Author : Malavika Kumaran

Published on Jan 28, 2021 Updated 0 Hours ago

सरकारों के लिए अब फुर्तीले ढंग से क़ानून बनाना ज़रूरी हो गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि आर्थिक प्रगति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की कोशिश के दौरान सार्वजनिक सेवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके

डाटा गवर्नेंस और डिजिटल अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करना

डिजिटल युग और तकनीकी क्षमताओं में तेज़ बढ़ोतरी ने हमारे जीने, काम करने और खेलने-कूदने के ढंग में बदलाव कर दिया है. एक तरफ़ जहां इन बदलावों ने हमें एक-दूसरे से जुड़े रहने की इजाज़त दे दी है, ज़्यादा सेवाओं तक लोगों की पहुंच को आसान कर दिया है और कारोबार को नये बाज़ारों तक पहुंचाया है, वहीं सरकारों के लिए अब फुर्तीले ढंग से क़ानून बनाना ज़रूरी हो गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि आर्थिक प्रगति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की कोशिश के दौरान सार्वजनिक सेवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

कुछ मुद्दे जिनके बारे में अब क़ानून को संतुष्ट होने की ज़रूरत है, उनमें डाटा संग्रह और इस्तेमाल में पारदर्शिता की कमी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी बाधाकारी तकनीकी के असर को लेकर अस्पष्टता और सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटल वैल्यू क्रिएशन के साथ संतुलित करना है. 

कुछ मुद्दे जिनके बारे में अब क़ानून को संतुष्ट होने की ज़रूरत है, उनमें डाटा संग्रह और इस्तेमाल में पारदर्शिता की कमी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी बाधाकारी तकनीकी के असर को लेकर अस्पष्टता और सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटल वैल्यू क्रिएशन के साथ संतुलित करना है. सरकारों को अपने नागरिकों के लिए ज़्यादा सक्रिय होकर इन मुद्दों का समाधान करने की ज़रूरत है. साथ ही प्राइवेट सेक्टर और दूसरे सेक्टर को भी अपनी ज़िम्मेदारी साझा करनी होगी ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कारोबार किसी व्यक्ति की प्राइवेसी और सुरक्षा का उल्लंघन नहीं करें. दो क़ानूनी क़दम- पहला डाटा ट्रस्ट मॉडल जो डाटा के स्वामित्व और पहुंच का दृष्टिकोण है और दूसरा कनाडा का डिजिटल चार्टर जो डाटा प्राइवेसी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के नेतृत्व वाली पहल है- में सबके लिए व्यापक सबक़ हैं.

डाटा ट्रस्ट

डाटा गवर्नेंस और पहुंच को लेकर लंबे समय से जारी बहस को सुलझाने के लिए डाटा ट्रस्ट एक नई रूप-रेखा मुहैया कराता है. डाटा ट्रस्ट के लिए ज़रूरी है एक स्वतंत्र थर्ड पार्टी (यानी सरकार या प्राइवेट उद्योग नहीं) को डाटा के संग्रह और इस्तेमाल की व्यवस्था के लिए अधिकार देना. डाटा ट्रस्ट डाटा इंटरऑपरेबिलिटी के साथ-साथ डाटा के नैतिक और आज्ञाकारी गवर्नेंस को बढ़ावा दे सकता है. डाटा इंटर-ऑपरेबिलिटी कारोबार के लिए बेहद फ़ायदेमंद है जिसकी मदद से हमें आज उपलब्ध डाटा के अनगिनत स्रोतों से फ़ायदा मिल सकता है. वहीं डाटा का नैतिक और आज्ञाकारी गवर्नेंस ये सुनिश्चित करता है कि डाटा के स्रोतों के स्वामी और योगदान करने वालों की रक्षा के लिए एक तौर-तरीक़ा है. साथ ही उन्हें उनके डाटा के इस्तेमाल को लेकर उचित अधिकार और निर्णय लेने की क्षमता का भी हक़दार बनाता है.

डाटा ट्रस्ट के तौर-तरीक़ों की ग़ैर-मौजूदगी में यूज़र के डाटा का प्राइवेट कंपनियों और सरकारों द्वारा इस्तेमाल का नतीजा हमने पहले ही देखा है, जैसे वॉट्सऐप द्वारा अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को बदलने की कोशिश जिसका मतलब फ़ेसबुक के साथ व्यापक तौर पर डाटा साझा करना है. 

