Author : Sayantan Haldar

Published on Jun 12, 2023 Updated 0 Hours ago
भारत को IORA के माध्यम से QUAD को हिंद महासागर के केंद्र में क्यों लाना चाहिए!

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के QUAD नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा रद्द करने के बाद, चार QUAD देशों- भारत, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका (US) और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने G7 शिखर सम्मेलन के मौके पर हिरोशिमा, जापान में मुलाकात की. यह QUAD देशों के नेताओं का तीसरा इन-पर्सन यानी व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन था. स्वाभाविक रूप से, QUAD शिखर सम्मेलन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में समूह में उत्साह की एक नई लहर का संचार कर दिया है. QUAD शिखर सम्मेलन के बाद इस साल के संयुक्त बयान में महत्वपूर्ण रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा, शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध रहने के प्रयास में अन्य क्षेत्रीय संगठनों के बीच हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का एक महत्वपूर्ण संदर्भ के रूप में उल्लेख किया गया है.

IORA के लिए QUAD की प्रतिबद्धता एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो हिंद महासागर में विकसित हो रहे भू-राजनीतिक रूब्रिक यानी तय नियम को आकार देने की संभावना रखता है.

IORA के लिए QUAD की प्रतिबद्धता एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो हिंद महासागर में विकसित हो रहे भू-राजनीतिक रूब्रिक यानी तय नियम को आकार देने की संभावना रखता है. दिलचस्प बात यह है कि चार QUAD देशों में से दो- भारत और ऑस्ट्रेलिया- IORA के सदस्य हैं. इसलिए, दोनों देश इन दो समूहों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करने की दृष्टि से बेहद अहम हैं. यहां इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि दोनों समूहों की प्रकृति और संरचना भिन्न हैं. एक ओर जहां QUAD को चार समान विचारधारा वाले देशों के एक राजनयिक नेटवर्क के रूप में देखा जाता है. यह नेटवर्क एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र की मांग करता हैं. वहीं दूसरी ओर IORA अखिल हिंद महासागर का एक प्रमुख क्षेत्रीय संगठन है. अत: यह तर्क दिया जा सकता है कि QUAD की संरचना मुख्य रूप से सामान्य सुरक्षा और रणनीतिक हितों से प्रेरित है, वहीं IORA की संरचना प्राकृतिक रूप से भौगोलिक है.

QUAD का हिंद महासागर क्षेत्र और विशेषत: IORA की ओर ध्यान केंद्रित होना, इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक और सुरक्षा हितों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा. QUAD की उत्पत्ति के दौरान इसमें शामिल देश हिंद महासागर में मानवीय सहायता और आपदा राहत अभ्यासों के माध्यम से जुड़े हुए हैं. अब हाल ही में इन देशों ने इस इलाके में अन्य नौसैनिक अभ्यास भी किए हैं. लेकिन इस क्षेत्र में QUAD को और अधिक काम करने की आवश्यकता है. अप्रत्याशित रूप से, QUAD नेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बाधित करने की कोशिश करने वाली 'अस्थिर करने वाली या एकतरफा कार्रवाइयों' पर अपनी चिंता व्यक्त की. उनके इस बयान के बाद यह कहने की ज़रूरत नहीं है, उनका इशारा चीन की ओर से उत्पन्न ख़तरों और क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए उठाए जा रही विस्तारवादी गतिविधियों की ओर ही था. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी ख़तरे के बारे में QUAD में अधिकांश बातचीत दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में बीजिंग के जुझारू रवैये पर केंद्रित रही. लेकिन हिंद महासागर इलाके पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है.

भारत को QUAD का ध्यान हिंद महासागर की ओर आकर्षित करना चाहिए

2004 में QUAD की उत्पत्ति के मूल में ऐतिहासिक रूप से हिंद महासागर स्थित है, QUAD देशों ने 2004 की सुनामी के बाद समन्वय और सहयोग शुरू किया था. हालांकि, 2017 में QUAD पुनरुद्धार के बाद, QUAD का ध्यान इंडो-पैसिफिक की ओर उन्मुख हो गया है. यह एक ऐसी अवधारणा है जो समूह के सदस्य देशों के नीतिगत दृष्टिकोणों में तेज़ी से बढ़ रही थी. QUAD देशों के रणनीतिक स्थान और सुरक्षा हितों को देखते हुए, यकीनन, समूह का प्राथमिक ध्यान पश्चिमी प्रशांत महासागर और पूर्वी हिंद महासागर में बना हुआ है. विशेष रूप से, इंडो-पैसिफिक के प्रति QUAD देशों के सामूहिक दृष्टिकोण में ASEAN को दी गई केंद्रीयता ने समूह का ध्यान पूर्वी हिंद महासागर की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

हालांकि, हिंद महासागर क्षेत्र में QUAD नौसैनिक अभ्यास करने में सक्रिय रहा है, जिसमें पूर्वी और पश्चिमी दोनों क्षेत्र शामिल हैं. 2020 में, ऑस्ट्रेलिया के मालाबार नौसेना अभ्यास में शामिल होने के बाद; QUAD देशों ने अपने पांच में से तीन अभ्यासों का आयोजन हिंद महासागर क्षेत्र में किया, एक बार पश्चिमी हिंद महासागर में, एक बार अरब सागर में और दो बार पूर्वी हिंद महासागर में आने वाली बंगाल की खाड़ी में.

