Published on Apr 11, 2020 Updated 0 Hours ago

अगर किसी छोटे समुदाय में सामुदायिक संक्रमण को मानव केंद्रित असाधारण क़दमों से रोका जा सकता है, तो यक़ीनन हिंद महासागर में स्थित देश सेशेल्स में कोरोना वायरस के संक्रमण के सबसे कम मामलों का रिकॉर्ड आगे भी बना रह सकता है.

सेशेल्स: कोविड-19 से निपटने में द्वीप देशों के लिए बना मिसाल

कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया के कमोबेश हर देश को प्रभावित किया है. इसमें छोटे द्वीपों वाले अफ्रीकी देश जैसे कि सेशेल्स भी शामिल हैं. हर देश में वायरस के संक्रमण की गति अलग है. ऐसे में हर देश में इसको रोकने के लिए किए जा रहे उपाय भी बिल्कुल अलग-अलग देखने को मिल रहे हैं. जिस समय ये लेख लिखा गया उस समय सेशेल्स में बाहर से संक्रमित हो कर आए आठवें व्यक्ति के बारे में पता चला था. सेशेल्स में अब तक कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन देखने को नहीं मिला है. ये इस क्षेत्र के लिहाज़ से बिल्कुल अलग ही उदाहरण है.

सेशेल्स 95 हज़ार की आबादी वाला अफ्रीका का सबसे छोटा सा देश. हिंद महासागर के द्वीपों में सेशेल्स ही ऐसा देश है, जहां अभी तक सबसे कम कोरोना पॉज़िटिव केस सामने आए हैं. ये इस बात की तरफ़ इशारा करता है कि यहां आरंभ में ही इसे फैलने से रोकने की तैयारी कर ली गई थी. इस द्वीप से सटे अन्य द्वीप जैसे मॉरीशस, श्रीलंका और मालदीव में इसकी तुलना में कहीं ज़्यादा केस हैं. यहां कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या 102, 113 और 16 तक है. इस बीमारी से लड़ने के लिए नीति निर्माता और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी कैसी रणनीति अपनाते हैं, ये बहुत अहम है. जिस नीति पर अमल करके सेशेल्स ने अपने यहां कोरोना वायरस का संक्रमण सीमित कर रखा है, उससे अफ्रीकी देश भी बहुत कुछ सीख सकते हैं.

भू-मध्यरेखा के दक्षिण से चार डिग्री दूर सेशेल्स द्वीप समूह बाक़ी दुनिया से काफी दूर है. लेकिन तकनीक की मदद से सबसे जुड़ा है. यहां कोरोना जैसी महामारी को बड़े पैमाने पर फैलने से रोक दिया गया. इसका मतलब ये है कि कोरोना के बारे में जानकारी और अत्यधिक जानकारी से यहां के लोगों ने इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी लेकर उसे रोकने के उपाय पहले ही करने शुरु कर दिए. कोरोना के नाम पर फैलाई जाने वाली भ्रामक जानकारियां रोकने के लिए यहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोशल मीडिया और लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस का सहारा लिया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्य से लोगों को कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों की पूरी जानकारी दी. कितने लोग क्वारंटीन किए गए हैं, कितने लोगों का टेस्ट किया गया है, बिल्कुल सही आंकड़ों के साथ ये तमाम जानकारियां लोगों तक पहुंचाई गईं. ताकि लोगों के बीच किसी तरह का भ्रम ना रहे. सरकार द्वारा दी गई पारदर्शी जानकारी के चलते ही लोगों ने भी ख़ुद को इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार किया और एक दूसरे का सहयोग किया.

