Issue BriefsPublished on Jan 20, 2025
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Strategic Diplomacy In The Indo Pacific The Case Of Japan And The Philippines

जापान और फिलीपींस के संदर्भ में ‘हिंद-प्रशांत’ क्षेत्र में रणनीतिक कूटनीति!

  • Pratnashree Basu
  • Don McLain Gill

    हिंद-प्रशांत में चीन के बढ़ते दबदबे को लेकर साझा चिंताओं की वजह से जापान और फिलीपींस एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैंयह रणनीतिक साझेदारी विशेषत: मैरिटाइम यानी सामुद्रिक क्षेत्र में विकसित हो रही है. इस ब्रीफ में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अनिश्चितता के संदर्भ में टोक्यो और मनीला के बीच पनप रही रणनीतिक साझेदारी की गतिकी का परीक्षण किया गया है. इसमें द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात शांतिवाद को अपनाने वाले जापान के रक्षा संबंधी रुख़ का परीक्षण किया गया है, जो अब अधिक सक्रिय होकर क्षेत्रीय सुरक्षा की भूमिका अपनाने लगा है. इसी प्रकार फिलीपींस ने भी अब अंतर्गत सुरक्षा के साथ क्षेत्रीय रक्षा पर अधिक ध्यान देना शुरू किया है जिसकी वजह से जापान एक अहम साझेदार बनकर उभरा है. क्षमता वृद्धि संबंधी टोक्यो की पहल और रक्षा उपकरणों के हस्तांतरण के साथ साझा सैन्य अभ्यास की वजह से मनीला की सामुद्रिक सुरक्षा में इज़ाफ़ा हुआ है. इस ब्रीफ में तर्क दिया गया है कि यह साझेदारी एक और जहां चीन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को लेकर साझा चिंता की वजह से विकसित हो रही है, वही व्यापक रूप से यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कानून का पालन करते हुए स्थिरता को बनाए रखने, विशेषतः जापान के खुले एवं आजाद हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के तहत, की कोशिश है.

Attribution:

प्रत्नाश्री बासु और डॉन मैक्लेन  गिल, "जापान और फिलीपींस के संदर्भ में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक कूटनीति!", इश्यू ब्रीफ नं 771, जनवरी 2025,  ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन.

प्रस्तावना

हिंद-प्रशांत अब एक अहम भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है. इसकी एक वजह तो यह है कि इस इलाके में आर्थिक उन्नति की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. दूसरी ओर इस इलाके में विस्तारवादी चीन का बढ़ता दबदबा इसे महत्वपूर्ण इलाका बनाता है. इस इलाके में मौजूद विवाद के अनेक मुद्दों में से सबसे अहम साउथ चाइना-सी से जुड़ा मुद्दा है. इसकी वजह यह है कि निर्णय लेने की क्षमता में ख़ामी, स्थितियों का आकलन करने में मौजूद ख़तरे या अनायास ही गलती से किसी मुद्दे पर यहां मौजूद विभिन्न हितधारकों के बीच विवाद का बढ़ जाना या फिर कोई गलतफहमी इस इलाके को संवेदनशील बनाता है. इसी कारण इस क्षेत्र में विभिन्न शक्तियों के बीच क्षमता को लेकर विषमता बनी हुई है. यही कारण है कि इसे लेकर भविष्य की अस्थिरता के संदर्भ में चिंता बनी रहती है. इस लंबे समय से/दीर्घावधि से चले आ रहे विवादित इलाके में फिलीपींस के सामने वेस्ट फिलीपाइन सी में सुरक्षा को लेकर अधिक ख़तरा मंडराता रहता है. मनीला का मानना है कि साउथ चाइना सी का यह इलाका उसके 200 नॉटिकल मील के एक्सक्लूसिव इकोनामिक जोन (EEZ) में आता है.

1995 में मिश्चीफ रीफ़ यानी चट्टान पर कब्ज़ा करने के साथ ही 20 वीं सदी में ही वेस्ट फिलीपाइन-सी में चीन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षा उजागर हो गई थी. अब चीन की भौतिक शक्ति में इज़ाफ़े के साथ ही महान-शक्ति बनने की उसकी महत्वाकांक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करने की महत्वाकांक्षा ने फिलीपीन के समुद्र में गतिविधियों को और भी बढ़ा दिया है. 


1995 में मिश्चीफ रीफ़ यानी चट्टान पर कब्ज़ा करने के साथ ही 20 वीं सदी में ही वेस्ट फिलीपाइन-सी में चीन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षा उजागर हो गई थी. अब चीन की भौतिक शक्ति में इज़ाफ़े के साथ ही महान-शक्ति बनने की उसकी महत्वाकांक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करने की महत्वाकांक्षा ने फिलीपीन के समुद्र में गतिविधियों को और भी बढ़ा दिया है. मौजूदा राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस जूनियर के शासनकाल में मनीला ने अपनी विदेश तथा रक्षा नीति के रुख़ में बदलाव किया है. अब ये दोनों ही नीतियां वेस्ट फिलीपाइन-सी की सुरक्षा को केंद्र में रखने लगी हैं. इसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को भी नए सिरे से ढाला जा रहा है. यह बात कॉम्प्रिहेंसिव आर्किपेलेजिक डिफेंस कांसेप्ट (CADC) यानी विस्तृत द्वीपसमूह रक्षा धारणा के अमल में देखा जा सकता है. CADC फिलीपींस के मिलिट्री मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम एंड ऑपरेशंस अर्थात सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम एवं संचालन से मेल खाता है जिसमें देश के द्वीपसमूह वॉटर्स यानी इलाकों, क्षेत्रीय समुद्र तथा EEZ[1] को सुरक्षित करने की बात की गई है.


हालांकि, फिलीपींस के पास सीमित भौतिक संसाधन और संपत्ति है जिसकी वजह से वह वेस्ट फिलीपाइन-सी को आज़ाद, खुला और नियम आधारित नहीं रख सकता. अब जब मनीला हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था के हितधारक के रूप में एक बड़ी भूमिका चाहता है तब वह इस विचार के साथ चलने वाले देशों को एक सहयोगी के रूप में पसंद आने लगा है. मनीला का सहयोग करते हुए ये देश इस इलाके में नियम आधारित व्यवस्था में संशोधन करने के लिए सक्रिय शक्तियों के ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहते हैं. इसी संदर्भ में 2015 में अपनी रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के बाद से ही मनीला एवं टोक्यो ने अपनी सामुद्रिक सुरक्षा साझेदारी के दायरे में विस्तार किया है. यह विस्तार इस क्षेत्र को लेकर उनके साझा हितों और उद्देश्यों पर आधारित है.[2]


फिलीपींस के साथ जापान के बढ़ते रणनीतिक एवं सामुद्रिक सहयोग की वजह से ही हाल के वर्षों में अनेक अहम रणनीतिक पहल समेत अन्य कदम उठाए गए हैं. ये दोनों देश पिछले दो दशकों से अधिक समय से अपने संबंधों को मजबूती प्रदान कर रहे हैं. पिछले 8 वर्षों में इस साझेदारी में और भी विकास होता दिखाई दिया है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ रही अस्थिरता को लेकर ख़तरे में हो रही वृद्धि की धारणा में हुआ इज़ाफ़ा इसका अहम कारण है. ऐसे में 8 जुलाई 2024 को रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट (RAA)[3] पर एकदम सही समय में मुहर लगी है. RAA एशिया में जापान का इस तरह का पहला समझौता है. इसके तहत मनीला एवं टोक्यो के बीच युद्ध अभ्यास तथा आपदा प्रतिक्रिया के लिए उपकरण एवं सैन्य कर्मियों का आवागमन सुनिश्चित होगा. ऐसे में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ेगा.[4]
2023 में बीजिंग के भड़कावे की वजह से मनीला ने सामुद्रिक घटनाओं की संख्या में ज़्यादा इज़ाफ़ा होते हुए देखा. जापान के लिए फिलीपींस हमेशा से ही ASEAN क्षेत्र में एक प्राकृतिक सहयोगी रहा है. अब RAA पर हस्ताक्षर होने से इन संबंधों में और भी मजबूती आई है.  द्वीप समूह होने की वजह से दोनों ही देश सामुद्रिक सुरक्षा को लेकर हितों को साझा करते हैं . दोनों ही देश अहम समुद्री लाइंस पर संचार के साधनों के नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में विश्वास रखते हैं. इन दोनों देशों का सहयोग ईस्ट तथा साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ रही सामुद्रिक मौजूदगी का जवाब भी देता है.[5] फिलीपींस के समक्ष साउथ चाइना सी में चीन की धमकी नियमित रूप से बनी हुई है, जबकि जापान को भी चीन की ओर से सेनकाकू द्वीप के आसपास दबाव का सामना करना पड़ता है. दोनों ही देश चीन की विस्तारवादी नीतियों को क्षेत्रीय स्थिरता और टेरिटोरियल इंटीग्रिटी यानी प्रादेशिक अखंडता के लिए गंभीर चुनौती मानते हैं. यह साझा धारणा ही चीन और फिलीपींस के बीच सामुद्रिक कूटनीति का आधार है. इसका उद्देश्य चीन के बढ़ते प्रभाव का मिलकर मुकाबला करना और इलाके में यथास्थिति को बनाए रखना है. 

