Published on Oct 06, 2023 Updated 0 Hours ago
थाईलैंड की भूराजनीतिक दुविधा: अमेरिका से रिश्तों का सम्मान करते हुए चीन से जुड़ाव की पहेली

ये हमारी श्रृंखला द चाइना क्रॉनिकल्स का 150वां लेख है. 


हाल ही में फू थाई पार्टी के श्रेथा थाविसिन ने थाईलैंड के 30वें प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला. उन्होंने 11 सितंबर को अपने उद्घाटन भाषण में देश के आर्थिक उभार पर प्राथमिक रूप से ध्यान केंद्रित करने की बात ज़ाहिर कर दी. भले ही तात्कालिक रूप से श्रेथा आर्थिक पुनरुद्धार की ओर अपना ध्यान लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें इस क्षेत्र में उभरते सुरक्षा समीकरणों के प्रति भी सचेत रहना होगा. इस इलाक़े में बदलते समीकरणों के प्रभाव से विदेश नीति के मोर्चे पर जटिल धाराएं बन रही हैं, और थाईलैंड की विदेश नीति इसमें अपना रास्ता बना रही है. ख़ासतौर से चीन के साथ थाईलैंड के संबंधों और एशिया-प्रशांत के व्यापक सुरक्षा परिदृश्य में ये क़वायद देखने को मिल रही है. 

दक्षिण पूर्व एशिया में रणनीतिक रूप से अहम मौजूदगी वाले जीवंत देश थाईलैंड ने लंबे अर्से से चीन के प्रति विदेश नीति दृष्टिकोण में व्यावहारिक और सूक्ष्म रुख़ बनाकर रखा है. क्षेत्रीय राजनीति, अर्थशास्त्र और सुरक्षा चिंताओं की पेचीदा गतिशीलता को दर्शाते हुए इस रिश्ते का उभार हुआ है. चीन के साथ थाईलैंड का गहरा जुड़ाव, मुख्य रूप से आर्थिक विचारों से संबंधित है. दरअसल चीन, थाईलैंड का सबसे अहम व्यापारिक भागीदार है. 2022 में चीन, थाईलैंड के कृषि उत्पादों के लिए सबसे बड़े ठिकाने के तौर पर उभरा, और दोनों देशों के बीच कुल कृषि व्यापार 13.1 अरब अमेरिकी डॉलर के ज़बरदस्त स्तर तक पहुंच गया. 2021 में चीन को थाईलैंड का निर्यात 10.3 अरब अमेरिकी डॉलर था, इस प्रकार 2021 की तुलना में 2022 में 3.1 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई

भले ही तात्कालिक रूप से श्रेथा आर्थिक पुनरुद्धार की ओर अपना ध्यान लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें इस क्षेत्र में उभरते सुरक्षा समीकरणों के प्रति भी सचेत रहना होगा. इस इलाक़े में बदलते समीकरणों के प्रभाव से विदेश नीति के मोर्चे पर जटिल धाराएं बन रही हैं, और थाईलैंड की विदेश नीति इसमें अपना रास्ता बना रही है.

चीन, रोज़गार के अवसरों, व्यापार संभावनाओं और निवेश के मामले में थाईलैंड को भारी अवसर मुहैया करता है. 2023 की पहली छमाही में चीन, थाईलैंड में अग्रणी विदेशी निवेशक के रूप में उभरा. इस कड़ी में चीन ने तमाम परियोजनाओं के लिए 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर की भारी-भरकम रकम के निवेश की प्रतिबद्धता जताई. सिंगापुर और जापान क्रमश: 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर और 1 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे. इसके बावजूद चीन और थाईलैंड के रिश्तों में कुछ अड़चनें रही हैं. हाई-स्पीड रेलवे परियोजना में विलंबित प्रगति, पनडुब्बी सौदे में चुनौतियों और पर्यटन के प्रभाव के चलते ऐसे हालात बने. 

बहरहाल, दोनों पक्षों ने एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) की बैठक के मौक़े पर अपने ज़्यादातर मतभेद सुलझा लिए. उन्होंने सहयोगात्मक रूप से अनेक समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इनमें 2022-2026 के लिए चीन-थाईलैंड रणनीतिक सहयोग की रूपरेखा वाली संयुक्त कार्य योजना शामिल है. दोनों देशों ने सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21वीं सदी के समुद्री सिल्क रोड को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोग योजना भी शुरू की. इन समझौतों से थाई-लाओ-चीन रेलवे लिंक के विकास में तेज़ी लाने में मदद मिलेगी, जिसके 2027-2028 में पूरा होने की उम्मीद है. इसके अलावा, दोनों देशों ने अर्थव्यवस्था, व्यापार, निवेश, ई-कॉमर्स और वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार के विभिन्न पहलुओं को शामिल करने वाले सहयोग दस्तावेज़ों पर भी दस्तख़त किए हैं. 