कोविड-19 ऐसे द्वीप के लोगों के सब्र का इम्तिहान ले रहा था, जो पहले ही कई तरह की सामाजिक बुराइयों से जूझ रहा था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ यहां 5 हज़ार लोग हेरोइन का नशा करने के आदी हैं. ये संख्या सेशेल्स के कुल कामकाजी लोगों का 10 प्रतिशत है. ऐसे में सेशेल्स ने मुश्किल पड़ने पर 2017 में हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी थी

ऐसा नहीं है कि सेशेल्स में कभी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट नहीं हुआ है. सेशेल्स सार्स, H11Nन1 जैसे वायरस की मार पहले झेल चुका है. तब भी यहां के लोगों ने बहुत संयम से इस संकट का सामना किया था. लेकिन कोरोना जिस तेज़ी से फैलता है वो इस देश के लिए भी अभूतपूर्व है. कोरोना मरीज़ों की पुष्टि के साथ ही मार्च महीने के मध्य में यहां के हेल्थ कमिश्नर ने स्वास्थ्य का आपातकाल घोषित कर दिया था. इस बीच सरकार को ज़मीनी स्तर पर इस महामारी से लड़ने के लिए पर्याप्त समय मिल गया. तुरंत ही कोरोना संक्रमित लोगों और पॉज़िटिव केस को चिह्नित किया जाने लगा. संक्रमित लोगों को क्वारंटीन और पॉज़िटिव केस को अस्पताल में आइसोलेशन में रखा जाने लगा. पूरे सेशेल्स में सभी स्कूल, यूनिवर्सिटी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए गए. तीस दिन के लिए सभी तरह की उड़ाने रद्द हो गईं. लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाने को कहा गया. एडवाइज़री जारी कर दी गई कि किसी भी सार्वजनिक जगह पर चार से ज़्यादा लोग एक साथ जमा नहीं होंगे. सभी तरह के धार्मिक स्थलों को भी बंद कर दिया गया. सेशेल्स की राष्ट्रीय एयरलाइन कंपनी एयर सेशेल्स ने तो अप्रैल 2020 तक अपनी सभी उड़ाने रद्द कर दी हैं. सरकार द्वारा उठाए गए इन क़दमों का असर ये रहा कि आज यहां कोरोना के संक्रमण के मामले बहुत कम ही सामने आए हैं और जो आए भी हैं वो दूसरे देशों से आए लोगों के हैं.

कोविड-19 ऐसे द्वीप के लोगों के सब्र का इम्तिहान ले रहा था, जो पहले ही कई तरह की सामाजिक बुराइयों से जूझ रहा था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ यहां 5 हज़ार लोग हेरोइन का नशा करने के आदी हैं. ये संख्या सेशेल्स के कुल कामकाजी लोगों का 10 प्रतिशत है. ऐसे में सेशेल्स ने मुश्किल पड़ने पर 2017 में हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी थी. अफ्रीकी महाद्वीप में सेशेल्स द्वीप समूह अकेला सबसे ज़्यादा कमाई वाला द्वीप समूह है. लेकिन यहां की 40 प्रतिशत आबादी ग़रीबी की रेखा के नीचे रहती है. कोरोना की वजह से पैदा हुए स्वास्थ्य के संकट ने पहले से ही दबाव में चल रहे सेशेल्स के हेल्थ सिस्टम की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. लेकिन, तमाम मुश्किलों के बावजूद इस देश ने कोरोना वायरस की रोकथाम में जो सफलता हासिल की है, उससे कई अफ्रीकी देश सीख ले रहे हैं. इसीलिए यहां बाहर से मिलने वाली सहायता का भी दिल से स्वागत किया जा रहा है. पिछले हफ्ते ही संयुक्त अरब अमीरात और चीन की अलीबाबा कंपनी के संस्थापक जैक मा ने सेशेल्स को मेडिकल उपकरणों का दान किया है.

