मौजूदा समय में पाकिस्तान विराम का सामना कर रहा है. इसकी वजह आयात का बैकलॉग (पिछले ऑर्डर का ढेर) और निर्यात की मात्रा में कमी है जो धीरे-धीरे पाकिस्तान के कम विदेशी मुद्रा भंडार को खाली कर रही हैं. एक नई वित्त व्यवस्था के ज़रिये पाकिस्तान के आर्थिक संकट को हल करने के लिए पाकिस्तान की सरकार और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच गहन बातचीत चल रही है. आखिर में 29 जून 2023 को IMF की टीम ने पाकिस्तान की सरकार के साथ नौ महीने की आपातकालीन व्यवस्था (स्टैंड-बाई अरेंजमेंट) के लिए स्टाफ-लेवल के समझौते की घोषणा की जो 2,250 मिलियन SDR (स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स) (जो लगभग 3 अरब अमेरिकी डॉलर या पाकिस्तान के IMF कोटा के 11 प्रतिशत के बराबर है) की है. IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने जुलाई के मध्य में इस समझौते की समीक्षा के बाद मंजूरी दे दी.
मौजूदा समय में पाकिस्तान विराम का सामना कर रहा है. इसकी वजह आयात का बैकलॉग (पिछले ऑर्डर का ढेर) और निर्यात की मात्रा में कमी है जो धीरे-धीरे पाकिस्तान के कम विदेशी मुद्रा भंडार को खाली कर रही हैं.
पाकिस्तान के लिए वित्तीय वर्ष 2022 में चालू खाते का घाटा (CAD) 17.4 अरब अमेरिकी डॉलर था जो वित्तीय वर्ष 21 के 2.82 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में बड़ी बढ़ोतरी है. 2022 में आई भीषण बाढ़ के बाद सरकार ने कई चुनौतियों का सामना किया जिसकी वजह से उधार देने वालों का भरोसा कम हुआ और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई. इसके जवाब में सरकार ने आनन-फानन में खर्च घटाने के उपायों को लागू किया ताकि विदेशी कर्ज के संभावित डिफॉल्ट को टाला जा सके. इन उपायों के तहत सरकार ने अनाज और मेडिकल आइटम को छोड़कर सभी सामानों के आयात पर पाबंदी लगा दी. इन कोशिशों के बाद पाकिस्तान के चालू खाते के घाटे में इस साल काफी कमी आई और ये जनवरी 2023 में 242 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया जो 21 महीनों में सबसे कम था. लेकिन पाकिस्तान का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व घटकर 3 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया जिसकी वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों से आसानी से प्रभावित होने वाली बन गई. जनवरी 2023 में जनवरी 2022 की तुलना में निर्यात से राजस्व और कामगारों के द्वारा विदेशों से भेजी गई रकम में क्रमश 7 प्रतिशत और 13 प्रतिशत की भारी-भरकम गिरावट आई.
आंकड़ा 1: पाकिस्तान का चालू खाता शेष (अरब अमेरिकी डॉलर में)
स्रोत: विश्व बैंक
अफ़सोस की बात है कि सरकार के संरक्षणवादी उपायों और आयात पर पाबंदियों का पाकिस्तान में कई घरेलू उद्योगों पर ऐसा असर पड़ा है जिसके बारे में सोचा नहीं गया था. ये उद्योग अपने उत्पादन के लिए आयातित कच्चे माल पर काफी निर्भर हैं और कुल आयात में इंटरमीडिएट गुड्स (उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला सामान) का योगदान 53 प्रतिशत है. सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की वजह से पूरी अर्थव्यवस्था में व्यापक रुकावट आई जिसके कारण नौकरी छोड़ने की दर बढ़ी, निर्यात उत्पादकता में कमी आई और कमोडिटी चेन में काफी बाधाएं आईं.
FDI की रफ्त़ार
पाकिस्तान के द्वारा बेलैंस ऑफ पेमेंट (भुगतान संतुलन या BoP) में बिगड़ते हालात का सामना करने की वजह से आर्थिक विकास गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है और चालू एवं पूंजी खाता- दोनों में घाटा बढ़ता जा रहा है. पूंजी खाता के मामले में पाकिस्तान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में गिरावट का सामना कर रहा है. इसकी एक बड़ी वजह देश में अस्थिर और प्रतिकूल व्यावसायिक माहौल है. पाकिस्तान में निवेश का माहौल हमेशा से ज्य़ादा टैरिफ रेट, राजनीतिक अनिश्चितता, आतंकवादी चिंताओं, कड़े टैक्स एवं ब्याज दर से जुड़े नियमों और सुरक्षा क्लीयरेंस से जुड़ी कई जरूरतों के कारण प्रभावित रहा है. इन कारणों ने विदेशी निवेश को हतोत्साहित किया है और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के द्वारा घरेलू कारोबार में पैसा लगाने को मुश्किल बनाया है.
इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान में प्राइवेट निवेश GDP के लगभग 10 प्रतिशत पर स्थिर हो गया है जो कि दक्षिण एशिया के दूसरे देशों की तुलना में काफी कम है और एशिया की अधिक गतिशील अर्थव्यवस्थाओं के केवल एक-तिहाई के आसपास है. प्राइवेट निवेश के इतने कम स्तर ने अलग-अलग क्षेत्रों में फीकी उत्पादकता और कम कार्यक्षमता में योगदान दिया है. FDI में गिरावट और अपर्याप्त टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का श्रम उत्पादकता के विकास पर हानिकारक असर पड़ा है जिसकी वजह से पिछले दो दशकों से पाकिस्तान में उत्पादन से कम लाभ हुआ है और बड़े पैमाने पर उत्पादन तक नहीं पहुंचा जा सका है.
