Published on Dec 26, 2022 Updated 0 Hours ago

हाल ही में सरकार ने एआईसीटीई (लाइट) कार्यक्रम को लॉन्च किया है, जो इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों के पेशेवर विकास का समर्थन करता है.

AICTE lite: सरकार के नेतृत्व में शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के बीच साझेदारी की नई शुरुआत!

शिक्षा में तकनीक के उपयोग के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 चार व्यापक श्रेणियों की पहचान करती है. इनमें शामिल हैं: i) शिक्षण-अधिगम (सीखने और सिखाने) और मूल्यांकन की पद्धतियों में सुधार; ii) शिक्षक के प्रशिक्षण और उनके पेशेवर विकास का समर्थन; iii) शिक्षा तक पहुंच में वृद्धि; iv) शैक्षिक योजना, प्रबंधन और प्रशासन को व्यवस्थित करना. कोरोना महामारी की वजह से एड-टेक (शैक्षिक तकनीक का संक्षिप्त रूप) उद्योग ने तेज़ी से रफ़्तार पकड़ा है, और वर्तमान में बहुत बड़ी संख्या में कंपनियां एड-टेक सेवाएं, विशेष रूप से शिक्षण-अधिगम श्रेणी में, प्रदान कर रही हैं.

इस श्रेणी में अधिकांश शिक्षण सामग्री 'परीक्षा की तैयारी' पर केंद्रित हैं, जो उच्च और व्यावसायिक शिक्षा के लिए विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए है. स्कूली छात्रों के लिए बी2सी मॉडल (बिज़नेस टू कंज्य़ूमर मॉडल) लाया गया है, जहां उनके लिए व्यक्तिगत शिक्षण समाधान उपलब्ध हैं, और इन सुविधाओं के लिए अभिवावकों को भुगतान करना पड़ता है. बहुत सी कंपनियां आजीवन शिक्षा के लिए भी समाधान प्रस्तुत कर रही हैं, जिसके केंद्र में पेशेवर लोग और युवा हैं, जो या तो अपने कौशल में सुधार करना चाहते हैं या फिर उसे विस्तार देना चाहते हैं.

मूल रूप से "ऑनलाइन" शब्द का प्रयोग रियल टाइम में समयबद्ध तरीके से संचालित किए जा रहे व्याख्यानों के लिए किया जाता था, लेकिन अब इसे मुख्य रूप से इंटरनेट पर उपलब्ध शिक्षण सामग्रियों के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जिसका उपयोग अपनी सुविधा के मुताबिक कोई भी कभी भी कर सकता है.

उच्च शिक्षा में शिक्षण-अधिगम श्रेणी में कई संस्थागत मॉडल बड़े पैमाने पर नि:शुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रमों (मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज़ MOOCs) के रूप में काम कर रहे हैं. मूल रूप से "ऑनलाइन" शब्द का प्रयोग रियल टाइम में समयबद्ध तरीके से संचालित किए जा रहे व्याख्यानों के लिए किया जाता था, लेकिन अब इसे मुख्य रूप से इंटरनेट पर उपलब्ध शिक्षण सामग्रियों के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जिसका उपयोग अपनी सुविधा के मुताबिक कोई भी कभी भी कर सकता है. कई विश्वविद्यालय, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों शामिल हैं, नि:शुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम चला रहे हैं. उदाहरण के लिए, 2012 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय और MIT (मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी) ने एडएक्स की स्थापना की थी. भारत के सरकारी कार्यक्रमों में NPTEL (नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी एनहैंस्ड लर्निंग) और SWAYAM (स्टडी वेब्स ऑफ़ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स) और हाल ही में आईआईटी मद्रास द्वारा संचालित प्रोग्रामिंग एंड डाटा साइंस में बीएससी (बैचलर ऑफ साइंस) कोर्स शामिल हैं, जिसमें लगभग 13,000 छात्र नामांकित हैं. निजी संस्थानों भी इस दिशा में तेज़ी से काम रहे हैं लेकिन कुछ एड-टेक कंपनियों द्वारा विश्वविद्यालयों के सहयोग से डिग्री कार्यक्रम चलाने के प्रयासों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने जनवरी, 2022 तक रोक लगा दी है.

