भारत का कृषि क्षेत्र उसकी अर्थव्यवस्था की बुनियाद है. भारत की GDP में कृषि की हिस्सेदारी 18.3 प्रतिशत है, और 2022-23 में इस क्षेत्र में 15.8 करोड़ लोगों को रोज़गार मिला हुआ था. ज़ाहिर है कि देश के करोड़ों लोगों के लिए खेती, केवल एक आर्थिक गतिविधि ही नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीक़ा है. जैसे जैसे भारत की आबादी बढ़ रही है- 2030 तक इसके 1.515 अरब पहुंचने की संभावना है और इस वजह से भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है- वैसे वैसे सभी नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होता जा रहा है. निश्चित रूप से आज भारत का कृषि क्षेत्र एक दोराहे पर खड़ा है. उसको तेज़ी से बढ़ रहे मध्यम वर्ग की ज़रूरतें पूरी करने के साथ साथ ख़ुद को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी ढालना है. इस वजह से तकनीक़ के कुशल उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि कृषि क्षेत्र की कुशलता, स्थायित्व और लचीलेपन में सुधार लाया जा सके.
इस समय भारत में 3,000 से ज़्यादा एग्रीटेक स्टार्ट-अप काम कर रही हैं, जिनमें से 1,300 कृषि क्षेत्र के काम-काज में मदद के लिए उभरती हुई और डिसरप्टिव तकनीकों (EDTs) जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का इस्तेमाल कर रही हैं.
कृषि तकनीक़ पर सरकार का ज़ोर
एग्रीटेक या कृषि तकनीक़ ऐसे उद्यमों, स्टार्ट-अप और समाधानों का इकोसिस्टम है, जो तकनीकी प्रगति का लाभ उठाकर ऐसे उत्पाद और सेवाएं मुहैया कराता है, जिससे फ़सल की उपज बढ़ाई जा सके. खेती संबंधी मामलों में कुशलता बढ़ाई जा सके और कृषि की पूरी मूल्य संवर्धन श्रृंखला से जुड़े किसानों की आय और मुनाफ़े को बढ़ाया जा सके. इस समय भारत में 3,000 से ज़्यादा एग्रीटेक स्टार्ट-अप काम कर रही हैं, जिनमें से 1,300 कृषि क्षेत्र के काम-काज में मदद के लिए उभरती हुई और डिसरप्टिव तकनीकों (EDTs) जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का इस्तेमाल कर रही हैं.
एग्रीटेक के तेज़ विस्तार और बढ़ती अहमियत को देखते हुए, भारत सरकार ने भी इस सेक्टर को बढ़ावा देने में अपनी ताक़त लगा दी है. मिसाल के तौर पर, 2023 के अपने बजट में वित्त मंत्री ने एग्रीटेक स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए एक्सेलरेटर फंड शुरू करने का एलान किया था, और ग्रामीण क्षेत्र के उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए उनको ज़रूरी औज़ार और तकनीकी मदद देने की घोषणा की थी. इससे पहले भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में EDT से जुड़ी सेवाएं, जैसे कि ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजें (AI), ब्लॉकचेन, रिमोट सेंसिंग और भौगोलिक सूचना व्यवस्था लागू करने में राज्यों की मदद के लिए 2021-22 में 29 करोड़ डॉलर और 2020-21 में 21 करोड़ डॉलर की रक़म आवंटित की थी. यही नहीं, मील का पत्थर बन चुकी नेशनल स्ट्रैटेजी फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (2018) में भी कृषि क्षेत्र को स्पष्ट तौर पर ऐसे सेक्टर के तौर पर रेखांकित किया गया है, जहां AI के व्यापक इस्तेमाल से इस क्षेत्र के विकास को गति दी जा सकती है.
