Author : Vani Kola

Published on Dec 03, 2020 Updated 0 Hours ago

स्टेम (STEM) क्षेत्र में अधिक महिलाओं की भागीदारी से हमारी दुनिया बदल जाएगी. विविधता और समावेशी वातावरण बड़े लक्ष्य हैं, लेकिन हमें इस दिशा में चर्चा को जारी रखना होगा. इन मुद्दे पर हम जितनी बात करेंगे, उतना ही हमारे आसपास बदलाव होगा.

दुनिया में बदलाव लाने के लिए ज़रूरी है ‘STEM’ यानी तकनीकी सेक्टर का रूपांतरण

जब मुझे भारत में तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं के लिए, स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र पर यह वक्तव्य लिखने के लिए कहा गया, तो मेरे मन-मस्तिष्क में मौजूदा दौर और तकनीकी परिदृश्य में महिलाओं, विविधता और लिंग को लेकर हाल ही में हो रही बहस नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला का ख्य़ाल आया जिनकी मैंने हमेशा प्रशंसा की है और उन्हें बेहद सराहा है. उनका नाम है सरोजिनी नायडू. मैं लंबे समय से उनके जीवन के बारे में पढ़ती रही हूं. हम सरोजिनी नायडू को एक कवि और राष्ट्रवादी के रूप में जानते हैं, लेकिन वह एक उत्साही नारीवादी भी थीं. उन्होंने महिला मताधिकार का पुरज़ोर समर्थन किया और बाल विवाह, दो शादियां, सती (विधवाओं को जलाना) और महिलाओं की शिक्षा के लिए लगातार संघर्ष किया. नायडू से पहले, सावित्रीबाई फुले ने पुणे में लड़कियों के लिए एक स्कूल खोलकर, इस दिशा में मार्ग परिभाषित और प्रशस्त किया था, वो भारत की पहली महिला शिक्षिका भी बनीं.

इन महिलाओं ने दिखाया कि कैसे एक या दो लोगों की दूर दृष्टि, लंबे समय तक, समूचे राष्ट्र पर प्रभाव डाल सकती है. हो सकता है कि उन्होंने असमान और कठिन जीवन व्यतीत किया हो, लेकिन वे अपने द्वारा चुनी गई भूमिकाओं में श्रेष्ठ थीं, और इन भूमिकाओं में उन्होंने अपने तरीके से इनोवेशन यानी नवाचार की सीमाओं को लांघने का काम किया. 

मैंने हैदराबाद में लड़कियों के लिए खुले पहले स्कूलों में से एक में पढ़ाई की, जो 1928 में, दूरदर्शी विचारक मदापति हनुमंथा राव द्वारा स्थापित किया गया था. हनुमंथा राव महिलाओं के लिए शिक्षा के पुरज़ोर समर्थक थे. मेरे पास शिक्षा के बेहतरीन अवसर थे और मैंने वहां जो भी सीखा उन मूल्यों को मैं आज भी संजो कर रखती हूं. इन मूल्यों को मैं, विजयलक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं में परिलक्षित होता देखती हूं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं, जो भारत की पहली महिला सांसदों में से एक थीं, और अपनी कूटनीतिक ताक़त के ज़रिए, भारत के दिग्गज नेताओं में से एक समझी जाती थीं.

इन लोगों में से कोई भी प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े दिग्गज नहीं थे, और यह केवल इसलिए कि उनकी व्यापक उपलब्धियां इस बात के अनुरूप थीं कि उस समय समाज को क्या चाहिए था. इन महिलाओं ने दिखाया कि कैसे एक या दो लोगों की दूर दृष्टि, लंबे समय तक, समूचे राष्ट्र पर प्रभाव डाल सकती है. हो सकता है कि उन्होंने असमान और कठिन जीवन व्यतीत किया हो, लेकिन वे अपने द्वारा चुनी गई भूमिकाओं में श्रेष्ठ थीं, और इन भूमिकाओं में उन्होंने अपने तरीके से इनोवेशन यानी नवाचार की सीमाओं को लांघने का काम किया.