एआईसीटीई (लाइट) कार्यक्रम

ज़ाहिर है कि एड-टेक कंपनियां और यहां तक कि शिक्षण संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम, शिक्षकों के प्रशिक्षण और उनके पेशेवर विकास, ख़ासकर उच्च शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. सरकार द्वारा जून 2021 में एआईसीटीई (लीडरशिप इन टीचिंग एक्सीलेंस, एलआईटीई) कार्यक्रम की घोषणा की गई, जो इंजीनियरिंग शिक्षा क्षेत्र में शिक्षकों के पेशेवर विकास के लिए अकादमिक जगत और उद्योग के बीच साझेदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है. जैसा कि घोषणा में बताया गया, एआईसीटीई ने कोरोना महामारी के दौरान निजी क्षेत्र के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर इंजीनियरिंग के छात्रों का एक ऐसा कैडर तैयार करने का प्रयास किया, जो सार्वजनिक हितों के लिए काम करे. और लाइट कार्यक्रम उसके इन्हीं प्रयासों का नतीजा था. इस कैडर फुल स्टैक डेवलपवरों (जो वेबसाइट के सभी पहलुओं पर काम करते हैं) को शामिल किया जाना था, जो डिजिटल क्षेत्र में सार्वजनिक हित के लिए काम करने वाले ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (नि:शुल्क) तैयार कर सकें. इस कार्यक्रम के लिए छात्रों के चुनाव के लिए एक स्टैंडर्ड सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग टेस्ट का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 50,482 छात्रों ने हिस्सा लिया था. जिसमें से केवल 24 छात्र ही चयनित हुए, जो छात्रों की शिक्षा से जुड़ी कुछ कमज़ोरियों को रेखांकित करता है. चयनित छात्रों के सफ़ल प्रशिक्षण और नियुक्ति के साथ-साथ, वैश्विक स्तर उच्च स्तर के कुशल सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मांग, एनईपी के ज्य़ादा से ज्य़ादा शिक्षण संस्थानों में सीखने और सिखाने की डिजिटल सुविधाओं की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लक्ष्य को देखते हुए एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से साझेदारी करते हुए लाइट कार्यक्रम की घोषणा की, जिसका लक्ष्य 2 करोड़ 40 लाख छात्रों और 1 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित करना है.

प्रशिक्षित शिक्षकों से ये अपेक्षा है कि वे अपने संस्थानों में अपनी विशेषज्ञता क्षेत्र में शुरू किए गए माइनर डिग्री कार्यक्रम का नेतृत्व करें, और अपनी कक्षाओं में उद्योग भागीदारों द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम और सामग्री के उपयोग की मदद से विषय को मुख्यधारा में ले आएं.

एआईसीटीई ने लाइट कार्यक्रम से जुड़ने के लिए ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेजों को आमंत्रित किया है, जो उससे संबद्धित हैं. ताकि इन कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक एआईसीटीई के साझीदार पुपिलफर्स्ट.ओआरजी (Pupilfirst.org) से नए और उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण ले सकें. इसके बाद चयनित संस्थान और वहां कार्यरत शिक्षक एआईसीटीई के 'ब्रांड एंबेसेडर्स फॉर चेंज' कहलाएंगे और एनईपी 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप अपने संस्थानों में बदलाव के एक वाहक (चेंज एजेंट) के रूप में ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को लागू करने का प्रयास करेंगे. प्रशिक्षित शिक्षकों से ये अपेक्षा है कि वे अपने संस्थानों में अपनी विशेषज्ञता क्षेत्र में शुरू किए गए माइनर डिग्री कार्यक्रम (18 से 20 क्रेडिट वाले) का नेतृत्व करें, और अपनी कक्षाओं में उद्योग भागीदारों द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम और सामग्री के उपयोग की मदद से विषय को मुख्यधारा में ले आएं. भागीदार विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सभी शैक्षणिक विषयों के छात्र इस माइनर डिग्री कार्यक्रम से जुड़ सकते हैं. पहले दौर में, उद्योग भागीदार को ऐसे दो विषय दिए गए हैं, जिनकी मांग काफ़ी ज्य़ादा है. वे हैं: एडवांस्ड वेब डेवलपमेंट और इलेक्ट्रिक वाहन. लाइट कार्यक्रम के तहत एआईसीटीई ने अभी तक सिर्फ़ एक उद्योग भागीदार का चयन किया है.

