Author : Vivek Mishra

Published on Apr 16, 2022 Updated 2 Days ago

अमेरिका के पास ऐसी कोई औपचारिक सुरक्षा छतरी नहीं है जो यूक्रेनी लोगों तक पहुंचती हो – न ही पारंपरिक, न ही परमाणु. यह देखते हुए कि यूक्रेन के नेटो से बाहर ही रहने की उम्मीद है, कीव को अमेरिकी मदद की सीमाबद्धता बनी रहने की संभावना है.

#UkraineCrisis: यूक्रेन को अमेरिकी मदद की बदलती दिशा

1991 में सोवियत संघ (यूएसएसआर) के विघटन और यूक्रेन के पास परमाणु हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा ज़ख़ीरा रह जाने के बाद से ही यूक्रेन की मदद में अमेरिकी भूमिका काफ़ी अहम रही है. हालांकि, यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता की प्रकृति कीव की बदलती ज़रूरतों और उसके समक्ष ख़तरों को देखते हुए विकसित हुई है. अमेरिका ने यूक्रेन को मदद की शुरुआत उसे परमाणु हथियारों से मुक्त करने की प्रक्रिया से की, जो 1996 तक चली. इसके बाद यूक्रेन को अमेरिकी सहायता की प्रकृति ने रंग बदला और वह ज़्यादा राजनीतिक हो गयी. इस दौरान यूक्रेन विवादित चुनाव को लेकर राजनीतिक अस्थिरता की चपेट में आया, जिसका नतीजा ‘नारंगी क्रांति’ के रूप में सामने आया. 2004-05 के बीच, अमेरिका ने यूक्रेन को ‘चुनाव-संबंधी सहायता’ के नाम पर 1.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर मुहैया कराये. 2013-14 से, यूरोमैदान क्रांति (Euromaidan Revolution) के मद्देनज़र यूक्रेन को अमेरिकी सहायता और भी ज़्यादा बढ़ गयी. 2014 में क्रीमिया पर रूसी क़ब्ज़े ने यूक्रेन को अमेरिकी सहायता की दिशा व आकार को और बदल दिया. यह पूर्वी यूक्रेन में मिलिशिया (विद्रोही लड़ाकों) से लड़ने के लिए मुख्यत: हथियारों, प्रशिक्षण और ख़ुफ़िया सूचनाओं पर केंद्रित हो गयी. 2015 से 2020 के बीच, अमेरिकी विदेश विभाग और यूएसएड (USAID) ने मिलकर यूक्रेन को हर साल औसतन 41.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर मुहैया कराये. यह 2014 से अमेरिका द्वारा दी गयी 35 करोड़ डॉलर की मानवीय मदद के अलावा थी. अकेले 2021 के लिए, यूक्रेन के लिए कुल अमेरिकी मदद 46.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रही. नीचे दिया गया ग्राफ यूक्रेन को अमेरिकी सहायता में हुई वृद्धि की एक माप-जोख पेश करता है. ऐसा लगता है कि इस साल सारे पुराने आंकड़े पीछे रह जायेंगे.

नेटो के बाहर यूक्रेन की राजनीतिक पोजीशन ने नेटो सदस्यों के लिए यूक्रेन को समर्थन देने की चुनौतियों को बढ़ा दिया, ख़ासकर रूस की इन धमकियों को देखते हुए कि यूक्रेन की सप्लाई लाइनें रूसी सैन्य बलों के लिए आसान निशाना हो सकती हैं. यूक्रेन को समर्थन देने में अमेरिका ने बढ़-चढ़कर अगुवाई की है, तो इसके कई कारण हैं.