जापान के रक्षा समझौते का विकास

जापान के रणनीतिक समझौतों की प्रकृति और दायरे में धीरे-धीरे विकास हुआ है. यह देश के रक्षा साझेदारियों के दायरे की सीमाओं से बंधा हुआ है. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात जापान का वॉर पैसिफिस्ट कॉन्स्टीट्यूशन अर्थात शांतिप्रिय संविधान, ख़ास तौर पर उसका आर्टिकल यानी अनुच्छेद 9, [a] उसकी सैन्य क्षमताओं को प्रतिबंधित करता है और उसके रक्षा समझौते के दायरे को सीमित करता है. यह संवैधानिक शांति प्रियता सेल्फ डिफेंस फोर्सेस (SDF) के लिए एक वैधता संबंधी मुद्दा उपस्थित करते हुए पूर्ण रूप से रक्षा साझेदारी में शामिल होने की जापान की क्षमता को सीमित करता है. उदाहरण के तौर पर जापान के सामने फिलीपींस को डिफेंस सपोर्ट यानी रक्षा सहयोग मुहैया करवाने में उसकी ही 1967 की "थ्री  प्रिंसिपल" पॉलिसी आड़े आई, क्योंकि इसके तहत हथियारों के निर्यात पर रोक लगी हुई है. 2011 में विस्तारित कोस्ट गार्ड एवं नौसेना अभ्यास तथा 2012 में रणनीतिक साझेदारी समझौते के साथ प्रगति शुरू हुई.[6] कानून में ढिलाई की वजह से ही विस्तृत सहयोग आरंभ हो सका, जिसमें संयुक्त अभ्यास और जापानी युद्धपोतों की पोर्ट विजिट यानी बंदरगाह यात्रा शामिल है. 2010 के दशक के मध्य में जापानी सैन्य विमान फिलीपींस में ईंधन भरवाने लगे और 2021 में संयुक्त वायु सेना अभ्यास शुरू हुआ.[7] जापान के विदेश मामलों के मंत्रालय का कहना है कि इन अभ्यासों की वजह से दोनों ही देशों की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होगी. यह वृद्धि यह सुनिश्चित करेगी कि दोनों देश संभावित क्षेत्रीय संघर्षों से प्रभावी रूप से निपट सके और क्षेत्रीय सुरक्षा को बनाए रखें.[8]

पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने 2014 में इन नियमों को और भी शिथिल कर दिया था. इसके चलते रक्षा उपकरणों का हस्तांतरण आसानी से होने लगा. इसी प्रकार गहन सहयोग में भी इज़ाफ़ा होने लगा.[9] गहन सहयोग में संयुक्त अभ्यासों एवं जापानी युद्ध पोतों के फिलीपींस बंदरगाह की यात्रा का समावेश था. इसके चलते दोनों ही देशों के सामुद्रिक बल की संचालन क्षमताओं में सुधार हुआ और मिल कर काम करने में सुविधा होने लगी.[10] जापान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह पहल एक व्यापक रणनीति का हिस्सा थी, जिसके माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देकर साउथ चाइना सी में चीन की दबंगई को बढ़ाने वाली गतिविधियों का मुकाबला किया जा रहा था.[11] उदाहरण के तौर पर जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के ऑफिशियल डेवलपमेंट असिस्टेंट प्रोग्राम का उपयोग करते हुए जापान ने फिलीपीन  कोस्ट गार्ड के लिए पेट्रोल बोटों यानी नावों का निर्माण करने के लिए निधि मुहैया करवाई थी.[12] इसके अलावा जापान ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में संशोधन किया ताकि वह मनीला को TC-90 ट्रेनर एयरक्राफ्ट समेत अन्य अतिरिक्त सैन्य उपकरण का हस्तांतरण कर सके.


दोनों देशों के बीच 2012 से उच्च स्तरीय बातचीत में नियमित रूप से इज़ाफ़ा हो रहा है. यह बात फिलीपींस के साथ जापान के बढ़ते सुरक्षा सहयोग को उजागर करती है.[13] यह बातचीत जिसमें वरिष्ठ नागरिक रक्षा अधिकारी और सैन्य अधिकारी शामिल होते हैं, अब बढ़कर '2+2 मिनिस्टीरियल फ्रेमवर्क' तक उन्नत हो गई है. अब रक्षा एवं विदेश मंत्री साथ-साथ में रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं. जापान, फिलीपींस तथा यूनाइटेड स्टेट्स (US) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की वार्षिक बैठक इस साझेदारी के त्रिपक्षीय पहलू को उजागर करती है.[14] जापानी सरकार का मानना है कि रक्षा नीतियों में समन्वय साधने के लिए इस तरह की बातचीत आवश्यक है. ऐसा होने पर ही क्षेत्रीय सुरक्षा के सामने पेश आने वाली चुनौतियों का संयुक्त रूप से जवाब दिया जा सकता है.


दिसंबर 2022 में जापान ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का खुलासा किया. इसके तहत जापान ने अपने रक्षा बजट को दो गुना कर दिया है. वह अब रक्षा बजट के मामले में US एवं चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है. यह वृद्धि चीन की ओर से तेजी से की जा रही सैन्य क्षमता में वृद्धि का मुकाबला करने के लिए की गई है इसका उपयोग जापान की जवाब देने की आक्रमक क्षमता में इज़ाफ़ा करना और इंटरमीडिएट रेंज मिसाइल यानी माध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल को हासिल करना है.[15]

अप्रैल 2023 में जापान ने ओवरसीज सिक्योरिटी अस्सिटेंस प्रोग्राम यानी विदेशी सुरक्षा सहायता कार्यक्रम शुरू किया. इसके तहत P-3 मैरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट जैसे और भी रक्षा संबंधी हस्तांतरण करना संभव होगा. ओवरसीज सिक्योरिटी असिस्टेंट प्रोग्राम, जापान के हाल ही के एवं सबसे महत्वपूर्ण रक्षा सहायता प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है. इस योजना के तहत जापान ने मनीला के लिए अपना सबसे पहला विदेशी सैन्य सहायता अनुदान जारी किया. 


अप्रैल 2023 में जापान ने ओवरसीज सिक्योरिटी अस्सिटेंस प्रोग्राम यानी विदेशी सुरक्षा सहायता कार्यक्रम शुरू किया. इसके तहत P-3 मैरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट जैसे और भी रक्षा संबंधी हस्तांतरण करना संभव होगा. ओवरसीज सिक्योरिटी असिस्टेंट प्रोग्राम, जापान के हाल ही के एवं सबसे महत्वपूर्ण रक्षा सहायता प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है. इस योजना के तहत जापान ने मनीला के लिए अपना सबसे पहला विदेशी सैन्य सहायता अनुदान जारी किया. 2 बिलियन येन यानी लगभग 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर[16]  के इस अनुदान से मनीला साउथ चाइना सी में अपनी समुद्री लाइनों अर्थात समुद्री मार्गों की सुरक्षा में इज़ाफ़ा करेगा. यह सहायता भले ही छोटी हो लेकिन यह जापान की फिलीपींस के साथ बढ़ती सुरक्षा बातचीत को उजागर करती है. उसका यह कदम साउथ ईस्ट यानी  दक्षिणपूर्वी एशिया के साथ संबंधों में मजबूती लाने की उसकी  दीर्घावधि दीर्घ योजना का अहम हिस्सा है.[17] इस कार्यक्रम की वजह से फिलीपींस को चीन की दबंगई के ख़िलाफ़ अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में सहायता मिलेगी.[18] जून 2023 में जापान ने अपने सबसे बड़े कोस्ट गार्ड पेट्रोल शिप यानी समुद्री तट रक्षक जहाज अकीत्सुशिमा को अमेरिकी तथा फिलीपींस की सेनाओं के त्रिपक्षीय अभ्यास में सहायता के लिए तैनात किया था.[19]


दूसरा, जापान के रक्षा बजट से जुड़े प्रतिबंध और उसकी सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण की ज़रूरत व्यापक रक्षा साझेदारियों के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध होने और उसकी सहायता करने की राह में एक चुनौती पेश करते हैं. ऐतिहासिक रूप से जापान का रक्षा बजट उसके ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी तक सीमित रखा गया है. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनाई गई उसकी वॉर पैसिफिस्ट एथोज यानी युद्ध शांतिप्रिय लोकनीति को दर्शाता है. जापान के रक्षा बजट से जुड़ी बाधाओं की जड़े उसकी आर्थिक नीतियों एवं घरेलू प्राथमिकताओं से जुड़ी हैं. देश ने ऐतिहासिक रूप से  अपने बजट के बड़े हिस्से को अपनी वृद्ध होती आबादी की सहायता करने के लिए चलाई जा रही सोशल वेलफेयर प्रोग्राम्स यानी समाज कल्याण की योजनाओं पर ख़र्च किया है. इस जनसांख्यिकीय चुनौती की वजह से उसके वित्तीय संसाधन रक्षा ख़र्च से इतर उपयोग किए जाते हैं. ऐसे में रक्षा बजट में इज़ाफ़े के लिए बेहद कम जगह बच जाती है.[20]


इन बजटीय सीमाओं की वजह से ही जापान की सेल्फ डिफेंस फोर्सेस [SDF] के आधुनिकीकरण तथा सैन्य क्षमताओं में वृद्धि यानी विस्तार की क्षमता प्रभावित हुई है. जापान की सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण की आवश्यकता विशेषतः उत्तर कोरिया एवं चीन की ओर से पेश होने वाली क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी चुनौतियों की वजह से उत्पन्न होती है. चीन की सेना में, विशेषतः परमाणु हथियार और मिसाइल क्षमताओं, में विस्तार के साथ विवादास्पद सेनकाकू/दियाआयू द्वीप के निकट नियमित घुसपैठ तथा ईस्ट चाइना सी में चल रही गतिविधियों की वजह से जापान पर सदैव ख़तरा मंडराता रहता है. इसी प्रकार जापान की ऊर्जा एवं व्यापार आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण ताइवान को लेकर चलने वाला तनाव इन चिताओं को और भी बढ़ा देता है. ओकीनावा स्थित US ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम उत्तर कोरिया का मिसाइल विकास इन चुनौतियों को और बढ़ाता है. इसके अतिरिक्त यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से जापान के इर्द-गिर्द बढ़ी सैन्य गतिविधियों के साथ विवादित कुरील द्वीप[21] पर मिसाइल की तैनाती ने क्षेत्रीय  अस्थिरता को और बढ़ाया है. सुरक्षा संबंधी इन चुनौतियों को चीन एवं रूस के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास और भी बड़ा बना देता है.[22]


पूर्व प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के 2022 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के तहत रक्षा बजट को दोगुना करते हुए इसे GDP का 2 प्रतिशत किया गया. ऐसा करते हुए रक्षा बजट को NATO मापदंडों के साथ मेल खाने वाला बनाकर नई प्रतिकार क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया. नीति में इस विस्तार का उद्देश्य जापान की रक्षा मुद्रा[23] में इज़ाफ़ा करना है ताकि क्षेत्रीय चुनौतियां को रोका जाए और विस्तृत रक्षा साझेदारियों, विशेषतः US के साथ, का समर्थन किया जाए.


तीसरी बात जापान में सेना की भूमिका में विस्तार और रक्षा साझेदारियों को मजबूत करने को लेकर घरेलू राजनीतिक विरोध भी होता है. इस विरोध की जड़ शांतिप्रिय जनभावना तथा राजनीतिक गतिकी से जुड़ी हुई है.[24] युद्ध काल की त्रासदी के कारण जापानी जनता एवं राजनीतिक परिदृश्य ऐतिहासिक रूप से सैन्य विस्तार को लेकर सावधान ही रही है.[25]


अनुच्छेद 9 की पुनर्व्याख्या करने अथवा उसमें संशोधन करते हुए सेना को अधिक लचीलापन उपलब्ध करवाने की कोशिश को पहले भी विरोध का सामना करना पड़ा है. यह विरोध न केवल राजनीतिक धड़ों की ओर से आया है बल्कि सामान्य नागरिक भी इस विरोध में शामिल थे. उदाहरण के तौर पर शिंज़ो आबे ने जब संयुक्त आत्म रक्षा को अधिकार देने के लिए संविधान की पुनर्व्याख्या करने की कोशिश की तो इसके ख़िलाफ़ व्यापक विरोध और राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था.[26] जापान की रक्षा नीति भी विदेशी संघर्षों में फंसने की आशंका से प्रभावित है. विदेश में युद्ध की भूमिका में सेना की तैनाती को लेकर सार्वजनिक विरोध, जैसा कि जापानी सेना के इराक एवं अफगानिस्तान में अपनाई गई भूमिका से स्पष्ट हो जाता है, के पीछे भी एक सावधानी और सतर्कतापूर्ण रवैया है. यह रवैया अपनाने का कारण जापान का अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में फंसने से बचना है. यह सतर्कतापूर्ण रवैया एक व्यापक रणनीतिक संस्कृति को दर्शाता है जिसमें विदेशी धरती पर सेना का न्यूनतम उपयोग करने का समर्थन किया जाता है.