वास्तव में 2003 और 2007 के बीच पाकिस्तान ने FDI में उल्लेखनीय बढ़ोतरी का अनुभव किया. इसका कारण अनुकूल घरेलू हालात के साथ-साथ बाहरी स्थिति भी थी.
वास्तव में 2003 और 2007 के बीच पाकिस्तान ने FDI में उल्लेखनीय बढ़ोतरी का अनुभव किया. इसका कारण अनुकूल घरेलू हालात के साथ-साथ बाहरी स्थिति भी थी. पाकिस्तान की सरकार ने इस दौरान सुरक्षा बढ़ाने और निवेशकों के भरोसे में बढ़ोतरी के लिए कई उपायों को लागू किया. अर्थव्यवस्था के उदारीकरण एवं उसे नियंत्रण के बाहर (डीरेगुलेट) करने के लिए, नौकरशाही की प्रक्रिया को आसान बनाने और प्राइवेट सेक्टर के विकास को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई. इन बदलावों से FDI आने के लिए रास्ते बढ़े और कारोबार का माहौल बेहतर हुआ. इसके अलावा सरकार ने प्राइवेटाइजेशन की पहल की और इसके ज़रिये घरेलू और विदेशी निवेशकों- दोनों के लिए आकर्षक निवेश के मौके पेश किए.
इसके अलावा, चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के लिए बुनियादी काम इसी समय के दौरान किए गए. चीन और दूसरे क्षेत्रीय देशों से निवेश में बढ़ोतरी से इसमें मदद मिली. लेकिन पाकिस्तान का ऊर्जा संकट, राजनीतिक अशांति, घटिया बुनियादी ढांचा और 2007-08 का वित्तीय संकट अभी भी विदेशी निवेश और यहां की आर्थिक तरक्की में बाधा डाल रहा है.
आंकड़ा 2: पाकिस्तान में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (GDP का प्रतिशत)
स्रोत: लेखक का अपना, विश्व बैंक का डेटा
बैलेंस ऑफ पेमेंट से लाचार विकास का मॉडल
पाकिस्तान के निर्यात में गिरावट के लिए कम निवेश और बचत के चक्र (लो इन्वेस्टमेंट एंड सेविंग्स साइकिल) को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इनकी वजह से देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो जाता है. इन कारणों के अलावा विदेशी निवेशकों के लिए एक और महत्वपूर्ण रुकावट वैश्विक और खास तौर पर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के साथ पाकिस्तान का सीमित जुड़ाव है.
पाकिस्तान में औद्योगीकरण की कमी उत्पादकता और यहां निर्माण करने वाली कंपनियों की प्रतिस्पर्धा में बाधा डालती है और इस तरह घरेलू खपत करने वालों की प्राथमिकता आयातित सामानों की ओर हो जाती है जिससे व्यापार घाटा और बढ़ता है. लगातार गिरती करेंसी के बावजूद निर्यात को बढ़ाने में नाकामी अलग-अलग सेक्टर में मौजूदा अकुशलता की तरफ इशारा करती है. दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में पाकिस्तान में निर्यात की क्षमता ठप है. ये पाकिस्तान के भुगतान संतुलन में बहाली के लिए अच्छा संकेत नहीं है और इसे टिकाऊ स्तर (सस्टेनेबल लेवल) तक लाने के लिए लंबे समय तक फेरबदल की जरूरत होगी.
लगता है कि पाकिस्तान बैलेंस ऑफ पेमेंट से लाचार विकास के मॉडल में फिट बैठता है जहां विकास दर में किसी भी बढ़ोतरी के साथ-साथ खराब होता बाहरी संतुलन आता है. जब पाकिस्तान के बैलेंस ऑफ पेमेंट और संरचनात्मक मानदंड (स्ट्रक्चरल पैरामीटर) को समायोजित (एडजस्ट) किया जाए तो उसके 3.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है. इसलिए इस चक्र से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान को कई तरह के व्यापार से जुड़े और कूटनीतिक कदम उठाने होंगे. निर्यात की कमज़ोर क्षमता में जान फूंकने, विस्तार और व्यापार के आधार को व्यापक करना जरूरी है और मुनाफे पर सब्सिडी देने के बदले उत्पादकता बढ़ाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए.
लगता है कि पाकिस्तान बैलेंस ऑफ पेमेंट से लाचार विकास के मॉडल में फिट बैठता है जहां विकास दर में किसी भी बढ़ोतरी के साथ-साथ खराब होता बाहरी संतुलन आता है.
कपड़ों और चावल से परे निर्यात किए जाने वाले सामानों की श्रेणी का विस्तार और व्यापार के खुलेपन में बेहतरी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दे सकती हैं और उसके विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ा सकती हैं. इसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान को फिलीपींस और वियतनाम जैसे देशों से सीखना चाहिए जिन्होंने व्यापार के खुलेपन के मामले में पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया है. पाकिस्तान के लिए ये महत्वपूर्ण है कि वो अपनी विदेश निवेश साझेदारी को चीन, सऊदी अरब, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अपने मौजूदा सहयोगियों से आगे ले जाए. नये कूटनीतिक रिश्ते बनाकर और प्रभावी संबंध स्थापित करके पाकिस्तान ज्यादा विदेशी पूंजी आकर्षित कर सकता है और अपनी आर्थिक संभावनाओं को और बढ़ा सकता है.
नोट: विस्तृत विश्लेषण के लिए देखिए ORF ओकेज़नल पेपर नं. 403 “Debt ad Infinitum: Pakistan’s Macroeconomic Catastrophe”
सौम्या भौमिक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर फॉर न्यू इकोनॉमिक डिप्लोमेसी में एसोसिएट फेलो हैं.
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