डाटा ट्रस्ट के तौर-तरीक़ों की ग़ैर-मौजूदगी में यूज़र के डाटा का प्राइवेट कंपनियों और सरकारों द्वारा इस्तेमाल का नतीजा हमने पहले ही देखा है, जैसे वॉट्सऐप द्वारा अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को बदलने की कोशिश जिसका मतलब फ़ेसबुक के साथ व्यापक तौर पर डाटा साझा करना है. इसका एक और उदाहरण है सिंगापुर सरकार द्वारा स्थानीय क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों को कोविड-19 कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग डाटा इस्तेमाल करने की इजाज़त देना. दोनों ही मामलों में जो लोग इन सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे थे और जिनका डाटा इकट्ठा किया गया, उन्होंने शायद मूल नियमों और शर्तों को सहमति दी होगी लेकिन जब संगठनों ने उपभोक्ताओं और नागरिकों के डाटा के इस्तेमाल में बदलाव का फ़ैसला लिया होगा तो लोगों को ये मौक़ा नहीं मिला होगा कि वो उसका आकलन कर सकें या उसे मंज़ूरी दे सकें. अगर इन मामलों में डाटा ट्रस्ट का गवर्नेंस ढांचा लागू किया गया होता तो इससे पारदर्शिता बढ़ती और सही निर्णय लेने की प्रक्रिया बनती. इससे लोगों को साफ़ विकल्प और तौर-तरीक़े मिलते जिससे कि वो इस तरह के व्यापक बदलाव की स्थिति में पहले ही अलग हो जाते.

2018 में ओपन डाटा इंस्टीट्यूट द्वारा इस धारणा की शुरुआत के समय से, जहां डाटा ट्रस्ट को “एक क़ानूनी ढांचा जो डाटा का स्वतंत्र प्रबंधन प्रदान करता है” के रूप में परिभाषित किया गया है, दुनिया भर के संगठनों ने अलग-अलग डाटा ट्रस्ट मॉडल का इस्तेमाल किया है ताकि डाटा के स्वामी अपने डाटा के ऊपर नियंत्रण रख सकें और साथ में कारोबार और सरकार इस डाटा का इस्तेमाल कर समाधान कर सकें. वैसे तो मुख्य़ उद्देश्य वही बना हुआ है- प्राइवेसी के दृष्टिकोण से डाटा का प्रभावी प्रबंधन और ये सुनिश्चित करना कि डाटा पर एकाधिकार कायम नहीं हो सके– लेकिन डाटा साझा करने में लचीलेपन, उनके फंडिंग मॉडल और डाटा अधिकार और प्राइवेसी की रक्षा करने में नियमों को किस तरह लागू किया जाता है, के मामले में डाटा ट्रस्ट में अंतर है. डाटा ट्रस्ट विकसित होते रहेंगे. वो डाटा साझा करने और इस्तेमाल से ज़्यादा-से-ज़्यादा फ़ायदा लेते हुए लोगों को नुक़सान से बचाने की ज़रूरत का समर्थन करते रहेंगे. इसके लिए डाटा ट्रस्ट डाटा साझा करने के नियमों और शर्तों के बारे में सक्रिय रास्ता मुहैया करते रहेंगे. वो ऐसा नहीं करेंगे कि इस्तेमाल करने वाले लोगों के पास कोई विकल्प नहीं हो और शक्तिशाली संगठनों द्वारा बदलती नीतियों को मानना उनकी मजबूरी हो.

कनाडा का डिजिटल चार्टर

एक तरफ़ जहां डाटा ट्रस्ट और गवर्नेंस के अनूठे तरीक़े लगातार विकसित हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ वसीयत प्रणाली और क़ानूनों में अभी भी सुधार की ज़रूरत है ताकि डिजिटल तकनीक में भविष्य की प्रगति के लिए तैयारी रहे. 2019 में कनाडा की सरकार ने डिजिटल चार्टर की शुरुआत की जिससे कि कारोबार और नीति निर्माताओं के लिए कुछ बुनियादी नियम प्रदान किया जा सके. ये चार्टर कनाडा के निवासियों की डिजिटल और डाटा ज़रूरतों को बेहतर ढंग से समझने के लिए 2018 में आयोजित राष्ट्रीय डिजिटल और डाटा परामर्श की सीरीज़ का सीधा नतीजा है. ये 10 मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है जो डिजिटल अर्थव्यवस्था में कनाडा के लोगों की ज़रूरतों को दर्शाता है. सिद्धांत मोटे तौर पर उपभोक्ताओं के डाटा के इस्तेमाल को लेकर प्राइवेट और सार्वजनिक सेक्टर की ज़िम्मेदारी को बढ़ाते हैं, अपनी सूचनाओं के ऊपर कनाडा के लोगों को ज़्यादा नियंत्रण मुहैया कराते हैं और उन क्षेत्रों की पहचान भी करते हैं जहां सार्वजनिक सेक्टर को लोगों का भरोसा बढ़ाने और खुले इनोवेशन के योग्य बनाने के लिए डिजिटल और डाटा पद्धति को अपनाने की ज़रूरत है.