हालांकि एशिया के समुद्री इलाकों में चीन की बढ़ती दबंगई के कारण जापानी नागरिक भी अब अपने देश की विदेश में सुरक्षा संबंधी मौजूदगी को बढ़ाने के महत्व को समझने लगे हैं.[27] पिछले अनेक वर्षों में जापानी संविधान के अनुच्छेद 9 की समीक्षा को लेकर जन समर्थन में वृद्धि हुई है. मसलन 2015 में पारित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, जिसमें जापान को संयुक्त रूप से आत्मरक्षा में शामिल होने और आक्रमण का सामना कर रहे सहयोगियों का समर्थन करने की अनुमति दी गई है, को लेकर भी सार्वजनिक चर्चा में इज़ाफ़ा हुआ है.[28]  आरंभिक विरोध के बावजूद  क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल में गिरावट के साथ ही इसे अब जनता का समर्थन मिलने लगा है. हालांकि जापानी सेना की भूमिका को लेकर घरेलू स्तर पर जनता के बीच मतभिन्नता है, लेकिन इसकी वकालत करने वाले क्षेत्रीय स्थिरता के लिए इसे जरूरी बताने लगे हैं.[29]

 

तथापि अब जापान के रक्षा बजट में इज़ाफ़ा करने को लेकर जनता का समर्थन बढ़ता जा रहा है. NATO मापदंडों के साथ मेल खाते हुए रक्षा बजट को GDP का 2 प्रतिशत करने के सरकार के फ़ैसले को जनता का समर्थन मिला है. इसे राष्ट्रीय सुरक्षा में वृद्धि करने के साथ-साथ क्षेत्रीय ख़तरों का मुकाबला करने के लिए ज़रूरी कदम के रूप में देखा जा रहा है. आधुनिक तकनीक[30]  का उपयोग करते हुए जापान की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि के प्रयासों को भी जनता से अब अधिक समर्थन मिलने लगा है. आधुनिक तकनीक[31] में मिसाइल डिफेंस सिस्टम तथा साइबर वाॅरफेयर क्षमताओं का समावेश है. बढ़ता हुआ जन समर्थन इस बात की आवश्यकता को स्वीकारने वाला है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी रूप से उन्नत सेना बेहद ज़रूरी है. कुछ सर्वेक्षणों में संकेत मिला है कि जापानी नागरिक अब मजबूत सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं.[32] इसे युद्ध पश्चात शांतिप्रिय दृष्टिकोण में आए परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है.

सहयोग से रणनीतिक साझेदारी: जापान तथा फिलीपींस के लिए बेहद आवश्यक

1946 में आजादी के बाद से ही फिलीपींस की विदेश एवं रक्षा नीति में उतार-चढ़ाव होता आया है. इसमें एक बड़ा बदलाव 2010 में आया. यह बदलाव दक्षिणी द्वीप मिंडानाओ में विद्रोहियों एवं अलगाववादी समूहों को लेकर चिंताओं की वजह से आया था. इस बदलाव के तहत देश की सुरक्षा संबंधी धारणा मुख्यत: अंतर्गत सुरक्षा झूकाव से बदलकर क्षेत्रीय रक्षा की दिशा में मुड़ गई थी.[33] इस बदलाव को मनीला के विदेशी संबंधों एवं चुनौतियों की धारणाओं में देखा जा सकता है.

यह बदलाव लाने के लिए साउथ चाइना सी स्थित फिलीपींस के वैध एक्सक्लूजिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) के इलाके के तहत चीन की ओर से अपनी विस्तारवादी महत्वकांक्षा को आगे बढ़ाने की एकतरफा कोशिशों ने उत्प्रेरक का काम किया. 2009 में संयुक्त राष्ट्र को अपना नाइन-डैश लाइन मैप सौंपने के बाद से ही चीन ने डबल-डिजिट डिफेंस ग्रोथ को बनाए रखा है. उसने साउथ चाइना सी में अपने गैरकानूनी दावों को पुख़्ता करने के लिए चाइनीज कोस्ट गार्ड (CCG) यानी चीनी तटरक्षकों तथा समुद्री विद्रोहियों की मौजूदगी तथा ऑपरेशंस में भी इज़ाफ़ा किया है. यह सब वह इस इलाके पर दावा करने वाले देशों, जिसमें फिलीपींस भी शामिल हैं, की संप्रभुता एवं उनके संप्रभु अधिकारों का हनन करते हुए कर रहा है.[34] जैसे-जैसे चीन की भौतिक शक्ति में वृद्धि हुई, वैसे-वैसे उसका विस्तारवादी बर्ताव अधिक मुखर एवं आक्रामक होने लगा. यह बात विशेष रूप से वेस्ट फिलीपाइन सी या फिर साउथ चाइना सी के उस इलाके पर लागू होती है जिसके तहत फिलीपींस EEZ आता है.[35]

फिलीपीन के विभिन्न प्रशासकों ने इस मुद्दे का हल निकालने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए हैं. देश की रक्षा के लिए जहां सेना तथा तटरक्षक बल का आधुनिकीकरण बेहद आवश्यक हैं, वहीं उसके सीमित संसाधन तथा दीर्घावधि की सैन्य रणनीति में समन्वय का अभाव चीनी दबंगई को रोकने के मामले में नाकाफ़ी साबित हो रहा है.

 

फिलीपींस के लिए चीन की चुनौती से निपटने का सबसे तार्किक कदम यह माना जा सकता है कि मनीला को US पर आश्रित होना होगा. आखिरकार वॉशिंगटन ही फिलीपींस का एकमात्र गठबंधन सहयोगी है. आजादी के बाद से ही उसे सुरक्षा मुहैया करवाने वाला वह उसका सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी भी रहा है. लेकिन मनीला की सुरक्षा गणना में वॉशिंगटन किस हद तक शामिल होगा यह बात 21 वीं सदी में अलग-अलग स्तर तक तय होती रही है.

ऐसी स्थिति में किसी भी मध्यम शक्ति के लिए व्यावहारिक कदम यह होगा कि वह अपने हितों की रक्षा करने में सहायक अधिक सक्षम सहयोगियों के साथ मज़बूत सुरक्षा संबंध स्थापित करें. फिलीपींस के लिए चीन की चुनौती से निपटने का सबसे तार्किक कदम यह माना जा सकता है कि मनीला को US पर आश्रित होना होगा. आखिरकार वॉशिंगटन ही फिलीपींस का एकमात्र गठबंधन सहयोगी है. आजादी के बाद से ही उसे सुरक्षा मुहैया करवाने वाला वह उसका सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी भी रहा है. लेकिन मनीला की सुरक्षा गणना में वॉशिंगटन किस हद तक शामिल होगा यह बात 21 वीं सदी में अलग-अलग स्तर तक तय होती रही है. वॉशिंगटन की हिस्सेदारी में उतार-चढ़ाव के भी विभिन्न कारण रहे हैं. मसलन पूर्व राष्ट्रपति बेनिग्नो एक्विनो III (2010-2016) के शासनकाल में वेस्ट फिलीपाइन सी में चीनी दबंगई का मुकाबला करने के लिए मनीला पूर्ण रूप से US गठबंधन पर आश्रित था.[36] लेकिन रोड्रिगो दुतेर्ते (2016-2022) के शासनकाल में मनीला ने खुद को वॉशिंगटन से अलग करने की कोशिश करते हुए चीन की ओर से फिलीपीनी वॉटर्स यानी फिलीपीनी समुद्री इलाके में पेश होने वाली चुनौतियों को कमतर आंकने की कोशिश की थी. वह ऐसा बीजिंग की ओर से आर्थिक छूट पाने की उम्मीद में कर रहा था.[37]

फिलीपींस-US सुरक्षा संबंधों की गति में कमी के बावजूद दुतेर्ते प्रशासन ने अपने रणनीतिक साझेदार में विविधता लाने की कोशिश की. वर्तमान राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर के तहत मनीला अब US के साथ अधिक मजबूत साझेदारी पाने की कोशिश में जुटा हुआ है. उसे यह दिखाई देने लगा है कि चीन के वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता और वह चीन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षा को अपने दम पर प्रबंधित नहीं कर सकता.[38] ऐसे में US ही फिलीपींस का, उनके गठबंधन की वजह से, भौतिक रूप से सबसे सक्षम सहयोगी है. हालांकि मनीला की रणनीतिक गणना में उसकी भूमिका हमेशा से विवादों तथा अस्थिरता का विषय रही है.

इसी बीच टोक्यो के साथ मनीला की सुरक्षा साझेदारी में निरंतरता बनी हुई है. इसी प्रकार जब से मनीला ने अपनी विदेश नीति को प्रादेशिक रक्षा एवं सामुद्रिक सुरक्षा की दिशा में मोड़ा है तब से टोक्यो उसकी सुरक्षा साझेदारी के लिए बेहद अहम बन गया है. क्षेत्रीय शांति एवं विकास में जापान की भूमिका को फिलीपींस हमेशा से स्वीकार करता आया है. ऑफिशियल डेवलपमेंट असिस्टेंस (ODA) में जापान ही विगत 20 से अधिक वर्षों से फिलीपींस का सबसे बड़ा द्वीपक्षीय स्रोत रहा है. इसके अलावा जापान इस दक्षिणपूर्व एशियाई देश का अहम निवेशक तथा व्यापार साझेदार है.[39] मनीला ने हमेशा से जापान की ओर अपनी सुरक्षा, विशेषत: समुद्री इलाके में, की क्षमता में इज़ाफ़ा करने वाले अहम साझेदार के रूप में देखा है.[40]

लगातार होने वाली आर्थिक बातचीत की वजह से जापान विभिन्न प्रशासनों के तहत फिलीपींस का भरोसेमंद सहयोगी बना रहा है. इसमें सुधारवादी एक्विनो।।।, पॉप्युलिस्ट अर्थात लोकलुभान दुतेर्ते और अब मध्यमार्गी मार्कोस जू. का शासनकाल शामिल है. एक्विनो प्रशासन के दौरान जापान ने फिलीपींस की पारदर्शिता एवं कार्यक्षमता पर बल देने वाले पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम का समर्थन करने में अहम भूमिका अदा की थी.[41] इसमें सड़क, रेलवे तथा हवाई अड्डों जैसी अहम परियोजनाओं में बड़े योगदान का समावेश था. यह बात इस बात का सबूत थी कि जापान भी एक्विनो के सुधारों पर आधारित विकास एजेंडे को लेकर प्रतिबद्ध था.

