Published on Nov 30, 2020 Updated 0 Hours ago

ऐसा लगता है कि भारत ने एकीकृत थिएटर कमान की स्थापना का जो इरादा किया है, वो मज़बूत और निर्णायक है.

भारतीय सैन्य बलों के पुनर्गठन में एकीकृत थिएटर कमांड की अनिवार्यता

जब भारतीय थलसेना के अध्यक्ष जनरल एम.एम. नरवणे से एकीकृत थिएटर कमान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये- ‘बहुत अच्छा और सोच-समझकर लिया गया निर्णय’ होगा. भारतीय सेनाओं के लिए एकीकृत थिएटर कमान स्थापित करने की प्रक्रिया ने जनरल बिपिन रावत के चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ (CDS) नियुक्त किए जाने के बाद से रफ़्तार पकड़ी है. जनरल रावत को 1 जनवरी 2020 को सीडीएस नियुक्त किया गया था और इसी के साथ रक्षा मंत्रालय के तरहत डिपार्टमेंट ऑफ़ मिलिट्री अफेयर्स की स्थापना की गई थी, जिसके वो प्रमुख बनाए गए हैं. भारत सरकार के (एलोकेशन ऑफ़ बिज़नेस) रूल्स 1961 के तहत डीएमए की एक भूमिका ये भी बतायी गयी है कि वो, ‘सैन्य कमान की इस तरह से पुनर्संरचना करेगा जिससे कि संयुक्त सैन्य अभियानों के माध्यम से संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सके. इसमें संयुक्त थिएटर कमान की स्थापना भी शामिल है.’

रक्षा क्षेत्र में तमाम सुधारों की लंबी फ़ेहरिस्त बनाई गई है, जो लंबे समय से लागू किए जाने का इंतज़ार कर रहे हैं. उन्हें अमली जामा पहनाने के ये उपाय सही दिशा में उठाए गए क़दम भले हों, लेकिन वो पेचीदा चुनौतियों की उन परतों को ख़त्म करने का काम नहीं करते, जो नीतिगत लक्ष्यों और उन्हें लागू करने के दरमियान आते हैं.

ऐसा लगता है कि भारत ने एकीकृत थिएटर कमान की स्थापना का जो इरादा किया है, वो मज़बूत और निर्णायक है. हालांकि, रक्षा क्षेत्र में तमाम सुधारों की लंबी फ़ेहरिस्त बनाई गई है, जो लंबे समय से लागू किए जाने का इंतज़ार कर रहे हैं. उन्हें अमली जामा पहनाने के ये उपाय सही दिशा में उठाए गए क़दम भले हों, लेकिन वो पेचीदा चुनौतियों की उन परतों को ख़त्म करने का काम नहीं करते, जो नीतिगत लक्ष्यों और उन्हें लागू करने के दरमियान आते हैं.

कौन किसे रिपोर्ट करेगा?

भारत के रक्षा प्रतिष्ठान और सीडीएस के सामने इस संदर्भ में जो बड़ी चुनौतियां हैं, वो कुछ इस तरह हैं. पहली-कमान की संरचना. मतलब तीनों सेनाओं के बीच में कौन किसे रिपोर्ट करेगा? संयुक्त थिएटर कमान में कौन शामिल होगा और फिर सैन्य बलों व मशीनरी पर किसकी ऑपरेशनल कमान लागू होगी, सेनाओं के अध्यक्षों की या थिएटर कमांडर्स की? दूसरी- भारतीय वायुसेना के भीतर संसाधनों की भारी कमी है. इस समय वायुसेना के पास केवल 31 ऑपरेशनल स्क्वॉड्रन हैं, जबकि 42 स्क्वॉड्रन स्वीकृत हैं. इसके कारण भारतीय वायुसेना के लिए एक क्षेत्र विशेष के लिए बनी ख़ास कमान के अंदर अपने संसाधन स्थायी रूप से रख पाना मुश्किल होगा. तीसरी- तीनों सेनाओं के बीच अंदरूनी प्रतिद्वंदिता, जिसके कारण हर सेना अपने संसाधनों पर अपनी पकड़ बनाए रखने के साथ साथ रक्षा बजट में अपने लिए अधिक आवंटन और प्रभाव की कोशिश करती रहती है. इस वजह से तीनों सेनाओं के बीच आपसी समन्वय करने में बाधा आएगी. और, चौथी- चूंकि भारत के पास एकीकृत कमान संरचना का अनुभव बेहद सीमित है, तो इसमें आगे चल कर ‘और सुधार करने’ की भी ज़रूरत पड़ सकती है. ये बात ख़ुद थल सेनाध्यक्ष ने भी स्वीकार की थी. सुधार के लिए समस्याओं को उचित समय पर पहचानकर उनका निराकरण करना होगा. इस वजह से एकीकरण की प्रक्रिया धीमी होनी तय है.

