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पाकिस्तानियों ने भारतीय सीमाओं में घुसने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए हैं. उन्होंने कुछ इलाकों में सुरंग बनाई हैं और कुछ में ड्रोन से भारत में ड्रग्स, विस्फोटक, हथियार और गोला-बारूद भेज रहे हैं. पिछले साल बीएसएफ ने माना था कि ड्रोन गतिविधि दोगुनी हो गई है.
बीती 5 मई को राजौरी के कांडी वन क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में पांच सैनिक मारे गए और एक अधिकारी घायल हो गए. ऐसा 20 अप्रैल को उसी क्षेत्र के पास पांच सैनिकों के मारे जाने के दो हफ्ते बाद हुआ है. दो सप्ताह के अंतराल में पुंछ-राजौरी क्षेत्र में दो हमलों में सेना के 10 जवानों का मारा जाना चिंताजनक है.
यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या दोनों हमलों को आतंकवादियों के एक ही समूह ने अंजाम दिया था. जम्मू-कश्मीर पुलिस का मानना है कि 9 से 12 आतंकवादियों ने पुंछ-राजौरी सेक्टर में घुसपैठ की होगी और वे अलग-अलग समूहों में इस इलाके में छिपे हो सकते हैं. खबरें हैं कि इनकी ड्रोन के जरिए हथियार, भोजन और नकदी गिराकर सीमा पार से मदद की जा रही है.
बीती 13 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर, एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की थी. उन्हें केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के अधिकारियों ने कानून और व्यवस्था की स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी थी.
13 मार्च को हैदराबाद में सीआईएसएफ स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए शाह ने कहा था कि कश्मीर, उत्तर-पूर्व और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा कम हो गई है और सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति काम कर रही है.
बैठक के नतीजे की जानकारी तो नहीं है, लेकिन उससे एक महीने पहले 13 मार्च को हैदराबाद में सीआईएसएफ स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए शाह ने कहा था कि कश्मीर, उत्तर-पूर्व और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा कम हो गई है और सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति काम कर रही है.
दो साल पहले तक पुंछ और राजौरी का इलाका अपेक्षाकृत शांत था. फिर धारा 370 के खत्म होने के बाद आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गईं. साल 2021 में, पुंछ के करीब भाटा धुरियन जंगलों में सेना ने तीन दिनों में नौ जवानों को खो दिया. 11 अगस्त 2022 को राजौरी जिले में एक सेना शिविर पर हमले में पांच सैनिक मारे गए.
16 दिसंबर 2022 को राजौरी शहर के पास मुरादपुर में सैन्य शिविर में कैंटीन चलाने वाले दो नागरिक एक शिविर के बाहर मृत पाए गए. इस साल की शुरुआत में, राजौरी जिले के ऊपरी डांगरी गांव में सात नागरिकों की मौत हो गई थी और 14 घायल हो गए थे.
इस क्षेत्र में एलओसी पर बड़ी मात्रा में तारों की घेराबंदी की गई है और इसमें भूकंपीय से लेकर थर्मल, इमेज इंटेंसिफायर से लेकर मूवमेंट को ट्रैक करने वाले सभी तरह के सेंसर लगे हैं. संचार की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी भी की जाती है. जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर सेना के साथ सुरक्षा की कई और परतें भी हैं.
इसमें सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस से सहायता प्राप्त, मुख्य काउंटर इनसरजेंसी बल के तौर पर राष्ट्रीय राइफल्स भीतरी इलाकों में मौजूद है. हालांकि, साल 2020 में राष्ट्रीय राइफल्स यहां थोड़ी कमजोर हो गई, जब इसके 15,000 सैनिकों को चीन से भिड़ने के लिए एलएसी पर भेज दिया गया. लेकिन पाकिस्तानी जिहादियों ने अपना रास्ता बना लिया. कई समूहों को प्रतिबंधित कर दिया गया और मार दिया गया, तो कुछ को वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया गया, लेकिन फिर भी कुछ को सफलता मिल ही गई.
पाकिस्तानियों ने भारतीय सीमाओं में घुसने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए हैं. उन्होंने कुछ इलाकों में सुरंग बनाई हैं और कुछ में ड्रोन से भारत में ड्रग्स, विस्फोटक, हथियार और गोला-बारूद भेज रहे हैं. पिछले साल बीएसएफ ने माना था कि ड्रोन गतिविधि दोगुनी हो गई है. हालांकि पंजाब गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी इलाकों में भी ड्रोन गतिविधि की रिपोर्ट मिली है.
सुरक्षाबलों की सघन तैनाती और तमाम तरह के सेंसर के बावजूद छोटे जिहादी गुटों को घुसपैठ में सफलता मिल रही है. एक तरीका यह है कि सरकार को ऐसे हमलों पर पाकिस्तान के खिलाफ तुरंत जवाबी कार्रवाई करने के लिए सीमा पार हमले करने चाहिए.
मुद्दा यह है कि भारत ऐसे हमलों को रोकने के लिए क्या कर सकता है. सुरक्षाबलों की सघन तैनाती और तमाम तरह के सेंसर के बावजूद छोटे जिहादी गुटों को घुसपैठ में सफलता मिल रही है. एक तरीका यह है कि सरकार को ऐसे हमलों पर पाकिस्तान के खिलाफ तुरंत जवाबी कार्रवाई करने के लिए सीमा पार हमले करने चाहिए. आखिरकार वह पहले भी उरी में हमले के बाद ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और पुलवामा धमाके के बाद बालाकोट स्ट्राइक कर चुकी है. तो अब जवाबी कार्रवाई करने से सरकार पीछे क्यों हट रही है?
हैरानी की बात है कि सरकार ने हाल के हमलों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया तक नहीं दी है. वरिष्ठ नेता कर्नाटक चुनाव में व्यस्त हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजौरी का दौरा जरूर किया, लेकिन इतना काफी नहीं है.
यह लेख दैनिक भास्कर में प्रकाशित हो चुका है.
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Manoj Joshi is a Distinguished Fellow at the ORF. He has been a journalist specialising on national and international politics and is a commentator and ...
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