एक्विनो-।।। तथा शिंजो आबे ने सुरक्षा सहयोग को भी मजबूती प्रदान की. इसी वजह से इस इलाके में जापान की रणनीतिक भूमिका का आधार तैयार हुआ था. दुतेर्ते के तहत जापान ने अपनी रणनीतिक स्थिति को बनाए रखा. उसने दुतेर्ते के “बिल्ड, बिल्ड, बिल्ड” पहल को सहयोग देना जारी रखते हुए उसकी नीतियों के साथ मेल बिठाया. जापान ने यह कदम इस बात के बावजूद उठाया कि फिलीपीनी राष्ट्रपति चीन की ओर झूकाव रखते थे और उनका कार्यकाल विवादों से घिरा हुआ था.[42] जापान ने मेट्रो मनीला सबवे एवं नॉर्थ-साउथ कम्युटर रेलवे जैसी अहम बुनियादी ढांचा सुविधा से जुड़ी परियोजनाओं को वित्त पोषण मुहैया करवाते हुए अहम शहरी परिवहन चुनौतियों को हल करने में सहायता की.[43] यह निवेश इस बात का संकेत है कि टोक्यो राजनीतिक परिदृश्य के विभिन्न विचारधारा वाले नेताओं के साथ काम कर सकता है. इसके लिए वह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और विकास लक्ष्यों को ही आधार मानते हुए संबंधों को बेहतर बनाए रखने पर बल देता है.[44]

दक्षिणपूर्व एशियाई देशों, विशेषत: फिलीपींस के साथ जापान का गठजोड़ इस सामुद्रिक सुरक्षा को लेकर जापान की प्रतिबद्धता का सबूत है. सैन फ्रांसिस्को शांति संधि के तहत 1950 से ही जापान फिलीपींस को युद्ध मुआवज़ा मुहैया करवा रहा है. इस मुआवज़े का उपयोग करते हुए बुनियादी ढांचे का विकास और अन्य विकास कार्यक्रमों पर अमल किया गया. इस वजह से फिलीपींस को युद्ध पश्चात पुनर्निर्माण करने में मदद मिली और दोनों देशों के बीच एक आर्थिक कड़ी काफ़ी आरंभ से ही बन गई.[45] 2000s से ही जापानी नेताओं ने US गठबंधन के साथ-साथ फिलीपींस के साथ भी मजबूत संबंध बनाए रखना ज़रूरी समझा. ऐसा करना वेस्टर्न पैसिफिक यानी पश्चिमी प्रशांत में डिटरेंस यानी प्रतिकार में वृद्धि के लिए आवश्यक था. वॉशिंगटन भी इस विचार का समर्थक है.[46] इन संबंधों को 2011 में योशिहिको नोदा की अगुवाई में और प्रोत्साहन मिला और जापान-फिलीपींस रणनीतिक साझेदारी स्थापित की गई. आबे के दूसरे कार्यकाल में भी द्वीपक्षीय संबंधों में तेजी से इज़ाफ़ा देखा गया.[47] उसके बाद से ही सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग जापान की आधारशिला बना हुआ है.[48]

जापान की फिलीपींस के साथ समुद्री कूटनीति उसकी "शांति में सक्रिय योगदान" के व्यापक कूटनीतिक विस्तार का महत्वपूर्ण अंग है.[49] आबे के दूसरे कार्यकाल में शुरू की गई इस नीति में द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात जापान के शांतिवादी रुख़ में बदलाव देखा गया. अब नई नीति में क्षेत्रीय तथा वैश्विक सुरक्षा में अधिक सक्रिय भूमिका निभाई जा सकती है. इस नीति में संयुक्त आत्म रक्षा पर बल दिया गया है और जापान को अपने अहम सहयोगियों के साथ, जिसमें फिलीपींस भी शामिल है, सुरक्षा संबंधों को मजबूती देने की अनुमति दी गई है.

 

फिलीपींस के साथ जापान के सहयोगात्मक सुरक्षा उपायों में संयुक्त नौसेना अभ्यास, क्षमता वृद्धि कार्यक्रम तथा रणनीतिक बातचीत शामिल है. रणनीतिक बातचीत के तहत फिलीपींस कोस्ट गार्ड और नौसेना की समुद्री क्षमता में वृद्धि पर जोर दिया जा रहा है. इस तरह की पहले जापान की व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का अभिन्न हिस्सा है.[50] फिलीपींस को पेट्रोल करने वाले जहाज, सर्विलांस उपकरण और समुद्री क्षेत्र में जागरूकता और ऑपरेशनल तत्परता को बढ़ावा देने वाले विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों में जापान की शक्ति संतुलन साधने की कोशिश को देखा जा सकता है. दोनों ही देश लंबे समय से US संधि सहयोगी हैं, जिसकी वजह से रणनीतिक सहयोग आसान हो गया है. संभावित ख़तरों का संयुक्त जवाब देने तथा अंतरराष्ट्रीय जल में यानी अंतरराष्ट्रीय समुद्र में कानून का राज बनाए रखने के लिए इस तरह का सहयोग बेहद ज़रूरी है.[51]

 

पश्चिमी प्रशांत में विस्तारवादी चीन की ओर से पेश होने वाले ख़तरे को टोक्यो ने मान्यता दे दी थी या इसे स्वीकार कर लिया था. यही कारण था कि जापान ने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर अपने दख़ल में वृद्धि की थी. इसके अलावा जापान, फिलीपींस जैसे अपने विचारों से मेल खाने वाले सहयोगियों के साथ सुरक्षा संबंधों को भी गहन करने का इच्छुक था. ये सहयोगी भी समुद्री क्षेत्र में उसकी चिंताओं को साझा करते थे. परिणाम स्वरुप आबे सरकार ने जापान के संविधान की पुनर्व्याख्या की. इसमें क्षमता निर्माणकर्ता के रूप में टोक्यो की अधिक सक्रिय भूमिका अदा करने की इच्छा को दर्शाया गया था. 2014 में एक बेहद महत्वपूर्ण घटनाक्रम में टोक्यो ने अपने "थ्री प्रिंसिपल्स ऑफ ट्रांसफर ऑफ डिफेंस इक्विपमेंट एंड टेक्नोलॉजी" यानी "रक्षा उपकरणों एवं तकनीक हस्तांतरण के तीन सिद्धांतों" को अपनाया. ये सिद्धांत दिसंबर 2013 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) पर आधारित थे.[52] इन सिद्धांतों ने पूर्व के "थ्री प्रिंसिपल्स ऑन आर्म्स एक्सपोर्ट एंड देयर रिलेटेड पॉलिसी गाइडलाइंस" यानी हथियार निर्यात और उससे संबंधित नीति के दिशा निर्देश से जुड़े तीन सिद्धांतों" की जगह ली थी. इस घटनाक्रम की वजह से जापान के लिए अपने मित्र देशों को रक्षा एवं सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाना आसान हो गया.

 टोक्यो की नीति में बदलाव के चलते दोस्ताना सहयोगियों, विशेषतः फिलीपींस को काफ़ी लाभ मिला. टोक्यो का मानना था कि समुद्री सुरक्षा में फिलीपींस की क्षमता में वृद्धि के कारण हितों का टकराव नहीं होता है. इसका कारण यह था कि फिलीपींस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियम आधारित बातचीत का समर्थक है. दोनों ही देश US संधि में सहयोगी होने की वजह से लोकतांत्रिक सिद्धांतों तथा चुनौती संबंधी धारणाओं को साझा करते थे जिस वजह से उनकी साझेदारी और भी महत्वपूर्ण हो गई थी. 

टोक्यो की नीति में बदलाव के चलते दोस्ताना सहयोगियों, विशेषतः फिलीपींस को काफ़ी लाभ मिला. टोक्यो का मानना था कि समुद्री सुरक्षा में फिलीपींस की क्षमता में वृद्धि के कारण हितों का टकराव नहीं होता है. इसका कारण यह था कि फिलीपींस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियम आधारित बातचीत का समर्थक है. दोनों ही देश US संधि में सहयोगी होने की वजह से लोकतांत्रिक सिद्धांतों तथा चुनौती संबंधी धारणाओं को साझा करते थे जिस वजह से उनकी साझेदारी और भी महत्वपूर्ण हो गई थी. 2016 में मनीला ने जब टोक्यो के साथ रक्षा उपकरण एवं तकनीक हस्तांतरण समझौता किया तो उसके लिए रक्षा हस्तांतरण करना और भी आसान हो गया. इतना नहीं नहीं जब आबे ने समुद्री सुरक्षा को जापान के ODA में शामिल किया तो जापान के लिए फिलीपींस कोस्ट गार्ड (PCG) के लिए 10 हथियार रहित परोला क्लास पेट्रोल बोट के  निर्माण के लिए निधि मुहैया करवाना आसान हो गया.[53],[54] ये जहाज 2016 से 2018 की अवधि के बीच डिलीवर किए गए. उसके साथ ही फिलीपींस को जापान की ओर से TC-90 एयरक्राफ्ट भी इसी अवधि में दान किया गया था.[55]

 

इसके अलावा जापान की समुद्री रणनीति उसके फ्री एंड ओपन इंडो पसिफिक (FOIP) यानी खुले एवं आजाद हिंद-प्रशांत संबंधी व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है. जिसमें वह समुद्री सुरक्षा को वहां की आजादी और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन को महत्वपूर्ण बताकर इस पर अमल करने पर जोर देता है. जापान अपनी इस अवधारणा को बहुपक्षीय मंचों एवं विपक्षीय साझेदारियों के माध्यम से सक्रिय रूप से आगे बढ़ता है. उसका उद्देश्य एक ऐसा क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचा तैयार करना है जो एकतरफ़ा कार्रवाइयों को रोकने अथवा उसका प्रतिकार करने में सक्षम हो.[56]  जापान के इस रुख़ को 2016 में फिलीपींस को परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में मिली कानूनी जीत संबंधी फ़ैसले[57] के समर्थन में देखा जा सकता है. इस फ़ैसले में परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने साउथ चाइना सी में चीन के ऐतिहासिक दावे को गैरकानूनी यानी अवैध घोषित किया था.