इन पेचीदा चुनौतियों के बावजूद, ऐसा लगता है कि सैन्य प्रतिष्ठान एकीकृत कमान बनाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. ख़बर है कि वर्ष 2022 तक भारत की सेना को पांच थिएटर कमान में पुनर्गठित किया जाएगा. ये कमान, जिनमें चीन के साथ लगने वाली सीमा के लिए उत्तरी कमान, पाकिस्तान की सीमा के लिए पश्चिमी कमान, प्रायद्वीपीय कमान, वायु रक्षा कमान और समुद्री कमान का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल और उनकी बराबर के रैंक के अधिकारी करेंगे. इन अधिकारियों के पास ऑपरेशनल नियत्रण होगा. वहीं, सेनाओं के अध्यक्षों की ज़िम्मेदारी, इन थिएटर कमांडरों के लिए संसाधन जुटाने की होगी. इसके अलावा, वायुसेना के संसाधनों को अलग अलग कमान में बांटने के बजाय, उसे एयर डिफेंस कमान के अंदर रखा जाएगा, जिसकी ज़िम्मेदारी भारतीय वायु सीमा की रक्षा करने की होगी.

जिस रफ़्तार और फ़ुर्ती से बाधाएं दूर की जा रही हैं, उससे भारतीय सेनाओं में लंबे समय से अपेक्षित सुधारों को लागू करने के प्रति जागरूकता दिखती है. इस भावना को थल सेनाध्यक्ष ने भी व्यक्त किया था, जब उन्होंने एकीकृत थिएटर कमान के गठन का स्वागत ये कहकर किया था कि, ‘ये रक्षा सुधारों की प्रक्रिया में अगला तार्किक क़दम है जिससे युद्ध और शांति के समय तीनों सेनाओं की क्षमताओं और मुक़ाबला कर पाने की ताक़त में समन्वय स्थापित हो सकेगा.’ इस ज़रूरत को पूरा करने के दो कारण हैं-आर्थिक और सामरिक. आर्थिक मोर्चे पर देखें तो, रक्षा मंत्रालय का वर्ष 2020-21 के कुल बजट , 4 लाख, 71 हज़ार, 378 करोड़ का 28 प्रतिशत पेंशन देने में व्यय होता है. वहीं, 28.6 फ़ीसद वेतन और भत्ते देने में ख़र्च हो जाता है. ऐसे में थिएटर कमान के गठन से तीनों सेनाओं की अतिरिक्त जनबल कम किया जा सकेगा. इससे रक्षा बजट में काफ़ी पैसे की बचत हो सकेगी. जिसे हथियारों और संसाधनों के रख-रखाव और आधुनिकीकरण में ख़र्च किया जा सकेगा.

