Expert Speak Raisina Debates
Published on Aug 02, 2024 Updated 0 Hours ago

भारत को एशिया में चीन की ओर से अपनी सुरक्षा प्रणाली और नैरेटिव शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्यों को लेकर सतर्क रहना होगा. 

तीसरा पूर्ण अधिवेशन: चीन की आर्थिक और सैन्य शक्ति को बढ़ाने की योजना

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना (CPC) के आला नेता 15 से 18 जुलाई के बीच अपनी वार्षिक बैठक के लिए एकत्रित हुए थे. इस तरह की यात्रा को थर्ड प्लेनम यानी तीसरा विस्तृत अधिवेशन कहा जाता है. इस तरह का अधिवेशन CPC की ओर से आर्थिक नीति संबंधी पहलों की दिशा का संकेत देने वाला होता है. 1978 में हुई 11 वीं सेंट्रल कमेटी के तीसरे विस्तृत अधिवेशन में ही देंग शियाओ पिंग ने चीन को उसके माओवादी एकाकीपण से बाहर निकालते हुए विदेशी कारोबारियों को अपने यहां कारोबार के लिए आमंत्रित किया था. उनके इसी फ़ैसले की वजह से आगे चलकर चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर निकल पड़ा था.

 सबसे पहले तो CCP के प्रमुख होने के नाते शी जिनपिंग का आकलन है कि हालिया वर्षों में बड़ा प्रभाव डालने वाले महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं. वे मानते है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियां अनिश्चित और अप्रत्याशित हो गई हैं.

CPC के दस्तावेज़ों की पार्सिंग यानी उसका पदच्छेद करने से हम उसके अगले पांच वर्षों की योजना को लेकर एक ख़ाका तैयार कर सकते है. इतना ही नहीं हमें यह भी पता चलता है कि इसे हासिल करने के लिए वह अगले पांच वर्ष में क्या-क्या पूरा करने वाला है. सबसे पहले तो CCP के प्रमुख होने के नाते शी जिनपिंग का आकलन है कि हालिया वर्षों में बड़ा प्रभाव डालने वाले महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं. वे मानते है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियां अनिश्चित और अप्रत्याशित हो गई हैं. उन्होंने चेताया है कि ‘‘ब्लैक स्वान’’ जैसी कोई घटना होगी, जिसमें पार्टी की सत्ता पर पकड़ को कमज़ोर करने की ताकत होगी. उदाहरण के लिए COVID-19 महामारी का जब वुहान में उद्भव हुआ तो पार्टी और शासन के बीच रिस्पांस की कमी देखी गई थी. CPC ने अब निश्चय किया है कि इस तरह की सार्वजनिक आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रणाली को पुख़्ता किया जाएगा. शी ने जब अर्बन सेंटर यानी शहरी केंद्रों को लंबी अवधि के लिए बंद रखने का आदेश दिया था तो चीन के युवा वर्ग ने आंदोलन का रास्ता अपना लिया था. उनकी नाराज़गी पार्टी और शासन की पकड़ के ख़िलाफ़ थी. अब इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए तय किया गया है कि एक एकीकृत राष्ट्रीय जनसंख्या प्रबंधन प्रणाली अपनाई जाए. 

 

चीन की आर्थिक नीति

 

शी ने क्षेत्रीय मतभेदों या संघर्षों की पुनरावृत्ति में तेजी या बारंबारता का जिक्र करते हुए संकेत दिया है कि अब अंतरराष्ट्रीय मामले पहले के मुकाबले ज़्यादा धारदार होते जा रहे हैं. चीन के अपने पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय विवाद काफ़ी समय से चलते आ रहे हैं. अब चीन ने तय किया है कि वह सीमा और तटीय इलाकों की रक्षा प्रबंधन की ज़िम्मेदारी संभाल रहे संस्थानों को मजबूती प्रदान करेगा. इसके साथ ही वह पार्टी-शासन, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA), कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिक समाज की प्रणालीगत व्यवस्था को मजबूती देगा, ताकि ये सब मिलकर सीमा प्रबंधन/प्रशासन में सहयोग कर सकें. यह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि PLA और भारतीय सेना पिछले चार वर्षों से एक संघर्ष में फंसे हुए हैं. इतना ही नहीं चीन ने अब लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से सटकर गांवों का निर्माण भी कर लिया है. वह राष्ट्रीय सुरक्षा संग्रहण की व्यवस्था को भी अत्यधिक कुशल बनाकर अपनी हथियार प्रबंधन व्यवस्था को आधुनिक करते हुए सैन्य-नागरिक संरक्षण को प्रोत्साहित करना चाहता है. 