 

FOIP की ताकत इसके लचीलेपन तथा निरंतरता में है. टोक्यो ने अपनी घरेलू संस्थानात्मक प्रक्रियाओं में भी प्रावधानों को शामिल करते हुए अपने FOIP दृष्टिकोण की आवश्यकताओं को पूर्ण किया. जापान ने अपनी कूटनीति का विस्तार करते हुए इसे US पर आश्रित द्वीपक्षीय संबंधों पर आधारित न रखते हुए हिंद-प्रशांत के देशों के साथ मजबूत सुरक्षा एवं रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने की दिशा में मोड़ दिया है. हिंद-प्रशांत के देश चीन को लेकर जापान के साथ अपनी चिंताएं साझा करते हैं. इसके अलावा जापान में आने वाली विभिन्न सरकारों, जिसमें शिंजो आबे (2012-2020), योशिहिदे सुगा (2020-2021) तथा फूमियो किशिदा (2021 से अब तक) ने भी लगातार FOIP दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में सक्रिय होकर काम किया है.[58]

 

हिंद-प्रशांत में रोड्रिगो दुतेर्ते समेत अन्य नेताओं के साथ बातचीत करने में जापान ने हमेशा से ही अपनी "एशियाई पहचान" और विशिष्ठ "गैर-पश्चिमी" सांस्कृतिक नैरेटिव पर बल दिया है. ऐसे में  FOIP को साकार करने की राह में यह एक अहम कूटनीतिक साधन बनकर उभरा है.[59] एक ओर जहां पश्चिमी शक्तियों की एशिया में कूटनीति को उपनिवेशवाद पश्चात प्रभाव समझा जाता है, वहीं अनेक मर्तबा इसे बाहरी हस्तक्षेप भी मान लिया जाता है. लेकिन एक एशियाई देश होने की वजह से जापान न केवल क्षेत्रीय अनुभव को साझा करता है, बल्कि वह बातचीत के लिए एक अनूठा मंच भी मुहैया करवाता है.

 

ऐसे में टोक्यो अपनी एशियाई पहचान का उपयोग करते हुए अपने विकास मुआवज़े/सहयोग, बुनियादी सुविधा परियोजनाओं तथा सुरक्षा सहयोग को क्षेत्रीय स्थिरता एवं संपन्नता के लिए साझा प्रयास निरुपित कर सकता है. उसकी इस कोशिश को कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं कह सकेगा. उदाहरण के लिए दुतेर्ते के शासनकाल में जापान की ओर से फिलीपींस को दी गई सहायता को क्षेत्रीय लचीलेपन के व्यापक हिस्से के रूप में दर्शाया गया था. ऐसा करते हुए इसे अपरोक्ष रूप से राजनीतिक शर्तों से दूर ही रखने में सफ़लता मिली थी.[60]

 

इसके साथ ही जापान की सांस्कृतिक कूटनीति उसकी विरासत, परंपरागत मूल्यों एवं आधुनिकता को दर्शाती है. ऐसा करते हुए यह नहीं लगता कि यह कूटनीति खुले तौर पर थोपी जा रही है. सॉफ्ट पॉवर का यह प्रदर्शन सद्‌भावना और भरोसे को बढ़ाने में सहायता करते हुए गहन द्वीपक्षीय सहयोग की आधारशिला बनता है. जापान की एक वैश्विक शक्ति तथा पूरी तरह एशियाई देश के रूप में दोहरी पहचान की वजह से वह एक ऐसा भरोसेमंद सहयोगी बन जाता है जिसके साथ आसानी से बातचीत की जा सकती है.[61]

 

रक्षा सहयोग में वृद्धि करने के लिए टोक्यो की ओर से अपने राष्ट्रीय सुरक्षा विनियमन की पुनर्व्याख्या और उसमें सुधार के बाद मनीला तथा टोक्यो के बीच रक्षा उपकरणों का हस्तांतरण ही सबसे बड़ा कदम नहीं था. 2015 में जापान तथा फिलीपींस ने अपने तटरक्षक एवं नौसेना के संयुक्त अभ्यास करते हुए यह दिखा दिया कि वे दोनों मिलकर “समुद्र में अनियोजित मुठभेड़ों” का मुकाबला करने के लिए तैयार हो गए हैं.[62] 2022 में फिलीपींस तथा जापान के विदेश मामलों तथा रक्षा सचिवों के बीच 2+2 फॉर्मेट यानी ढांचे की पहली बैठक ने यह दर्शाया कि दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय संबंध व्यावहारिक रूप से कितना आगे बढ़ गए हैं.

 

ताइवान पर चीन के संभावित हमले की स्थिति में क्रॉस-स्ट्रेट संकट की वजह से पैदा होने वाले संभावित सुरक्षा परिणामों को लेकर भी टोक्यो अब अधिक मुखर हो गया है.[63] अब मार्कोस जू. प्रशासन ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि ताइवान में किसी भी भूराजनीतिक संकट का सुरक्षा पर सीधा असर पड़ेगा. इसका कारण यहां का भूगोल, म्युच्युअल डिफेंस ट्रिटी अर्थात साझा रक्षा संधि के तहत संधि शर्तों और द्वीप देश यानी ताइवान में 200,000 से ज़्यादा फिलीपिनो अप्रवासी कर्मचारियों की मौजूदगी को माना गया है.[64],[65] ताइवान के मुद्दे जापान-फिलीपींस की सुरक्षा साझेदारी के लिए अहम निहितार्थ है. दोनों ही देश क्षेत्रीय सुरक्षा के व्यापक संदर्भ में ताइवान के रणनीतिक महत्व को भी स्वीकार करते हैं.[66] जापान के अहम शिपिंग रुट यानी नौकायन मार्ग से ताइवान बेहद करीबी इलाके में स्थित है. ऐसे में ताइवान को लेकर कोई भी संघर्ष इन मार्गों को प्रभावित करेगा, जिसकी वजह से जापान की आर्थिक सुरक्षा पर असर पड़ेगा. इसी प्रकार फिलीपींस भी ताइवान के साथ भौगोलिक रूप से काफ़ी नज़दीक है. ऐसे में ताइवान को लेकर किसी भी संकट में वृद्धि का फिलीपींस पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष असर पड़ेगा. इसी संदर्भ में पारंपारिक हब-एंड-स्पोक फ्रेमवर्क में एकीकरण बेहद अहम बन जाता है.

 

वॉशिंगटन में अप्रैल 2024 में फिलीपींस-जापान-US के बीच पहला त्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन हुआ. इसमें तीनों सहयोगियों के बीच एक लम्बी अवधि में सामुद्रिक सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों को लेकर अधिक सिलसिलेवार सहयोग करने का निर्णय लिया गया. यह सहयोग न केवल वेस्ट फिलीपाइन सी में होना था, बल्कि ताइवान स्ट्रेट में भी इसका पालन किया जाना था. इस इलाके की भौगोलिक चुनौतियों को देखते हुए मनीला तथा टोक्यो ने अब ताइवान के निकट आने वाले द्वीपों की सुरक्षा पर भी मिलकर ध्यान देने का फ़ैसला किया है.[67] इन गतिविधियों के संचालन में US एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. उदाहरण के तौर पर 2024 में फिलीपींस तथा US सेनाओं के बीच बालिकातन अभ्यास का आयोजन ताइवान के सन्मुख आने वाले फिलीपींस के उत्तरी इलाके में किया गया था. वहां पर द्वीप पर कब्ज़ा करने और जहाज को डूबोने का सिमुलेशन यानी स्वांग रचा गया था.[68] इसी प्रकार 2023 में US तथा जापान के बीच आर्यन फिस्ट एक्सरसाइज का आयोजन किया गया था. यह पहला मौका था जब किसी ईस्ट एशियाई देश में इस तरह के अभ्यास का आयोजन किया गया.[69]

 

प्रतिकार के अधिक विस्तृत स्तर के लिए फिलीपींस ने अपने उत्तरी इलाके में US की मध्यम-दूरी की टाइफून मिसाइल तैनात कर रखी है. इसी प्रकार वॉशिंगटन तथा टोक्यो के बीच भी इस बात को लेकर बातचीत चल रही है कि क्या ताइवान से 850 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जापान के नानसेई द्वीपों पर US की हाई मोबिलीटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम्स को स्थापित किया जा सकता है.[70]

 

क्षेत्रीय सामुद्रिक सुरक्षा के लिए इस तरह के घटनाक्रम बेहद अहम है. लेकिन अभी इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि ताइवान पर चीन के संभावित हमले के दौरान जापानी तथा फिलीपींस की सेनाएं किस हद तक इसमें शामिल होंगी. इसका कारण यह है कि साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ने के बावजूद जापान वहां अपनी जमीनी सेना को नहीं उतारेगा. जापान के संवैधानिक प्रतिबंध और द्वितीय विश्व युद्ध पश्चात उसकी सुरक्षा नीति उसे किसी भी सूरत में ऐसी विदेशी धरती पर सेना को शामिल करने से रोकती है, जिसमें सीधे जापान को ख़तरा दिखाई नहीं देता है. ऐसे में साउथ चाइना सी को लेकर होने वाली घटनाओं की स्थिति में जापान कूटनीतिक दबाव, आर्थिक प्रतिबंध अथवा फिलीपींस को लॉजिस्टिकल सहायता मुहैया करवा सकता है. लॉजिस्टिकल सहायता में इंटेलिजेंस यानी गोपनीय सूचना साझाकरण अथवा क्षेत्रीय सुरक्षा साझेदारियों जैसे क्वॉड या द्विपक्षीय समझौतों के तहत अप्रत्यक्ष सहायता देना शामिल है.

 

इन उपायों से आगे जाने का जापान का फ़ैसला बहुपक्षीय, विशेषत: US तथा ASEAN, आम सहमति पर निर्भर करेगा. यह आम सहमति इस बात को सुनिश्चित करेगी कि जापान की कार्रवाई उसके व्यापक सुरक्षा हितों तथा कानूनी प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करती है. नौवहन की आजादी को लेकर जापान का रुख़ कड़ा है और ताइवान उसके बेहद करीब में स्थित है. ऐसे में यह संकेत मिलता है कि क्षेत्रीय स्थिरता तथा जापान के हितों को प्रभावित करने वाले ताइवान से जुड़े किसी भी संघर्ष में वृद्धि होने पर जापान अधिक सक्रिय भूमिका अदा करेगा. लेकिन वह इस स्थिति में भी बहुपक्षीय ढांचे के माध्यम से ही संघर्ष में कूदेगा और अपने स्तर पर सैन्य तैनाती से बचने की कोशिश करेगा.

