Author : Isaac Mukama

Published on Apr 28, 2020 Updated 0 Hours ago

जिस समय पूरी दुनिया इस महामारी के संकट से उबरने का प्रयास कर रही है, उस समय युगांडा के नागरिकों को असल में जो सवाल पूछना चाहिए, वो ये है: इस संकट से उनका देश क्या सबक़ सीखेगा? क्या अब सरकार, आम जनता की सेहत को प्राथमिकता देगी? क्या अब स्वास्थ्य को राष्ट्रीय बजट में ज़्यादा हिस्सा मिलेगा?

युगांडा COVID-19 की महामारी पर क्या जीत हासिल होगी?

अफ्रीकी देश युगांडा, दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां पर नए कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. 24 अप्रैल तक के आंकड़े बताते हैं कि युगांडा में आधिकारिक रूप से 74 लोग इस वायरस से संक्रमित हुए थे. इस महामारी से निपटने की राह में युगांडा के सामने कई पहाड़ सरीख़ी चुनौतियां खड़ी हुई हैं. ख़ास तौर से इस जानकारी की रौशनी में कि यहां के 4.2 करोड़ नागरिकों के पास एक मज़बूत स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. अगर, युगांडा की स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी होती, तो कम से कम इस महामारी का प्रकोप बढ़ने पर उससे निपटने में युगांडा की जनता को मदद मिल जाती. ज़ाहिर है इस महामारी का सबसे बुरा प्रभाव, युगांडा के ग़रीब और कमज़ोर तबक़े के लोगों पर पड़ेगा. विश्व बैंक के 2016 के ग़रीबी मूल्यांकन की रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में युगांडा की 19.7 प्रतिशत आबादी वहां की राष्ट्रीय ग़रीबी रेखा के नीचे रह रही थी.

अब तक युगांडा की सरकार ने इस महामारी के आर्थिक प्रकोप से प्रभावित लोगों की राहत के लिए किसी आर्थिक पैकेज का भी एलान नहीं किया है. युगांडा के कारोबारियों को डर है कि अगर देश में पूरी तरह से लॉकडाउन किया गया, तो इससे बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा

जैसे ही युगांडा में कोरोना वायरस के संक्रमण के शुरुआती केस सामने आए थे, तो वहां की सरकार ने तेज़ी से क़दम उठाते हुए, स्कूल, बार, चर्च और मस्जिदों को बंद करा दिया था. ताकि वायरस का प्रकोप ज़्यादा न फैल सके. युगांडा में खेल के सारे आयोजन रद्द कर दिए गए थे. और अपनी सभी सीमाओं को सील कर दिया था. साथ ही साथ युगांडा ने संयुक्त राष्ट्र और मालवाहक उड़ानों के अलावा बाक़ी सभी विदेशी उड़ानों को भी रद्द कर दिया था. लेकिन, ऐसा लगता है कि युगांडा में वायरस का प्रकोप थामने के लिए सरकार तब तक कामयाब नहीं होगी, जब तक पूरी तरह से लॉकडाउन नहीं लागू किया जाएगा. लेकिन, इस लॉकडाउन की युगांडा को भारी आर्थिक क़ीमत चुकानी पड़ सकती है. युगांडा के ज़्यादातर लोग भीड़ भरे शहरों में काम करते हैं और वो लॉकडाउन होने पर घर से काम नहीं कर सकते. सार्वजनिक परिवहन बंद होने और आम लोगों की आवाजाही पर पाबंदियों के कारण युगांडा की जनता को पहले ही बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है. इसकी बड़ी वजह ये भी है कि युगांडा के अधिकतर नागरिकों के पास अपने निजी वाहन नहीं हैं. और वो काम पर जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन के ही भरोसे हैं. आवाजाही पर पाबंदियों के कारण युगांडा की उत्पादकता पर बुरा असर पड़ा है. बहुत से लोगों की आमदनी भी घट गई है. क्योंकि वो अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ के खाने और दूसरी बुनियादी ज़रूरतों का इंतज़ाम करने के लिए दिहाड़ी मज़दूरी के भरोसे होते हैं. घबराहट में ज़रूरी सामान की ज़्यादा ख़रीदारी के चलते खाने पीने के सामान के दाम पहले ही दस से बीस फ़ीसद बढ़ चुके हैं. जबकि, युगांडा के राष्ट्रपति ने आदेश दिया था कि अगर कोई कारोबारी अधिक क़ीमत पर खाने पीने का सामान बेचता है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. अब तक युगांडा की सरकार ने इस महामारी के आर्थिक प्रकोप से प्रभावित लोगों की राहत के लिए किसी आर्थिक पैकेज का भी एलान नहीं किया है. युगांडा के कारोबारियों को डर है कि अगर देश में पूरी तरह से लॉकडाउन किया गया, तो इससे बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा. इससे उतनी ही बड़ी चुनौती उत्पन्न होगी, जितनी इस महामारी के कारण पैदा हुई है.

