Published on Jul 31, 2023 Updated 0 Hours ago

मेगासिटी के संकट ने गवर्नेंस टूल के रूप में प्रोपेगेंडा (दुष्प्रचार) का इस्तेमाल करने की सीमाएं बता दी है.

शंघाई संकट: अपने जन्मस्थान को फ़िर से ज़िंदा करने की कोशिश में लगा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी CCP
शंघाई संकट: अपने जन्मस्थान को फ़िर से ज़िंदा करने की कोशिश में लगा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी CCP

मार्च की शुरुआत से ही चीन कोरोना महामारी के कारण आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन के तहत अपने 70 से अधिक उन्नत शहरों के साथ उहापोह में फंसा हुआ है. उनमें से शंघाई – जो चीन का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है – वहां मार्च के अंत से ही लॉकडाउन लगा हुआ है जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है.

शंघाई का महत्व

शंघाई कोई आम शहर नहीं है बल्कि यह चीन की आर्थिक राजधानी और मैन्युफ़ैक्चरिंग पावरहाउस के रूप में जाना जाता है. इसके 25 मिलियन निवासी देश के सबसे धनी लोगों में शुमार हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2021 में शहर की प्रति व्यक्ति डिस्पोजेबल इनकम (प्रयोज्य आय) 40,357 युआन (6,219 यूएस डॉलर) थी, जो चीन में सबसे अधिक है. शंघाई के पास दुनिया का सबसे व्यस्त कार्गो टर्मिनल है. इसने चीन के सकल घरेलू उत्पाद में 3 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया है और साल 2018 के बाद से चीन के कुल व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से अधिक की रही है. इसके अलावा एक सदी से भी अधिक समय पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के जन्मस्थान के रूप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व रहा है. यह कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के प्रयास से जुड़े महत्व में परिलक्षित होता है. कोरोना संकट में घिरे स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए चीन ने सेना के मेडिकल कॉर्प्स की तैनाती की है. इतना ही नहीं, सीसीपी ने शहर का दौरा करने के लिए उच्च पद पर तैनात वाइस प्रीमियर सुन चुनलान को शहर में हालात का जायजा लेना भेजा, जिसके बाद शहर के प्रदर्शनी केंद्रों को अस्थायी तौर पर कोरोना पीड़ितों के लिए सेंटर बना दिया गया.

सीसीपी ने शहर का दौरा करने के लिए उच्च पद पर तैनात वाइस प्रीमियर सुन चुनलान को शहर में हालात का जायजा लेना भेजा, जिसके बाद शहर के प्रदर्शनी केंद्रों को अस्थायी तौर पर कोरोना पीड़ितों के लिए सेंटर बना दिया गया.

नीतियों के मायने

कोरोना वायरस से कैसे निपटना है इसके लिए बनाई जाने वाली रणनीति में सीसीपी की नीति-निर्माण तंत्र ने अहम भूमिका निभाई है. अपनी पुस्तक ‘रेड स्वान: हाउ अनऑर्थोडॉक्स पॉलिसी मेकिंग फैसिलिटेटेड चाइनाज़ राइज़’ में लेखक सेबस्टियन हेइलमैन लिखते हैं कि सीसीपी ने हमेशा छोटे इलाक़ों में नई पहल के साथ प्रयोग किया है और इसे बाद में प्रांत में, यहां तक ​​कि राष्ट्रीय स्तर पर भी शुरू किया है. कोरोना महामारी ​​​​के प्रति चीन की प्रतिक्रिया दोतरफा रही है : शहरी केंद्रों को बंद करना और स्थानीय आबादी का सामूहिक जांच कराना, इसके साथ ही प्रशासन कोविड पॉज़िटिव लोगों को घर पर रखने और उन्हें अलग-थलग करने की कोशिश करता रहा है जिससे संक्रमण श्रृंखला को तोड़ने की उम्मीद करता है. कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ इस प्रतिक्रिया के बारे में तब पता चला जब साल 2019-2020 में वुहान में कोरोनावायरस के प्रकोप से हाहाकार मचा था.

साल 2019 में कोरोना महामारी प्रकोप को लेकर बीजिंग की प्रतिक्रिया में ख़ास तौर पर कई कमियां पाई गईं. सीसीपी कोरोना संक्रमण के एपिसेंटर में वायरस के प्रसार को रोकने में नाकाम रहा और तो और इसने व्हिसल-ब्लोअर डॉ ली वेनलियांग को सताने के लिए राज्य मशीनरी का दुरुपयोग भी किया. जिसके बाद सीसीपी ने एक सख़्त ज़ीरो – कोरोनावायरस नीति अपनाई क्योंकि इससे वुहान में संक्रमण को रोकने में मदद मिली. सीसीपी के अभिजात वर्ग ने शायद सोचा था कि चूंकि ऐसी रणनीति वुहान में कारगर रही, तो यह दूसरे इलाक़ों में भी सफल रहेगी.

