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यूक्रेन जंग के बीच कीव में भारी बर्फबारी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. कीव में भारी बर्फबारी के बीच यहां लोगों को भारी बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. क्या इस बर्फबारी का यूक्रेन जंग पर कोई प्रभाव पड़ेगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति की क्या है बड़ी चिंता.
Russia Ukraine Tension: यूक्रेन जंग (Ukraine War) के बीच राजधानी कीव (Kyiv) में भारी बर्फबारी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. कीव में भारी बर्फबारी के बीच यहां लोगों को भारी बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. देशभर में ब्लैकआउट (Blackout) की स्थिति उत्पन्न हो गई है. रूसी सेना के हमलों से यूक्रेन में ऊर्जा संयंत्रों को भारी नुकसान हुआ है. कीव में दिन और रात में न्यूनतम तापमान शून्य से एक डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है. यही कारण है कि कीव में सर्दियों में ऊर्जा की भारी खपत होती है. यूक्रेन जंग में ऊर्जा संयंत्रों के नष्ट होने के कारण महज चार घंटे विद्युत आपूर्ति हो रही है. इससे लोग जंग और ठंड दोनों से एक साथ जूझ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बर्फबारी का यूक्रेन जंग पर कोई प्रभाव पड़ेगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति (President) की क्या है बड़ी चिंता.
रूसी सेना के हमलों से यूक्रेन में ऊर्जा संयंत्रों को भारी नुकसान हुआ है. कीव में दिन और रात में न्यूनतम तापमान शून्य से एक डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है. यही कारण है कि कीव में सर्दियों में ऊर्जा की भारी खपत होती है.
यूक्रेन में ऊर्जा उत्पादन खपत की जरूरतों के लिहाज से काफी कम है. यह केवल तीन चौथाई को ही कवर करने में सक्षम हैं. रिपोर्ट के अनुसार लोगों को केवल चार से पांच घंटे ही बिजली सप्लाई मिल रही है. हालांकि, कीव में बर्फबारी के कारण बिजली की मांग गर्मी की तुलना में अधिक होती है. ठंड के प्रकोप से बचने के लिए घरों और दफ्तरों में हीटर का उपयोग ज्यादा होता है. रिपोर्ट के अनुसार लोगों को केवल चार से पांच घंटे ही बिजली सप्लाई मिल रही है.
कीव को बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी यास्नो के मुख्य परिचालन अधिकारी सर्गेई कोवलेंको ने कहा कि शहर की स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन अभी भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने संकेत दिया कि कीव के निवासियों को प्रतिदिन कम से कम चार घंटे ही बिजली मिलेगी. कोवलेंको ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा अगर आपके पास पिछले दिन कम से कम चार घंटे बिजली नहीं है, तो डीटीईके कीव इलेक्ट्रिक नेटवर्क्स को लिखें, सहकर्मी आपको यह पता लगाने में मदद करेंगे कि समस्या क्या है.
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूसी सेना चाहेगी कि यूक्रेन में सर्दी का प्रकोप कम हो, लेकिन यूक्रेनी सेना की इच्छा होगी कि जंग के मैदान बर्फ से जम जाए और वह रूसी सैन्यबलों को पछाड़ सके. प्रो पंत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि रूसी और यूक्रेनी सेना को सर्दियों में जंग लड़ने का अच्छा अभ्यास है. दोनों सेनाओं के उपकरण और हथियार इसी लिहाज से डिजाइन किए गए हैं.
कीव को बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी यास्नो के मुख्य परिचालन अधिकारी सर्गेई कोवलेंको ने कहा कि शहर की स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन अभी भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
2- उन्होंने कहा कि लेकिन यूक्रेनी जनता के समक्ष यह एक बड़ी समस्या होगी. इस समस्या से निपटना यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि ऐसे में यह उम्मीद कम है कि इस जंग में ठंड का असर बहुत ज्याद होगा, लेकिन आम जनता इससे बेहद प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेनी इलाकों में बहुत बर्फबारी शुरू होती है, तभी इसका असर जंग पर पड़ेगा.
3- प्रो पंत का कहना है कि सर्दी का मौसम यूक्रेनी और रूसी दोनों सैनिकों को दिक्कत पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा कि सर्दी के चलते जंग में लड़ रहे सैनिकों को खाद्य सामग्री भेजने की सबसे बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि यह चुनौती किसी एक सेना के पास होगी, बल्कि रूस और यूक्रेन दोनों को समस्या से जूझना होगा. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में बर्फबारी यूक्रेनी सेना की गति को रोक सकती है. इससे यूक्रेनी सेना को नुकसान हो सकता है. अक्टूबर में भारी बारिश के चलते खेरसान में यूक्रेन का अभियान पहले से प्रभावित हुआ है.
यह भी उम्मीद है कि सर्दियों के मौसम में रूसी सेना अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है. वह जमीनी लड़ाई के बजाए हथियारों से लड़ने पर जोर देगी. इसमें तोपों से बमबारी और ड्रोन हमले शामिल है. सर्दी के मौसम में ड्रोन हमले बढ़ सकते है.
4- प्रो पंत ने कहा कि यह भी उम्मीद है कि सर्दियों के मौसम में रूसी सेना अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है. वह जमीनी लड़ाई के बजाए हथियारों से लड़ने पर जोर देगी. इसमें तोपों से बमबारी और ड्रोन हमले शामिल है. सर्दी के मौसम में ड्रोन हमले बढ़ सकते है. ऐसे में रूस और यूक्रेन दोनों के सैन्यबल ड्रोन पर बहुत हद तक निर्भर होंगे. रूसी सेना इन हमलों के जरिए यूक्रेन के सप्लाई डिपो और ऊर्जा संयंत्रों को निशाना बना सकती है. रूसी सेना की नजर यूक्रेन के संसाधनों पर है.
गौरतलब है कि यूक्रेन में दिसंबर से फरवरी के मध्य तक बर्फबारी होती है. यही कारण है कि रूसी सेना ने एक रणनीति के तहत फरवरी में यूक्रेन के खिलाफ मोर्चा खोला था. यूक्रेन के दक्षिणी हिस्से में और काला सागर के तटीय इलाकों में कम ठंड पड़ती है. इसलिए यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि रूसी सेना इस ठंड में अपनी सैन्य रणनीति में बदलाव कर सकती है. ठंड के मौसम में रूसी सेना यूक्रेन के दक्षिण हिस्से पर एक नया मोर्चा खोल सकती है.
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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