 किशिदा सरकार के तहत जापान ने एक मजबूत सुरक्षा-केंद्रित विदेश नीति अपनाई है. इसका कारण हिंद-प्रशांत में चीन की विस्तारवारदी नीति तथा US की यहां की सुरक्षा को लेकर दीर्घावधि/लंबे समय की प्रतिबद्धताओं को लेकर चिंताओं के कारण बदतर होती जा रही सुरक्षा की स्थिति है

किशिदा सरकार के तहत जापान ने एक मजबूत सुरक्षा-केंद्रित विदेश नीति अपनाई है. इसका कारण हिंद-प्रशांत में चीन की विस्तारवारदी नीति तथा US की यहां की सुरक्षा को लेकर दीर्घावधि/लंबे समय की प्रतिबद्धताओं को लेकर चिंताओं के कारण बदतर होती जा रही सुरक्षा की स्थिति है.[71] टोक्यो का मानना है कि उसे अब केवल विकास आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी भूमिका को ही मजबूत नहीं करना है, बल्कि उसे मजबूत क्षेत्रीय सुरक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में भी आगे आना होगा. उसका यह साहसिक रुख़ टोक्यो के दिसंबर 2022 के NSS में साफ़ दिखाई देता है. इसमें न केवल जापान की सैन्य क्षमताओं में इज़ाफ़ा करने का उद्देश्य है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा में शामिल जापान के विचारों से कदम मिलाकर चलने वाले महत्वपूर्ण साझेदारों की सुरक्षा क्षमताओं को भी मजबूती देने की बात कही गई है.[72],[73] टोक्यो ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि उसे अपने विचारों के साथ चलने वाले साझेदारों के साथ मिलकर एक नेटवर्क खड़ा करना होगा, जो इस क्षेत्र में, विशेषत: समुद्री क्षेत्र में, संशोधन या बदलाव करने की चीन की कोशिशों के ख़िलाफ़ खड़े हो सकें. इसे ऑफिशियल सिक्योरिटी असिस्टेंस (OSA) के माध्यम से ऑपरेशनलाइज्ड यानी संचालित किया गया. OSA के माध्यम से जापान अपने सहयोगियों की सेनाओं को रक्षा उपकरण तथा अन्य सहायता उपलब्ध करवाता है.[74]

 

फिलीपींस ही OSA का पहला लाभार्थी है. इसके तहत उसे PCG  की क्षमता में इज़ाफ़ा करने के लिए कोस्टल सर्विलांस रडार सिस्टम उपलब्ध करवाया गया.[75] इसके अलावा मार्कोस जू. ने PCG  के लिए जापान से पांच 97-मीटर कटर्स लेने को भी मंजूरी प्रदान की है.[76] ये सारे कदम फिलीपींस के रि-होराइजन 3 मिलिट्री मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम से मेल खाते हैं. यह प्रोग्राम CADC के देश की नौसेना, तटरक्षक एवं हवाई संपत्तियों एवं तकनीक को हासिल करने के दृष्टिकोण से मेल खाता है. इन संसाधनों को हासिल करने का उद्देश्य EEZ की सुरक्षा को बेहतर बनाना और फिलीपीनी जल यानी समुद्र में अपनी लगातार भौतिक मौजूदगी सुनिश्चित करना है. ऐसे में मनीला तथा टोक्यो के बीच सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार के समन्वय के केंद्र में तटीय सुरक्षा ही होगी.

 

RAA पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ जापान ने हिंद-प्रशांत में फिलीपींस को सुरक्षा-केंद्रित व्यवस्था का अन्वेषण करने यानी पता लगाने के लिए भी सहायता की है. लॉजिस्टिक्स अनुबंध पर अमल की वजह से फिलीपींस तथा जापानी सेनाओं के बीच समन्वय गतिविधियों के संचालन की प्रक्रिया अधिक कुशल हो जाएगी. हालांकि इस समझौते की भी अपनी सीमाएं है. यह भले ही मनीला तथा वॉशिंगटन के बीच विजिटिंग फोर्सेस एग्रीमेंट की तरह दिखाई देता हो, लेकिन RAA में फिलीपींस तथा US के स्तर की समझ नहीं है. इसका कारण यह है कि US की तरह जापान फिलीपींस का संधि सहयोगी नहीं है. इसका अर्थ यह है कि फिलीपींस में टोक्यो की ओर से वेपन्स सिस्टम यानी हथियारों की तैनाती नहीं की जाएगी और न ही उसे एनहांस्ड डिफेंस को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (EDCA) साइट्‌स यानी उन्नत रक्षा सहयोग समझौते के तहत आने वाले केंद्रों पर US की सेना को मिले नियंत्रण जैसा नियंत्रण ही मिलेगा. इसके बावजूद संघर्ष के वक़्त या फिर संकट काल में तत्काल संयुक्त तैनाती का रास्ता बनाकर रखना बेहद महत्वपूर्ण है.

 

हिंद-प्रशांत की भूराजनीति में फिलपींस-जापान सुरक्षा साझेदारी बेहद अहम हो गई है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच गहराते संबंधों के कारण मनीला को एक ऐसा डिप्लोमेटिक यानी राजनायिक आधार मिल गया है, जिसके तहत वह मौजूदा US अगुवाई वाले सहयोगी नेटवर्क के भीतर अधिक गहराई से एकीकरण कर सकता है. उदाहरण के लिए फिलीपींस-जापान-US त्रिपक्षीय साझेदारी को विस्तारित करते हुए इसमें चौथे सदस्य के रूप में ऑस्ट्रेलिया को शामिल कर लिया गया है. पूर्वी सहयोगियों के बीच इस एकीकरण की वजह से वॉशिंगटन के पश्चिमी सहयोगियों जैसे फ्रांस एवं कनाडा को भी एक अवसर मिला है. इसकी वजह से पश्चिमी सहयोगी भी अब रणनीतिक कड़ियां स्थापित कर सकते हैं.[77] फिलीपींस अब पूर्वी एवं पश्चिमी गठजोड़ों का महत्वपूर्ण केंद्रबिंदु बनकर उभरा है. ऐसे में अगला व्यावहारिक कदम सहयोग को संस्थागत करना होगा ताकि फिलीपींस में नीति संबंधी निरंतरता बनी रहे. यह निरंतरता चीन के विस्तारवाद एवं एकतरफा कार्रवाईयों को लेकर स्थापित क्षेत्रीय व्यवस्था की सुरक्षा को लेकर उभरी चिंताओं की ओर एक अधिक एकीकृत गठजोड़ डायनैमिक्स यानी गतिकी से संबंधित है. इसी पृष्ठभूमि में ही फिलीपींस तथा जापान के बीच मजबूत साझेदारी हिंद-प्रशांत की सुरक्षा को लेकर बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है.

निष्कर्ष

फिलीपींस एवं जापान के बीच सामुद्रिक सुरक्षा साझेदारी समय के साथ मजबूत हुई है. इसका कारण दोनों के बीच साझा ढांचागत चिंताओं के साथ-साथ क्षेत्र में दोनों के हित एक-दूसरे से जुड़े होना है. आज मनीला तथा टोक्यो के बीच रणनीतिक साझेदारी अकेले दम पर टिकी रह सकती है. यह इतनी लचीली है कि इसे किसी भी व्यापक बहुपक्षीय सुरक्षा व्यवस्था के साथ एकीकृत किया जा सकता है. इस बहुपक्षीय व्यवस्था में क्षेत्रीय नियम आधारित व्यवस्था को सुरक्षित रखने के इच्छुक देशों का समावेश है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने को गति मिली है, लेकिन फिलीपींस तथा जापान को हिंद-प्रशांत में भूराजनीतिक अनिश्चितता को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा. इसका कारण यह है कि जापान तथा US दोनों ही देशों में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है. इसके अलावा समुद्र में चीनी गतिविधियों में लगातार वृद्धि हो रही है. और फिर मनीला की विदेश नीति में निरंतरता को लेकर चिंताएं भी बनी हुई है. सहयोग को संस्थागत करते हुए फिलीपींस एवं जापान अपने द्विपक्षीय सुरक्षा साझेदारी की ट्रैजेक्टरी यानी प्रक्षेपवक्र को लंबे समय के लिए सुरक्षित कर सकते है. 

 

जापान अथवा फिलीपींस में सत्ता परिवर्तन के चलते हिंद-प्रशांत में सुरक्षा को लेकर साझा चिंताओं पर ज़्यादा ध्यान देने वाली साझेदारी पर असर पड़ सकता है. फुमिओ किशिदा के त्यागपत्र तथा अक्टूबर 2024 के चुनाव में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के कमज़ोर प्रदर्शन से जापान में अस्थिरता का दौर देखा गया. जापान की विदेश नीति तथक रक्षा रुख़ को मजबूती देने में किशिदा ने अहम भूमिका अदा की है. इसमें चीन की क्षेत्रीय महत्वकांक्षाओं को नियंत्रित रखने में फिलीपींस को एक अहम सहयोगी मानते हुए उस पर अधिक ध्यान दिया गया है. अगर नया नेतृत्व रक्षा रुख़ को लेकर थोड़ा कम प्रतिबद्ध रहा तो फिलीपींस के साथ की गई जापान की प्रतिबद्धता प्रभावित हो सकती है. ऐसा हुआ तो इसका RAA तथा साउथ चाइना सी में व्यापक संयुक्त पहल जैसे वर्तमान रक्षा समझौतों की गति पर भी असर पड़ सकता है. चूंकि दक्षिणपूर्व एशिया में रक्षा गठजोड़ों का LDP व्यापक रूप से समर्थन करता है अत: द्विपक्षीय साझेदारी में कुछ निरंतरता दिखाई दे सकती है. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अगला प्रशासन क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं को लेकर क्या दृष्टिकोण अपनाता है.

 

फिलीपींस में राष्ट्रपति मार्कोस जू. ने जापान के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी को प्राथमिकता दी है. लेकिन आगामी चुनाव के बाद नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही नई प्राथमिताएं भी तय हो सकती है. अगर उत्तराधिकारी ने अधिक स्वतंत्र रवैया अपनाया या फिर अपना ध्यान रक्षा के बजाय आर्थिक सहयोग पर केंद्रित किया तो फिलीपींस के जापान के साथ अपने गठजोड़ पर नए सिरे से विचार करने की संभावना है. लेकिन चीन की सामुद्रिक दबंगई जैसे साझा क्षेत्रीय ख़तरों की प्रासंगिकता के कारण यह सुनिश्चित होगा कि द्विपक्षीय एजेंडा पर सुरक्षा को लेकर सहयोग पर ही ध्यान दिया जाए. हालांकि इसकी तीव्रता और फोकस में अंतर देखा जा सकता है. हालांकि यह बात क्षेत्रीय दबाव तथा नेतृत्व के स्टाइल यानी शैली पर निर्भर करेगी.

 एक ओर जहां टोक्यो अब अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी ज़िम्मेदारियों की सक्रियता के साथ व्याख्या करने पर ध्यान दे रहा है, वहीं फिलीपींस भी जापान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने को लेकर प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है. ऐसे में हिंद-प्रशांत में बढ़ती अनिश्चितता के कारण इस बात की संभावना है कि मनीला-टोक्यो संबंध न केवल मजबूत होंगे बल्कि इसमें विविधता आने के साथ ये क्षेत्र के बदलते सुरक्षा ढांचे के हिसाब से विकसित भी होंगे.