साझा सैन्य अभ्यास

सैन्य सहयोग के दायरे में दोनों देश अपनी थल सेना, नौसेना और वायु सेना क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए संयुक्त अभ्यास की श्रृंखला आयोजित करने पर सहमत हुए. इनमें जुलाई 2023 में आयोजित हवाई युद्ध अभ्यास फाल्कन स्ट्राइक 2023; और असॉल्ट 2023, या ज्वाइंट स्ट्राइक 2023 (जिसमें 21 दिनों तक चलने वाला आतंकवाद विरोधी सैन्य अभ्यास जुड़ा था) शामिल हैं. सितंबर में चीन-थाईलैंड ब्लू स्ट्राइक 2023 साझा नौसैनिक अभ्यास संपन्न हुआ. थाई अधिकारियों द्वारा S26T युआन श्रेणी की एक पनडुब्बी के लिए चीन में तैयार CHD620 इंजन की मंज़ूरी दिए जाने के चलते इस अभ्यास का महत्व बढ़ गया. इस विवादास्पद फ़ैसले ने पनडुब्बी ख़रीद में देरी की है, और संयुक्त नौसैनिक प्रशिक्षण में चीनी पनडुब्बियों की क्षमताओं के बारे में और गहरी जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई. तैयार पनडुब्बी की डिलीवरी 40 महीने में की जा सकती है. फिर भी, अभी कई ब्योरों पर काम किए जाने की ज़रूरत है. इनमें चाइना शिपबिल्डिंग एंड ऑफशोर इंटरनेशनल कंपनी लिमिटेड से सामान्य से अधिक लंबी गारंटी और इंजन के रखरखाव में मदद जैसे मसले शामिल हैं. दूसरी और तीसरी पनडुब्बी पर फ़ैसला लेने में अभी कुछ समय लग सकता है.

वैसे तो ये अभ्यास, क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति थाईलैंड की प्रतिबद्धता और चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की उसकी इच्छा को रेखांकित करते हैं, लेकिन ये क्षेत्र में व्यापक भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का भी प्रदर्शन करते हैं.

ख़ासतौर से दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तनाव के बीच आयोजित ये अभ्यास मौजूदा विवाद और अमेरिका-चीन संबंधों पर उसके प्रभाव के चलते सतर्कतापूर्वक पूरे किए गए हैं. वैसे तो ये अभ्यास, क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति थाईलैंड की प्रतिबद्धता और चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की उसकी इच्छा को रेखांकित करते हैं, लेकिन ये क्षेत्र में व्यापक भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का भी प्रदर्शन करते हैं. पैमाने और दायरे के संबंध में, कुछ विश्लेषकों ने इशारा किया है कि दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में चीन के संयुक्त अभ्यास की अमेरिका द्वारा किए गए कोबरा गोल्ड जैसे अभ्यासों से तुलना नहीं की जा सकती है, जिसमें आमतौर पर अनेक देश और सैनिक या उड़ानें शामिल होती हैं. हालांकि चीन, दक्षिण पूर्व एशिया में बहुपक्षीय गतिविधियां हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है. 

फ़िलहाल नवंबर के लिए निर्धारित शांति और मैत्री 2023 अभ्यास में चीन, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम के सैन्य कर्मी शामिल होंगे. पहली बार एक बड़ा समूह इस क़वायद से जुड़ेगा. इस संयुक्त अभ्यास का लक्ष्य एशिया-प्रशांत सुरक्षा पर “ज़ीरो-सम गेम ब्लॉक सुरक्षा परिकल्पना” के प्रतिकूल प्रभावों की काट करना है. इसे ख़ासतौर से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य अभ्यास गतिविधियों और हाल के ऑस्ट्रेलिया-यूनाइटेड किंगडम-यूनाइटेड स्टेट्स (AUKUS) समझौते के मद्देनज़र देखा जा रहा है. AUKUS समझौते के तहत अमेरिका द्वारा ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों की आपूर्ति करना शामिल है, जिस पर चीन ने चिंता जताई है. इतना ही नहीं, मार्च और अप्रैल में अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप पर दक्षिण कोरिया और फिलीपींस के साथ अपना अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किया, जिससे चीन आशंकित हो गया है. 

अमेरिका-थाई अभ्यास  

थाईलैंड विभिन्न अभ्यासों के ज़रिए अमेरिका के साथ मज़बूत सैन्य संबंध बनाए रखता है. इनमें जाना-माना कोबरा गोल्ड अभ्यास शामिल है. इसके अलावा हाल ही में 11 सितंबर से 20 सितंबर तक अमेरिका और थाईलैंड की वायु सेना की टुकड़ियों ने एंड्योरिंग पार्टनर्स इंगेजमेंट के पहले दौर में हिस्सा लिया. इस भागीदारी का लक्ष्य दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों और राज्य साझेदारी कार्यक्रम को मज़बूत करते हुए रॉयल थाई एयर फोर्स, वॉशिंगटन एयर नेशनल गार्ड और ओरेगन एयर नेशनल गार्ड की युद्धक तैयारी और इंटर-ऑपरेबिलिटी को बढ़ाना है.  