प्रौद्योगिकी के प्रति मेरा नज़रिया भी कुछ इसी तरह का है. मेरे लिए, तकनीक या प्रौद्योगिकी लक्ष्य नहीं है, और न ही यह अंतिम परिणाम है. तकनीक समाज को समर्थ और योग्य बनाने वाली एक इकाई है. वह बदलाव का कारक बनती है, और बदलाव की शुरुआत के लिए साधन प्रदान करती है, जो अंततः स्थाई प्रगति और आमूल-चूल परिवर्तन लाता है. भारत के प्रभावशाली नेताओं की मज़बूत परंपरा ने मुझे हमेशा प्रेरणा और शक्ति दी है, जिससे मुझे विश्वास है कि कई बाधाओं के बावजूद, इन बाधाओं को तोड़ने के तरीके भी हैं. तकनीक बदलाव लाने का ज़रिया और साधन है, जिससे आखिरकार आमूलचूल व क्रांतिकारी बदलाव संभव हो पाता है.

शिक्षा और प्रौद्योगिकी ने हमेशा मेरे लिए संरेखित होकर काम किया है. यह एक दूसरे की पूरक हैं, इस रूप में कि एक के बिना दूसरा संभव नहीं. अपने बड़े होने के दौरान, मेरे हाई स्कूल के गणित शिक्षक ने मुझे गणित में आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद मैंने इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस का अध्ययन किया, जो स्वाभाविक रूप से मेरी इच्छा का विषय था. इस प्रारंभिक शिक्षा ने मुझे अत्याधुनिक इनोवेशन और प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ने के लिए सिलिकॉन वैली जाने में सक्षम बनाया. आखिरकार, इस पढ़ाई ने उद्यमशीलता (entrepreneurship) में मेरे शुरुआती सालों को प्रशस्त किया और जिससे मैं आज तक जुड़ी हूं. इसके बाद हालांकि, जीवन का चक्र मुझे वापस भारत लेकर आया और उद्यमों के लिए पूंजी (venture capital) निवेश के रुप में, मेरी कई रुचियां एक साथ जुड़ गईं और मुझे अपने पसंदीदा कई क्षेत्रों में काम करने का मौका मिला. यह मेरे लिए न्यू-इंडिया यानी भारत में उद्यमशीलता के एक नए अध्याय से जुड़ने का अवसर भी था. यह एक ऐसा अध्याय था, जिसने समावेशी रूप में, आर्थिक प्रभाव पैदा करने के अलावा, रोज़गार पैदा करने का काम भी किया.

कामकाज और दफ़्तर का बदलता स्वरूप

एक समय था जब भारत दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए केवल एक बैंक-ऑफिस था, जहां अधिकतर काम, एक पूरक कार्यवाही के रूप में था यानी बौद्धिक काम के बजाय भारत में आने वाला काम लिखा-पढ़ी से जुड़ा था. लेकिन एक दशक से भी कम समय में, भारतीय तकनीक और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र (startup ecosystem) अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ते हुए, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया है. यहां तक कि अगले दशक में, भारत वैश्विक मानकों को स्थापित करने वाले इनोवेशन हब के रूप में उभर सकता है. हमारे स्टार्टअप इकोसिस्टम की जीवंतता, समावेशी अर्थव्यवस्था को विस्तार दे सकती है, और अधिक से अधिक लोगों के ज़रिए, भारत के लक्ष्यों को परिभाषित करने और विस्तारित करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है. इस संबंध में कुछ आंकड़ों पर नज़र डालते हैं:

  • भारत का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र 12-15 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है.
  • भारत में 50,000 से ज़्यादा स्टार्टअप में से लगभग 9,300 स्टार्टअप तकनीक आधारित हैं.
  • स्टार्टअप इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक, महिला उद्यमियों की हिस्सेदारी इनमें लगभग 14 प्रतिशत है.[1]
  • भारत में, छह कंपनियों ने 2020 में ‘यूनिकॉर्न’ का दर्जा हासिल किया है, जिससे कुल यूनिकॉर्न अब 37 हो गए हैं.
  • भारत के पास 207 ‘सूनिकॉर्न्स’ (soonicorns) भी हैं, जो स्टार्टअप क्षेत्र का लेखाजोखा रखने वाली कंपनी ‘ट्रैक्सन’ के अनुमानों के आधार पर, मुनाफ़ा कमाने की कग़ार पर हैं.

