Author : Seema Sirohi

Expert Speak Raisina Debates
Published on Dec 22, 2022 Updated 0 Hours ago

वॉशिंगटन ने अपने इरादे अच्छी तरह से स्पष्ट कर दिए हैं कि मूलभूत प्रौद्योगिकियां उसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय हैं और उनके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है

अमेरिका का चीन से सेमीकंडक्टर निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला फ़ायदेमंद साबित हो रहा है
अमेरिका का चीन से सेमीकंडक्टर निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला फ़ायदेमंद साबित हो रहा है

अमेरिका और चीन के बीच तेज़ होती प्रतिस्पर्धा के मध्य राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा चीन को होने वाली सेमीकंडक्टर्स की बिक्री पर व्यापक नियंत्रण लगाने के फैसले के बाद अमेरिका को पहली बड़ी सफलता मिली है. दुनिया की सबसे बड़ी माइक्रोचिप निर्माता कंपनी अमेरिका में अपना निवेश बढ़ाकर 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने जा रही है.

ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) ने पिछले सप्ताह घोषणा की है कि वह एरिज़ोना में अपने निवेश को 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने जा रही है और राज्य में दूसरा चिप प्लांट स्थापित कर रही है. कंपनी ने जब इसका ऐलान किया तब राष्ट्रपति बाइडेन फीनिक्स में ही थे, इससे ख़ुश होकर उन्होंने कहा, “अमेरिकन मैन्युफैक्चरिंग वापस आ गई है.”

कारों, चिकित्सा उपकरणों और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर हथियार प्रणालियों तक के उत्पादन में सेमीकंडक्टर्स बेहद महत्त्वपूर्ण हैं. इनका निर्माण करना काफ़ी महंगा होता है और ये प्रौद्योगिकी के सबसे पेचीदा हिस्सों में से एक हैं, जिन्हें बनाने में मौलिक और प्राचीन समय की परिस्थितियों की ज़रूरत होती है.

ज़ाहिर है कि 1990 के दशक में अमेरिका एक प्रमुख सेमीकंडक्टर उत्पादक था, जो दुनिया की कुल 37 प्रतिशत चिप बनाता था, लेकिन आज इसकी वैश्विक हिस्सेदारी लगभग 12 प्रतिशत ही रह गई है. अमेरिका में TSMC द्वारा अपने निवेश को तिगुने से अधिक करने से अमेरिका को लंबे समय तक अपनी घरेलू मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी. अमेरिकी की यह घरेलू मांग उसकी नागरिक और सैन्य ज़रूरतों को तो पूरा करेगी ही, साथ ही देश में एक मज़बूत आपूर्ति श्रृंखला का भी निर्माण होगा, जो कि फिलहाल अविश्वसनीय विदेशी भागीदारों पर ज़्यादा निर्भर नहीं है. कारों, चिकित्सा उपकरणों और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर हथियार प्रणालियों तक के उत्पादन में सेमीकंडक्टर्स बेहद महत्त्वपूर्ण हैं. इनका निर्माण करना काफ़ी महंगा होता है और ये प्रौद्योगिकी के सबसे पेचीदा हिस्सों में से एक हैं, जिन्हें बनाने में मौलिक और प्राचीन समय की परिस्थितियों की ज़रूरत होती है.

कोरोना महामारी की वजह से सप्लाई चेन में अवरोध के कारण अमेरिका में चिप की कमी हो गई थी और इसने विदेशी चिप निर्माताओं पर अमेरिका की निर्भरता को काफ़ी बढ़ा दिया था. इसे अमेरिकी अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रमुख मुद्दे के रूप में चिन्हित किया था. इसी के बाद से व्हाइट हाउस ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में चीनी विशेषज्ञता की काट तलाशने और विदेशी निर्माताओं पर अपनी निर्भरता कम करने को लेकर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया, साथ ही इसके अनुरूप नीतियों को बनाने के लिए अपना इरादा दृढ़ किया.

चीन से अलग ‘रास्ता’

TSMC के नए निर्माण प्लांट से वर्ष 2024 तक 4-नैनोमीटर चिप्स और वर्ष 2026 तक 3-नैनोमीटर चिप्स का उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. Apple के सीईओ, टिम कुक पर अक्सर अपने महंगे उत्पादों को बनाने के लिए सस्ते चीनी श्रम का उपयोग करने का आरोप लगाया जाता है, वे भी अमेरिका में चल रहे बड़े नीतिगत बदलाव को लेकर अपना समर्थन दिखाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ थे.

बाइडेन ने अपनी टिप्पणियों में “सहयोगियों और साझेदारों” की बात कही है, यानी उन लोगों की बात की है, जो “हमारे साथ-साथ निर्माण कर रहे हैं”. अमेरिका पूरे दृढ़ संकल्प के साथ चीन से अलग हो रहा है और साथ ही उसे नियंत्रित करने की भी कोशिश कर रहा है. अक्टूबर में जैसे ही वॉशिंगटन ने चीन के विरुद्ध अपने व्यापक नए उपायों का ऐलान किया, तमाम ढकी-छिपी चीज़ें बाहर आ गईं.