 

पिछले कुछ वर्षों में शी के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीनी कार्पोरेट्स ने विदेशों में अपना कारोबार जमाया है. रूस-‌यूक्रेन युद्ध के आरंभ होने के साथ ही चीन ने अप्रैल 2022 में ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (GSI) यानी वैश्विक रक्षा पहल की घोषणा की. इसमें उसने ‘‘अविभाज्य सुरक्षा’’ की अवधारणा को आगे किया, जिसका अर्थ यह था कि किसी भी देश की सुरक्षा को दूसरे देश की सुरक्षा की कीमत पर आश्रित नहीं रहने दिया जा सकता. शी ने पश्चिमी देशों की ओर से वैचारिक रेखाओं के आधार पर संघर्षों को बढ़ावा देने की कोशिशों की ओर भी इशारा किया था. GSI के तहत चीन अगले पांच वर्षों में विकासशील देशों के सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षित करना चाहता है. इसके साथ ही वह इन देशों के साथ रक्षा और कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण अकादमी में आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देना चाहता है. इन सारी बातों की चर्चा प्लीनम प्रस्ताव में की गई है. इस प्रस्ताव में विदेशों में मौजूद चीन के हितों और निवेश की सुरक्षा को चुनौती देने वालों से निपटने की बात कही गई है. इसके साथ ही चीन के पड़ोस में एक बेहतर समन्वय व्यवस्था लागू करने पर बल दिया गया है, जिसकी वजह से चीन की अपनी सुरक्षा प्रोत्साहित और मजबूत होगी. 

 GSI के तहत चीन अगले पांच वर्षों में विकासशील देशों के सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षित करना चाहता है. इसके साथ ही वह इन देशों के साथ रक्षा और कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण अकादमी में आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देना चाहता है. 

CPC के आला नेताओं ने चीन को लेकर नकारात्मक धारणाओं का संज्ञान लेकर इसे स्वीकार किया है. उदाहरण के लिए एक सर्वे में Pew रिसर्च सेंटर ने पाया है कि यूनाइटेड स्टेट्‌स (US) में चीन का ‘‘दुश्मन’’ के रूप में वर्णन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. ये लोग चीन की शक्ति को कम करना चाहते हैं. यह उनकी अहम प्राथमिकता में भी शामिल है. इस सर्वे के अनुसार चीन के अपने पड़ोसियों के साथ ख़राब संबंधों के साथ शी को लेकर बढ़ रहा अविश्वास ही चीन की नकारात्मक छवि के पीछे का अहम कारण है. इसी वजह से चीन के आला नेताओं ने चीन के नैरेटिव पावर को बढ़ाने का फ़ैसला किया है. इसके लिए इन नेताओं ने चीन के वैश्विक संचार ढांचे का पुनर्निर्माण करने का फ़ैसला किया है. इसके साथ ही चीनी मीडिया इकाइयों की कुशलता को भी बढ़ाया जाएगा, ताकि चीन की सकारात्मक छवि पेश की जा सके.