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में भारत के बेहद कामयाब इंडिया स्टैक ने जनसेवाओं की उपलब्धता में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है और इसकी वजह से अभूतपूर्व पैमाने पर इनोवेशन शुरू हुए हैं. आधार डिजिटल पहचान (ID) और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) जैसी बुनियादी DPI के साथ साथ, तकनीक़ी स्टैक को अलग अलग क्षेत्रों के DPI विकसित करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका एक अहम उदाहरण एग्रीस्टैक है, जो कृषि पर केंद्रित डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर है. भारत अभी इसे लागू करने की प्रक्रिया से गुज़र रहा है. एग्रीस्टैक के तहत, कृषि क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं और एप्लिकेशन के साथ साथ, किसानों की केंद्रीय स्तर की रजिस्ट्री भी तैयार की जा रही है. सामूहिक रूप से ये सारे तत्व, एक तरफ़ तो किसानों और खेती-बाड़ी के कामगारों के लिए मददगार होंगे. वहीं, दूसरी ओर इनसे सरकारों और कृषि क्षेत्र के कारोबारियों को भी लाभ होगा.
एग्रीस्टैक के तहत, कृषि क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं और एप्लिकेशन के साथ साथ, किसानों की केंद्रीय स्तर की रजिस्ट्री भी तैयार की जा रही है. सामूहिक रूप से ये सारे तत्व, एक तरफ़ तो किसानों और खेती-बाड़ी के कामगारों के लिए मददगार होंगे. वहीं, दूसरी ओर इनसे सरकारों और कृषि क्षेत्र के कारोबारियों को भी लाभ होगा.
एग्रीस्टैक के तहत, किसानों के डिजिटल आंकड़े- जिसमें हर किसान को आधार की तरह की ख़ास पहचान आवंटित की जाएगी, जो उसके ज़मीन के रिकॉर्ड से जुड़ी होगी- से उम्मीद है कि सब्सिडी और सेवाएं उपलब्ध कराने का काम आसान हो जाएगा. देश के 4.3 करोड़ किसानों का डेटा अब तक प्रमाणित किया जा चुका है. इसी तरह भारत सरकार, किसानों की सेवाओं के लिए एक एकीकृत सर्विस प्लेटफॉर्म भी बना रही है, जो निजी और सरकारी क्षेत्र द्वारा कृषि सेवाओं की डिलिवरी का डिजिटलीकरण करेगी. एग्रीस्टैक इकोसिस्टम से छोटे और सीमांत किसानों को लाभ मिलेगा, जिनकी भारत के कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक हिस्सेदारी है. मगर, इसको लेकर दो तरह की चिंताएं भी प्रकट की गई हैं, और इन चिंताओं को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं. पहला, बहुत से किसानों की ज़मीनों के रिकॉर्ड, अपडेटेड नहीं हैं. इसीलिए, किसानों की पहचान पत्र की जो व्यवस्था विकसित की जा रही है, वो पूरी तरह से फूलप्रूफ नहीं होगी. दूसरी आशंका इस बात की है कि किसानों के निजी डेटा को निजी संस्थाओं से साझा किया जाएगा, जिससे डेटा के संभावित कुप्रबंधन, डेटा की चोरी या फिर व्यक्तियों के प्रोफाइल बनाने के लिए भी हो सकता है. हालांकि, अगर डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) विधेयक 2023 को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो इन जोखिमों से बचने की व्यवस्था की जा सकती है.
कृषि तकनीक़ के समाधान लागू करने के लिए राज्यों की सरकारों ने बड़ी फुर्ती से निजी क्षेत्र के साथ सामरिक साझेदारियां की हैं. उदाहरण के तौर पर, वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की एग्रीकल्चर इनोवेशन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI4AI) पहल के तहत तेलंगाना सरकार ने सागू बागू [1] पायलट परियोजना लागू की है, ताकि कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उभरती हुई तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाया जा सके. 2023 की शुरुआत तक, तेलंगाना में मिर्च की खेती करने वाले लगभग 7,000 किसानों ने ऐसी सेवाओं का लाभ उठाया था, जो AI आधारित मशविरे, ई-कॉमर्स और तकनीक़ पर आधारित मिट्टी के परीक्षण की सेवाएं देती हैं.
