पुलवामा हमले के बाद फरवरी 2019 में जब भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की, तब पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त थे अजय बिसारिया. अपनी किताब Anger Management: Troubled Diplomatic Relationship Between India and Pakistan में उन्होंने उस वक्त के अनुभव साझा किए हैं. पेश हैं बातचीत के अहम अंश :
सवाल: आपकी किताब का जो हिस्सा सबसे ज्यादा शेयर किया जा रहा है वह विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी को लेकर है. पूरी कहानी क्या है?
जवाब: विंग कमांडर अभिनंदन को वापस लाने में भारत की पूरी एनर्जी लगी हुई थी. उन्हें किसी तरह की कोई चोट ना पहुंचे, यह भी ensure करना था. पाकिस्तान के साथ-साथ अन्य देश जैसे US, UK, फ्रांस, सऊदी अरब, UAE के जरिए भी पाकिस्तान को संदेश भिजवाए जा रहे थे कि विंग कमांडर को सही-सलामत सौंप दिया जाए. इसमें एक सीधा संदेश यह भी था कि अगर वह नहीं आते तो इंडिया मिलिट्री एक्शन ले सकता है. इसकी भनक पाकिस्तान को भी थी. इसके बाद इस्लामाबाद में मूवमेंट हुई, फिर बातचीत हुई कि कैसे लाया जाए. उसी बातचीत में भारत की तरफ से वायुसेना का विमान भेजने का प्रस्ताव रखा गया. हालांकि पाकिस्तान को यह मंजूर नहीं था, फिर इंटरनेशनल red cross के जरिए वाघा-अटारी बॉर्डर से उन्हें भारत वापस भेजने पर सहमति बनी.
सवाल: तब पाकिस्तान में क्या डिप्लोमेसी चल रही थी?
जवाब: पाकिस्तान को इस बात का पता था कि भारत एक्शन ले सकता है. पाकिस्तान के विदेश सचिव ने पश्चिमी देशों के राजनयिकों को बताया था कि भारत ने 9 मिसाइलें तैयार रखी हैं, जो कभी भी पाकिस्तान की ओर लॉन्च हो सकती हैं. पश्चिमी देशों के राजनयिकों ने यही परामर्श दिया कि पाकिस्तान को भारत से सीधे बातचीत करनी चाहिए, और भारत की मांग मान लेनी चाहिए. बाद में पाकिस्तान की तरफ से एक वायरल वीडियो जारी हुआ, जिसमें उस वक्त के एक पाकिस्तानी सांसद सरदार अयाज सादिक ने कैमरे पर यह बात कही कि बंद दरवाजे वाले सेशन में सांसदों से कहा गया था कि विंग कमांडर को वापस कर दिया जाए वरना भारत कुछ भी कर सकता है. तो कहीं न कहीं पाकिस्तान को पता था कि अगर पायलट को वापस नहीं किया गया तो मामला बेकाबू हो सकता है. यह सारी डिप्लोमेसी 27 फरवरी की रात को चल रही थी. उसी रात हमें आश्वासन दिया गया कि अगले दिन इमरान खान पायलट की वापसी पर स्टेटमेंट देंगे और ऐसा ही हुआ.
सवाल: उससे पहले इमरान खान PM मोदी से भी तो बात करना चाहते थे...
जवाब: इस्लामाबाद में ये सब डिप्लोमेसी चल रही थी कि रात 12 बजे मुझे सुहेल महमूद का फोन आया, जो उस वक्त दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त थे. उन्होंने कहा कि इमरान खान प्रधानमंत्री मोदी से बात करना चाहते हैं. फिर मैंने PMO से चेक करके उन्हें बताया कि इस वक्त हमारे प्रधानमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, आपको जो कहना है मुझे बताइए, मैं आपका संदेश PM तक भिजवा दूंगा. उसके बाद पाकिस्तान की तरफ से कोई फोन नहीं आया.
सवाल: एयर स्ट्राइक पाकिस्तान के लिए कितनी सरप्राइजिंग थी?
जवाब: मेरे ख्याल से काफी बड़ा सरप्राइज था. 2016 के बाद साफ हो गया था कि कोई आतंकवादी घटना हुई तो भारत डायरेक्ट एक्शन लेगा. पाकिस्तान को ऐसे ही कार्रवाई की उम्मीद थी. लेकिन एयर स्ट्राइक पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा सरप्राइज था. हमारे एयरक्राफ्ट पाकिस्तान के अंदर गए और बिना किसी चैलेंज के वापस आ गए. इससे पता चलता है कि पाकिस्तान एयर स्ट्राइक के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था.
सवाल: कुछ दिन पहले आपने पाकिस्तान में हुए चुनाव को ‘इलेक्शन नहीं, सिलेक्शन’ कहा था. ऐसा क्यों?
जवाब: 8 फरवरी को हुआ चुनाव साफ-साफ धांधली था. पहले दिन से साफ था कि आर्मी नवाज शरीफ या शरीफ ब्रदर्स को लाना चाहती है और इमरान खान को ठंडा रखना चाहती है. ताज्जुब की बात यह कि दो-तिहाई से ज्यादा लोगों ने इमरान खान को वोट दिया. इसके कई कारण हैं. पहला, इमरान खान के पक्ष में सिंपैथी वोट पड़े क्योंकि वह जेल में थे. दो, यह एक एंटी आर्मी वोटिंग भी थी. तीन, आर्थिक संकट से परेशान होकर भी लोगों ने वोट डाले. कुल मिलाकर आर्मी के खिलाफ और इमरान खान के पक्ष में एक लहर थी, लेकिन फिर आर्मी ने वोट बदल दिए और नतीजा हमारे सामने है.
सवाल: चुनाव के बाद भारत पाकिस्तान रिश्ते में क्या बदलाव आ सकता है?
जवाब: शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने पर PM मोदी ने बहुत ही साधारण सा ट्वीट करके मुबारकबाद दी. इससे कई बातें स्पष्ट होती हैं. पहला, भारत का मानना है कि पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों से हमारा कोई लेना-देना नहीं. दूसरा, रिश्तों को सुधारने के लिए हम किसी जल्दी में नहीं हैं. हमारे देश में भी आम चुनाव हैं. पाकिस्तान में अभी-अभी सरकार आई है, और अब शहबाज शरीफ को पहल करनी चाहिए. हमारे चुनाव से पहले कुछ होने की उम्मीद नहीं है. एक बात और वो यह है कि फिलहाल न तो पाकिस्तान हमारी प्राथमिकता है और न हम उसकी. वह आर्थिक संकट, आतंकवाद और तमाम समस्याओं से जूझ रहा है.
यह लेख मूल रूप से नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है
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