हिंद महासागर में भारत और QUAD के अन्य सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध लगातार फल-फूल रहे हैं. भारत द्वारा 2022 में भारत-ऑस्ट्रेलिया समुद्री साझेदारी अभ्यास बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया गया था. इसे नई दिल्ली और कैनबरा के बीच नौसैनिक संबंधों में लगातार वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है. इससे पहले, भारत और जापान ने बंगाल की खाड़ी में जापान-भारत समुद्री अभ्यास (JIMEX) के छठे संस्करण का आयोजन किया था, जिससे दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी समझ और अंतरसंक्रियता यानी इंटरऑपरेबिलिटी में वृद्धि हुई. अमेरिका और भारत ने भी, गोवा में एक संयुक्त नौसैनिक बल अभ्यास संगम का आयोजन किया, जो उनके सुरक्षा सहयोग को लगातार दर्शाता है.

इसलिए, यह तर्क दिया जा सकता है कि QUAD देशों के लिए हिंद महासागर क्षेत्र एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांतिपूर्ण और स्थिर व्यवस्था प्राप्त करने की दिशा में अपने सहयोग और समन्वय को और मज़बूत करने के लिए एक नया इलाका नहीं है. हिंद महासागर के केंद्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, अन्य QUAD देशों के बीच इस क्षेत्र को सुरक्षित करने का नई दिल्ली के पास सबसे ज़्यादा पुख़्ता कारण है. लेकिन भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को काबू में करने के लिए QUAD के संकल्प को देखते हुए, यह समूह हिंद महासागर क्षेत्र की अनदेखी नहीं कर सकता है. इसे देखते हुए QUAD के लिए हिंद महासागर में अपने सहयोग की रूपरेखा में पश्चिमी हिंद महासागर को शामिल कर उसका विस्तार करना ज़रूरी है. 

हिंद महासागर में QUAD की धुरी के रूप में IORA 

हाल ही में हिरोशिमा में G7 के मौके पर QUAD शिखर सम्मेलन ने QUAD को अपना ध्यान हिंद महासागर की ओर मोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. QUAD शिखर सम्मेलन के बाद जारी किए गए QUAD नेताओं के संयुक्त बयान में 'हिंद महासागर क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रमुख मंच' के रूप में IORA के काम को अहम माना गया था. 

क्वॉड इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है कि यह एकमात्र अखिल हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच के रूप में आईओआरए के महत्व को रेखांकित करता है. चूंकि भारत और ऑस्ट्रेलिया IORA के सदस्य हैं और जापान और अमेरिका क्षेत्रीय मंच के संवाद भागीदार हैं, इसलिए QUAD देश सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में IORA के साथ अपने संबंधों को और मज़बूत करने को लेकर बेहतर स्थिति में हैं.

2022 में, IORA ने इंडो-पैसिफिक के लिए अपना विज़न डॉक्यूमेंट, 'IORA's आउटलुक ऑन द इंडो-पैसिफिक' जारी किया, जिसे ढाका में 22वीं IORA काउंसिल ऑफ मिनिस्टर मीटिंग में स्वीकृत किया गया था. इंडो-पैसिफिक के प्रति IORA का दृष्टिकोण संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और समुद्र में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर बल देने वाला है. ये सिद्धांत, QUAD के मानक आधार भी हैं, इसलिए, सहयोग और समन्वय को आगे बढ़ाने में QUAD और IORA के बीच अभिसरण के लिए पर्याप्त आधार दिखाई देता है.

हिंद महासागर क्षेत्र की ओर QUAD का ध्यान आकर्षित करने की दृष्टि से हिरोशिमा में हुए शिखर सम्मेलन ने एक अहम भूमिका अदा की है. इसे उत्साहजनक घटनाक्रम के रूप में देखा जा सकता है.

हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित अनेक IORA सदस्य देशों ने अभी तक उभरते हुए भारत-प्रशांत संदर्भ पर अपनी स्थिति सार्वजनिक नहीं की है. दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक देश पहले से ही अपने पड़ोस में चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के तरीकों की ख़ोज कर रहे हैं. QUAD और IORA के बीच घनिष्ठ सहयोग और जुड़ाव से ऐसी चिंताओं को कूटनीतिक रूप से संबोधित करने में आसानी होगी. इसके साथ ही इस क्षेत्र में नेविगेशन की आजादी के आह्वान को बढ़ावा देने के तंत्र को बढ़ावा मिलने की संभावना है.

लेकिन, केवल IORA के लिए QUAD की प्रतिबद्धता पर जोर देना मात्र हिंद महासागर की भू-राजनीति में उसके प्रवेश करने के लिए पर्याप्त नहीं है. हां, इसे एक आशाजनक शुरुआत कहा जा सकता है. हिंद महासागर क्षेत्र की ओर QUAD का ध्यान आकर्षित करने की दृष्टि से हिरोशिमा में हुए शिखर सम्मेलन ने एक अहम भूमिका अदा की है. इसे उत्साहजनक घटनाक्रम के रूप में देखा जा सकता है. उदाहरण के लिए, इस बात पर सहमति हुई है कि पिछले साल के टोक्यो शिखर सम्मेलन में शुरू की गई प्रमुख समुद्री पहल, मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस को दक्षिण पूर्व क्षेत्र और प्रशांत महासागर क्षेत्र में उत्साहजनक परिणाम मिलने के बाद अब इसमें इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप में हिंद महासागर के भागीदारों को शामिल किए जाने की उम्मीद है.

वास्तव में, इस क्षेत्र में उभरती भू-राजनीति की प्रकृति को देखते हुए, QUAD के लिए हिंद महासागर एक महत्वपूर्ण रणनीतिक थिएटर के रूप में उभर रहा है. IORA के साथ QUAD के जुड़ जाने से न केवल भारत को दो समूहों के रणनीतिक अभिसरण को सुविधाजनक बनाने में सहायता मिलेगी, बल्कि यह भारत को इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कूटनीतिक रूप से काबू में लेने के लिए भी अहम लाभ प्रदान करेगा.


सायंतन हलदर वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग, दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, भारत में डॉक्टोरल कैंडिडेट हैं.

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