साल 2022 का चीन साल 2019 का चीन नहीं है. चीन की सरकारी मीडिया ने 14 अप्रैल को बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले लोगों पर नकेल कसी जाएगी.

हालांकि सीसीपी मानवीय तत्वों के बारे में हिसाब देने में विफल रही. महामारी के शुरुआती दिनों में, ब्लैक स्वान की घटना के बाद सख़्त महामारी नियंत्रण उपायों को लेकर लोगों में सामाजिक स्वीकृति ज़्यादा पाई गई थी लेकिन ऐसा लगने लगा था कि धैर्य कमज़ोर पड़ रहा था. बच्चों को उनके माता-पिता से छीन लिए जाने की वज़ह से सोशल मीडिया पर लीक फ़ुटेज, प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ ऊंची इमारतों से रोते हुए लोग और राज्य द्वारा बांटी जा रही राशन की ख़राब गुणवत्ता के वायरल वीडियो, सीसीपी के लिए एक चुनौती बनती जा रही थी जो सामाजिक स्थिरता के लिए किसी भी तरह से उचित नहीं थी. लेकिन साल 2022 का चीन साल 2019 का चीन नहीं है. चीन की सरकारी मीडिया ने 14 अप्रैल को बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले लोगों पर नकेल कसी जाएगी.

दुष्प्रचार का गवर्नेंस टूल के रूप में इस्तेमाल

साल 2019 में वुहान में कोरोनावायरस के प्रकोप के शुरुआती झटके के बाद सीसीपी ने यह नैरेटिव फैलाया कि चीन में 2020 की दूसरी छमाही तक अपने बेहतर शासन मॉडल के कारण महामारी पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया था. इसके साथ ही, सीसीपी महासचिव घरेलू लोगों को यह बता रहे थे कि “पूर्व आगे बढ़ रहा है और पश्चिम पीछे जा रहा है”, यह अनिवार्य रूप से चीन के कोरोना महामारी से “सफलतापूर्वक” निपटने के लिए पश्चिम की लड़खड़ाती व्यवस्था को लेकर कही गई बातें थीं. हाल के वर्षों में, शी की संस्था-सिंघुआ विश्वविद्यालय- इस नैरेटिव का सूत्रधार रही है कि चीन एक महाशक्ति बनने की राह पर है. शी ने इस “सफलता” का इस्तेमाल इस दावे को पुष्ट करने में किया कि चीन का लोकतांत्रिक स्वरूप पश्चिमी यूरोपीय देशों के मुक़ाबले बेहतर था, यह तब किया जा रहा था जब चीन ने दिसंबर 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के ‘समिट ऑफ़ डेमोक्रेसी’ के जवाब में एक समानांतर सम्मेलन का आयोजन किया था. सीसीपी की “अधिनायकवादी स्थिरता” की धारणा के तहत लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे तेजी से आर्थिक विकास के बदले अपने अधिकारों का त्याग कर सकें. सीसीपी के लिए विचार करने का सवाल यह है कि जब स्थिति संघर्षपूर्ण हो जाएगी तो देश के नागरिक और कितना दर्द सहने को तैयार होंगे.

सीसीपी की “अधिनायकवादी स्थिरता” की धारणा के तहत लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे तेजी से आर्थिक विकास के बदले अपने अधिकारों का त्याग कर सकें. सीसीपी के लिए विचार करने का सवाल यह है कि जब स्थिति संघर्षपूर्ण हो जाएगी तो देश के नागरिक और कितना दर्द सहने को तैयार होंगे.

शंघाई में एक महीने से अधिक के लॉकडाउन के चलते कुल वास्तविक आय में लगभग 2.7 प्रतिशत की कमी आ सकती है. झेजियांग, सिंघुआ विश्वविद्यालयों, प्रिंसटन और हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा एक संयुक्त शोध परियोजना में पाया गया कि चीन की सख़्त महामारी प्रतिक्रिया में लगभग 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति माह ख़र्च हो सकता है – सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.1 प्रतिशत – जो पूरी तरह से आर्थिक उत्पादन की कमी होगा. सकल घरेलू उत्पाद द्वारा चीन के शीर्ष 100 शहरों के अपने शोध में शोध फर्म गावेकल ने यह पाया कि साल 2022 से लॉकडाउन में बढ़ोतरी हो रही थी. (चित्र 1 देखें). चीन के प्रधानमंत्री ली केक्वियांग ने चीन की अर्थव्यवस्था के लिए आंतरिक और बाहरी चुनौतियों को लेकर चेतावनी दी है.