हालिया जापान-फिलीपींस RAA में टोक्यो का क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव बढ़ा है. इस वजह से दोनों देश किसी भी ख़तरे का जवाब देने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो गए हैं. फिलीपींस को नए पेट्रोल जहाज यानी गश्ती जहाज मुहैया करवाने तथा जापान को फिलीपींस के ठिकानों तक पहुंच मुहैया करवाने से साउथ चाइना सी में नौसैनिक शक्ति संतुलन में बहुत ज़्यादा परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन इसकी वजह से फिलीपींस की समुद्री क्षेत्र जागरुकता में इज़ाफ़ा होगा और जापान को चीन की समुद्री गतिविधियों और उसकी नौसेना में होने वाले विस्तार पर नज़र रखने में आसानी हो जाएगी.[78] इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान, संयुक्त सैन्य अभ्यास तथा तकनीकी हस्तांतरण को ज़्यादा बढ़ावा देने की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही उत्तरी फिलीपींस स्थित रणनीतिक इलाके बेटानेस/बातानेस तथा दक्षिणी जापान में ताइवान के पास स्थित ओकिनावा जैसे क्षेत्रों में बेहतर समन्वित रक्षा रणनीति तैयार करने और सेना की तैनाती करने में आसानी होगी. यह ‘स्पोक टू स्पोक’ सहयोग इस बात का संकेत है कि दोनों के बीच रक्षा क्षमताओं में इज़ाफ़ा करने और रणनीतिक स्वतंत्रता को मजबूती प्रदान करने की कोशिश को बल मिल रहा है.[79]

 

इसी संदर्भ में फिलीपींस की सुरक्षा एवं विदेश नीति गणनाओं के लिए जापान बेहद अहम है. एक ओर जहां टोक्यो अब अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी ज़िम्मेदारियों की सक्रियता के साथ व्याख्या करने पर ध्यान दे रहा है, वहीं फिलीपींस भी जापान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने को लेकर प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है. ऐसे में हिंद-प्रशांत में बढ़ती अनिश्चितता के कारण इस बात की संभावना है कि मनीला-टोक्यो संबंध न केवल मजबूत होंगे बल्कि इसमें विविधता आने के साथ ये क्षेत्र के बदलते सुरक्षा ढांचे के हिसाब से विकसित भी होंगे.

 

Endnotes

[a] Article 9 of Japan's Constitution, adopted in 1947, renounces war as a sovereign right and prohibits maintaining military forces for combat purposes. Japan established the Self-Defense Forces (SDF) in 1954, as a strictly defensive measure. Over time, reinterpretations, particularly in 2014, allowed limited collective self-defence, enabling Japan to support allies under threat. Article 9 has not been formally amended, but debates persist about revising it to address modern security challenges, such as North Korea’s missile tests and China’s assertiveness. Proponents seek clarity on the SDF's role, while opponents fear undermining Japan’s pacifist identity and escalating regional tensions.

[1] Priam Nepomuceno, “CADC to Allow PH to Defend Sea Lanes of Communication,” Philippine News Agency, March 20, 2024, https://www.pna.gov.ph/articles/1221211.

[2] Government of Japan, Ministry of Foreign Affairs, “Japan-India Joint Statement Toward Advancing Strategic Partnership,” Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2015, https://www.mofa.go.jp/s_sa/sea2/ph/page4e_000280.html.

[3] Ministry of Foreign Affairs of Japan, “The Japan-Philippines RAA,” 2024, https://www.mofa.go.jp/s_sa/sea2/ph/pageite_000001_00432.html#:~:text=The%20Japan%2DPhilippines%20RAA%20is,status%20of%20the%20visiting%20force.

[4] Mikhail Flores and Karen Lema, “Philippines Says Pact with Japan Takes Defence Ties to Unprecedented High,” Reuters, July 8, 2024, https://www.reuters.com/world/asia-pacific/philippines-japan-sign-landmark-defence-deal-2024-07-08/.

[5] Julius Cesar Imperial Trajano, “Japan-Philippines Strategic Partnership: Converging Threat Perceptions,” RSIS Commentary, 2013, https://www.rsis.edu.sg/rsis-publication/rsis/2034-japan-philippines-strategic-pa/?doing_wp_cron=1722840157.1688969135284423828125.

[6] Renato Cruz De Castro, “Philippines and Japan Strengthen a Twenty-First Century Security Partnership,” Asia Maritime Transparency Initiative, Center for Strategic and International Studies, 2015, https://amti.csis.org/philippines-and-japan-strengthen-a-twenty-first-century-security-partnership/.

[7] Felix K. Chang, “Japan’s Security Engagement with the Philippines,” Foreign Policy Research Institute, 2023, https://www.fpri.org/article/2023/08/japans-security-engagement-with-the-philippines/.

[8] Embassy of Japan in the Philippines, “First Air-to-Air Bilateral Training on Humanitarian Assistance and Disaster Relief between Japan Air Self-Defense Force and the Philippine Air Force,” Embassy of Japan in the Philippines, 2021, https://www.ph.emb-japan.go.jp/itpr_en/11_000001_00467.html.

[9] Government of Japan, Ministry of Foreign Affairs, “The Three Principles on Transfer of Defense Equipment and Technology,” Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2023, https://www.mofa.go.jp/fp/nsp/page1we_000083.html.

[10] Mynardo Macaraig, “Philippines and Japan Hold Historic Naval Drills in Flashpoint Waters,” SpaceDaily, 2015, https://www.spacedaily.com/reports/Philippines_and_Japan_hold_historic_naval_drills_in_flashpoint_waters_999.html.

[11] Ministry of Defense, Japan, “Defense Equipment and Technology Cooperation Policy,” Acquisition, Technology & Logistics Agency, Ministry of Defense, Japan, 2014, https://www.mod.go.jp/atla/en/policy/defense_equipment.html.

[12] Japan International Cooperation Agency, “JICA and the Philippines: Strengthening Maritime Safety and Security Cooperation,” JICA Philippines Office, 2020, https://www.jica.go.jp/Resource/philippine/english/office/topics/news/200213.html.

[13] Felix K. Chang, “Japan’s Security Engagement with the Philippines,” Foreign Policy Research Institute, 2023, https://www.fpri.org/article/2023/08/japans-security-engagement-with-the-philippines/.

[14] The White House, “Joint Readout of Trilateral Meeting Between the National Security Advisors of the United States, Japan, and the Philippines,” The White House, 2023, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2023/06/16/joint-readout-of-trilateral-meeting-between-the-national-security-advisors-of-the-united-states-japan-and-the-philippines/.

[15] Kanehara Nobukatsu, “Reading Japan’s National Security Strategy,” Taylor and Francis Online, 2023, https://www.tandfonline.com/doi/full/10.1080/13439006.2023.2198854.

[16] Japan Coast Guard, “Japan Coast Guard Activities: A Summary,” Japan Coast Guardhttps://www.kaiho.mlit.go.jp/e/topics_archive/article4200.html.

[17] Chang, "Japan's security engagement with the Philippines."

[18] Nobukatsu, "Reading Japan’s National Security Strategy."

[19]  Hiroshi Asahina, “Japan Eyes Philippines as First Recipient of Security Grant,” Nikkei Asia, 2023, https://asia.nikkei.com/Politics/International-relations/Japan-eyes-Philippines-as-first-recipient-of-security-grant.

[20]  Marina Fujita Dickson and Yoichi Funabashi, “The Next Generation of Japan’s National Security,” Asia Policy 18, no. 2 (2023), https://muse.jhu.edu/article/893911.

[21] Reuters, “Russia Deploys Defense Missile System on Kuril Island Near Japan,” Reuters, 2022, https://www.reuters.com/business/aerospace-defense/russia-deploys-defence-missile-system-kuril-island-near-japan-2022-12-06/.

[22] Jingdong Yuan, “Japan’s New Military Policies: Origins and Implications,” Stockholm International Peace Research Institute, February 2, 2023, https://www.sipri.org/commentary/blog/2023/japans-new-military-policies-origins-and-implications.

[23] Nobukatsu, "Reading Japan’s National Security Strategy."

[24] Rintaro Nishimura, “Opposition Party Could Hold Deciding Vote on Japan’s National Security Policy,” The Interpreter, Lowy Institute, 2024, https://www.lowyinstitute.org/the-interpreter/opposition-party-could-hold-deciding-vote-japan-s-national-security-policy.

[25] Christopher Hughes, “Chapter Six: The Erosion of Japan’s Anti-Militaristic Principles,” The Adelphi Papers 48, no. 403 (2008; Taylor and Francis Online, 2010): 99–138, https://www.tandfonline.com/doi/full/10.1080/05679320902955278.

[26] Garren Mulloy, “Defenders of Japan Present and Future,” in Defenders of Japan: The Post-Imperial Armed Forces 1946–2016, A History, by Garren Mulloy (Oxford Academic, 2021), https://academic.oup.com/book/38870/chapter-abstract/338002592?redirectedFrom=fulltext.

[27] Chang, "Japan's security engagement with the Philippines."

[28] Daisuke Akimoto, “The Abe Government and the Right to Collective Self-Defence,” in The Abe Doctrine, by Daisuke Akimoto (Springer Link, 2018), 65–69, https://link.springer.com/chapter/10.1007/978-981-10-7659-6_4.

[29]  Adam P. Liff and Ko Maeda, “Why Shinzo Abe Faces an Uphill Battle to Revise Japan’s Constitution,” Brookings Institution, 2018, https://www.brookings.edu/articles/why-shinzo-abe-faces-an-uphill-battle-to-revise-japans-constitution/.

[30] Dickson and Funabashi, “The Next Generation of Japan’s National Security”

[31] Peter Y. Lindgren and Wrenn Yennie Lindgren, “The Relationship Between Narratives and Security Practices: Pushing the Boundaries of Military Instruments in Japan,” Asian Perspective 43, no. 2 (Johns Hopkins University Press, 2019): 323–348, https://su.diva-portal.org/smash/get/diva2:1592052/FULLTEXT01.

[32] Itsunori Onodera, “Japan’s New National Security Policy and Defence Strategy in a New Era,” Asia-Pacific Online 26, no. 2 (Taylor and Francis Online, 2019): 37–49, https://www.tandfonline.com/doi/full/10.1080/13439006.2019.1688928.

[33] Renato De Castro, “The Aquino Administration's Balancing Policy against an Emergent China: Its Domestic and External Dimensions,” Pacific Affairs 87, no. 1 (2014): 5–6.

[34] Don McLain Gill, “A Neoclassical Realist Analysis of the Evolving Philippines–India Defence Partnership in the Twenty-First Century,” Asian Security 19, no. 3 (2023): 250–256.

[35] Council on Foreign Relations, “China’s Maritime Disputes,” Council on Foreign Relationshttps://www.cfr.org/timeline/chinas-maritime-disputes.

[36] Renato Cruz De Castro, “Developing a Credible Defence Posture for the Philippines: From the Aquino to the Duterte Administrations,” Asian Politics and Policy 9, no. 4 (2017): 541–563.

