Author : Paulette Bynoe

Published on Mar 30, 2024 Updated 0 Hours ago

कैरेबियाई देश को व्यापक जन जागरुकता और शैक्षणिक अभियान विकसित कर उसे लागू करना चाहिए जिसमें प्रत्येक समूह की विशेषता के हिसाब से जानकारी हो.

कैरेबियाई देश और कोविड-19: महामारी के असर को बेअसर करने की क़वायद

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ 16 सितंबर तक दुनिया भर में कोविड-19 के 2,98,93,298 मरीज़ों की पुष्टि हो चुकी थी जिनमें से 9,41,345 लोगों की मौत हो चुकी थी. लेख लिखने तक कैरेबियन डिज़ास्टर इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी (CDEMA) ने कैरेबियन कम्युनिटी (CARCOM) के तहत 14 देशों में 27,373 मामलों और 573 मौत की ख़बर दी है.

लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग (ECLAC) के अनुमानों के आधार पर 2020 में क्षेत्रीय आर्थिक विकास में -9.1 प्रतिशत की कमी आएगी, बेरोज़गारी में 13.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, ग़रीबी की दर में 7.0 प्रतिशत प्वाइंट का इज़ाफ़ा होगा और ये बढ़कर कुल आबादी का 37.3 प्रतिशत हो जाएगी, और गिनी इंडेक्स में औसत 4.9 प्रतिशत प्वाइंट की बढ़ोतरी के साथ असमानता में तेज़ बढ़ोतरी होगी. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि कैरेबियाई देशों में संक्रमण की रफ़्तार पर तुरंत नियंत्रण पाने की बेहद सख़्त ज़रूरत है. इस तरह के लक्ष्य को पाने के लिए समग्र सोच और योजना बनाने की ज़रूरत है. इस लेख में जानलेवा वायरस से निपटारे के लिए लागू किये गए या किए जा सकने वाले अलग-अलग लेकिन संपूर्ण उपायों पर प्रकाश डाला गया है.

इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि कैरेबियाई देशों में संक्रमण की रफ़्तार पर तुरंत नियंत्रण पाने की बेहद सख़्त ज़रूरत है. इस तरह के लक्ष्य को पाने के लिए समग्र सोच और योजना बनाने की ज़रूरत है. 

सबसे पहला उपाय ये है कि इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नीति बनाने वालों के पास वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित आंकड़े हों. इसके लिए अलग-अलग विभागों के बीच महामारी को लेकर समन्वित निगरानी और विश्लेषण की ज़रूरत है ताकि ये पता चल सके कि इसका पैटर्न क्या है, ये किन भौगोलिक इलाक़ों में फैला है, अलग-अलग सामाजिक समूहों पर इसका असर क्या है और हर जवाबी रणनीति की सफलता कितनी है. इसको ‘डाटा आधारित योजना’ भी कहा जा सकता है. इसके अलावा हर देश में स्वास्थ्य मंत्रालय और सांख्यिकीय इकाई के बीच संस्थागत सहयोग स्थापित करने की भी उपयोगिता है. ऐसा करने से ये सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोविड-19 के सभी मामले आमदनी, लिंग, उम्र, जातीयता, प्रवासी दर्जा, दिव्यांगता, भौगोलिक स्थान और दूसरी ऐसी विशेषताओं के आधार पर अलग की जा सके ताकि ज्योग्राफिक इन्फोर्मेशन सिस्टम (GIS) का इस्तेमाल कर ज़्यादा जोखिम वाले इलाक़ों पर ध्यान दिया जा सके, जवाबी क़दम उठाया जा सके.

दूसरा उपाय है कि कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों को लागू किया जाए. शारीरिक (सामाजिक नहीं) दूरी और क्वॉरंटीन के अलावा मास्क पहनना कैरेबियाई देशों के लिए ज़रूरी हैं क्योंकि यहां अभी भी आर्थिक लेन-देन ज़्यादातर आमने-सामने होते हैं. सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के लिए ज़रूरी है कि और ज़्यादा ऑनलाइन लेन-देन को बढ़ावा दें. महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में उछाल लाने के लिए ये अच्छा तरीक़ा होगा.

