॉडर्ना को मिलाकर उनके पास 4 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध होगी. मॉडर्ना की दूसरी वैक्सीन पहली वैक्सीन के चार हफ़्ते के बाद दी जानी है.

ट्रंप प्रशासन के वैक्सीन सम्राट मोंसेफ सलोई की तरफ़ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक़, फरवरी के आख़िर तक 10 करोड़ अमेरिकी नागरिकों के लिए पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध होगी. लेकिन अभी भी कई ऐसी बातें हैं जो वैक्सीन के बारे में हम नहीं जानते. यहां तक कि वो लोग भी नहीं जानते जिन्होंने वैक्सीन को मंज़ूरी दी है. लेकिन वैक्सीन को हरी झंडी दिखाने की वजह ये है कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक़ वैक्सीन का इस्तेमाल कोरोना वायरस से बीमार होने के जोख़िम के मुक़ाबले कम है.

वैक्सीन को हरी झंडी दिखाने की वजह ये है कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक़ वैक्सीन का इस्तेमाल कोरोना वायरस से बीमार होने के जोख़िम के मुक़ाबले कम है. 

10 दिसंबर को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) की वैक्सीन एंड रिलेटेड बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स एडवाइज़री कमेटी के स्वतंत्र विशेषज्ञ बैठे. इनमें बाल रोग विशेषज्ञ से लेकर वायरोलॉजी और नैतिकता के विशेषज्ञ शामिल थे. ये नौ घंटे तक फाइज़र-बायोएनटेक के क्लीनिकल ट्रायल, जिसमें 44,000 लोग शामिल थे, की हर जानकारी पर चर्चा करते रहे.

इस बैठक के आख़िर में दो घंटे से ज़्यादा समय तक एक ही मुद्दे पर चर्चा होती रही. ये मुद्दा था 16 और 17 साल की उम्र वालों में वैक्सीन की सुरक्षा. बैठक में शामिल एक सदस्य ने दूसरों से अनुरोध किया कि वो देखें कि “इस उम्र के लोगों को लेकर आंकड़े सबसे कम हैं”. बैठक में शामिल कम-से-कम तीन सदस्य चाह रहे थे कि वैक्सीनेशन की शुरुआत सिर्फ़ 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों से की जाए. जिन सदस्यों ने 16 वर्ष वालों को भी वैक्सीन देने की वक़ालत की, वो इस बात पर बोले कि वायरस को “ख़त्म” करने के लिए ये उम्र समूह कितना महत्वपूर्ण है. उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि कम उम्र के लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना महत्वपूर्ण है.

बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर असर

FDA की वैक्सीन कमेटी की दिन भर की बैठक में उन सवालों पर रोशनी डाली गई जो मौजूदा वैक्सीन ट्रायल के अगले चरणों को जानकारी देगी और उससे क्या उम्मीद की जानी चाहिए. हम अब जानते हैं कि वैक्सीन की सबसे सामान्य प्रतिक्रिया है सुई की जगह पर दर्द होना, बुखार, सिरदर्द और थकान. ज़्यादातर प्रतिक्रियाएं वैक्सीन लेने के अगले दिन सामने आईं और फाइज़र के तीसरे चरण के ट्रायल में ये प्रतिक्रियाएं ज़्यादातर कम उम्र के भागीदारों में देखी गई.

फाइज़र-बायोएनटेक के ट्रायल के नतीजों से संकेत मिलते हैं कि वैक्सीन की एक डोज़ से भी सुरक्षा मिल सकती है, जिस पर फाइज़र अध्ययन करने की योजना बना रही है. फाइज़र की वैक्सीन दो डोज़ वाली है, पहली डोज़ के तीन हफ़्ते के बाद दूसरी डोज़ दी जाएगी. 12-15 वर्ष के लोगों पर ट्रायल की बस शुरुआत हो रही है और 16 और 17 वर्ष के लोगों पर जानकारी बहुत कम है क्योंकि इस उम्र समूह के कम लोगों ने ट्रायल में भाग लिया. गर्भवती महिलाएं फाइज़र के अध्ययन में शामिल नहीं थीं लेकिन ट्रायल की अवधि के दौरान इसमें शामिल 23 महिलाएं गर्भवती हुईं. इसको लेकर पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं कि इन महिलाओं पर वैक्सीन का क्या असर हुआ.

12-15 वर्ष के लोगों पर ट्रायल की बस शुरुआत हो रही है और 16 और 17 वर्ष के लोगों पर जानकारी बहुत कम है क्योंकि इस उम्र समूह के कम लोगों ने ट्रायल में भाग लिया. गर्भवती महिलाएं फाइज़र के अध्ययन में शामिल नहीं थीं

फाइज़र-बायोएनटेक के अध्ययन में वैक्सीन लेने वाले 137 (0.63%) वॉलंटियर ने एलर्जिक प्रतिक्रिया के लक्षण के बारे में जानकारी दी. इसकी तुलना में प्लेसेबो लेने वाले 111 (0.51%) लोगों ने एलर्जिक प्रतिक्रिया के लक्षण की जानकारी दी. फिलाडेल्फिया के बच्चों के अस्पताल के डॉ. पॉल ऑफिट ने कहा, “ये कभी मुद्दा नहीं है कि आप कब सारी चीज़ें जानते हैं. सवाल ये है कि क्या आप काफ़ी जानते हैं.” ऑफिट FDA की उस कमेटी में थे जिसने फाइज़र की वैक्सीन को लेकर चर्चा की.

अंत में कमेटी ने 17-4 के वोट से वैक्सीनेशन के अभियान को मंज़ूरी दी. उसी दिन डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक स्टंट करते हुए एक दस्तावेज़ पर दस्तख़त किए जिसमें “अमेरिकी वैक्सीन” को “दूसरे देश भेजने से पहले अमेरिकी नागरिकों” को प्राथमिकता दी गई. 11 दिसंबर की रात को अमेरिकी रेगुलेटर ने फाइज़र और बायोएनटेक की वैक्सीन को 16 साल और उससे ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी दी.

14 दिसंबर को टीवी पर सिर्फ़ एक तस्वीर छा गई और वो तस्वीर डोनाल्ड ट्रंप की नहीं बल्कि सामूहिक वैक्सीनेशन की थी.

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