वायरस के संक्रमण का टेस्ट करने के लिए देश भर में केवल एक केंद्र है. और हर संदिग्ध को जांच के लिए वहीं भेजा जा रहा है. युगांडा की 4.2 करोड़ आबादी के लिए यहां के अस्पतालों में में केवल 55 आईसीयू बेड हैं. कोरोना वायरस के इलाज की सुविधा केवल युगांडा की राजधानी कंपाला के अस्पतालों में ही उपलब्ध है

जब तक कोविड-19 की महामारी ने युगांडा में दस्तक नहीं दी थी, तब तक यहां की जनता को अपने देश की सरकार की योजनाओं और उसके कामकाज से बहुत अधिक फ़र्क़ नहीं पड़ता था. लेकिन, आवाजाही में लगी पाबंदियों के कारण, देश के अधिकतर नागरिक अपने टीवी सेट से चिपके रहते हैं. ताकि वायरस के संक्रमण के नए मामलों और इसकी रोकथाम के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे क़दमों की जानकारी मिलती रहे. इसमें कोई शक नहीं कि युगांडा की सरकार ने इस महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए बहुत प्रयास किए हैं. लोगों के बीच जानकारी बढ़ाने की कोशिश की है. ताकि लोग अपने हाथों को नियमित रूप साफ़ करते रहें. बाज़ारों और बस अड्डों जैसी कई सार्वजनिक जगहों पर हाथ साफ़ करने की सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं. लेकिन, ये भी हक़ीक़त है कि युगांडा में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जिनके पास साफ़ पानी तक की सुविधा नहीं है. ऐसे में वो सरकार के साफ़ सफ़ाई रखने के दिशा निर्देशों का पालन करने में बुनियादी तौर पर असमर्थ हैं. भले ही उन्हें इस वायरस के जोखिमों के बारे में जानकारी क्यों न हो. एक कमरे के मकानों में रहने वाले लोगों से आप सोशल डिस्टेंसिंग की क्या उम्मीद कर सकते हैं.

कोविड-19 की महामारी से युगांडा की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की ख़ामियां भी उजागर हो गई हैं. अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के उपकरण नहीं हैं. और इस समय, वायरस के संक्रमण का टेस्ट करने के लिए देश भर में केवल एक केंद्र है. और हर संदिग्ध को जांच के लिए वहीं भेजा जा रहा है. युगांडा की 4.2 करोड़ आबादी के लिए यहां के अस्पतालों में में केवल 55 आईसीयू बेड हैं. कोरोना वायरस के इलाज की सुविधा केवल युगांडा की राजधानी कंपाला के अस्पतालों में ही उपलब्ध है.

युगांडा की सरकार ने इस संकट के दौरान बेहद सक्रिय नेतृत्व का परिचय दिया है. संचार और संवाद के हर माध्यम को खुला रखा गया है. सरकार की तरफ़ से इस महामारी को लेकर नियमित रूप से राष्ट्र के नाम संबोधन जारी होते हैं. युगांडा ने अपने पड़ोसी देशों की तुलना में अपनी सीमाओं को काफ़ी पहले ही सील कर दिया था. साथ ही साथ युगांडा की सरकार ने उन देशों की सार्वजनिक रूप से आलोचना भी की है, जिन्होंने इस महामारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अंधेरे में रखा. दुनिया को अपने अपने इलाक़ों में संक्रमित मामलों की सही जानकारी नहीं दी. और इस तरह दूसरे देशों को ख़तरे में डाल दिया. युगांडा ने आरोप लगाया है कि कई देशों से आने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को अधिक जोखिम वाले वर्गीकरण में नहीं रखा गया. और युगांडा में कोरोना वायरस के संक्रमण के ज़्यादातर मामले इन्हीं देशों की वजह से आए.

इस संकट से युगांडा के धैर्य और इसकी शक्ति की और परीक्षा हो रही है. और यहां की सरकार को चाहिए कि वो इस महामारी से लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी करे. और जब पूरी दुनिया इस संकट से उबरने का प्रयास कर रही है, तो युगांडा के नागरिकों को असल में ये सवाल अपनी सरकार से पूछना चाहिए कि, इस संकट से उनका देश क्या सबक़ सीखेगा? क्या अब युगांडा की सरकार, जनता की सेहत को प्राथमिकता देगी? क्या अब राष्ट्रीय बजट में जन स्वास्थ्य के बजट का हिस्सा बढ़ेगा? क्या अब युगांडा की सरकार लोगों को सम्मानजनक रोज़गार के अवसर मुहैया कराएगी? उन्हें सामाजिक सुरक्षा के कवच से लैस करेगी? ताकि वो आने वाले किसी और संकट का बेहतर ढंग से सामना कर सकें. अब केवल आने वाला समय ही बताएगा कि इस महामारी के बाद कौन से देश सबसे पहले अपने पैरों पर दोबारा खड़े हो सकेंगे. कौन से देश इस महामारी के असल सबक़ सीख सकेंगे. और क्या युगांडा उन देशों में से एक होगा?

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