वैश्विक साझेदारियां
भारत की कृषि तकनीक़ की क्षमता को धीरे धीरे दुनिय भर में मान्यता मिल रही है. 2023 के मध्य में भारत की पहली प्रिसिज़न एग्रीकल्चर स्टार्ट-अप फाइलो (Fyllo) ने स्पेन स्थित वैश्विक सॉफ्टवेयर को सेवा (SaaS) के तौर उपलब्ध कराने वाली कंपनी टेराव्यू के साथ सामरिक साझेदारी की थी, जिससे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और स्पेन में वाइन बनाने वालों की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके. इस समझौते ने Fyllo को भारत की पहली ऐसी एग्रीटेक कंपनी बना दिया है, जिसने अपना कारोबार देश के बार फैलाया है और बहुत जल्द ही ये कंरनी इटली, फ्रांस और मेक्सिको के अंगूर के बाग़ों में भी अपनी स्मार्ट कृषि प्रक्रिया को लागू करने वाली है.
इससे पहले, 2023 में ही I2U2 कारोबारी शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा शुरू किए गए, एग्रीकल्चर इनोवेशन मिशन फॉर क्लाइमेट (AIM4C) का सदस्य बना था. इसका मक़सद, जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम स्मार्ट कृषि और खाद्य व्यवस्था के क्षेत्र में निवेश और सहायता को बढ़ाना है. AIM4C की सदस्यता से भारत, 275 साझीदारों वाले एक वैश्विक गठबंधन का हिस्सा बन गया है. अहम बात ये है कि इससे भारत और UAE के बीच कृषि क्षेत्र में उस समय सहयोग बढ़ने जा रहा है, जब संयुक्त अरब अमीरात ने भारत में फूड पार्क विकसित करने के लिए दो अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है, ताकि भारतीय किसानों की मदद की जा सके और वो अपनी उपज के लिए ज़्यादा क़ीमत हासिल कर सकें, और खेती बाड़ी के अतिरिक्त नई पीढ़ी की कृषि के अन्य रोज़गार का सृजन हो सके.
2017 से 2020 के बीच भारत और अमेरिका की एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल एड (USAID) ने स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली औऱ वित्तीय रूप से लाभप्रद, साउथ एशिया एगटेक हब फॉर इनोवेशन (SAATHI) को बनाने और इसकी स्थापना में मदद की थी.
2017 से 2020 के बीच भारत और अमेरिका की एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल एड (USAID) ने स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली औऱ वित्तीय रूप से लाभप्रद, साउथ एशिया एगटेक हब फॉर इनोवेशन (SAATHI) को बनाने और इसकी स्थापना में मदद की थी. ये केंद्र भारत से बांग्लादेश औऱ नेपाल तक कृषि क्षेत्र के इवोवेशन को पहुंचा रहा है, ताकि खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी चुनौतियों का मुक़ाबला किया जा सके. ग्लोबल साउथ के अन्य देशों को कृषि क्षेत्र में मदद पहुंचाना, भारत के लिए एक बड़ी प्राथमिकता बना हुआ है.
आगे की राह कैसी है?
भारत के एग्रीटेक के लिए आगे बढ़ने की बहुत अधिक संभावना है. अब तक हुई प्रगति और इस क्षेत्र के दुनिया में बढ़ते क़दमों के बावजूद, देश में कृषि तकनीक़ का सेक्टर अभी भी बहुत शुरुआती दौर में है और अभी ये अपनी 24 अरब डॉलर के बाज़ार मूल्य की संभावना के एक प्रतिशत तक ही पहुंच बना सका है. अब तक अनछुए भारतीय बाज़ार की विशालता को देखते हुए, स्टार्ट-अप और अन्य कृषि उद्यमों के लिए अवसरों की भरमार है, जिसमें वो अपनी जगह बना सकते हैं.