ये आंकड़े उत्साहजनक हैं, जो बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी स्टार्टअप्स ने भारत की आर्थिक वृद्धि को अधिकतम रूप से प्रभावित किया है.

तकनीक मायने रखती है, और अब पहले से भी कहीं ज़्यादा. भविष्यवादी, रे कुर्ज़वील ने तकनीक के भविष्य और भविष्य में तकनीक के आकार को लेकर उल्लेखनीय भविष्यवाणियां की हैं, उनके मुताबिक साल 2045 तक हम मशीनों के साथ विलय कर चुके होंगे.

यदि तकनीक एक प्रजाति के रूप में हमारे अस्तित्व की रीढ़ है, तो महिलाओं की भागीदारी से संबंधित यह चर्चा और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है. यह ज़रूरी है इस प्रक्रिया में लैंगिक विविधता हो और महिलाओं की समान भागीदारी हो, ताकि उनके साथ मिलकर इस तरह की उच्चतम तकनीकों को विकसित किया जा सके. 

वह एक ऐसे भविष्य की ओर इशारा करते हैं, जहां हमारा शरीर, प्रौद्योगिकी और जीव-विज्ञान का मिलाजुला रूप होगा. ऐसे में यदि तकनीक एक प्रजाति के रूप में हमारे अस्तित्व की रीढ़ है, तो महिलाओं की भागीदारी से संबंधित यह चर्चा और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है. यह ज़रूरी है इस प्रक्रिया में लैंगिक विविधता हो और महिलाओं की समान भागीदारी हो, ताकि उनके साथ मिलकर इस तरह की उच्चतम तकनीकों को विकसित किया जा सके. तकनीक के क्षेत्र में लिंग संतुलन और विविधता स्थापित करने की तत्काल ज़रूरत है.

विश्व स्तर पर पुरुष, स्टेम (STEM) यानी “साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स”, क्षेत्र में काम कर रहे लोगों और इस क्षेत्र के शैक्षिक मानचित्र पर हावी हैं. जब मैं 1980 के दशक में अपनी इंजीनियरिंग कर रही थी, तब इस कोर्स को करने वाली केवल सात महिलाएं थीं. तब से अब तक समय बदल काफ़ी हद तक बदला है. हर साल, भारत में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों से औसतन 1.5 मिलियन छात्र स्नातक होते हैं. ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन (AISHE) की रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार, भारत में 993 विश्वविद्यालय, 39,931 कॉलेज और 10,725 स्वायत्त संस्थान हैं. स्नातक स्तर पर पूरे भारत में होने वाले छात्र नामांकनों में 51 प्रतिशत पुरुषों द्वारा और 49 प्रतिशत महिलाओं द्वारा किए जाते हैं. पीएचडी संबंधी आंकड़ों को देखें तो, पुरुषों द्वारा 56.18 प्रतिशत और महिलाओं द्वारा 43.82 प्रतिशत पीएचडी दाखिल की जाती हैं. एकीकृत स्तरों के लिए, पुरुषों का आंकड़ा 57.50 प्रतिशत और महिलाओं का आंकड़ा 42.50 प्रतिशत है. जहां अधिक महिलाओं को अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है, वहीं पिछले कुछ दशकों में इस दिशा में बेहतर आंकड़े सामने आए हैं और प्रगति हुई है.[2]

1980 में, भारतीय महिलाओं ने इंजीनियरिंग की सभी डिग्रियों में दो प्रतिशत से भी कम की हिस्सेदारी दिखाई थी, लेकिन तब से अब तक उनकी संख्या बढ़ी है. आर्थिक सलाहकार कंपनी मैकिंज़ी ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि बहुत से अन्य देशों के विपरीत, भारत का स्टेम (STEM) शिक्षा मानचित्र अधिक विविधतापूर्ण है, जिसमें 57 प्रतिशत तक बेहतर प्रदर्शन करने वाली महिलाएं, कॉलेज स्तर पर स्टेम (STEM) क्षेत्र में अध्ययन कर रही हैं.[3] साल 2018 में, ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन की रिपोर्ट में यह भी पाया गया है, कि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की 31 प्रतिशत डिग्रियां, महिलाओं द्वारा प्राप्त की गई हैं.[4]

