यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दुनिया के लिए विश्व युद्ध की चेतावनी दी है. खास बात यह है कि बाइडेन ने यह चेतावनी तब दी है, जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन जंग में परमाणु हथियार के प्रयोग के लिए रूसी सेना को तैयार रहने को कहा है. आखिर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने क्यों दी विश्व युद्ध की चेतावनी. ‘रूस-यूक्रेन जंग’ क्या विश्व युद्ध में तब्दील होगा. राष्ट्रपति पुतिन आखिर परमाणु जंग की धमकी क्यों दे रहे हैं, क्या है उनकी मजबूरी. जानें इन सब मामलों में क्या है विशेषज्ञों की राय.
पुतिन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों को दिया संदेश
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यूक्रेन जंग जितना लंबा चलेगा उतना परमाणु युद्ध का संकट बढ़ेगा. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों को यह संदेश दे दिया है कि अब उनके पास परमाणु हमले का ही विकल्प बचा है. पुतिन यह जानते हैं कि पश्चिमी देशों और अमेरिका के सहयोग के चलते ही यह जंग लंबी खिंच रही है. ऐसे में उनका परमाणु हमले का संदेश न केवल यूक्रेन के लिए है, बल्कि यह अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए भी है.
प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यूक्रेन जंग जितना लंबा चलेगा उतना परमाणु युद्ध का संकट बढ़ेगा. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों को यह संदेश दे दिया है कि अब उनके पास परमाणु हमले का ही विकल्प बचा है.
राष्ट्रपति पुतिन के संदेश को लेकर क्यों चिंतित हुए बाइडेन
प्रो पंत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इस संदेश को समझ रहे हैं. इसलिए उन्होंने परमाणु हमले को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि पुतिन की परमाणु हमले की धमकी यूक्रेन के लिए नहीं बल्कि अमेरिका व पश्चिमी देशों के लिए है, जो यूक्रेन की मदद कर रहे हैं. अमेरिका और पश्चिमी देशों के बलबूते ही यूक्रेन इस जंग में रूस से मोर्चा ले रहा है. बाइडेन यह जानते हैं कि अगर रूस ने यूक्रेन पर परमाणु हमला किया तो इसकी आंच पश्चिमी देशों तक ज़रूर आएगी. ऐसे में अमेरिका को भी इसमें आगे आना होगा.
बाइडेन ने क्यों दी विश्व युद्ध की चेतावनी
प्रो पंत ने कहा कि बाइडेन जानते हैं कि अगर पुतिन यूक्रेन पर परमाणु हमला करते हैं तो यह जंग कीव और मास्को तक ही सीमित नहीं रहेगी. प्रो पंत ने कहा कि यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना बयान दिया है कि अब दुनिया विश्व युद्ध के करीब पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि परमाणु हमले की आंच नाटो के सदस्य देशों तक पहुंचेगी. परमाणु हमले की प्रतिरक्षा में नाटो को एक्शन में आना होगा. ऐसे में इस युद्ध में कूदना अमेरिका की मजबूरी होगी. प्रो पंत ने कहा कि ऐसी स्थिति 1962 में भी उत्पन्न हुई थी, जब पूर्व सोवियत संघ ने क्यूबा में अपनी मिसाइलों को तैनात कर दिया था. उस वक्त तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जान एफ कैनेडी ने विश्वयुद्ध छिड़ने की चेतावनी दी थी. इसके बाद यूक्रेन जंग में पुतिन के मिसाइल धमकी के प्रयोग के बाद विश्व युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना बयान दिया है कि अब दुनिया विश्व युद्ध के करीब पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि परमाणु हमले की आंच नाटो के सदस्य देशों तक पहुंचेगी. परमाणु हमले की प्रतिरक्षा में नाटो को एक्शन में आना होगा. ऐसे में इस युद्ध में कूदना अमेरिका की मजबूरी होगी.
आखिर पुतिन ने क्यों दी परमाणु युद्ध की धमकी
प्रो पंत ने कहा कि रूस में इस जंग का मनोवैज्ञानिक असर पड़ रहा है. एक छोटे से मुल्क यूक्रेन को रूस जैसी महाशक्ति सात महीने में नहीं हरा सका. रूसी सेना सात महीनों से यूक्रेन में संघर्ष कर रही है. इसका सीधा असर सेना के मनोबल पर भी पड़ रहा है. इस जंग में रूस को जनधन की बड़ी क्षति हुई है. यह सब कुछ पुतिन के खिलाफ जा रहा है. उन्होंने कहा कि हालांकि, रूस में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है और न ही पुतिन सीधे तौर पर जनता के प्रति जवाबदेह हैं, लेकिन एक गैर-लोकतांत्रिक मुखिया को भी जनता के विद्रोह का भय सदैव रहता है.
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, क्यूबा मिसाइल संकट के बाद दुनिया पहली बार परमाणु हथियार के इस्तेमाल का खतरा महसूस कर रही है. स्थितियां अगर इसी तरह बिगड़ती रहीं तो यह खतरा वास्तविकता में बदल सकता है.
यूक्रेन पर टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार का ख़तरा
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, क्यूबा मिसाइल संकट के बाद दुनिया पहली बार परमाणु हथियार के इस्तेमाल का खतरा महसूस कर रही है. स्थितियां अगर इसी तरह बिगड़ती रहीं तो यह खतरा वास्तविकता में बदल सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, पुतिन का न्यूक्लियर वेपन या जैविक हथियार या रासायनिक हथियार का इस्तेमाल संबंधी बयान चुटकुला नहीं है. रूसी सेना यूक्रेन में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन के इस्तेमाल की स्थितियां बना रहा है. उल्लेखनीय है कि टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन कम क्षमता का परमाणु हथियार होता है, जिसकी संहारक क्षमता 100 वर्ग किलोमीटर से कम दायरे वाली होती है. रूस और अमेरिका के पास इस तरह के परमाणु हथियारों का बड़ा भंडार है.
यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है
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