Author : Ashraf Nehal

Expert Speak Raisina Debates
Published on Feb 19, 2025 Updated 0 Hours ago

वैसे तो रिफॉर्म यूके के नेता नाइजेल फराज़ शायद ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे लेकिन उनकी लोकलुभावन राजनीति यूनाइटेड किंगडम (यूके) की सियासत पर एक अमिट छाप छोड़ेगी और इसे खारिज नहीं किया जाना चाहिए.

Reform UK: ब्रिटेन की राजनीति में एक नयी ताकत या अस्थायी रुझान?

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20 जनवरी 2025 को जिस समय राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार शपथ लेने के लिए डॉनल्ड ट्रंप ने अपना हाथ उठाया, वहां जश्न मना रही भीड़ में नाइजेल फराज़ भी मौजूद थे. ये एक ऐसा क्षण था जो केवल व्यक्तिगत निष्ठा से कहीं अधिक के बारे में बता रहा था. ये दो तरह की राजनीतिक दुनिया के मेल-जोल का प्रतीक था: एक तरफ ट्रंप का जुझारू लोकलुभावनवाद (पॉपुलिज़्म) और दूसरी तरफ ब्रिटेन की राजनीति को नया आकार देने की फराज़ की अथक महत्वाकांक्षा. फराज़ के लिए ये सिर्फ एक तमाशा नहीं था बल्कि ये इस बात का एलान भी था कि “रिफॉर्म यूके” यथास्थिति को ख़त्म करने के लिए है. 

ट्रंप की शपथ में नाइजेल फराज़ की उपस्थिति केवल एक संयोग नहीं थी. ब्रेक्ज़िट अभियान के दौरान बना उनका संबंध अभिजात वर्ग के लिए साझा नफरत और लोगों के मोहभंग को मज़बूत करने की क्षमता पर आधारित अटलांटिक पार की साझेदारी को दर्शाता है.

ट्रंप की शपथ में नाइजेल फराज़ की उपस्थिति केवल एक संयोग नहीं थी. ब्रेक्ज़िट अभियान के दौरान बना उनका संबंध अभिजात वर्ग के लिए साझा नफरत और लोगों के मोहभंग को मज़बूत करने की क्षमता पर आधारित अटलांटिक पार की साझेदारी को दर्शाता है. फराज़ ने अपने राजनीतिक महत्व को बढ़ाने के लिए लगातार इस संबंध का लाभ उठाया है. यहां तक कि उन्होंने प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की लेबर सरकार को भी अपनी सेवाओं की पेशकश की है. उन्होंने दावा किया कि ट्रंप के साथ उनकी “व्यक्तिगत दोस्ती” यूके-अमेरिका के संबंधों को मज़बूत कर सकती है. इस तरह उन्होंने ख़ुद को ब्रेक्ज़िट के बाद की कूटनीति को आकार देने में एक प्रमुख हस्ती के रूप में सामने रखा. 

हालांकि, लेबर पार्टी ने मज़बूती से फराज़ के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. कैबिनेट ऑफिस मंत्री पैट मैकफैडेन ने ज़ोर देकर कहा कि सरकार के "अपने संबंध होंगे" और ट्रंप के साथ बातचीत के लिए फराज़ की मदद की आवश्यकता नहीं है. इस इनकार ने एक स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखने की लेबर पार्टी की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. साथ ही दूसरी बार निर्वाचित अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के साथ फराज़ के निकट संबंधों के बावजूद उनके प्रभाव से सरकार ने ख़ुद को दूर रखा. ट्रंप के साथ संबंध का फराज़ के द्वारा रणनीतिक उपयोग व्यापक राजनीतिक नैरेटिव के साथ अपने नेटवर्क को जोड़ने के उनके हुनर को उजागर करता है और इस तरह अटलांटिक के पार एक राजनीतिक किरदार के रूप में उनकी स्थिति को मज़बूत करता है. 

इसके बावजूद ट्रंप के साथ ये जुड़ाव अवसर और जोखिम- दोनों पेश करता है. ट्रंप के कार्यकाल के दौरान फराज़ को यूके के व्यापार को बढ़ावा देने, अलग-अलग क्षेत्रों में समझौतों को आगे बढ़ाने और ब्रेक्ज़िट के बाद ब्रिटेन की पहचान को फिर से बदलने का मौका दिख रहा है. लेकिन फराज़ की अपनी ध्रुवीकरण वाली छवि के साथ ट्रंप का राजनीतिक बोझ इसे एक मुश्किल परिस्थिति बनाता है. ट्रंप के प्रभाव क्षेत्र में असरदार भूमिका हासिल करने वाले इलॉन मस्क के साथ सार्वजनिक रूप से झगड़ा फराज़ के गठबंधन की कमज़ोरी का संकेत देता है. वैसे तो फराज़ ने खुलकर बोलने की आज़ादी का समर्थन करने के लिए मस्क को "हीरो" बताया लेकिन उनके बीच की असहमति ये याद दिलाने के रूप में काम करती है कि लोकलुभावन वादा करने वाले नेताओं को भी अपने जैसे लोगों के अहंकार का सामना करना होगा.