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संकट के दौरान यूक्रेन को मदद

मौजूदा संकट के दौरान, रूस के साथ यूक्रेन का संघर्ष शुरू होने के बाद से 30 से ज़्यादा देशों ने उसे सुरक्षा सहायता मुहैया करायी है. यूक्रेन को आर्थिक, राजनीतिक, सैन्य और अन्य सहायता मुहैया कराने की कोशिशों की अमेरिका ने अगुवाई की है. जब बाइडेन प्रशासन ने रूस के साथ सीधे टकराव में जाने से इनकार किया, तो यह साफ़ हो गया कि रूसी आक्रामकता के सामने यूक्रेन को पश्चिम का समर्थन मुख्यत: आर्थिक मदद और अन्य तरह से सहायता देने के सहारे रहेगा. नेटो के बाहर यूक्रेन की राजनीतिक पोजीशन ने नेटो सदस्यों के लिए यूक्रेन को समर्थन देने की चुनौतियों को बढ़ा दिया, ख़ासकर रूस की इन धमकियों को देखते हुए कि यूक्रेन की सप्लाई लाइनें रूसी सैन्य बलों के लिए आसान निशाना हो सकती हैं. यूक्रेन को समर्थन देने में अमेरिका ने बढ़-चढ़कर अगुवाई की है, तो इसके कई कारण हैं. पहला, ‘मुक्त विश्व’ की अग्रणी महाशक्ति, उदार व्यवस्था का हिमायती, यूरोप का गठबंधन सहयोगी, और इन सबसे बढ़कर रूस का रणनीतिक विरोधी होने के नाते, अमेरिका के लिए लाज़िमी हो गया कि वह उस देश का समर्थन करे जिसे एक कहीं बड़ी ताक़त ने घेरे रखा है. दूसरा, मदद भेजने ने अमेरिका को यह इजाज़त दी कि वह रूस के साथ सीधे युद्ध से दूर रह सके. तीसरा, यूक्रेन के लिए संसाधनों को नेटो के ज़रिये सामूहिक रूप से जुटाने की इस क़वायद ने नेटो के रणनीतिक उद्देश्य को फिर से ताज़ा किया और संकट की घड़ी में अमेरिकी नेतृत्व को प्रदर्शित किया. एक अलग दृष्टिकोण यह हो सकता है कि कई लोग यूरोप और अमेरिका के बीच इस ट्रांस-अटलांटिक एकता को यूक्रेन में शांति और स्थिरता की क़ीमत पर आयी हुई देखते हैं. ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन के पुनरुत्थान से इतर, यूक्रेन पर ख़तरे की तात्कालिकता और गंभीरता ने अमेरिका में एक बेमिसाल संस्थानिक चुस्ती पैदा की है, जिसे मदद पहुंचाने के तंत्र के उद्देश्यों ने झकझोरा है. उदाहरण के लिए, पेंटागन ने दावा किया है कि अमेरिका द्वारा यूक्रेन को मदद पहुंचाने का काम ‘पहले कभी इतनी तेज़ी से नहीं किया गया है’.

बाइडेन प्रशासन की शुरुआत के बाद से अमेरिका, यूक्रेन को 2 अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा मदद की प्रतिबद्धता जता चुका है. इसमें से, कम से कम 1 अरब अमेरिकी डॉलर इस साल अकेले मार्च में मुहैया कराये गये. इसमें यूक्रेन को 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सुरक्षा सहायता शामिल थी, जो इन उपकरणों के रूप में थी : 800 स्ट्रिंगर एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम; 2000 जेवलिन मिसाइल; 1000 हल्के बख्तरबंद-भेदी हथियार और 6000 एटी-4 बख्तरबंद-भेदी प्रणाली; 100 टैक्टिकल अनमैन्ड एरियल सिस्टम; 100 ग्रेनेड लॉन्चर, 5000 राइफल, 1000 पिस्तौल, 400 मशीनगन व 400 शॉटगन; छोटे हथियारों तथा ग्रेनेड लॉन्चर व मोर्टार के लिए गोला-बारूद के दो करोड़ से ज़्यादा राउंड;  25000 बॉडी आर्मर सेट (बुलेटप्रूफ जैकैट इत्यादि); 25000 हेलमेट.

अमेरिका द्वारा यूक्रेन को आपूर्ति की गयी अन्य हथियार प्रणालियों में पांच एमआइ-17 हेलीकॉप्टर, तीन गश्ती नौकाएं, चार काउंटर-आर्टिलरी एवं काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम ट्रैकिंग रडार, 70 हाई मोबलिटी मल्टीपर्पज व्हील्ड व्हीकल (HMMWV), सुरक्षित संचार प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध खोज प्रणाली, सैटेलाइट इमेजरी एवं विश्लेषण क्षमता इत्यादि. मदद के दूसरे रूपों में शरणार्थियों की सहायता करना, यूक्रेनी सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षण मुहैया कराना और रक्षा उपकरणों के रूप में सहायता करना शामिल है.