इस पहल के ज़रिए, एआईसीटीई छात्रों और शिक्षकों को सशक्त बनाने के लिए भारतीय उद्योग में कुछ चुने हुए क्षेत्रों में कुशल एवं प्रशिक्षित पेशेवरों की भारी मांग का लाभ उठा रहा है. प्रशिक्षित शिक्षकों का पहला बैच अपने संस्थानों में एआईसीटीई के लाइट कार्यक्रम के समन्वयक रूप में काम करता है और छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की निगरानी करता है. उन्हें इस काम में सहयोग प्रदान करने के लिए वॉलंटियर/वैतनिक शिक्षा सहायक होंगे, जिनका चुनाव उद्योग भागीदार द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम से पढ़े पुराने छात्रों के एक समूह से किया जाएगा. चूंकि ये पाठ्यक्रम एक माइनर डिग्री कार्यक्रम का हिस्सा है, इसलिए प्रशिक्षण को शुरू करने से भागीदार संस्थानों के शैक्षणिक परिषदों द्वारा पाठ्यक्रम का अनुमोदन आवश्यक है. पाठ्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाए जाते हैं, और वर्तमान में छात्रों और शिक्षकों के एक संयुक्त दूसरे बैच का प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी है. सफलतापूर्वक अपना प्रशिक्षण पूरा करने वाले शिक्षकों को एआईसीटीई और उद्योग भागीदार द्वारा संयुक्त रूप से प्रमाणित किया जाता है. प्लेसमेंट के दौरान छात्रों की मदद की जाती है. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण निःशुल्क है और उद्योग भागीदार द्वारा छात्रों के लिए कई छात्रवृत्तियां उपलब्ध कराई जाती है.

लाइट पहल का प्रबंधन शिक्षा मंत्रालय की 'प्रौद्योगिकी के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन' (एनईएटी) योजना द्वारा किया जा रहा है, और एआईसीटीई कार्यान्वयन एजेंसी है. एनईएटी अपने आप में एक पहल है, जिसे एआईसीटीई ने सितंबर 2019 में शुरू किया था. इसके माध्यम से शिक्षण अभ्यासों से जुड़े कुछ सबसे बेहतरीन तकनीकी समाधानों को एक ही मंच पर उपलब्ध कराया जाता है. कुछ निजी एड-टेक कंपनियां इसका संचालन कर रही हैं, और एआईसीटीई द्वारा उनका मूल्यांकन किया जाता है. एनईएटी ने छात्रों के लिए पाठ्यक्रमों के चुनाव को आसान कर दिया है क्योंकि इनका अनुमोदन एआईसीटीई द्वारा पहले से ही किया जा चुका है.

एड-टेक कंपनियों द्वारा प्रायोजित विशिष्ट पाठ्यक्रमों के शुल्क का निर्धारण उनकी अपनी मूल्य निर्धारण नीति के अनुसार किया जाता है लेकिन कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वह योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करेंगी. उन्होंने छात्रवृत्ति का अनुपात 3:1 रखा है. यानी शुल्क देने वाले प्रत्येक तीन छात्रों पर एक सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय का एक छात्र है, जिसे पूर्ण छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है. नि:शुल्क छात्रवृत्ति के लिए नामांकन और वितरण  प्रक्रिया पर एआईसीटीई द्वारा बारीक नज़र रखी जाती है. एनईएटी के लिए चयन एक डबल ब्लाइंड प्रक्रिया द्वारा किया जाता है, जहां सीखने से जुड़े परिणामों की गुणवत्ता पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है. लाइट कार्यक्रम के उद्योग साझीदार पुपीलफर्स्ट.ओआरजी भी एनईएटी का एक सदस्य है.