मॉरीशस और श्रीलंका की तरह सेशेल्स ने अपने यहां पूरी तरह लॉकडान का एलान अभी तक नहीं किया है. फिर भी यहां कारोबार प्रभावित हुआ है. सेशेल्स उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर बाहर से आने वाले मज़दूरों पर निर्भर करता है. यहां के कुल कामगारों का 25 प्रतिशत हिस्सा बाहर से आए मज़दूरों का ही है. टूरिज़्म और निर्माण के कार्य में तो ख़ास तौर से बाहरी लोग काम करते हैं. यहां ये मज़दूर ज़्यादातर भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश से आते हैं. काम के बाद इन मज़दूरों को अपने अपने घरों में बंद हो जाने का आदेश दिया जा चुका है. टूरिज़्म सेक्टर पूरी तरह बंद हो जाने की वजह से लोगों के पास पैसे की कमी हो गई है. बहुत से कर्मचारियों को बिना वेतन वाली छुट्टियां लेने का सुझाव भी दिया गया है. हालांकि सरकार ने आश्वस्त किया है कि किसी की सैलरी नहीं रोकी जाएगी. फिर भी बाहर से आए मज़दूर और कर्मचारी यहां से निकलना चाहते हैं.

अगर सेशेल्स जैसे छोटे द्वीप पर समय रहते सही क़दम उठाकर कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है, तो फिर अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं. फिलहाल तो इस देश का ध्यान मौजूदा हालात से निपटने पर अधिक केंद्रित है. जिसके लिए संसाधनों की कमी से भी सेशेल्स जूझ रहा है

सेशेल्स में विदेशी मुद्रा और कमाई का सबसे बड़ा सेक्टर है टूरिज़्म. अब मुश्किल की इस घड़ी में सरकार के सामने जनता के स्वास्थ्य का ख़्याल रखना और कमज़ोर होती अर्थव्यवस्था के बीच तालमेल बैठाना एक बड़ी चुनौती बन गया है. सेशेल्स अपनी रोज़ाना के खपत के लिए आवश्यक उत्पादों का 90 फीसद हिस्सा आयात ही करता है. ऐसे में जबकि सभी तरह का यातायात बंद है, तो इन उत्पादों की कमी भी बड़े पैमाने पर होगी और व्यापार राजस्व पर भी इसका असर पड़ेगा. खाली पड़े समंदर के बीच, घाट, खाली होटल सेशेल्स में बेरोज़गारी और आर्थिक संकट को बढ़ाएंगे. फरवरी से मार्च महीने के दौरान सेशेल्स आने वाले क़रीब 2300 पर्यटकों की बुकिंग कैंसिल की गई है. इससे देश को करीब 38 लाख अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है. वैसे ही इस साल सेशेल्स के टूरिज़्म कारोबार में 64 फीसद की कमी आई है. मॉरीशस का हाल भी कुछ ऐसा ही है. साल 2020 में इनकी आर्थिक विकास की दर 4.2 प्रतिशत ही रहने की आशंका जताई गई है. कोविड-19 से उपजे संकट के बाद अब छोटे द्वीपों वाले देशों को कमाई के लिए टूरिज़्म के अलावा अन्य विकल्प भी तलाशने होंगे.

फ़िलहाल तो यहां की सरकारें स्वास्थ्य को पैसे पर तरज़ीह दे रही हैं. सभी स्वास्थ्यकर्मियों, अधिकारियों, को सख़्त निर्देश हैं कि वो सभी जगह जाएं, लोगों से संपर्क करें, उन पर नज़र रखें.संदिग्धों को तुरंत अन्य लोगों से अलग करके उन्हें क्वारंटीन करें और जो पॉज़िटिव हैं उनका इलाज करें. अगर सेशेल्स जैसे छोटे द्वीप पर समय रहते सही क़दम उठाकर कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है, तो फिर अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं. फिलहाल तो इस देश का ध्यान मौजूदा हालात से निपटने पर अधिक केंद्रित है. जिसके लिए संसाधनों की कमी से भी सेशेल्स जूझ रहा है. फिर भी, सेशेल्स की सरकार को आने वाले समय में अपनी जनता की सेहत को ही प्राथमिकता देते रहने की ज़रूरत होगी, ताकि वो इस महामारी को अपने यहां फैलने से रोक सके.

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