समाज के कमज़ोर वर्ग के लोगों को वित्तीय राहत ज़रूर मुहैया कराना चाहिए. लोगों पर सकारात्मक असर डालने वाले राहत पैकेज बेघरों, बेरोज़गारों, दिव्यांगों और ऐसे लोगों तक पहुंचने चाहिए जिनकी आजीविका पर महामारी की वजह से बेहत ख़राब असर पड़ा हो या जिनकी आमदनी पूरी तरह ख़त्म हो गई हो. 

तीसरा उपाय है कि समाज के कमज़ोर वर्ग के लोगों को वित्तीय राहत ज़रूर मुहैया कराना चाहिए. लोगों पर सकारात्मक असर डालने वाले राहत पैकेज बेघरों, बेरोज़गारों, दिव्यांगों और ऐसे लोगों तक पहुंचने चाहिए जिनकी आजीविका पर महामारी की वजह से बेहत ख़राब असर पड़ा हो या जिनकी आमदनी पूरी तरह ख़त्म हो गई हो. इन पैकेज में सिर्फ़ कैश वाउचर नहीं हो बल्कि ज़रूरी मेडिकल सामग्री और फेस मास्क भी हों. राहत पैकेज पाने में कमज़ोर वर्गों के बाद अगला नंबर छोटे कारोबारियों का है. इस श्रेणी में ज़्यादातर स्व-रोज़गार वाले लोग हैं. हर कैरेबियाई देश के संदर्भ में सरकार की तरफ़ से वित्तीय अनुदान, बैंक लोन चुकाने की नई समय सीमा और ब्याज़ दर को लेकर बातचीत पर ध्यान देने की ज़रूरत है.

राष्ट्रीय स्तर पर दवा, मेडिकल सामग्री और उपकरण ख़रीदने, टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए लैबोरेटरी में सप्लाई बढ़ाने और आइसोलेशन यूनिट को दुरुस्त करने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने की ज़रूरत है. कई सरकारों को कोविड-19 के ख़िलाफ़ अपनी आपात तैयारी में अंतर्राष्ट्रीय अनुदान से फ़ायदा हुआ है. उदाहरण के लिए, विश्व बैंक ने डोमिनिका आपातकालीन कृषि आजीविका और जलवायु परियोजना के लिए 3.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज़ मंज़ूर किया जिसका इस्तेमाल कोविड-19 के ख़िलाफ़ आपातकालीन तैयारी में किया गया. वित्तीय सहायता पाने वाले दूसरे देशों में डोमिनिकन रिपब्लिक, ग्रेनाडा, हैती, सेंट लूसिया, सूरीनाम, सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनाडाइंस, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और बेलीज़ शामिल हैं. इसके अलावा UK ने 3 मिलियन पाउंड (3.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर) पैन-अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन को देने का वादा किया है जिसका इस्तेमाल ज़रूरी मेडिकल सामग्री ख़रीदने और कैरेबियाई देशों में वायरस से लड़ने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मदद पहुंचाने में होगा. इतना ही नहीं, UK कैरेबियन डिज़ास्टर इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी की क्षेत्रीय तैयारी प्रक्रिया की भी मदद कर रहा है. इसके तहत यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टइंडीज़ भागीदार देशों के लिए जॉर्ज एलीन क्रोनिक डिजीज़ रिसर्च सेंटर के ज़रिए कोविड-19 को लेकर निगरानी उत्पाद तैयार कर रही है.

विश्व बैंक ने डोमिनिका आपातकालीन कृषि आजीविका और जलवायु परियोजना के लिए 3.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज़ मंज़ूर किया जिसका इस्तेमाल कोविड-19 के ख़िलाफ़ आपातकालीन तैयारी में किया गया. 

चौथा उपाय है कि टिकाऊ विकास लक्ष्य की प्राथमिकता तय करने की ज़रूरत है जो लोगों की सेहत से संबंधित है और बिना किसी विवाद के टिकाऊ मानवीय विकास के केंद्र में है. कोविड-19 ने किसी भी देश की स्वास्थ्य प्रणाली की हदों और कमियों को उजागर कर दिया है जहां सीमित कुशल कामगार, सीमित ज़रूरी मेडिकल उपकरण और मेडिकल सामग्री, बढ़ती लागत और अलग-अलग जगहों (उदाहरण के लिए तटीय बनाम दूर-दराज इलाक़े और ग्रामीण बनाम शहरी) में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में दिक़्क़त जैसी समस्याएं हैं. हवाई सेवाओं पर कोविड-19 के असर ने हालात को और बिगाड़ दिया है क्योंकि इससे मेडिकल उपकरणों और दवाओं के आयात-निर्यात में दिक़्क़त हो रही है.