अब इस बात के सारे संकेत दिख रहे हैं कि एग्रीस्टैक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाले हैं. आज जब किसानों की एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री जमा करने के प्रयास तेज़ गति से जारी हैं. फिर भी किसानों के ज़मीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना और ज़मीन के मालिकाना हक़ की पड़ताल करने की रफ़्तार तेज़ की जानी चाहिए. डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) की सच्ची भावना के मुताबिक़, निजी डेटा के संरक्षण की व्यवस्थाों को भी लागू करने की ज़रूरत है, ताकि किसानों के निजी डेटा की सुरक्षा और उनकी गोपनीयता को लेकर जताई जा रही मौजूदा चिंताओं को दूर किया जा सके. इसके अलावा नई तरह की कृषि सेवाएं भी शुरू की जा सकती हैं. मिसाल के तौर पर फ़सल मंडियों में लेन-देन के आंकड़ों को भी एग्रीस्टैक के डिजिटिल इकोसिस्टम से जोड़ा जा सकता है, जिससे ऐसी जानकारी भी मिल सके, जो ख़रीदारों और बेचने वालों, दोनों के लिए फ़ायदेमंद हो.
अब इस बात के सारे संकेत दिख रहे हैं कि एग्रीस्टैक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाले हैं. आज जब किसानों की एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री जमा करने के प्रयास तेज़ गति से जारी हैं. फिर भी किसानों के ज़मीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना और ज़मीन के मालिकाना हक़ की पड़ताल करने की रफ़्तार तेज़ की जानी चाहिए.
कृषि विकास के एजेंडे में कृषि क्षेत्र में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने को सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाया जाना चाहिए. डिजिटल साक्षरता की पहलों को लागू करने और किसानों को शिक्षित करने में किसान उत्पादक संगठन (FPOs) महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. FPOs संस्थागत ख़ुदरा कारोबारियों और फूड प्रॉसेसिंग कंपनियों के साथ साझेदारियां निर्मित करने के लिए भी अनूठी स्थिति में है. इससे किसानों को अपनी फ़सल की गुणवत्ता सुधारने के लिए, और इस प्रक्रिया में एग्रीटेक को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
आज जब भारत अपने स्टार्ट-अप के इकोसिस्टम को मज़बूत करने में जुटा है, तो स्टार्ट-अप कंपनियों को भी ये बताया जाना चाहिए कि वो निवेशकों के सामने बड़े पैमाने पर उत्पादन करने और ऊंची इकाई के अर्थशास्त्र का भी प्रदर्शन करे. ये बात एग्रीटेक स्टार्ट-अप पर तो ख़ास तौर से लागू होती है, क्योंकि उनको कृषि की वैल्यू चेन के भीतर, पारंपरिक माध्यों में खलल डाले बग़ैर इनोवेशन करना पड़ता है और उन्हें FPOs, वितरकों और फूड प्रॉसेसर्स और अन्य भागीदारों के साथ शुरुआत से ही नेटवर्क बनाना पड़ता है.
आख़िर में एग्रीटेक के क्षेत्र में रिसर्च के लिए एक मज़बूत संस्कृति को बढ़ावा देना होगा. इसके सात साथ जानकारी साझा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेन-देन के कार्यक्रम भी जारी किए जाने चाहिए. सहयोगी नीतियों, सामरिक निवेश, तकनीकी दक्षता के भंडारों और अन्य देशों के साथ बेहतरीन नीतियों को साझा करने से, भारत का कृषि क्षेत्र अपने स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए अधिक सशक्त बनेगा और वैश्विक खाद्य व्यवस्था में बेहतर योगदान दे सकेगा.
[1] In Telugu, this translates as ‘agriculture advancement’.
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