वर्ष 2022 तक भारत की सेना को पांच थिएटर कमान में पुनर्गठित किया जाएगा. ये कमान, जिनमें चीन के साथ लगने वाली सीमा के लिए उत्तरी कमान, पाकिस्तान की सीमा के लिए पश्चिमी कमान, प्रायद्वीपीय कमान, वायु रक्षा कमान और समुद्री कमान का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल और उनकी बराबर के रैंक के अधिकारी करेंगे. 

ये रणनीति हमें तब स्पष्ट रूप से दिखती है, जब हम मेडिकल सेवाओं, अस्पतालों और प्रशिक्षण की सुविधाओं के एकीकरण का प्रस्ताव देखते हैं. इस तरह से ख़र्च में कमी लाने का एक फ़ायदा ये होगा कि भविष्य में अगर कोविड-19 के चलते पड़ रहे आर्थिक दबाव के कारण, रक्षा बजट कम किया जाता है, तो सेनाओं को इससे झटका नहीं लगेगा, और बजट में कमी से भारतीय सेनाओं की शक्ति पर कोई दुष्प्रभाव पड़ने से भी रोका जा सकेगा.

इसके अलावा पूंजीगत अधिग्रहण के बिना, संसाधनों की एकीकृत ख़रीद से सेनाओं की समेकित ज़रूरतों को भी एक राह पर लाया जा सकेगा. इससे तीनों सेनाओं में समन्वय को बढ़ावा मिलेगा, संसाधनों का योजनाबद्ध अधिग्रहण होगा और अलग अलग सेनाओं द्वारा टुकड़ों में और ऊंचे दाम पर त्वरित/आपातकालीन ख़रीद को रोका जा सकेगा. इससे संसाधनों के रख-रखाव और प्रबंधन की लागत भी कम की जा सकेगी. ऐसा कैसे किया जाएगा इसकी मिसाल हम एक जैसे वाहनों की ख़रीद के रूप में देखते हैं, जिनका रख-रखाव और कल पुर्ज़ों का प्रबंधन आसान होगा और विशेष उपकरण तीनों सेनाएं मिलकर ठेके पर लेंगी. अगर तीनों सेनाएं बड़े पैमाने पर ऑर्डर देंगी, इसके लिए मेक इन इंडिया के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन क्षेत्र को तरज़ीह देंगी, तो न केवल सेनाओं को अपनी ख़रीद सस्ती दरों पर मिल सकेगी, बल्कि इससे घरेलू सेक्टर के विकास और विस्तार में भी मदद मिलेगी. तब घरेलू सेक्टर अपनी क्षमताओं का विकास करने के लिए निवेश करके अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद आत्मविश्वास के साथ कर सकेंगे.

जॉइंट लॉजिस्टिक कमान के गठन से संसाधनों का एकीकरण एक और मोर्चा है जिससे ख़र्च में कमी और मौजूदा संसाधनों के अधिक कुशलता से उपयोग के लक्ष्य हासिल किए जा सकेंगे. जैसा कि सीडीएस ने कहा है कि, हर कमान ‘तीनों सेनाओं के साझा ठेकों के प्रबंधन देखेगी और साझा सामान के लिए ज़िम्मेदार होगी, ताकि रिज़र्व का रख-रखाव हो सके.’ ऐसे एकीकरण की ज़रूरत तब और स्पष्ट हो गई, जब ये साफ़ हो गया कि लद्दाख में चीन के साथ संघर्ष लंबा खिंचेगा और सीमा पर सैनिकों की अधिक संख्या में मौजूदगी से भयंकर सर्दियों के दौरान, पहाड़ी इलाक़ों में सेनाओं, मशीनरी और राशन की आवाजाही और भी मुश्किल हो जाएगी. इसके अलावा उत्तरी केंद्र शासित प्रदेश में तैनात थलसेना और वायुसेना की ज़रूरतें पूरी करने के लिए सेनाओं के बीच संसाधनों के परिवहन में समन्वय काफ़ी कारगर साबित होगा. इससे पैसे भी बचेंगे और सेनाओं के बीच सहयोग और समन्वय भी बढ़ेगा.