इस संघर्ष से जुड़े निर्यात नियंत्रण, प्रतिबंधों और साइबर मामलों पर ‘डीओजे यूक्रेन टास्क फोर्स’ के काम को समर्थन देने के वास्ते नेशनल सिक्यूरिटी डिवीजन के लिए डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) के ज़रिये 5.94 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वितरण किया गया.

यूक्रेन को अमेरिकी मदद के लिए विधायी आधार ‘यूक्रेन सप्लीमेंटल एप्रोप्रिएशन्स एक्ट, 2022‘ में मौजूद है, जो यूक्रेन के समर्थन के लिए इमरजेंसी फंडिंग के रूप में 13.6 अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया कराने का वादा करता है. मोटे तौर पर, यह फंडिंग निम्नलिखित अन्य क्षेत्रों में बंटी हुई है: यूक्रेन और यूक्रेनी शरणार्थियों को खाद्य सहायता के लिए कृषि जिन्सों के दान को समर्थन देने के लिए ‘फूड फॉर पीस’ अनुदान के वास्ते 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर; यूक्रेन में संघर्ष के वैश्विक व्यापार और निर्यात पर प्रभावों से जुड़े रूसी और अमेरिकी जोखिमों पर आर्थिक एवं व्यापार-आधारित विश्लेषण, प्रवर्तन और साझेदारों के साथ समन्वयन को समर्थन देने के लिए 2.21 करोड़ अमेरिकी डॉलर; इस संघर्ष से जुड़े निर्यात नियंत्रण, प्रतिबंधों और साइबर मामलों पर ‘डीओजे यूक्रेन टास्क फोर्स’ के काम को समर्थन देने के वास्ते नेशनल सिक्यूरिटी डिवीजन के लिए डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) के ज़रिये 5.94 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वितरण किया गया. इसके अलावा, यूरोपीय कमान के संचालन को मज़बूत करने और यूक्रेन भेजे गये उपकरणों के स्टॉक को फिर से भरने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग के ज़रिये 6.528 अरब डॉलर भी फंडिंग में शामिल हैं.

यूक्रेन को समर्थन देने के लिए लगभग सभी विभाग साथ आ गये हैं. ऊर्जा विभाग ने यूक्रेन को 3 करोड़ अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया है. वहीं वित्त विभाग ने 6.1 करोड़ डॉलर और विदेश विभाग ने 3.972 अरब डॉलर की सहायता मुहैया कराने का वादा किया है. और,  2.795 अरब डॉलर यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) के ज़रिये यूक्रेन को दिये जायेंगे, जिसमें यूक्रेन और उस क्षेत्र में जोखिमग्रस्त आबादी व समुदायों को आपात खाद्य सहायता, स्वास्थ्य देखभाल और तत्काल समर्थन मुहैया कराने के वास्ते इंटरनेशनल डिजास्टर असिस्टेंस के लिए 2.65 अरब डॉलर भी शामिल हैं.

इन आंकड़ों और अमेरिकी सरकार के अधिकांश संस्थानिक तंत्र के अभूतपूर्व ढंग से साथ आने के आलोक में, यूक्रेन को अमेरिकी सहायता के आकार, उद्देश्य और उपलब्धियों का आकलन करना भी अहम है. भले ही अमेरिका यूक्रेन को मदद भेजना जारी रखे और प्रतिबंध लगाना जारी रखे, यूक्रेन को उसकी मदद का आकलन, विदेश में रूस के साथ जबरदस्ती कूटनीति (कोअर्सिव डिप्लोमेसी) और यूक्रेन को समर्थन के ज़रिये घर में राजनीतिक सफलता हासिल करने की अमेरिकी रणनीति की प्रभावशीलता को परिप्रेक्ष्य में रख सकता है. सब कुछ किया जा रहा है, बस ख़ुद सीधे सैन्य टकराव से दूर रहते हुए.

