Published on Mar 02, 2021 Updated 0 Hours ago

2021 में इस “उपयुक्त कूटनीति” के अमीरात की विदेश नीति में प्रमुख निदेशक सिद्धांत बनने की उम्मीद है.

वैक्सीन कूटनीति: 2021 में यूएई मिडिल ईस्ट में वैक्सीन मुहैय्या करवाने वाला नया केंद्र बन जाएगा

कोराना वायरस महामारी के दौरान यूएई ने चीन और रूस की वैक्सीन के ट्रायल में सक्रिय भागीदारी के साथ एक नई वैक्सीन के विकास में योगदान दिया. ऐसा करते हुए यूएई ने अपने नागरिकों और प्रवासियों की ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश की और इस क्षेत्र के दूसरे देशों को वैक्सीन मुहैया कराने में अग्रणी भूमिका निभाने में सफल रहा.

यूएई उन देशों में से एक था जिसने सबसे पहले चीन और रूस की वैक्सीन के ट्रायल में सहयोग दिया. इस दौरान यूएई ने वैक्सीन के विकास, उत्पादन और दुनिया भर में वैक्सीन के वितरण को बढ़ावा देने में समय के साथ-साथ संसाधनों को भी लगा दिया. यूएई की इस नीति के पीछे दुनिया भर में हालात को सामान्य करने की कोशिश में योगदान देना है. वैश्विक रिकवरी के नये परिदृश्य को वो देश आकार देंगे जो वैक्सीन को सबके लिए तैयार रखेंगे, वैक्सीन को बांटेंगे. इस तरह मौजूदा महामारी के अंत की शुरुआत का इशारा करेंगे.

वैक्सीन राजनीति का प्राथमिक निर्धारक जटिल और एक-दूसरे से जुड़ा है. नई वैक्सीन के असरदार और सुरक्षित वितरण को सुनिश्चित करने के लिए सरकारों को अवश्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय भरोसा बनाना चाहिए और शक्की सोच पर काबू पाना चाहिए. सरकारों को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वैक्सीन का वितरण निष्पक्ष और असरदार रूप से हो ताकि मौजूदा समय में अमीर और ग़रीब के बीच की असमानता को कम किया जा सके.

यूएई उन देशों में से एक था जिसने सबसे पहले चीन और रूस की वैक्सीन के ट्रायल में सहयोग दिया. इस दौरान यूएई ने वैक्सीन के विकास, उत्पादन और दुनिया भर में वैक्सीन के वितरण को बढ़ावा देने में समय के साथ-साथ संसाधनों को भी लगा दिया. 

इस मामले में यूएई निर्धारित कर चुका है कि वो अपनी स्वास्थ्य कूटनीति को बरकरार रखेगा जो महामारी के दौरान असरदार साबित हुई है, और जिसने विकासशील और विकसित- दोनों देशों को संकट के दौरान मेडिकल उपकरण मुहैया कराए. रिकवरी की प्रक्रिया के दौरान यूएई वैक्सीन उत्पादन और वितरण के लिए संसाधन लगाकर न सिर्फ़ मिडिल ईस्ट बल्कि कई अफ्रीकी और एशियाई देशों तक भी वैक्सीन की पहुंच का विस्तार कर सकता है.

यूएई चीन की कंपनी साइनोफार्म द्वारा बनाई गई वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल का हिस्सा जुलाई 2020 से रहा है. दिसंबर 2020 में इस वैक्सीन को रजिस्टर करवाने वाला पहला देश भी यूएई ही था. यूएई सरकार के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ वैक्सीन की सुरक्षा और कार्य कुशलता की गारंटी दी गई. चीन और रूस की वैक्सीन को लेकर पश्चिमी देशों के शक के बावजूद दोनों वैक्सीन दुनिया भर के कई देशों के लिए सबसे आसानी से उपलब्ध वैक्सीन बनी हुई हैं. कई देशों ने तो अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन को जमा करने की शुरुआत कर दी है.

साइनोफॉर्म, मॉडर्ना और फ़ाइज़र के साथ गठजोड़

यूएई में साइनोफार्म की वैक्सीन को मंज़ूरी देने के फ़ौरन बाद एमिरेट्स के एक विमान ने चीन की इस वैक्सीन की पहली खेप को मिस्र तक पहुंचाया. इससे अमीरात और मिस्र के बीच मज़बूत गठजोड़ का साफ़-साफ़ पैग़ाम दुनिया तक पहुंचा. इससे ये भी दिखा कि किस तरह वैक्सीन महामारी के बाद क्षेत्रीय विदेश नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

अमीरात की वैक्सीन कूटनीति के एक और साफ़ प्रदर्शन में दुबई की एमिरेट्स एयरलाइंस ने 15 नवंबर 2020 को एलान किया कि वैक्सीन वितरण में लॉजिस्टिक चुनौतियों के निपटारे के लिए वो फ़ाइज़र समेत कई दवा कंपनियों के साथ काम कर रही है. इनमें से एक चुनौती ऐसे उपकरण को मुहैया कराना है जो बेहद कम तापमान पर वैक्सीन को रखे ताकि वैक्सीन का असर बना रहे.

अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन राजनीति में पश्चिमी देशों, चीन और रूस के बीच अंतर को कम करना यूएई की भूमिका का एक और मज़बूत पक्ष साबित होगा. एशिया की बढ़ती ताक़तों जैसे भारत, चीन और जापान के साथ यूएई के क़रीबी संबंध भी वैक्सीन उत्पादन और वितरण में सहयोग को बढ़ावा देंगे. 

2021 में यूएई बड़ी दवा कंपनियों जैसे साइनोफार्म, मॉडर्ना और फ़ाइज़र के साथ गठजोड़ को मज़बूत करके वैश्विक स्तर पर वैक्सीन उत्पादन और वितरण चेन में क्षेत्रीय केंद्र बन जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन राजनीति में पश्चिमी देशों, चीन और रूस के बीच अंतर को कम करना यूएई की भूमिका का एक और मज़बूत पक्ष साबित होगा. एशिया की बढ़ती ताक़तों जैसे भारत, चीन और जापान के साथ यूएई के क़रीबी संबंध भी वैक्सीन उत्पादन और वितरण में सहयोग को बढ़ावा देंगे. क्षेत्रीय वैक्सीन केंद्र में भूमिका के हिस्से के तौर पर यूएई मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और एशिया के विकासशील देशों में वैक्सीन और स्वास्थ्य सहायता मुहैया कराने के लिए जिम्मेदार होगा. ये काम वो उस वक़्त करेगा जब दुनिया के कई बड़े देशों की विदेश नीति में “हर देश अपने लिए” की राजनीति और “ख़ुद की मदद” के सिद्धांत का बोलबाला है.

2021 में इस “उपयुक्त कूटनीति” के अमीरात की विदेश नीति में प्रमुख निदेशक सिद्धांत बनने की उम्मीद है. यूएई द्वारा उत्पादित, फंड की गई और वितरित वैक्सीन दुनिया भर में अमीर और ग़रीब देशों के बीच वैक्सीन के अंतर को मिटाने में मदद कर सकती है. आने वाले वर्षों में यूएई की विदेश नीति को असरदार बनाने में सॉफ्ट पावर को भी ज़रूरी माना जा रहा है. एमिरेट्स एयरलाइंस के अध्यक्ष टिम क्लार्क के मुताबिक उनकी कंपनी “थर्ड पार्टी सप्लाई चेन और लॉजिस्टिकल मेहनत को शामिल करके सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणाली को स्थापित कर रही है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि हम उसे (वैक्सीन) उन इलाक़ों तक पहुंचा सके जहां वैक्सीन की बेहद सख़्त ज़रूरत है और मूल रूप से ये पूरी दुनिया है.”

यूएई द्वारा उत्पादित, फंड की गई और वितरित वैक्सीन दुनिया भर में अमीर और ग़रीब देशों के बीच वैक्सीन के अंतर को मिटाने में मदद कर सकती है.

महामारी के बाद के युग में अमीरात का मॉडल मिडिल ईस्ट के मौजूदा समीकरण से हटकर होने की संभावना है. दुर्भाग्यवश संघर्ष और सत्ता की राजनीति इस इलाक़े में बातचीत का सबसे बड़ा ज़रिया है. महामारी पर काबू पाने की कोशिश इस इलाक़े की अस्थिरता और बार-बार के संघर्ष के बीच आसानी से नज़रअंदाज़ हो सकती है. मानवीय स्वास्थ्य और सुरक्षा के महत्व पर डटे रहकर यूएई इस इलाक़े में बातचीत की नई मिसाल पेश कर रहा है. ऐसा करके वो भविष्य के गठजोड़ पर ज़ोर दे रहा है और परंपरागत और उकसावे वाली सुरक्षा राजनीति को किनारे कर रहा है. इस तरह वैक्सीन वितरण और वैश्विक रिकवरी युद्ध से बर्बाद इस इलाक़े में शांति और विकास के नये युग की शुरुआत कर सकती है.

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