[37] Malcolm Cook, “Applying the Duterte Filter to US-Philippine Relations,” The Interpreter, Lowy Institute, 2016, https://www.lowyinstitute.org/the-interpreter/applying-duterte-filter-us-philippine-relations.

[38] Joshua Kurlantzick, “Marcos Jr. Moves the Philippines Dramatically Closer to the United States,” Council on Foreign Relations, 2024, https://www.cfr.org/article/marcos-jr-moves-philippines-dramatically-closer-united-states.

[39] Dennis D. Trinidad, “Japan’s Official Development Assistance (ODA) to the Philippines,” De La Salle University, Manila, 2021: 1–24.

[40] Don McLain Gill, “Why Japan’s Role in Philippines’ Defence Is Nearly as Big as the US,” South China Morning Post, 2024, https://www.scmp.com/opinion/asia-opinion/article/3270828/why-japans-role-philippines-defence-nearly-big-us.

[41]  Public-Private Partnership Center of the Philippines, “PPP Center Pushes Enhanced Cooperation with Japan,” Public-Private Partnership Center of the Philippines, 2023, https://ppp.gov.ph/in_the_news/ppp-center-pushes-enhanced-cooperation-with-japan/.

[42] Asian Development Bank, “Philippine PPP Policy Gets Boost with ADB’s $300 Million Loan,” Asian Development Bank, 2018, https://www.adb.org/news/philippine-ppp-policy-gets-boost-adbs-300-million-loan#:~:text=%E2%80%9CThe%20Philippines%20has%20made%20significant,members%E2%80%9448%20from%20the%20region.

[43]Chihiro Ishikawa, “Japan's KDDI to Take Part in Philippines' First Subway Project,” Nikkei Asia, January 15, 2024, https://asia.nikkei.com/Business/Transportation/Japan-s-KDDI-to-take-part-in-Philippines-first-subway-project.

[44]  Karl Ian Cheng Chua, “Philippine-Japan Relations: Friends with Benefits,” Kyoto Review of Southeast Asia, issue 34 (December 2022), https://kyotoreview.org/issue-34/philippine-japan-relations-friends-with-benefits/.

[45] United Nations, “Treaty of Peace with Japan (Treaty of San Francisco),” United Nations Treaty Series 136, no. 1832 (1952): 45–130, https://treaties.un.org/doc/publication/unts/volume%20136/volume-136-i-1832-english.pdf.

[46] Chang, "Japan's security engagement with the Philippines."

[47] Chang, "Japan's security engagement with the Philippines."

[48] Trajano, “Japan-Philippines Strategic Partnership.”

[49] “Efforts for Peace and Stability of Japan and the International Community,” in Diplomatic Bluebook, 2021, https://www.mofa.go.jp/policy/other/bluebook/2021/pdf/pdfs/4-2.pdf.

[50] Chang, "Japan's security engagement with the Philippines."

[51] Paul Midford, "Japan’s Approach to Maritime Security in the South China Sea." Asian Survey (University of California Press, 2015), https://online.ucpress.edu/as/article-abstract/55/3/525/24805/Japan-s-Approach-to-Maritime-Security-in-the-South?redirectedFrom=fulltext

[52] Japan Ministry of Foreign Affairs, “The Three Principles on Transfer of Defence Equipment and Technology,” Japan Ministry of Foreign Affairs, April 1, 2014, https://www.mofa.go.jp/fp/nsp/page1we_000083.html.

[53] Felix Chang, “Japan’s Security Engagement with the Philippines,” Foreign Policy Research Institute (FPRI), August 28, 2023, https://www.fpri.org/article/2023/08/japans-security-engagement-with-the-philippines/#:~:text=By%20broadly%20interpreting%20economic%20development,delivered%20between%202016%20and%202018.

[54]Renato Cruz De Castro, “The Philippines and Japan Sign New Defense Agreement,” Asia Maritime Transparency Initiative, Center for Strategic and International Studies (CSIS), 2016, https://amti.csis.org/the-philippines-and-japan-sign-new-defense-agreement/.

[55] Embassy of Japan in the Philippines, “JMSDF TC-90s Transferred to the Philippine Navy,” Embassy of Japan in the Philippines, 2018, https://www.ph.emb-japan.go.jp/itpr_en/00_000509.html#:~:text=1%20On%20March%2026%2C%20three,%2C%20Sangley%20Point%2C%20Cavite%20City.

[56] Narushige Michishita, “Japan’s Grand Strategy for a Free and Open Indo-Pacific,” in The Oxford Handbook of Japanese Politics (Oxford Academic, 2021), 492–513, https://academic.oup.com/edited-volume/40699/chapter-abstract/348430888?redirectedFrom=fulltext.

[57] Kamikawa Yoko, Ministry of Foreign Affairs of Japan, “As Reaffirmed with the Philippines: Binding 2016 Award on the South China Sea,” Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2024, https://www.mofa.go.jp/press/release/pressite_000001_00430.html#:~:text=As%20reaffirmed%20with%20the%20Philippines,binding%202016%20award%20on%20the.

[58] Pratnashree Basu, “Order Through Practice: Assessing Tokyo’s Free and Open Indo-Pacific Vision”, ORF Occasional Paper no. 444, August 1, 2024, https://www.orfonline.org/research/order-through-practice-assessing-tokyo-s-free-and-open-indo-pacific-vision

[59]  Don McLain Gill, “The Significance of a More Robust Philippines-Japan Strategic Partnership,” The Diplomat, February 17, 2023, https://thediplomat.com/2023/02/the-significance-of-a-more-robust-philippines-japan-strategic-partnership/.

[60]  Ralph Jennings, “Japan Pledges Economic Aid to the Philippines,” Voice of America, 2017, https://www.voanews.com/a/japan-economic-aid-philippines/4098258.html.

[61] Wrenn Yennie Lindgren, “WIN-WIN! with ODA-man: legitimising development assistance policy in Japan”, The Pacific Review, Vol. 24, Issue 4, Taylor & Francis, February

2020, https://doi.org/10.1080/09512748.2020.1727552

 

[62] Mynardo Macaraig, “Philippines and Japan Hold Historic Naval Drills in Flashpoint Waters,” AFP News, May 12, 2015; Manuel Mogato, Adam Rose, and Ben Blanchard, “Philippines, Japan Coast Guards Hold Anti-Piracy Drills,” Reuters, May 6, 2015.

[63]  Anthony Kuhn, “After Being Silent for Decades, Japan Now Speaks Up About Taiwan — and Angers China,” Asia Times, August 2, 2021, https://www.npr.org/2021/07/26/1020866539/japans-position-on-defending-taiwan-has-taken-a-remarkable-shift.

[64] Robin Michael Garcia and Thomas J. Shattuck, “Philippines’ New National Security Plan Falls Short in Taiwan Policy,” The Diplomat, 2023, https://thediplomat.com/2023/10/philippines-new-national-security-plan-falls-short-in-taiwan-policy/.

[65] Richard Heydarian, “Marcos’ Embrace of Taiwan’s Lai Was More Than a Friendly Gesture,” Nikkei Asia, 2024, https://asia.nikkei.com/Opinion/Marcos-embrace-of-Taiwan-s-Lai-was-more-than-a-friendly-gesture.

[66] Christopher Woody, “Japan and the Philippines Increase Their Focus on Island Defense,” The Diplomat, 2024, https://thediplomat.com/2024/05/japan-and-the-philippines-increase-their-focus-on-island-defense/.

[67] Woody, “Japan and the Philippines Increase Their Focus on Island Defense.”

[68] Arron-Matthew Lariosa, “Balikatan 2024 Drills Prioritize South China Sea, Luzon Strait,” USNI, 2024, https://news.usni.org/2024/04/22/balikatan-2024-drills-prioritize-south-china-sea-luzon-strait.

[69] Indo-Pacific Defense Forum, “Iron Fist Deepens Integration of Japanese, U.S. Forces,” Indo-Pacific Defense Forum, 2024, https://ipdefenseforum.com/2024/03/iron-fist-deepens-integration-of-japanese-u-s-forces/#:~:text=The%20exercise%2C%20which%20concluded%20in,artillery%20and%20close%2Dair%20support.

[70] Christy Lee, “New Missile Plan by US-Japan Eyes Chinese Invasion of Taiwan,” Voice of America (VOA), November 27, 2024, https://www.voanews.com/a/new-missile-plan-by-us-japan-eyes-chinese-invasion-of-taiwan-/7879818.html.

[71] Mirna Galic, “How Fumio Kishida Shaped Japan’s Foreign Policy,” United States Institute of Peace, 2024, https://www.usip.org/publications/2024/08/how-fumio-kishida-shaped-japans-foreign-policy.

[72] “National Security Strategy of Japan,” Cabinet Secretariat (CAS), December 2022, https://www.cas.go.jp/jp/siryou/221216anzenhoshou/nss-e.pdf.

[73] Government of Japan, “National Security Strategy of Japan,” Cabinet Secretariat of Japan, 2022, 1–40, https://www.cas.go.jp/jp/siryou/221216anzenhoshou/nss-e.pdf.

[74] Ministry of Foreign Affairs, Japan, “Official Security Assistance,” Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2024, https://www.mofa.go.jp/fp/ipc/page4e_001366.html.

[75] Helen Flores, “Philippines to Receive Coastal Surveillance Radar System from Japan,” Philstar, July 9, 2024, https://www.philstar.com/headlines/2024/07/09/2368895/philippines-receive-coastal-surveillance-radar-system-japan.

[76] Anna Felicia Bajo, “PCG Chief: Marcos OK'd Acquisition of 5 97-Meter Boats from Japan,” GMA, November 7, 2024, https://www.gmanetwork.com/news/topstories/nation/926301/pcg-chief-marcos-ok-d-acquisition-of-5-97-meter-boats-from-japan/story/.

[77]  “Philippines Eyes Defense Pacts with France, Canada, New Zealand, Says Minister,” TV5, July 22, 2024, https://news.tv5.com.ph/articles-you-might-like/read/philippines-eyes-defense-pacts-with-france-canada-new-zealand-says-minister#google_vignette.

[78] Trajano, "Japan-Philippines Strategic Partnership: Converging Threat Perceptions."

[79] Richard Javad Heydarian, "Philippines-Japan security pact puts China on notice." The Interpreter, 2024, https://www.lowyinstitute.org/the-interpreter/philippines-japan-security-pact-puts-china-notice

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Authors

Pratnashree Basu

Pratnashree Basu

Pratnashree Basu is an Associate Fellow, Indo-Pacific at Observer Research Foundation, Kolkata, with the Strategic Studies Programme and the Centre for New Economic Diplomacy. She ...

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Don McLain Gill

Don McLain Gill

Don McLain Gill is a Philippines-based geopolitical analyst author and lecturer at the Department of International Studies De La Salle University (DLSU). ...

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