भारत के आंकड़े अमेरिका से बेहतर

अमेरिका में, इसके विपरीत, महिलाओं को मिलने वाली इंजीनियरिंग डिग्रियों का प्रतिशत अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है, जो वर्षों से लगभग 20 प्रतिशत है. पिछले कुछ दशकों में स्टेम (STEM) कार्यबल में महिला इंजीनियरों की वृद्धि के बावजूद, अमेरिका के अनुसार, अभी भी कार्यरत इंजीनियरों के तौर पर कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 13 प्रतिशत ही है.[5] इसमें से कितना, अनजाने पूर्वाग्रहों, सांस्कृतिक रूढ़िवादिता, और महिलाओं द्वारा, माताओं, बेटियों के रूप में अधिक से अधिक जटिल काम करने के संतुलन और अंतर्निहित मुश्किलों के कारण है, यह देखना हमारे लिए ज़रूरी है.

ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आसान नहीं हैं. लेकिन इस दिशा में कई सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं. आज, दुनिया भर में लगभग 30 प्रतिशत शोधकर्ता महिलाएं हैं, और महिलाएं कंप्यूटिंग से संबंधित नौकरियों में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती हैं.[6] सकारात्मक रूप से, उच्च कौशल वाली नौकरियों में भी महिलाओं की कमाई पुरुषों की तुलना में अधिक है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि महिला सशक्तिकरण बड़े पैमाने पर परिवार और समाज के लिए फ़ायदेमंद है. लिज्जत पापड़ की सफलता की कहानी सर्वविदित और प्रतिष्ठित है, जब साल 1959 में 89 रुपए की लागत से शुरु किया गया यह उद्यम, बढ़कर आज 6.5 अरब रुपए की कंपनी हो गया है. महिलाओं ने यह दिखाया है कि वे सफलता की अभूतपूर्व कहानियां रच सकती हैं.

मैं सकारात्मक हूं कि प्रौद्योगिकी में महिलाओं के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे, और अगले दशक में इन सभी क्षेत्रों में वो महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. नैसकॉम (NASSCOM) की महिला और आईटी स्कोरकार्ड 2018 की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीय आईटी क्षेत्र, नेतृत्व की भूमिकाओं में अधिक से अधिक महिलाओं की भर्ती कर रहा है और उन्हें उन पदों पर बनाए रखने की कोशिशों को बढ़ावा दे रहा है[7]. इसके तहत आईटी क्षेत्र की यह अपेक्षा है कि लगभग आधी कंपनियों के पास एक ऐसा कार्यबल हो, जिसमें वरिष्ठ स्तर पर 60 प्रतिशत महिलाएं शामिल हों. प्रौद्योगिकी ने हमेशा दूरगामी इनोवेशन को उद्योग और आम लोगों की पहुंच के लिए संभव बनाया है. ऐसे में तकनीक के क्षेत्र में अधिक महिलाएं, पुरुष-प्रधान उद्योग में महत्वपूर्ण और ज़रूरी संतुलन प्रदान करेंगी.

भारतीय आईटी क्षेत्र, नेतृत्व की भूमिकाओं में अधिक से अधिक महिलाओं की भर्ती कर रहा है और उन्हें उन पदों पर बनाए रखने की कोशिशों को बढ़ावा दे रहा है . इसके तहत आईटी क्षेत्र की यह अपेक्षा है कि लगभग आधी कंपनियों के पास एक ऐसा कार्यबल हो, जिसमें वरिष्ठ स्तर पर 60 प्रतिशत महिलाएं शामिल हों. 