सुधार की गुंजाइश

जैसा कि किसी भी नई पहल के साथ होता है, यहां भी कुछ छोटे-छोटे सुधारों की ज़रूरत है, जिस पर विचार किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) की रूपरेखा में शिक्षकों द्वारा छात्रों के लिए माइनर डिग्री कार्यक्रम के संचालन के लिए किसी क्षेत्र विशेष में प्रशिक्षण की आवश्यकता को शामिल नहीं किया गया है. एफडीपी के दायरे में तकनीकी शिक्षा सामग्री के अलावा ऑनलाइन शिक्षा के लिए शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को भी शामिल करके, इसका बड़ी आसानी से समाधान किया जा सकता है. वर्तमान में, लाइट कार्यक्रम से जुड़े शिक्षकों को उनके संस्थानों द्वारा नामांकित किया जाता है, जिसका अर्थ है कि उनके पास पाठ्यक्रम के लिए ज़रूरी समय का अभाव हो सकता है. इस कार्य के लिए ऐसे शिक्षको को नियुक्त करना उचित होगा, जो अपनी इच्छा से इस कार्यक्रम के साथ जुड़ना पसंद करें. एआईसीटीई के 2 करोड़ 40 लाख छात्रों को प्रशिक्षित करने जैसे महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को केवल संस्थागत मॉडल के जरिए हासिल नहीं किया जा सकता. नए संस्थानों को जोड़ने और उनके शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया बेहद धीमी और थकाऊ है. सीखने से जुड़े इन अवसरों को केवल भागीदार संस्थानों के छात्रों तक सीमित न रखते हुए देश भर के इच्छुक छात्रों तक पहुंचाने के नए तरीकों के बारे में सोचने की ज़रूरत है. आखिर में, प्रशिक्षण के इस मॉडल का असल परीक्षण तब होगा होगा, जब यह सूचना प्रौद्योगिकी से इतर दूसरे विषयों, जिनके लिए अलग तरह के शिक्षा अभ्यासों की ज़रूरत होती है, के लिए भी कारगर सिद्ध हो.

लाइट कार्यक्रम अपनी संकल्पना में विचारशील होने के लिहाज़ से उल्लेखनीय है. उद्योग विशेषज्ञों द्वारा दोनों पाठ्यक्रमों के लिए तैयार किए गए पाठ्य-विवरण को 'मॉडल पाठ्यक्रम' घोषित किया गया है, जो एआईसीटीई वेबसाइट पर उपलब्ध है. पाठ्यक्रम को अपनाने और अपने छात्रों को उसी अनुसार शिक्षित करने में इस कदम में कई और शैक्षणिक संस्थानों और शिक्षकों की सहायता की है. इनमें वे संस्थान भी शामिल हैं जो लाइट कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हैं. और यह तथ्य भागीदार संस्थानों के शिक्षकों द्वारा लिखे गए विवरण पत्रों से परिलक्षित होता है. फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ATAL अकादमी (एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग एकेडमी) के संरक्षण में चलाया जा रहा है, ताकि इसमें भाग लेने वाले शिक्षक अपने पेशेवर विकास के लिए जा रहे प्रशिक्षण के लिए क्रेडिट हासिल कर सकें. इसके कारण प्रशिक्षण से जुड़ा अवसर उनके लिए और भी महत्त्वपूर्ण बन जाता है.

अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में शिक्षकों के प्रशिक्षण से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए एआईसीटीई के प्रयास सराहनीय हैं. इसके अलावा, उसके द्वारा तैयार किया गया मॉडल भी टिकाऊ होने के कारण उल्लेखनीय है. लाइट कार्यक्रम की रूपरेखा से जुड़े कई नवाचार उसकी सफ़लता को सुनिश्चित करने का काम करेंगे. लाइट कार्यक्रम ATAL अकादमी के माध्यम से शिक्षकों और उद्योग के अनुरूप पाठ्यक्रम और नौकरियों के जरिए छात्रों और संस्थानों को मंच प्रदान करके उन्हें प्रोत्साहित करता है. अपनी वेबसाइट के माध्यम से सभी संस्थानों को मॉडल पाठ्यक्रम उपलब्ध कराकर, एआईसीटीई यह सुनिश्चित करता है कि देश भर में इन पाठ्यक्रमों के वितरण की गुणवत्ता बरकरार रहे. कई शिक्षकों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि वे एक ऐसे पाठ्यक्रम को पढ़ाकर खुश हैं, जिसकी उद्योगों में काफ़ी मांग है और जिसे लगातार अपडेट किया जाता है. लाइट मॉडल को दूसरे क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है और छात्रों तक इसकी पहुंच का और भी ज्य़ादा विस्तार किया जा सकता है.

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