थाईलैंड ने अमेरिका से आठ F-35A लाइटनिंग 2 लड़ाकू विमान ख़रीदने का अनुरोध किया है, जो दोनों देशों के गठजोड़ की ताक़त का एक अहम संकेतक है. हालांकि, उन्नत टेक्नोलॉजी तक चीन की संभावित सैन्य पहुंच से जुड़ी चिंताओं के चलते इस अनुरोध की मंज़ूरी अनिश्चित है.

थाईलैंड ने अमेरिका से आठ F-35A लाइटनिंग 2 लड़ाकू विमान ख़रीदने का अनुरोध किया है, जो दोनों देशों के गठजोड़ की ताक़त का एक अहम संकेतक है. हालांकि, उन्नत टेक्नोलॉजी तक चीन की संभावित सैन्य पहुंच से जुड़ी चिंताओं के चलते इस अनुरोध की मंज़ूरी अनिश्चित है. थाईलैंड के संधि सहयोगी के रूप में अमेरिका, चीन के साथ थाईलैंड के संवादों पर बारीकी से नज़र रखता है, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि वे सुरक्षा से समझौता नहीं करें या ना ही उनके गठजोड़ की शर्तों का उल्लंघन हो! 

हाल ही में दोनों देशों ने कोविड-19 महामारी के बाद व्यापार और निवेश रूपरेखा समझौता यानी TIFA संयुक्त परिषद बैठक की बहाली का स्वागत करते हुए अपने आर्थिक संबंधों को बढ़ाने की अहमियत पर ज़ोर दिया है. दोनों ने बहुपक्षीय पहलों में भी अपनी सहभागिता को रेखांकित किया है. इनमें समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (IPEF) और एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) मंच शामिल हैं. 

विदेश नीति ढांचे के विचार  

फ़िलहाल अमेरिका और चीन के बीच ज़बरदस्त भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा चल रही है. ऐसे में इन दो महाशक्तियों के साथ अपने संबंधों में नाज़ुक संतुलन क़ायम करना, थाईलैंड के नए नवेले प्रशासन के लिए नीतिगत मोर्चे पर एक अहम चुनौती बन गई है. थाईलैंड को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और निरंतर बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कूटनीतिक कौशल और रणनीतिक दूरदर्शिता का उपयोग करना होगा. उसे विभिन्न वैश्विक प्रभाव वाले देशों के साथ गरिमापूर्ण और सम्मानजनक मित्रता स्थापित करनी चाहिए. उभरते वैश्विक संदर्भ में थाईलैंड अब अंतरराष्ट्रीय संवादों में निष्क्रिय भूमिका तक सीमित नहीं रह गया है. 

थाईलैंड को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और निरंतर बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कूटनीतिक कौशल और रणनीतिक दूरदर्शिता का उपयोग करना होगा. उसे विभिन्न वैश्विक प्रभाव वाले देशों के साथ गरिमापूर्ण और सम्मानजनक मित्रता स्थापित करनी चाहिए.

बहरहाल, किसी एक देश पर निर्भरता कम करने के लिए थाईलैंड अपने आर्थिक साझेदारों में विविधता ला रहा है. चीन की ओर से पेश अहम आर्थिक अवसरों के बावजूद वो इस दिशा में आगे बढ़ रहा है. जापान, भारत और रूस जैसे देशों के साथ जुड़ने से थाईलैंड को आर्थिक विकास और निवेश के वैकल्पिक रास्ते मिल सकते हैं. क्षेत्रीय गुटों, ख़ासकर आसियान में थाईलैंड की सक्रिय भागीदारी अहम है. आसियान के भीतर के सहयोगात्मक प्रयास, क्षेत्रीय चुनौतियों और विवादों के निपटारे के लिए एकजुट मोर्चा उपलब्ध कराते हैं. इनमें दक्षिण चीन सागर से जुड़ मसले भी शामिल हैं. वैसे तो थाईलैंड ख़ुद को दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर या चीन-ताइवान संबंधों से जुड़ी बहसों में एक किरदार के तौर पर नहीं देखता, लेकिन क्षेत्रीय कूटनीति के प्रति उसका सक्रिय रुख़, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सहयोग के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित कर सकता है. 

हालांकि, दक्षिण पूर्व एशिया और व्यापक वैश्विक दायरे में उभरते समीकरण, चीन के प्रति थाईलैंड के दृष्टिकोण को लगातार आकार देते रहेंगे. इस तरह थाईलैंड इस क्षेत्र की जटिल भू-राजनीति में एक अहम खिलाड़ी के तौर पर स्थापित हो जाएगा. जैसे-जैसे वैश्विक भूराजनीति का उभार होगा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा चीन के प्रति थाईलैंड की विदेश नीति की बारीकी से जांच चलती रहेगी. 


श्रीपर्णा बनर्जी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में जूनियर फेलो हैं.

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Sreeparna Banerjee

Sreeparna Banerjee

Sreeparna Banerjee is an Associate Fellow in the Strategic Studies Programme. Her work focuses on the geopolitical and strategic affairs concerning two Southeast Asian countries, namely ...

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