उद्यम पूंजी (venture capital) इस तरह के इनोवेशन को प्रोत्साहित करेगी. यह आमतौर पर नए बदलाव लेकर आता है, और उद्योगों के लिए धन-सृजन को सक्षम बनाता है. भारत में ‘वेंचर कैपिटल इकोसिस्टम’ यानी उद्यमों में निवेश से जुड़ा तंत्र, नए विचारों में निवेश के ज़रिए एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे इन विचारों को बाज़ार के लिए ज़रूरी और सही उत्पाद हासिल करने और इन उत्पादों के विस्तार में मदद मिलती है.

दुनिया की कुछ सबसे बड़ी उद्यम पूंजी द्वारा पोषित कंपनियों (venture capital-funded companies) का संयुक्त मूल्यांकन, कुछ देशों के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक हो सकता है. नए स्टार्टअप जो बैंकों से पूंजी प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं, उद्यम पूंजी फर्मों के ज़रिए लाभान्वित हुए हैं, जो उन्हें अपने विचारों को साकार करने और अपनी इनोवेशन की ज़मीन तलाशने का अवसर देते हैं. इस प्रक्रिया में समाज में भी बदलाव आता है. इसके बावजूद, महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को अक्सर कम फंडिंग प्राप्त होती है.

महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स में कुल निवेश दुनिया भर में 188 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जो कुल निवेश का केवल 17 प्रतिशत है.[8] लेकिन जैसे-जैसे अधिक महिलाएं उद्यमशीलता की दुनिया में प्रवेश करेंगी यह आंकड़ा निश्चित रूप से बदलेगा. महिलाएं, निवेश फर्मों में भागीदार के रूप में, उन स्टार्टअप्स को बढ़ावा देंगी जो, इनोवेशन पर आधारित हैं, और निवेशकों के रूप में यह महिलाएं, वित्तपोषण के ज़रिए व्यापक रूप से इनोवेशन का नेतृत्व करेंगी.

स्टेम (STEM) सेक्टर में महिलाओं का भविष्य?

हमें स्टेम (STEM) में करियर बनाने के लिए विश्व स्तर पर अधिक से अधिक महिलाओं को प्रेरित करना चाहिए और इस क्षेत्र में उनके प्रवेश के लिए रास्ता बनाने के अलावा, उनके काम करने के लिए इस तरह का समावेशी वातावरण बनाना चाहिए, जो उनके लिए काम करने की समतापूर्ण स्थितियां पैदा कर सके. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि उनकी प्रतिभा को समझा जाए और लिंग विविधता को कायम करने के लिए नियुक्तियों के दौरान विविधता को सर्वोपरी रखा जाए.

लिंग विविधता को कायम करने के लिए नियुक्तियों के दौरान विविधता को सर्वोपरी रखा जाए. हमें भर्ती या पदोन्नति में किसी भी पूर्वाग्रह को मिटाने के लिए पूरी लगन से काम करना होना. 

हमें भर्ती या पदोन्नति में किसी भी पूर्वाग्रह को मिटाने के लिए पूरी लगन से काम करना होना. इसके अलावा, ऐसे कॉरपोरेट रिवार्ड्स जो उन कंपनियों को प्रोत्साहन प्रदान करते हैं, जो उद्देश्यपूर्ण रूप से भर्तियों के दौरान विविधता और समानता पर ध्यान देते हैं, और अपने कामकाज में उन नीतियों को अपनाते व लागू करते हैं, जो महिलाओं के अनुकूल हों, उन्हें प्रोत्साहन और पहचान दिलाए जाने की आवश्यकता है.

हमें अधिक लड़कियों को मिडिल स्कूल के दौरान ही कोडिंग और प्रौद्योगिकी के सपनों से रूबरू कराना होगा ताकि वो प्रोत्साहित हों और इन विषयों को चुनने के बारे में सोच सकें. इस दिशा में कई अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं जैसे, रेशमा सौजानी के गैर सरकारी संगठन, ‘गर्ल्स हू कोड’ (Girls Who Code) जैसी पहल, जो महिलाओं को स्टेम (STEM) क्षेत्रों में शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करती है.

क्वॉटंम भौतिकविदों व डिजिटल इनोवेटर्स से लेकर टेक्नोप्रेन्योर्स यानी तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े उद्यमी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञों तक, हम धीरे-धीरे प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेख़नीय रूप से महिलाओं को आगे आते देख रहे हैं. 