Source: Gavekal

हालांकि, चीन की अर्थव्यवस्था में कमी के बावजूद शी ने चीन की कोरोना रणनीति पर किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार कर दिया. इस संकट के बीच चीन के सबसे दक्षिणी प्रांत, हैनान की यात्रा के दौरान, शी ने दोहराया कि कोरोना महामारी पर सरकार अपनी पहले की रणनीति को कमज़ोर नहीं करेगी, क्योंकि यह “ज़्यादा लोगों की बेहतरी” के लिए था. ऐसी दृढ़ता को शी जिनपिंग की प्रशासन की शैली का हिस्सा माना जा सकता है जिसमें उन्होंने सामूहिक नेतृत्व प्रणाली को नज़रअंदाज़ किया है और सीधे अपने हाथों में सत्ता केंद्रित कर ली है. ऐसी स्थिति में पीछे हटना एक अहम पार्टी सम्मेलन से पहले उनके विपक्ष को एक मुद्दा दे सकता है जो भविष्य में चीन के नेतृत्व को तय करेगी. शी जिनपिंग के अभी अगले पांच साल के कार्यकाल के साथ शीर्ष पद पर बने रहने की उम्मीद है.

हांगकांग की मुख्य कार्यकारी कैरी लैम ने दूसरे कार्यकाल के लिए ख़ुद को असमर्थ बताया है. हालांकि चर्चा यह थी कि बीजिंग के प्रति अपनी वफादारी के बावज़ूद वह विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में महामारी से निपटने की नाकामी को लेकर व्यक्तिगत स्तर पर क़ीमत चुका रही थी, जिसमें शहर के अंदर ज़्यादा मृत्यु देखी गई थी. 

शंघाई की नाकामी का परिणाम यह हो सकता है कि इसकी गूंज शंघाई शहर से बाहर भी सुनी जा सकती है. सबसे पहले, यह सीसीपी के लिए शी जिनपिंग के उत्तराधिकारी तय करने की योजना को प्रभावित कर सकता है. हाल ही में, हांगकांग की मुख्य कार्यकारी कैरी लैम ने दूसरे कार्यकाल के लिए ख़ुद को असमर्थ बताया है. हालांकि चर्चा यह थी कि बीजिंग के प्रति अपनी वफादारी के बावज़ूद वह विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में महामारी से निपटने की नाकामी को लेकर व्यक्तिगत स्तर पर क़ीमत चुका रही थी, जिसमें शहर के अंदर ज़्यादा मृत्यु देखी गई थी. इस बीच अटकलें लगाई जा रही थीं कि शंघाई के लिए सीसीपी सचिव, शी के प्रमुख सहयोगी ली कियांग, प्रीमियर के पद के लिए सबसे आगे थे (सीसीपी पदानुक्रम में नंबर 2 रैंकिंग). लेकिन शंघाई की परिस्थितियां इससे कहीं ज़्यादा कठिन हो सकती हैं क्योंकि लैम के लिए एक नियम और ली के लिए दूसरा नियम सामान्य तर्क से स्वीकार करने योग्य नहीं हो सकता है. चीन की ज़ीरो कोविड नीतियों ने अमेरिका के साथ अपने टकराव में एक और मोर्चा खोल दिया है. अमेरिका ने हाल ही में शंघाई में अपने दूतावास के सभी गैर-आपातकालीन कर्मचारियों को चीन छोड़ने के लिए कहा था जिसे लेकर चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे चीन का “अपमान” तक करार दे दिया था.

सिंघुआ विश्वविद्यालय के शिक्षाविद यान ज़ुएतोंग ने चेतावनी दी थी कि चीनी ज़रूरत से ज़्यादा आत्मविश्वासी हो गए हैं और उन्होंने श्रेष्ठता की धारणा को हासिल कर ली है. हालांकि, यान अपने छात्रों को संबोधित कर रहे होंगे, लेकिन उनका भाषण सीसीपी के अभिजात वर्ग के रवैए को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी की श्रेणी में आता है.

संक्षेप में, इस गतिरोध को जन्म देने वाली अंतर्निहित समस्याएं सीसीपी के अभिजात वर्ग के अक्खड़पन को दर्शाता है. ऐसे समय में जब चीन में राजनीतिक माहौल शी जिनपिंग के प्रति वफादारी की ओर इशारा करता है तो ऐसे माहौल में उनकी सरकार की नौकरशाही या पार्टी में से कोई भी बुरी ख़बर का वाहक नहीं बनना चाहता. ऐसी व्यवस्था के बावज़ूद कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने ख़तरे की घंटी बजाने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई है. जनवरी में, सिंघुआ विश्वविद्यालय के शिक्षाविद यान ज़ुएतोंग ने चेतावनी दी थी कि चीनी ज़रूरत से ज़्यादा आत्मविश्वासी हो गए हैं और उन्होंने श्रेष्ठता की धारणा को हासिल कर ली है. हालांकि यान अपने छात्रों को संबोधित कर रहे होंगे, लेकिन उनका भाषण सीसीपी के अभिजात वर्ग के रवैए को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी की श्रेणी में आता है. जिस तरह कोरोना वायरस लगातार ख़ुद को बदलता रहता है उसी तरह बीजिंग के मंदारिनों को अपनी नीतिगत प्रतिक्रियाओं को बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए.

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