पांचवां, कैरेबियाई देशों के लिए राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक और उत्पादकता नीतियों की समीक्षा और उसमें सुधार के लिए ये शानदार अवसर है. इन नीतियों का मक़सद शहरीकरण से जुड़ी अतिसंवेदनशीलता और ग्रामीण पलायन को कम करना है जिसका नतीजा भीड़भाड़, पानी और साफ़-सफ़ाई में कमी और भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक परिवहन सिस्टम हैं. ECLAC के मुताबिक़ लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में असमानता की वजह से कुछ ख़ास समूहों को कमज़ोर स्थिति में रखा गया है जिनमें बुजुर्ग (85 मिलियन), असंगठित कामगार (क्षेत्रीय रोज़गार का 54% हिस्सा), महिलाएं (जो असंगठित कामगारों में से ज़्यादातर हैं, बिना मज़दूरी के भी काम करती हैं और घरेलू हिंसा की भी शिकार हैं), मूल निवासी (60 मिलियन लोग और कुछ ऐसे समुदाय जिनका वजूद ख़तरे में है), अफ्रीकी मूल के लोग (2015 के मुताबिक़ 130 मिलियन लोग) दिव्यांग (70 मिलियन लोग) और प्रवासी शामिल हैं.

इलाक़े के बंदरगाहों और खुली सीमा पर तैयारी और निगरानी प्रणाली पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि कुछ देशों में वायरस से प्रभावित प्रवासी आने में कामयाब हो गए और वायरस का पता लगे बिना वो उन देशों के नागरिकों के साथ घुलमिल गए. 

छठवां,हर कैरेबियाई देश को व्यापक जन जागरुकता और शैक्षणिक अभियान विकसित कर उसे लागू करना चाहिए जिसमें प्रत्येक समूह की विशेषता के हिसाब से जानकारी हो. इसमें काफ़ी हद तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना चाहिए. महत्वपूर्ण बात ये है कि संदेश साफ़ और सरल हो, उस उम्र के लोगों के हिसाब से उचित हो, अलग-अलग सामाजिक संदर्भ हो, वैज्ञानिक तौर पर ठीक हो और प्रेरणा देने वाला हो. इसके लिए एक ज्ञान का मंच स्थापित करना चाहिए और इंटरनेट के ज़रिए साझा करना चाहिए. इस अभियान का समर्थन छोटे संदेशों और रेडियो और टेलीविज़न पर जिंगल के ज़रिए करना चहिए. ये मंच इंटरएक्टिव होना चाहिए और यूज़र से फीडबैक ले सकने मे सक्षम हो.

सातवां, पुलिस विभाग को चाहिए कि कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों को हर वक़्त लागू करे. कोई किसी भी उम्र का व्यक्ति हो, कितना भी अमीर और पढ़ा-लिखा हो या किसी और ख़ासियत वाला हो, क़ानून सबके लिए समान होना चाहिए. अलग-अलग कैरेबियाई सरकारों द्वारा लागू कर्फ्यू को देखते हुए ये नियम ख़ास तौर पर सामाजिक समारोहों के लिए प्रासंगिक है. ज़िम्मेदार बर्ताव को बढ़ावा देने के लिए जुर्माने की तुरंत समीक्षा होनी चाहिए.

आठवां, इलाक़े के बंदरगाहों और खुली सीमा पर तैयारी और निगरानी प्रणाली पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि कुछ देशों में वायरस से प्रभावित प्रवासी आने में कामयाब हो गए और वायरस का पता लगे बिना वो उन देशों के नागरिकों के साथ घुलमिल गए.

आख़िर में, कैरेबियन देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और दूसरे फ़ैसला लेने वालों के बीच नियमित ऑनलाइन बातचीत होनी चाहिए ताकि वो सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा कर सकें. इसके अलावा वो विचारों का आदान-प्रदान करें, दूसरे सदस्य देशों के सबक़ से सीख सकें, जहां संभव हो वहां डाटा का आदान-प्रदान कर सकें और जहां संभव हो वो कोविड-19 के ख़िलाफ़ साझा जवाब विकसित कर सकें.

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