 

प्लेनम प्रस्ताव में चीन की आर्थिक प्राथमिकताओं का संकेत भी दिया गया है. शी का मानना है कि चीन की औद्योगिक व्यवस्था अब भी पर्याप्त रूप से विकसित नहीं है. इसी प्रकार वे पश्चिम के अगुवाई वाले गठबंधन की ओर से चीन को काबू में रखने की बढ़ती कोशिशों के प्रति सचेत भी करते हैं. वे चेताते है कि चीन को अपने दुश्मनों द्वारा नियंत्रित अहम कोर तकनीकों पर अत्यधिक निर्भरता से बाज आना चाहिए. प्लीनम ने चीनी स्टाइल में औद्योगिक क्षमता को उन्नत करते हुए आधुनिकीकरण को अपनाने की बात भी की है. एकीकृत सर्किट्‌स, औद्योगिक मशीन टूल्स, वैद्यकीय उपकरण के साथ बेसिक एंड औद्योगिक सॉफ्टवेयर के लिए मजबूत औद्योगिक श्रृंखलाओं के माध्यम से लचीलापन हासिल करने की कोशिश लगातार करते रहनी होगी. इसके अलावा चीन सरकारी स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों में भी सुधार लाना चाहता है. ऐसा करते हुए वह इन प्रतिष्ठानों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले अन्य क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाना चाहता है. निजी क्षेत्र से यह उम्मीद है कि वह पार्टी-शासन की प्राथमिकताओं को हासिल करने में अपनी ओर से योगदान देगा. उसका योगदान अधिक तकनीकी ब्रेकथ्रूस यानी नई तकनीक की ख़ोज के माध्यम से होना अपेक्षित है.

 

एक निर्यात चलित रणनीति के माध्यम से चीन विभिन्न सामग्रियों के लिए उत्पादन और असेंबली लाइन बन गया और उसकी इसी नीति ने उसे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने में सहायता की थी. चीन अब शी की नवीनतम अवधारणा ‘‘न्यू प्रोडक्टिव फोर्सेस’’ यानी ‘‘उत्पादन की नई शक्तियां’’ के लिए स्थितियां बेहतर करने की कोशिश करेगा. शी की इस नई अवधारणा में उन नए औद्योगिक क्षेत्र और नई बिजनेस मॉडल्स का समावेश है, जिसके लिए उत्पादन के कारकों, भूमि, श्रम, पूंजी और तकनीक के आवंटन में इज़ाफ़ा किया जाएगा. इसके साथ ही एयरोस्पेस, एविएशन, नवनीय ऊर्जा, बायोमेडिसिन, क्वांटम टेक्नोलॉजी, एडवांस्ड इंर्फोमेशन टेक्नोलॉजी तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे ‘‘रणनीतिक’’ उद्योगों के लिए वित्तपोषण की व्यवस्था भी की जा रही है. एक ओर जहां चीन इन नई उत्पादन शक्तियों को मजबूती प्रदान करने का काम कर रहा है, वहीं वह पुरानी ब्रिक-एंड-मोर्टार यानी परंपरागत उद्योगों को भी पूंजी की आपूर्ति जारी कर रहा है. वह चाहता है कि उसकी संपूर्ण अर्थव्यवस्था में इन उद्योगों के सहयोग से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान जस का तस बना रहे.

 एक ओर जहां चीन इन नई उत्पादन शक्तियों को मजबूती प्रदान करने का काम कर रहा है, वहीं वह पुरानी ब्रिक-एंड-मोर्टार यानी परंपरागत उद्योगों को भी पूंजी की आपूर्ति जारी कर रहा है.

चीन की नवऊर्जित औद्योगिक नीति को विकसित होने में अभी लंबा वक़्त लगेगा. इसी बात को ध्यान में रखकर ‘‘पेशंट कैपिटल’’ यानी ‘धैर्यशील पूंजी’’ की अवधारणा पर काम किया जाएगा. इसके लिए पूंजी की व्यवस्था विनियमनों को अद्यावत यानी अपडेट करके की जाएगी. ऐसा होने पर एंजल निवेश विकसित होगा और वेंचर कैपिटल और निजी पूंजी निवेश भी होगा. अत: सरकारी इन्वेस्टमेंट फंड्स का बेहतर ढंग से उपयोग किया जा सकेगा, विशेषत: महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विज्ञान और तकनीक कार्यक्रमों के लिए इससे काम लिया जा सकेगा.

