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Pakistan Army Chief आइए जानते हैं कि आखिर ले. अजहर अब्बास कौन है. सेना प्रमुख के लिए उनकी दावेदारी क्यों मजबूत मानी जा रही थी. क्या पाकिस्तान सरकार ने सेना प्रमुख की नियुक्ति में नियमों का उल्लंघन किया है. क्या सरकार के इस फैसले से अब्बास आहत हैं.
Pakistan Army Chief: शहबाज़ सरकार ने आसिम मुनीर को क्यों नियुक्त किया सेना प्रमुख?
पाकिस्तान (Pakistan) में सेना प्रमुख (Army Chief) पर चल रही सियासत अभी खत्म नहीं हुई है. हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने ले. जनरल आसिम मुनीर को नए सेना प्रमुख बनाने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख की तलाश पूरी हो चुकी है. उधर, आसिम मुनीर को सेना की कमान सौंपने के ऐलान के साथ इस रेस में शामिल ले. अजहर अब्बस जल्दी रिटायरमेंट की मांग कर रहे हैं. उन्होंने जल्द सेना से विदाई लेने का फैसला लिया है.
अजहर अब्बास कौन है. सेना प्रमुख के लिए उनकी दावेदारी क्यों मजबूत मानी जा रही थी. क्या पाकिस्तान सरकार ने सेना प्रमुख की नियुक्ति में नियमों का उल्लंघन किया है. शहबाज़ सरकार के इस फैसले से अब्बास क्यों आहत हैं.
आइए जानते हैं कि आखिर ले. अजहर अब्बास कौन है. सेना प्रमुख के लिए उनकी दावेदारी क्यों मजबूत मानी जा रही थी. क्या पाकिस्तान सरकार ने सेना प्रमुख की नियुक्ति में नियमों का उल्लंघन किया है. शहबाज़ सरकार के इस फैसले से अब्बास क्यों आहत हैं. इसके साथ इस कड़ी में यह भी जानेंगे कि मुनीर की नियुक्ति के पीछे पाकिस्तान की शहबाज़ सरकार की क्या बड़ी योजना है.
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि आसिम मुनीर पर मौजूदा सरकार की नजर थी. उन्होंने कहा कि इसके दो प्रमुख कारण हैं. ऐसा करके शहबाज़ सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. प्रो पंत का कहना है शहबाज़ सरकार किसी ऐसे व्यक्ति को सेना प्रमुख पर नियुक्त करना चाह रही थी, जिसको भारत के खिलाफ सैन्य रणनीति का अच्छा अनुभव हो.
2- दूसरे, इससे वह अपने राजनीतिक हितों को भी साधना चाह रही थी. दरअसल, इमरान खान, मुनीर को बहुत पंसद नहीं करते. यही कारण है कि इमरान ने अपने कार्यकाल के दौरान मुनीर को आईएसआई प्रमुख पद से हटाया था. प्रो पंत ने कहा कि इसलिए मुनीर पर शहबाज़ सरकार की नजर थी. शहबाज़ सरकार ने ऐसा करके इमरान खान के एक विरोधी सैन्य अफसर को सेना प्रमुख पद पर नियुक्त की है. इसके अलावा पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज पीएमएल-एन पार्टी का एक बड़ा तबका सेना प्रमुख के पद पर उनकी पदोन्नति का समर्थन करता है, क्योंकि उनका मानना है कि मुनीर इमरान खान के खिलाफ खड़े हो सकते हैं.
पहली बार पुलवामा आतंकी हमले के समय मुनीर सुर्खियों में आए थे. 2019 में पुलवामा में आत्मघाती बम विस्फोट के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था. उस वक्त भारत के खिलाफ पाकिस्तान में सुरक्षा नीतियों पर योजनाएं बनाने और उसके संचालन का काम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर के कंधों पर था.
3- उन्होंने कहा कि पहली बार पुलवामा आतंकी हमले के समय मुनीर सुर्खियों में आए थे. 2019 में पुलवामा में आत्मघाती बम विस्फोट के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था. उस वक्त भारत के खिलाफ पाकिस्तान में सुरक्षा नीतियों पर योजनाएं बनाने और उसके संचालन का काम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर के कंधों पर था. पुलवामा हमले के बाद भारत की एयर स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तानी एयरफोर्स को हमला करना चाहिए ये आसिम मुनीर का ही फैसला था.
1- गौरतलब है कि पाकिस्तान की सेना प्रमुख की रेस में तीन सैन्य अफसरों को नाम सबसे आगे चल रहा था. उसमें वरिष्ठता के आधार पर लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास का नाम भी शामिल था. अब्बास को जनरल स्टाफ के प्रमुख के रूप में भारत के खिलाफ अभियानों का सबसे अधिक अनुभव वाला सैन्य अफसर माना जाता है. 2019-21 में रावलपिंडी स्थित एक्स कार्प्स के प्रमुख के रूप में उनकी प्रमुख भूमिका रही है. बता दें कि एक्स कार्प्स का गठन कश्मीर के कुछ हिस्सों में संचालन की देखरेख करता है. उनकी तैनाती भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी रही है.
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान नए सैन्य प्रमुख मुनीर के चयन पर सवाल उठा सकते हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष की मुनीर की नियुक्ति पर क्या प्रतिक्रिया रहती है.
2- जियो न्यूज ने बताया कि 27 नवंबर के बाद वह वरिष्ठता सूची में दूसरे नंबर पर आ जाएंगे. उन्हें 1987 में पाकिस्तान सैन्य अकादमी (पीएमए) की ओर से 41 बलूच रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था. वह ‘जेंटलमैन’ और ‘सत्यनिष्ठा वाले’ अधिकारी के रूप में मशहूर हैं. विवादों से दूर अपने करियर के दौरान, लेफ्टिनेंट जनरल अब्बास ने पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के निजी सचिव के रूप में कार्य किया है. अपने 40 वर्ष के लंबे करियर में नियंत्रण रेखा (LOC) से वजीरिस्तान, बलूचिस्तान से लेकर उत्तरी क्षेत्रों तक सैनिकों की सेवा और कमान संभाली.
गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख पद की दौड़ में जिन तीन सैन्य अफसरों का नाम सबसे आगे चल रहा था, उनमें लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास प्रमुख थे. अब्बास के इस विरोध के बाद विपक्ष नए सैन्य प्रमुख के चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा सकता है. पाकिस्तान में इस पर सियासत शुरू हो सकती है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान नए सैन्य प्रमुख मुनीर के चयन पर सवाल उठा सकते हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष की मुनीर की नियुक्ति पर क्या प्रतिक्रिया रहती है. अब नियुक्ति प्रक्रिया में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की भूमिका अहम हो गई है, क्योंकि मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया गया है कि वह 25 दिनों तक अधिसूचना को रोक सकते हैं
यह आर्टिकल जागरण में प्रकाशित हो चुका है.
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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