Published on Jul 30, 2023 Updated 0 Hours ago

वर्ष 2022-23 के बज़ट में 80 लाख सस्ते आवास के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो बड़ी पहल के साथ बेहद सराहनीय भी है.

केंद्रीय #बजट 2022: इंफ्रास्ट्रक्चर में अधिक निवेश ज़रूरी
केंद्रीय #बजट 2022: इंफ्रास्ट्रक्चर में अधिक निवेश ज़रूरी

बज़ट से जो प्रमुख बात उभरकर आती है, वह यह है कि सरकार के पास समुचित मात्रा में धन नहीं है. यह स्थिति पिछले दो वर्षों से है. ऐसे में राजस्व की कमी की भरपाई करना एक चुनौती है, तो सार्वजनिक व्यय के लिए सरकार को उधार लेना पड़ता है. सरकार की एक अहम नीति वित्तीय घाटे को कम करना भी है. इस बज़ट में आगामी वित्त वर्ष के लिए वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रखने की बात कही गयी है. साल 2024-25 तक इसे चार प्रतिशत के आसपास लाने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को अगर हासिल करना है, तो भविष्य में ख़र्चों में भी कटौती या कमी करनी पड़ सकती है. आगामी विधानसभा चुनावों तथा हालिया किसान आंदोलन का भी एक असर बज़ट पर दिख रहा है. कृषि क्षेत्र के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से सीधी खरीद के लिए बज़ट में 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा हुई है. कृषि के संबंध में यह भी रेखांकित किया जाना चाहिए कि कृषि उपज में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और बज़ट में भी इसकी चर्चा है, लेकिन यह भी देखा जाना चाहिए कि हालिया समय में खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ी हैं. आम तर्क से देखें, तो उपज बढ़ने से दामों में कमी आनी चाहिए, पर ऐसा नहीं हो रहा है. इसके लाभों को किसानों तक पहुंचाने के ठोस उपायों की आवश्यकता है.

कृषि के संबंध में यह भी रेखांकित किया जाना चाहिए कि कृषि उपज में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और बज़ट में भी इसकी चर्चा है, लेकिन यह भी देखा जाना चाहिए कि हालिया समय में खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ी हैं.

उद्योग जगत की दृष्टि से

उद्योग जगत की दृष्टि से देखें, तो वित्त मंत्री के बज़ट संबोधन में उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन योजना (पीएलआइ स्कीम) को प्रमुखता से उल्लिखित किया गया है. कहा गया है कि पांच वर्षों में इस योजना के परिणामस्वरूप 60 लाख रोज़गार के अवसर सृजित होंगे और उत्पादन में भी 30 लाख करोड़ रुपये जुड़ेंगे. एक ओर जहां यह सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, वहीं दूसरी ओर इससे यह भी इंगित होता है कि सरकार को बेरोजगारी की समस्या की गंभीरता का अहसास है. घोषणा के अनुसार, इस स्कीम के तहत सबसे अधिक आवंटन इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर में किया गया है. यह सराहनीय है, पर यह भी देखना होगा कि इससे निर्यात में वृद्धि हो रही है या नहीं. नीतिगत तौर पर पीएलआइ स्कीम एक अच्छी पहल है और इसके फायदे भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में सरकार को इसमें और अधिक आवंटन करना चाहिए. सबसे अहम बात यह है कि सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने को अपनी मुख्य प्राथमिकता बनाया है. बज़ट भाषण में सड़क एवं यातायात के लिए बड़े आवंटन का उल्लेख वित्त मंत्री ने किया है. इस मद में 25 हजार किलोमीटर सड़क नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा हुई है. आशा है कि अन्य क्षेत्रों के लिए आवंटन इसी अनुपात में होगा. यहां फिर पहले की बात को दोहराना चाहूंगा कि अगर वित्तीय घाटे को नियंत्रित रखना है, तो फिर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर धन दे पाना आसान नहीं होगा.

नीतिगत तौर पर पीएलआइ स्कीम एक अच्छी पहल है और इसके फायदे भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में सरकार को इसमें और अधिक आवंटन करना चाहिए. 

जीवन स्तर और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव

पूंजी की कमी के कारण उधार लेना भी मजबूरी है. सरकार के पास धन आने के हिसाब को देखें, तो उधार का खाता बढ़ गया और वह 35 प्रतिशत के आसपास है. हालांकि, दो साल से महामारी की स्थिति का बड़ा असर पड़ा है, पर इस ओर ध्यान देना ज़रूरी है. हालांकि बज़ट आकलन में सकारात्मक स्थिति दिखायी गयी है, पर वास्तविक आंकड़े अक्सर उससे अलग होते हैं. ऐसे में हमें साल भर का इंतजार करना होगा. जल जीवन मिशन के तहत 3.8 करोड़ घरों को आगामी वित्त वर्ष में पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए. इससे लोगों के जीवन स्तर और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव होगा.

जल जीवन मिशन के तहत 3.8 करोड़ घरों को आगामी वित्त वर्ष में पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए.

बढ़ते नगरीकरण के साथ आवास की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निम्न आय वर्गीय परिवारों के लिए घर मुहैया कराने की महत्वाकांक्षी योजना चल रही है. वर्ष 2022-23 के बज़ट में 80 लाख सस्ते आवास के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो बड़ी पहल के साथ बेहद सराहनीय भी है.

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(इस टिप्पणी का संपादित अंश ‘प्रभात खबर’ अखबार में 02 फरवरी, 2022 को प्रकाशित)  

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Abhijit Mukhopadhyay

Abhijit Mukhopadhyay

Abhijit was Senior Fellow with ORFs Economy and Growth Programme. His main areas of research include macroeconomics and public policy with core research areas in ...

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