Published on Apr 12, 2024 Updated 1 Hours ago

हालांकि इस्लामिक स्टेट के ख़ुरासन ग्रुप ने रूस के क्रोकस सिटी हॉल पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है लेकिन रूस को इस बात की गहराई से जांच करनी चाहिए कि इस हमले के पीछे कौन है?

क्रोकस सिटी में आतंकी हमले पर रूस का जवाब और नैरेटिव की जंग

आतंकी हमला

22 मार्च 2024 की तारीख रूस के इतिहास में एक काले दिन के तौर पर याद रखी जाएगी. इसी दिन क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकी हमले में 143 लोग मारे गए. चार हथियारबंद आतंकवादी हॉल में घुसे और एक स्थानीय म्यूजिक ग्रुप के कॉन्सर्ट में आए 6000 लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. बाद में इन आतंकियों को ब्रायन्स्क ओब्लास्ट इलाके में पकड़ लिया गया. ये इलाका मॉस्को से करीब 370 किलोमीटर दूर और यूक्रेन बॉर्डर के पास है. फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) ने दावा किया कि ये आतंकी यूक्रेन बॉर्डर की तरफ भाग रहे थे. FSB के मुताबिक यूक्रेन इन आतंकियों को भागने का रास्ता देने वाला था. हालांकि यूक्रेन ने इन आरोपों को “बकवास” बताया. क्रोकस सिटी हॉल में हुए हमले ने 2002 में हुए नोर्डेस्ट बंधक संकट की याद दिला दी, जिसमें 130 लोगों की जान गई. 2004 में बेसलान स्कूल में भी इसी तरह का नरसंहार हुआ था, जिसमें 334 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि क्रोकस सिटी हॉल में आतंकियों ने ना तो किसी को बंधक बनाया. ना किसी तरह की मांगें रखीं.

नैरेटिव की जंग

इस आतंकी हमले में इस्लामिक संगठन के शामिल होने के सबूत पाए जाने के बावजूद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि घटना की पूरी जांच किए जाने की ज़रूरत है, जिससे ये पता चल सके कि कहीं इसमें दूसरे संगठन या देश जैसे कि यूक्रेन भी शामिल तो नहीं हैं. पुतिन ने कहा कि यूक्रेन ने जिस तरह रूस के नागरिक और ऊर्जा संस्थानों पर ड्रोन अटैक किए, उसे देखते हुए इस आतंकी हमले में भी यूक्रेन की भूमिका मुमकिन हो सकती है.

इस हमले को लेकर कई विरोधाभास सूचनाएं सामने आ रही हैं, फिर चाहे वो सार्वजनिक बयानबाज़ी ही क्यों ना हो. एक तरफ इस तरह के सबूत सामने आए हैं, जो इस घटना में आईएसआईएस-खुरासन ग्रुप के शामिल होने के संकेत देते हैं. अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया इसे लेकर अमाक एजेंसी के सोशल मीडिया हैंडल पर दिए बयान का जिक्र कर रहा है जिसमें ISIS-K ने हमले की जिम्मेदारी ली है. इसके बाद इस आतंकी संगठन ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें आतंकियों को इस्लामिक नारे लगाते हुए सिटी हॉल के अंदर अंधाधुंध फायरिंग करते हुए दिखाया गया है. ISIS से जुड़े साप्ताहिक अखबार अल-नबा में हमलावरों को लेकर काफी विस्तृत जानकारी छापी गई है. इतना ही नहीं हमले से पहले 2 आतंकवादी टर्किए भी थे. ये भी आतंकी हमले में इनके शामिल होने की तरफ इशारा करते हैं.

पुतिन ने कहा कि यूक्रेन ने जिस तरह रूस के नागरिक और ऊर्जा संस्थानों पर ड्रोन अटैक किए, उसे देखते हुए इस आतंकी हमले में भी यूक्रेन की भूमिका मुमकिन हो सकती है.

हालांकि कई लोग इस तरह की सूचनाओं के प्रसार पर सवाल उठा रहे हैं. हमले में ISIS-K के शामिल होने की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है. ISIS इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाओं की जिम्मेदारी ले चुका है, जिसे उसने अंजाम नहीं दिया. खास बात ये है कि हमला करने वाले, हमले का आदेश देने वालों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानते थे. पैसे का भुगतान भी क्रिप्टो वॉलेट के ज़रिए हुआ है. सबसे अहम बात ये है कि हमले के बाद आतंकवादी जिस देश की तरफ भाग रहे थे, उसने मामले को और उलझा दिया है.

प्रवासन पर मज़बूत नियंत्रण की ज़रूरत

हमले के तुरंत बाद हमलावरों की नागरिकता पर भी सवाल खड़े हुए. शुरुआती रिपोर्टर्स में ये कहा गया कि जो आतंकी पकड़े गए हैं, उनके पास रूस की नागरिकता है. हालांकि रूस के आंतरिक मामलों के मंत्रालयों ने इन दावों को खारिज़ करते हुए कहा कि सभी हमलावर विदेशी नागरिक थे. इनमें से एक को अवैध अप्रवासी का दर्जा हासिल था और उसका अस्थायी पंजीकरण भी ख़त्म हो चुका था.

तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने पुतिन को फोन कर हमले पर संवेदना जताई. उन्होंने हमले की जांच में तजाकिस्तान की स्पेशल सर्विस और सेना की मदद देने की भी पेशकश की. तजाकिस्तान में जब इस मामले में कार्रवाई की गई तो वहादत इलाके से 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया. रूस में सबसे ज्यादा अप्रवासी आबादी तजाकिस्तान के लोगों की ही है. इस हमले के बाद रूस में तजाकिस्तान नागरिकों के ख़िलाफ नफरत बढ़ गई है. यही वजह है कि रूस में तजाकिस्तान के दूतावास के इन नागरिकों को बाहर नहीं निकलने की सलाह दी. आतंकी हमले के बाद से रूस में तजाकिस्तान के अप्रवासियों पर हमले के 30 मामले सामने आ चुके हैं. अप्रवासियों के लिए काम करने वाले एनजीओ ने इसे लेकर 2,500 शिकायतें भी दर्ज कराई.

रूस की संसद यानी डूमा के चेयरमैन व्याचेस्लाव वोलोडिन ने अप्रवासन संबंधी नियमों को और कड़ा करने की मांग की. रूस के श्रम मंत्रालय ने “वर्क इन रशिया” नाम से एक सरकारी संस्था बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो अप्रवासी श्रमिकों की भर्ती करेगी. इसके साथ ही ये सुझाव भी गया है कि इन मज़दूरों को 2 साल का वर्क परमिट देते वक्त इनके फिंगरप्रिंट भी लिए जाएं. पॉलिटिकल साइंटिस्ट अल्माज़ ताहज़िबे का मानना है कि अगर रूस अप्रवासी मज़दूरों को लेकर और कड़े नियम बनाता है तो फिर सेंट्रल एशिया से अप्रवासी श्रमिक रशिया आने को लेकर हतोत्साहित होंगे.

डूबा में यूनाइटेड रशिया गुट के नेता व्लादिमीर वेसलीव ने कहा कि मृत्युदंड को फिर से लागू करने में जनता की इच्छा के मुताबिक काम किया जाएगा. हालांकि इसके दोबारा लागू होने की संभावना बहुत कम है.

क्रोकस में हुए आतंकी हमले के बाद नए नियम बनाने को लेकर डूमा ने एक कार्यकारी समूह भी बनाया है. कुछ और विधेयकों में भी बदलाव प्रस्तावित किए जा रहे हैं. जैसे कि रूस की नागरिकता हासिल करने वालों लोगों को शुरूआती पांच साल तक हथियार रखने पर पाबंदी लगाने की मांग की जा रही है.

वोल्दोविन, एलडीपीआर के नेता लियोनिड स्लट्स्की और रशियन फेडरेशन सुरक्षा परिषद के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने रूस में फिर से मृत्युदंड लागू करने की मांग की है. रूस कई दशक पहले मृत्युदंड पर रोक लगा चुका है. मौत की सज़ा लागू करने के लिए संविधान में बदलाव करना होगा. डूबा में यूनाइटेड रशिया गुट के नेता व्लादिमीर वेसलीव ने कहा कि मृत्युदंड को फिर से लागू करने में जनता की इच्छा के मुताबिक काम किया जाएगा. हालांकि इसके दोबारा लागू होने की संभावना बहुत कम है.

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

इस आतंकी हमले ने क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है. अफगानिस्तान से शुरू होने वाला ये आतंकी ख़तरा अब भी मध्य एशिया के देशों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. अपने तमाम वैश्विक राजनीतिक समीकरणों के बावजूद आतंकवाद का मुद्दा रूस पर छाया हुआ है. इस हमले ने फिर इस बात की तरफ ध्यान खींचा है कि कोई भी देश अपने पड़ोसी देशों में सुरक्षा को लेकर कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये पहला मौका है जब ISIS-K ने ग्रेटर ख़ुरासन क्षेत्र के बाहर आतंकी हमला किया है. ग्रेटर ख़ुरासन क्षेत्र ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान और कज़ाखस्तान तक फैला है. इस बात की पूरी संभावना है कि इन देशों के भीतर आतंकियों की भर्ती चल रही है. मार्च में रूसी सेना ने कज़ाखस्तान में दो उग्रवादियों को मारा जो मॉस्को के सिनोगॉग (यहूदी धर्मस्थल) पर बम से हमला करने की योजना बना रहे थे.

अब ज़रूरत इस बात की है कि रूस बहुपक्षीय ढांचे के तहत SCO के रीजनल एंटी टेररिस्ट स्ट्रक्चर (RATS) और कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (CSTO) से बातचीत करें. अफगानिस्तान के कुछ हिस्से और दक्षिणी तजाकिस्तान की सीमा कश्मीर से पास ही है. ऐसे में भारत को भी सुरक्षा को लेकर चिंतित होना चाहिए. रूस और भारत के बीच सहयोग से क्षेत्रीय आतंकवाद की समस्या का मुकाबला करने में मदद मिलेगी. हालांकि अभी ऐसा लग रहा है कि आतंकवादियों के निशाने पर रूस है लेकिन भविष्य में हालात बदल सकते हैं.

निष्कर्ष

क्रोकस सिटी हॉल में हुआ हमला रूस के लिए एक नई तरह की आतंकी घटना है. हमलावर बदल चुके हैं. पहले के हमलावर कॉकेशस क्षेत्र के देशों से आते थे लेकिन इस बार आतंकी मध्य एशिया से आए जो रूसी भाषा नहीं बोल सकते हैं. सबसे चिंताजनक बात ये है कि मध्य एशिया का क्षेत्र ISIS-K के आतंकियों की भर्ती का प्रमुख केंद्र बन गया है. हालांकि रूस अभी इस बात का पता लगाने में जुटा है कि इस आतंकी हमले के पीछे कौन है लेकिन उसके लिए ये भी ज़रूरी है कि यूक्रेन में अपनी सैनिक कार्रवाई की कामयाबी की रणनीति बनाने के साथ-साथ वो पड़ोस में पैदा हो रहे ISIS-K के आतंकी ख़तरे को जड़ से मिटाने की योजना भी बनाए.

 

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