अमेरिकी सरकार की घोषणा और TSMC द्वारा अपने सेमिकंडक्टर प्लांट के विस्तार के ऐलान के बीच बमुश्किल से दो महीने का अंतराल है. वाणिज्य विभाग के नए नियमों के अंतर्गत बोलचाल की भाषा में चीन ‘अमेरिकियों को ख़रीद’ नहीं सकता है. टॉप-एंड सेमीकंडक्टर्स, उन्हें बनाने वाली मशीनें और उनका उपयोग करने वाली अमेरिकी प्रतिभा, इन सभी को एक प्रकार से चीन की पहुंच से दूर कर दिया गया है.

कोई भी आसानी से यह कह सकता है कि वॉशिंगटन को इस बात को समझने में थोड़ा समय लगा कि उसकी तकनीकी बढ़त खत्म होती जा रही है, क्योंकि चीन ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निवेश करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चिप मैन्युफैक्चरिंग और क्वॉन्टम कम्प्यूटिंग में पर्याप्त प्रगति हासिल कर ली है.

चीन की हाई-टेक इंडस्ट्री को समाप्त करने के उद्देश्य से अमेरिका द्वारा लगाए गए इन नए नियंत्रणों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उच्च प्रौद्योगिकी तक पहुंच और रोक निकट भविष्य के लिए भू-राजनीति का एक ज़रूरी और अनिवार्य तत्व होगा. एक और बात यह है कि चाहे कई मुद्दों पर डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच भले ही मतभेद हैं, लेकिन चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाने को लेकर दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है.

कोई भी आसानी से यह कह सकता है कि वॉशिंगटन को इस बात को समझने में थोड़ा समय लगा कि उसकी तकनीकी बढ़त खत्म होती जा रही है, क्योंकि चीन ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निवेश करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चिप मैन्युफैक्चरिंग और क्वॉन्टम कम्प्यूटिंग में पर्याप्त प्रगति हासिल कर ली है. इसके लिए चीन ने ना सिर्फ़ विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित किया है, बल्कि चीन में संचालन की क़ीमत के रूप में अमेरिकी कंपनियों को प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए भी मज़बूर किया है.

लेकिन अंत भला तो सब भला. आज अमेरिका के राजनेता इस कठोर सच्चाई को बखूबी जान चुके हैं और अब यह बीते दिनों की बात हो चुकी है. हालांकि यह एक सवाल ज़रूर बना हुआ है कि दूसरे प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ आएंगे या नहीं. लेकिन फिलहाल वॉशिंगटन ने अपने इरादों को साफ कर दिया है कि मूलभूत प्रौद्योगिकियां उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय हैं और उनसे कोई समझौता नहीं किया जाएगा.

CHIPS एंड साइंस एक्ट

अमेरिका ने इसे अमली जामा पहनाने के लिए मज़बूती से कदम उठाए और राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अगस्त में लैंडमार्क CHIPS एंड साइंस एक्ट 2022 पर हस्ताक्षर किए, जो अगले पांच वर्षों में 52.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर ख़र्च करने की अनुमति देता है. अगले पांच वर्षों में यह रकम अनुदान, ऋण, पूंजीगत व्यय के लिए टैक्स क्रेडिट और सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अन्य प्रोत्साहनों में ख़र्च की जाएगी.

वाणिज्य विभाग के कड़े प्रतिबंधों और CHIPS एक्ट के बीच बाइडेन प्रशासन हर जगह पर चीन की क्षमताओं को अवरुद्ध करना चाहता है, फिर चाहे वो 14-नैनोमीटर चिप्स का विषय हो, बीजिंग वर्तमान में जिसका उत्पादन करने में सक्षम है, या फिर कुछ भी छोटा-मोटा बनाने में सक्षम उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाकर. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने सितंबर में एक भाषण में स्पष्ट रूप से कहा था कि अमेरिका केवल कुछ पीढ़ियों तक आगे रहने के अपने पुराने दर्शन का फिर से मूल्यांकन कर रहा है. “यह वो रणनीतिक माहौल नहीं है, जिसमें हम आज हैं. जैसे कि विकसित लॉजिक और मेमोरी चिप्स जैसी कुछ तकनीकों की मूलभूत प्रकृति को देखते हुए, हमें इस क्षेत्र में जितना संभव हो स्वयं को उतना आगे बनाए रखना चाहिए.”   

अमेरिका द्वारा उठाए गए उपरोक्त क़दमों की बदौलत वह ज़ल्द ही 3-नैनोमीटर चिप की कमी को दूर करने में सक्षम होगा, क्योंकि TSMC एरिज़ोना में बनने वाले अपने नए प्लांट में इनका निर्माण करने वाली है. जो लोग अमेरिका-चीन तकनीकी युद्ध को टकटकी लगाकर देख रहे हैं, उनके लिए अब यह स्पष्ट हो चुका है कि निकट और मध्यम अवधि में कौन आगे रहने वाला है.

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