भारत में, हमारे पास आईबीएम (IBM) की पहल ‘STEM4Girls’ भी है, जिसके तहत मिडिल स्कूल की लड़कियों के लिए, स्टेम (STEM) से संबंधित कार्यशालाओं और गतिविधियों के ज़रिए, उनके सशक्तिकरण का काम किया जा रहा है. लेकिन इस दिशा में बहुत कुछ किए जाने की संभावना है, और अधिक से अधिक से पहल किए जाने की गुंजाइश है.

शिक्षा के अलावा, हमारे लिए ऐसे प्रयासों का समर्थन करना ज़रूरी है, जो उन उत्पादों को पेश करते हैं, जो महिलाओं के संदर्भ में प्रौद्योगिकी को अनुकूलित करते हैं, और उनके नज़रिए से समस्याओं को सुलझाने की पेशकश करते हैं. हमें उन कंपनियों और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है जो महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सक्षम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं. डिजिटल इंडिया की पहल के साथ, हम भारत के छोटे शहरों, कस्बों, गांवों (टियर 3, 4, 5 शहरों) को तेज़ी से डिजिटल इनोवेशन को अपनाते हुए देख रहे हैं. इंटरनेट के उपयोग में आसानी के साथ, भारत की युवा महिलाएं अधिक से अधिक संख्या में, स्टेम (STEM) विषयों में रुचि दिखाएंगी और उन्हें रोज़गार के रूप में अपनाएंगी.

स्टेम (STEM) में महिलाओं की अधिक भागीदारी के साथ हमारी दुनिया अलग होगी. विविधता और समावेश व्यापक फलक हैं, और हमारे सामने एक बड़ा लक्ष्य है, लेकिन हमें इस चर्चा को जारी रखना होगा. इस पर हम जितनी अधिक बातचीत करेंगे, उतना ही अधिक बदलाव होगा. प्रगति इसके मद्देऩजर होगी कि कितने लोग इस इच्छाशक्ति के साथ सामने आएं कि महिलाओं की इस क्षेत्र में भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए. क्वॉटंम भौतिकविदों व डिजिटल इनोवेटर्स से लेकर टेक्नोप्रेन्योर्स यानी तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े उद्यमी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञों तक, हम धीरे-धीरे प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेख़नीय रूप से महिलाओं को आगे आते देख रहे हैं. यह महिलाएं प्रभावी रूप से वह कर रही हैं जो उन्होंने हमेशा किया है – मौलिक रूप से हमारे जीने के तरीके को बदलना.

एक बार जब विविधता के फ़ायदे सभी के लिए और अधिक स्पष्ट हो जाएंगे, तो एक विविध तकनीकी वातावरण हमारे लिए नया मानक होगा. गतिशील नेतृत्व और योग्यता की हमारी लंबी परंपरा हमारे समाज में बदलाव के लिए एक रास्ता बनाएगी. ध्यान रहे, एक साथ मिलकर हम भारत में एक मज़बूत, अधिक टिकाऊ और इनोवेशन पर आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं.

[1]  StartUp India, Ministry of Commerce and Industry, Government of India, Women Entrepreneurship.

[2] Department of Higher Education, Ministry of Human Resource Development, Government of India, All India Survey on Higher Education 2018-19(New Delhi: 2019).

[3] Ali Jaffer and Mona Mourshed, “How to attract US women to the sciences, McKinsey & Company, September 1, 2013.

[4] Ministry of Human Resource Development, Government of India, All India Survey on Higher Education.

[5] US Bureau of Labor Statistics, “Labor Force Statistics from the Current Population Survey.”

[6] Daley Sam, “Women In Tech Statistics For 2020 (And How We Can Do Better),” Builtin, March 13, 2020.

[7]  Mitter Sohini, “India’s IT sector is recruiting more women and giving them leadership roles: NASSCOM,” YourStory, March 13, 2018.

[8] Gené Teare, “2018 Sets All-Time High For Investment Dollars Into Female-Founded Startups,” Crunchbase, January 15, 2019.

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