फराज़ की घरेलू रणनीति और दक्षिणपंथी बंटवारा 

ब्रिटेन में नाइजेल फराज़ रणनीतिक रूप से दक्षिणपंथी राजनीति के भीतर असंतोष का उपयोग कर रहे हैं और कमज़ोर कंज़र्वेटिव के साथ-साथ लेबर पार्टी के बढ़ते वर्चस्व के ख़िलाफ़ रिफॉर्म यूके को एक मज़बूत विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं. रिफॉर्म यूके की सदस्यता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की ख़बरें आई हैं और कंज़र्वेटिव पार्टी को पीछे छोड़कर सदस्यता के हिसाब से वो यूके की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. अब वो सिर्फ लेबर पार्टी से पीछे है. ऑनलाइन सदस्यता पर नज़र रखने वाले एक ट्रैकर के अनुसार 23 दिसंबर 2024 को पार्टी के 1,20,549 सदस्य थे और जनवरी 2025 में और भी बढ़ोतरी हुई. ये बढ़ोतरी कंज़र्वेटिव पार्टी की सदस्यता में गिरावट के बीच आई है. कंज़र्वेटिव पार्टी की सदस्यता का आंकड़ा गिरकर 1,31,680 हो गया जो 2019 के बारे में पिछली चर्चाओं में 1,80,000 की सदस्यता के दावे से काफी नीचे हैं. 

रिफॉर्म यूके की सदस्यता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की ख़बरें आई हैं और कंज़र्वेटिव पार्टी को पीछे छोड़कर सदस्यता के हिसाब से वो यूके की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. अब वो सिर्फ लेबर पार्टी से पीछे है.

रिफॉर्म यूके की रफ्तार को लेकर फराज़ की घोषणा कंज़र्वेटिव नेता केमी बेडेनोच के साथ सार्वजनिक रूप से टकराव की वजह बनी जिन्होंने कहा कि रिफॉर्म यूके की सदस्यता के आंकड़े को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. इसके जवाब में रिफॉर्म यूके ने मीडिया संगठनों को अपनी सदस्यता का आंकड़ा सत्यापित करने का न्योता दिया और उन्होंने इसे सटीक बताया. फराज़ ने बेडेनोच के आरोपों को “शर्मनाक” करार दिया और ये धमकी भी दी कि अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी तो वो कानूनी कार्रवाई करेंगे. इस वार-पलटवार ने रिफॉर्म यूके के बढ़ते असर को रेखांकित किया क्योंकि वो बंटे हुए दक्षिणपंथी मतदाताओं के आधार का लाभ उठा रही है. 

रिफॉर्म यूके का उभार बिना उदाहरण के नहीं है. 2016 में रिपब्लिकन पार्टी पर ट्रंप के नियंत्रण की तरह फराज़ की लोकप्रियता पुराने राजनीतिक अभिजात वर्ग के साथ मतदाताओं की हताशा पर आधारित है. वो उन लोगों के गुस्से को हवा दे रहे हैं जो भू-मंडलीकरण, प्रवासन (इमिग्रेशन) और ब्रिटेन के सांस्कृतिक बदलाव की वजह से ख़ुद को पीछे छूट गया महसूस करते हैं और ब्रेक्ज़िट के बाद अभी भी अपनी पहचान की तलाश कर रहे हैं. हालांकि फराज़ सिर्फ कंज़र्वेटिव मतदाताओं को अपनी तरफ नहीं खींच रहे हैं. किएर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी कहीं अधिक मज़बूत प्रतिद्वंद्वी है. 

अराजक कंज़र्वेटिव पार्टी के उलट स्टार्मर की लेबर पार्टी ने ख़ुद को योग्यता और व्यावहारिकता की पार्टी के रूप में बदला है जो मध्यमार्गियों और कंज़र्वेटिव पार्टी के पुराने मतदाताओं- दोनों को अपनी तरफ खींचती है. 

अराजक कंज़र्वेटिव पार्टी के उलट स्टार्मर की लेबर पार्टी ने ख़ुद को योग्यता और व्यावहारिकता की पार्टी के रूप में बदला है जो मध्यमार्गियों और कंज़र्वेटिव पार्टी के पुराने मतदाताओं- दोनों को अपनी तरफ खींचती है. औद्योगिक रणनीति और आर्थिक बेहतरी पर अपने ध्यान के साथ लेबर पार्टी ने उन रेड वॉल निर्वाचन क्षेत्रों (मध्य और उत्तरी इंग्लैंड में ऐसे इलाके जहां ऐतिहासिक रूप से लेबर पार्टी मज़बूत रही है) पर अपनी पकड़ मज़बूत की है जिन्होंने 2019 में उसे ठुकरा दिया था. हालांकि ये जीत बिना चुनौती के नहीं रही हैं. फराज़ कुशलता से उन कमियों का लाभ उठा रहे हैं जिसे लेबर पार्टी अभी तक नहीं भर पाई है यानी तकनीकी और अभिजात लेबर नेतृत्व के साथ मतदाताओं का मोहभंग. इमिग्रेशन, ऊर्जा के मामले में स्वतंत्रता और छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने पर रिफॉर्म यूके का लोकलुभावन संदेश इन समुदायों में गूंजता है और इस तरह लेबर पार्टी के ढके हुए मध्यमार्ग और कंज़र्वेटिव पार्टी की कमज़ोरी- दोनों का एक विकल्प पेश करती है. 