 

चीन में उसकी जनसंख्या को लेकर भी चिंता देखी जा रही है. 2022 के बाद से इसमें गिरावट आने की शुरुआत हो गई है. चीन इस समस्या से निपटने के लिए मानव पूंजी निर्माण का रास्ता अपनाना चाहता है. वह इसके लिए अपने नागरिकों के कौशल विकास पर निवेश कर रहा है. प्लेनम प्रस्ताव में शैक्षणिक संस्थानों में सुधार करने का दृष्टिकोण अपनाने की बात कही गई है. ऐसा करके प्रतिभाओं को तैयार कर राष्ट्रीय शैक्षणिक योग्यता विकसित की जाएगी जो नवाचार में चीन की क्षमता को मजबूती प्रदान करेगी. ये शैक्षणिक योग्यता उभरते और बेसिक विषयों में विकसित करने की बात प्रस्ताव में कही गई है. इसी प्रकार एक वोकेशनल ट्रेनिंग सिस्टम तैयार किया जाना है जो उद्योगों की ज़रूरत का ध्यान रखेगा. चीन का घरेलू नैरेटिव भले ही US पर चीन की प्रगति को रोकने के लिए तकनीक प्रतिबंध का सहारा लेने के लिए आलोचना करता है. लेकिन चीन विदेशी विश्वविद्यालयों, विशेष रूप से विज्ञान और तकनीक में उच्च रैंकिग वाले, को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है. वह इन विदेशी विश्वविद्यालयों को चीनी शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग करने की कोशिश कर रहा है. इसी प्रकार चीन की बड़ी घरेलू तकनीकी कंपनियों को कैंपसेस तथा अनुसंधान संस्थान से सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

 

निष्कर्ष

 

और अंत में निष्कर्ष यह है कि इस थर्ड प्लेनम से शी का संदेश एकदम स्पष्ट हैं. वे अर्थव्यवस्था में भी पार्टी को मजबूत भूमिका अदा करते देखना चाहते हैं. जैसे-जैसे उसकी औद्योगिक नीति उभर रही है वैसे-वैसे भारतीय सरकार की ओर से इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि चीन अपनी क्षमता में इतनी वृद्धि कर रहा है कि इसकी वजह से कीमतों में गिरावट आएगी. कीमतों में गिरावट के कारण भारतीय कारोबारियों के हितों को चोट पहुंचेगी. यह बात उन कारोबारियों पर लागू होती है, जो चीन के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में कार्य करते हैं.

 भारत को चीन की ओर से किए जाने वाले दुष्प्रचार को लेकर सतर्क रहना चाहिए. 

दूसरे, प्लेनम का उद्देश्य अपने नैरेटिव की शक्ति को बढ़ाना है. इसके लिए वह चीन की वैश्विक संचार प्रणाली को नए अवतार में ढालना चाहता है.

 

इन सारी बातें को हाल ही में PLA की ओर से इंर्फोमेशन सपोर्ट फोर्स का गठन करने के फ़ैसले के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए. क्योंकि अब आधुनिक युद्ध को जीतने के लिए ‘इंटरनेट इंर्फोमेशन सिस्टम’ की अवधारणा बेहद अहम हो गई है. अत: भारत को चीन की ओर से किए जाने वाले दुष्प्रचार को लेकर सतर्क रहना चाहिए. अंत में चीन अपने आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को जोड़ना चाहता है. इसके लिए वह अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त ढांचे विकसित कर रहा है. यह कोशिश वह कानून प्रवर्तन और रक्षा क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ाकर करना चाहता है. इस संदर्भ में चीन अपने पड़ोसी इलाकों में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक तंत्र विकसित करना चाहता है. लेकिन उसकी ओर से ऐसा कदम उठाए जाने का भारत की सुरक्षा पर सीधा असर होगा, क्योंकि इसका मतलब उसे इस तंत्र के ख़िलाफ़ खड़ा होना पड़ सकता है.


कल्पित ए मनकिकर, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम में फेलो हैं.

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Kalpit A Mankikar

Kalpit A Mankikar

Kalpit A Mankikar is a Fellow with Strategic Studies programme and is based out of ORFs Delhi centre. His research focusses on China specifically looking ...

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