अगर हम एकीकृत कमान के सामरिक लाभ की बात करें, तो ऊपर जिन आर्थिक फ़ायदों का ज़िक्र किया गया है, एकीकृत कमान के सामरिक लक्ष्य लक्ष्य हासिल करने में उनका सीधा योगदान होगा. जैसा कि पहले विस्तार से बताया गया है, इनसे संसाधनों का कुशल उपयोग बढ़ेगा. तीनों सेनाओं के बीच अधिक समन्वय और लॉजिस्टिक इस्तेमाल करने की योजना को अधिक तालमेल से सटीक बनाने जैसे लाभ भी होंगे. इससे भारतीय सेना को किस तरह के लाभ होंगे, उसे एयर डिफेंस कमान की मिसाल से समझा जा सकता है. अभी सेना के तीनों अंगों के पास हवाई सुरक्षा की हथियार जैसे कि मिसाइलें वग़ैरह हैं, जबकि देश की हवाई सुरक्षा की प्राथमिक ज़िम्मेदारी वायुसेना की है. इसीलिए एयर डिफेंस कमान तीनों सेनाओं के पास मौजूद हवाई सुरक्षा के संसाधनों को एक साथ नियंत्रित करेगी. अगर कभी ऐसे हालात बने जब फौरी कार्रवाई की ज़रूरत पड़े, तो एयर डिफेंस कमान बिना कोई देरी किए, थिएटर कमान के स्तर पर आवश्यक क़दम उठा सकेगी.

एकीकृत थिएटर कमान से होने वाला बदलाव?

एकीकृत थिएटर कमान को अपनाने से शायद जो सबसे अहम बदलाव आएगा, वो ये होगा कि तीनों सेनाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर देश की एक सेना के तौर पर काम करेंगी, न कि अलग अलग सेना के तौर पर. सेनाओं के एकीकृत कमान की ये कहकर कुछ आलोचना भी की जा रही है कि इससे थलसेना का प्रभुत्व चलता रहेगा क्योंकि इससे थलसेना को अधिक ऑपरेशनल नियंत्रण मिल जाएगा. ये सोच शायद इस बात से पैदा हुई है कि तीनों सेनाओं में थलसेना की मौजूदगी ही अधिक दिखती है और साझा सैन्य संस्थाओं में नेतृत्व थलसेना के अधिकारियों के ही हाथ में होता है. पर, इसका ये मतलब नहीं है कि एकीकृत कमान संरचना में थलसेना को ही अधिक नियंत्रण हासिल होगा.

अधिक कार्यकुशल कमान और कंट्रोल व्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए ज़रूरी ये है कि इसमें अफ़सरशाही को कम से कम रखा जाए. ‘बहुत सोच विचारकर योजनाबद्ध तरीक़े से’ किया जाने वाला ये महत्वपूर्ण सुधार इस बात को सुनिश्चित करेगा.

जैसे कि एयर डिफेंस कमान को एयर फ़ोर्स के नियंत्रण में रखने का प्रस्ताव है, क्योंकि उनके पास हवाई सुरक्षा का अधिक अनुभव और ज़िम्मेदारी है. जिस तरह सेनाओं के एकीकरण की योजना बनाई जा रही है, वो थलसेना के इर्द गिर्द नहीं घूमती. इसके अतिरिक्त, अधिक कार्यकुशल कमान और कंट्रोल व्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए ज़रूरी ये है कि इसमें अफ़सरशाही को कम से कम रखा जाए. ‘बहुत सोच विचारकर योजनाबद्ध तरीक़े से’ किया जाने वाला ये महत्वपूर्ण सुधार इस बात को सुनिश्चित करेगा.

भारत में रक्षा क्षेत्र के सुधार, एकीकृत थिएटर कमान के विचार के साथ बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं. ऐसा लगता है कि इस विचार को भारत में लागू करने का समय आख़िरकार आ ही गया है.

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