बेशक फराज़ की महत्वाकांक्षाएं दुस्साहस से कम नहीं हैं. ट्रंप की जीत के फौरन बाद उन्होंने एलान किया कि ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावना 25 प्रतिशत है. क्या ये बड़बोलापन है? निश्चित रूप से. फिर भी ये उस व्यक्ति के आत्मविश्वास को दिखाता है जिसने बार-बार राजनीतिक रुकावटों को पार किया है. उनकी पार्टी को लगातार 10-12 प्रतिशत वोट मिले हैं. ये साधारण बहुमत वाली राजनीतिक प्रणाली में गंभीर पैठ बनाने के लिए भले ही पर्याप्त नहीं हो लेकिन कम वोट से जीत-हार वाले निर्वाचन क्षेत्रों में लेबर पार्टी से महत्वपूर्ण वोट छीनने और कंज़र्वेटिव पार्टी को तबाह करने के लिए पर्याप्त है. 

अशांति और रिफॉर्म यूके का असर

रिफॉर्म यूके की ताकत अशांति पैदा करने की उसकी क्षमता में है. ब्रिटेन की राजनीतिक राह पर छाप छोड़ने के लिए फराज़ को पूरी तरह से जीत की ज़रूरत नहीं है. कंज़र्वेटिव पार्टी के समर्थकों को छीनकर और जिन इलाकों में लेबर पार्टी की पकड़ कमज़ोर है, वहां उसे चुनौती देकर वो दोनों पार्टियों को अपनी रणनीति की पड़ताल करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. लेबर पार्टी के लिए प्राथमिकता फराज़ की लोकलुभावन बयानबाज़ी के ख़िलाफ़ अपनी रेड वॉल की बढ़त को सुरक्षित करने की है. दूसरी तरफ कंज़र्वेटिव पार्टी के लिए ये घटती सदस्यता और मतदाताओं के दलबदल के बीच अस्तित्व की लड़ाई है.  

ट्रंप के साथ फराज़ का गठबंधन उनकी रणनीति में एक दिलचस्प परत जोड़ता है. व्हाइट हाउस में ट्रंप की वापसी फराज़ के लिए समर्थन का एक नैरेटिव मुहैया कराती है जो लोकलुभावनवाद को पश्चिमी देशों की राजनीति में गुज़रते दौर के बदले एक मज़बूत ताकत के रूप में पेश करती है. फिर भी ये संबंध दो तरफा है: एक तरफ जहां ये मूल आधार में ऊर्जा भरता है वहीं उन नरमपंथियों को दूर करने का ख़तरा भी पेश करता है जो रिफॉर्म यूके को एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में देख सकते हैं. 

फराज़ का दांव ये है कि वो मतदाताओं के मोहभंग को टिकाऊ राजनीतिक लाभ में बदल सकते हैं. वो सफल होते हैं या नहीं, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि बढ़ते ध्रुवीकरण के युग में ब्रिटेन के मतदाता किस हद तक उनकी लोकलुभावन राजनीति को अपनाते हैं. 

फराज़ के लिए चुनौती राजनीतिक सत्ता को पूरी तरह से उखाड़ फेंकने से ज़्यादा अपनी विघटनकारी क्षमता को इतने लंबे समय तक बनाए रखना है कि वो ब्रिटेन के राजनीतिक परिदृश्य में स्थापित हो जाए. रिफॉर्म यूके बंटे हुए दक्षिणपंथ की उथल-पुथल, लेबर पार्टी के सतर्क प्रभुत्व और वैश्विक अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में फल-फूल रही है. फराज़ का दांव ये है कि वो मतदाताओं के मोहभंग को टिकाऊ राजनीतिक लाभ में बदल सकते हैं. वो सफल होते हैं या नहीं, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि बढ़ते ध्रुवीकरण के युग में ब्रिटेन के मतदाता किस हद तक उनकी लोकलुभावन राजनीति को अपनाते हैं. वैसे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि नाइजेल फराज़ ने रिफॉर्म यूके को एक ऐसी ताकत बना दिया है जिसे अब खारिज नहीं किया जा सकता. इससे ब्रिटेन की राजनीति पर इसका दीर्घकालीन असर एक खुला और उभरता सवाल बन गया है. 


अशरफ नेहाल यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ (SOAS) में दक्षिण एशियाई भू-राजनीति के पोस्टग्रैजुएट स्कॉलर हैं. 

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Ashraf Nehal

Ashraf Nehal

Ashraf Nehal has a master's degree in South Asian Area Studies from SOAS, University of London. He is also a Prime Minister's Young Writing Fellow and ...

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