अमेरिका के पास ऐसी कोई औपचारिक सुरक्षा छतरी नहीं है जो यूक्रेनी लोगों तक पहुंचती हो – न ही पारंपरिक, न ही परमाणु. यह देखते हुए कि यूक्रेन के नेटो से बाहर ही रहने की उम्मीद है, कीव को अमेरिकी मदद की सीमाबद्धता बनी रहने की संभावना है.

गहराता संशय?

रूसी आक्रामकता के सामने अमेरिकी मदद ने, मुख्यत: सुरक्षा सहायता ने, घातक और गैर-घातक रक्षात्मक सामान के ज़रिये यूक्रेनी बलों की तत्परता, कमान एवं नियंत्रण तथा हालात की ख़बरदारी (सिचुएशनल अवेयरनेस) को निश्चित रूप से मज़बूत किया है. यूरोप के भी देशों, और ऑस्ट्रेलिया जैसे एशिया के कुछ देशों से मिली मदद की साझा ताक़त से, यूक्रेन रूसी सेनाओं को पश्चिम की ओर बढ़ने से रोकने में सक्षम हुआ है, बल्कि उन्हें देश के पूर्वी हिस्से की ओर लौटने को मज़बूर किया है. हालांकि, कल्पनातीत राशियों के बावजूद, यूक्रेनी लोगों को मदद भेजने की अमेरिकी रणनीति की राजनीतिक सफलता को लेकर गहरा संशय है. कुछ लोग यूक्रेन को दी जा रही मदद को सीधे संघर्ष में जाने से बचने के बहाने की तरह देखते हैं, तो कुछ इसे ही वह असल वजह मानते हैं जिसने यूक्रेन को रूस के साथ संघर्ष में धकेला. इसके अलावा, सुरक्षा सहायता प्रदान करना देशों के बीच वास्तविक सुरक्षा प्रतिबद्धताओं के ठीक उलट खड़ा होता है. युद्ध के समय, किसी अन्य वक़्त के मुकाबले तात्कालिकता और बचाव ज़्यादा मायने रखते हैं. ऐसे समय में, सुरक्षा सहायता की न सिर्फ़ अपनी सीमाएं होती हैं, बल्कि ये दुश्मन के लिए सबसे आसान निशाना बन जाती हैं. अमेरिका के पास ऐसी कोई औपचारिक सुरक्षा छतरी नहीं है जो यूक्रेनी लोगों तक पहुंचती हो – न ही पारंपरिक, न ही परमाणु. यह देखते हुए कि यूक्रेन के नेटो से बाहर ही रहने की उम्मीद है, कीव को अमेरिकी मदद की सीमाबद्धता बनी रहने की संभावना है. हालांकि, यूक्रेन को अभूतपूर्व अमेरिकी मदद के परिणामस्वरूप अमेरिका के भीतर अंतर-विभागीय समन्वय और लालफीताशाही में कमी जैसे कुछ अनपेक्षित लक्ष्य, और नेटो के पुनरुत्थान जैसे कुछ अनपेक्षित परिणाम हासिल किये जा सकते हैं.

इस निरंतर आकलन के तहत कि रूस यूक्रेनी शहरों पर एक और हमले के लिए दोबारा गोलबंद हो सकता है, अमेरिका की अगुवाई वाला पश्चिम एक बार फिर यूक्रेन को सहायता बढ़ाने की योजना बना रहा है. यूक्रेन को इस साझा मदद ने भले ही रूस द्वारा कीव को रौंदे जाने से बचा लिया है, लेकिन यूक्रेन में एक लंबा चलने वाला युद्ध इसके समर्थन के लिए कांग्रेस को राज़ी करने की राष्ट्रपति बाइडेन की क्षमता पर असर डाल सकता है. फ़िलहाल, बाइडेन ने सितंबर तक सरकारी कामकाज चालू रखने और यूक्रेन को 13.6 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद भेजने के लिए फंडिंग बिल पर दस्तख़त कर दिये हैं. हालांकि, वह देश के बाहर इस युद्ध और देश के भीतर आगामी मध्यावधि चुनावों को लेकर अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं.

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