डिजिटल चार्टर एक अच्छी बुनियाद मुहैया कराता है. ये न सिर्फ़ प्राइवेसी को लेकर नागरिकों की चिंता का समाधान करता है बल्कि उन रास्तों के बारे में भी बताता है जिसके इस्तेमाल से सरकार ख़ुद को आधुनिक बना सकती है और अपनी डिजिटल पहुंच का विस्तार कर सकती है. 

डिजिटल चार्टर एक अच्छी बुनियाद मुहैया कराता है. ये न सिर्फ़ प्राइवेसी को लेकर नागरिकों की चिंता का समाधान करता है बल्कि उन रास्तों के बारे में भी बताता है जिसके इस्तेमाल से सरकार ख़ुद को आधुनिक बना सकती है और अपनी डिजिटल पहुंच का विस्तार कर सकती है. लेकिन ये कोई क़ानूनी दस्तावेज़ नहीं है. इसलिए कारोबार के संदर्भ में इन नये सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करने में अभी लंबी दूरी तय करनी है. इसके लिए मौजूदा क़ानूनों में फेरबदल करना होगा. एक बार अपनाने के बाद, डिजिटल चार्टर क्रियान्वयन अधिनियम (बिल सी-11) से संघीय स्तर पर व्यक्तिगत सूचना की सुरक्षा के लिए क़ानूनी रूप-रेखा में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे. इसी के ज़रिए उन प्रांतों में भी ऐसी सूचनाओं के निपटारे की व्यवस्था बनेगी जहां इस तरह के क़ानून नहीं हैं (फिलहाल क्यूबेक, अल्बर्टा और ब्रिटिश कोलंबिया में इस तरह के क़ानून हैं). विधेयक में लोगों को नये अधिकार देने का प्रस्ताव है तो संगठनों पर ज़रूरतों को लादने का. इसका मक़सद ज़्यादा पारदर्शिता हासिल करना है. कुछ प्रांतों में परामर्श जारी है जिससे कि वहां के नागरिकों के लिए रणनीति विकसित की जा सके जैसे कि ओंटारियों की डिजिटल और डाटा रणनीति.

कनाडा में व्यक्तिगत सूचना सुरक्षा और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ अधिनियम को आधुनिक बनाने के अतिरिक्त प्रस्ताव पर भी चर्चा हो रही है. फिलहाल इसी अधिनियम के ज़रिए व्यक्तिगत डाटा को एक व्यक्ति के बारे में सूचना के रूप में परिभाषित किया गया है. लेकिन ये बात तेज़ी से साबित हो रही है कि अज्ञात डाटा या बिना पहचान वाले डाटा से लोगों की पहचान के तरीक़े हैं. इसके समाधान के लिए दूसरे तरीक़ों के अलावा जोखिम आधारित दृष्टिकोण का सहारा लिया जा सकता है. इससे प्राइवेसी की चिंताएं ख़त्म होंगी और इनोवेशन के योग्य बनाया जा सकेगा जहां एक निश्चित हालात में अज्ञात सूचना के इस्तेमाल को लेकर ज़्यादा पारदर्शिता होगी. इसमें किसी अन्य इस्तेमाल के लिए फिर से पहचान पर जुर्माना होगा. अज्ञात डाटा को लेकर क़ानून को बेहतर बनाने के लिए दुनिया भर के लोगों से और ज़्यादा परामर्श और सबक़ फ़ायदेमंद होगा.

डाटा ट्रस्ट मॉडल और कनाडा के डिजिटल चार्टर जैसे मॉडल इनोवेशन और व्यापक डाटा संग्रह और इस्तेमाल पर निर्भर नई तकनीकों द्वारा प्रस्तुत समस्याओं का समाधान केवल आंशिक तौर पर करते हैं. डिजिटल युग में एक समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक और प्राइवेट सेक्टर का नेतृत्व करने वाले लोगों को ज़्यादा ज़िम्मेदारी लेनी होगी और लोगों को सीधे तौर पर भागीदार बनना होगा.


ये लेख — कोलाबा एडिट सीरीज़ का हिस्सा है.

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