Author : Shoba Suri

Published on Oct 22, 2022 Updated 0 Hours ago

प्रिया ये तय कर चुकी है कि वो अपने समुदाय के लोगों की ज़िंदगी आसान बनाने के लिए काम जारी रखेगी और तकनीक का इस्तेमाल करके सरकारी सेवाओं, सामाजिक लाभ एवं कल्याणकारी योजनाओं को रायगढ़ तक लेकर लाएगी. और इस तरह वो रायगढ़ की प्रगति में योगदान देगी.

प्रिया प्रकाश माली: समुदायों को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास!

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हक़दर्शकa[1] एक सामाजिक उद्यम है जो शहरी और ग्रामीण आबादी को तकनीक के इस्तेमाल के ज़रिए सरकारी कार्यक्रमों और कल्याण योजनाओं तक पहुंचना संभव बनाता है और रोज़गार पैदा करने के लिए समुदायों को अधिकार संपन्न बनाता है. ये कहानी प्रिया प्रकाश माली की है जो महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में 2019 से एक हक़दर्शक- हक़दर्शक सेवा के लिए क्षेत्र में समर्थन देने वाली एक एजेंट- का काम कर रही है.

रायगढ़ ज़िले के पेन तहसील के गांव बेनावेले में बड़ी होने वाली प्रिया ने 10वीं क्लास तक अपनी पढ़ाई पूरी की है. प्रिया के पिता रेलवे में काम करते थे और मां गृहिणी थीं. 2002 में अपनी शादी के बाद प्रिया अपने पति के साथ वाधव गांव में रहने लगी. प्रिया के पति पत्रकार हैं जो एक स्थानीय समाचार-पत्र के लिए काम करते हैं. वाधव की जनसंख्या लगभग 6,000 है और गांव में रहने वाले लोग मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आते हैं जिनका प्राथमिक काम-काज खेती है. प्रिया एक गृहिणी थी जिसका जीवन अपने परिवार के प्रति समर्पित था और सामाजिक कल्याण योजनाओं को लेकर उसकी जागरुकता कम थी. प्रिया कहती है, “हमारे ग्राम पंचायत के द्वारा सरकारी योजनाओं के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं प्रदान की जाती थी.” 2019 में प्रिया को एक दोस्त के द्वारा जानकारी दी गई कि जिंदल साउथ-वेस्ट फाउंडेशन ऐसी स्थानीय महिलाओं की तलाश कर रहा है जो क्षेत्र में काम करना चाहती हैं और परिवर्तन का एजेंट बनने के लिए अपनी क्षमता को विकसित करना चाहती हैं. उसने अपना इंटरव्यू पास कर लिया और हक़दर्शक के प्लैटफॉर्म पर दो दिनों की ट्रेनिंग हासिल की. उसके बाद प्रिया ने अपना काम शुरू किया और तब से वो रुकी नहीं है.

प्रिया कहती है, “हमारे ग्राम पंचायत के द्वारा सरकारी योजनाओं के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं प्रदान की जाती थी.” 2019 में प्रिया को एक दोस्त के द्वारा जानकारी दी गई कि जिंदल साउथ-वेस्ट फाउंडेशन ऐसी स्थानीय महिलाओं की तलाश कर रहा है जो क्षेत्र में काम करना चाहती हैं और परिवर्तन का एजेंट बनने के लिए अपनी क्षमता को विकसित करना चाहती हैं. उसने अपना इंटरव्यू पास कर लिया और हक़दर्शक के प्लैटफॉर्म पर दो दिनों की ट्रेनिंग हासिल की

प्रिया कहती है, “मैंने पहला मोबाइल 2020 में ख़रीदा. तब तक हमारे परिवार में सिर्फ़ एक फ़ोन था जिसका इस्तेमाल मेरे पति करते थे.” प्रिया अपने समुदाय के लोगों की मदद करने के लिए सीखना चाहती थी. अब ज़्यादातर सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं तकनीक से जुड़ी हुई हैं और उन योजनाओं तक डिजिटल तरीक़े से पहुंच होने पर उसके आस-पड़ोस में रहने वाले लोग तालुका कार्यालय तक जाने की असुविधा से बच सकते थे. सरकारी योजनाओं में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए तालुका कार्यालय जाने पर लोगों से रिश्वत की मोटी रक़म भी ली जाती थी. हक़दर्शक सेवा के तहत वही सुविधाएं- पैन कार्ड, आधार कार्ड, ई-श्रम कार्ड (प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन के तहत) b[2] या आरोग्य कार्ड (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत)c[3] का आवंटन- बेहद किफ़ायती दर पर (योजना से जुड़ी दिक़्क़त के आधार पर 40 रुपये से लेकर 250 रुपये तक प्रति आवेदन) उनके घर जाकर दी जाती है. हक़दर्शक ऐप नागरिकों से जुड़ी सूचनाओं के आधार पर योग्य सरकारी कल्याण योजनाओं की पहचान को सक्षम बनाता है. हक़दर्शक एजेंट तकनीक की सहायता से चलने वाले इस मॉडल का इस्तेमाल समुदायों में पात्रता को बढ़ाने में मदद के लिए करते हैं जबकि इस प्रक्रिया में अपने लिए वो आजीविका कमाते हैं. हक़दर्शक कार्य-क्षेत्र को लेकर संशयवादी है और अपना असर बढ़ाना चाहता है- चाहे महिलाओं के लिए आजीविका का निर्माण करने में मदद करना हो या जो लोग छूटे हुए हैं उन्हें बुनियादी सामाजिक सुरक्षा फ़ायदों से जोड़ने को सुनिश्चित करना हो.

स्रोत: राष्ट्रीय परिवार हेल्थ सर्वे, 2019–211[i]

प्रिया एक हक़दर्शक के तौर पर और समुदाय के लोगों को आवेदन की सेवा प्रदान करने में मदद देकर ख़ुद को समर्थ मानती है. उसके काम ने उसे स्वतंत्र बनाया है और अब वो अपने परिवार की आमदनी में योगदान कर सकती है. प्रिया कहती है, “चूंकि काम-काज का समय लचीला है तो मैं अतिरिक्त आमदनी कमाने के लिए परिवार के स्टेशनरी स्टोर भी चला सकती हूं. हालांकि हक़दर्शक मेरी आमदनी का प्राथमिक स्रोत है और मैं अपनी कमाई से बच्चों की शिक्षा के लिए बचत कर रही हूं.” अपनी आमदनी से प्रिया ने अपने बेटे की सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई का पूरा खर्च दिया है.

प्रिया ने अभी तक 4,000 से ज़्यादा आवेदनों को पूरा किया है. उसकी सबसे ताज़ा उपलब्धि है 2,000 ई-श्रम आवेदनों को पूरा करना. लोगों को ये समझाना कभी-कभार मुश्किल हो सकता है कि सरकारी योजनाएं फ़ायदा मुहैया करा सकती हैं और उन्हें इसके लिए आवेदन करना चाहिए. लेकिन समुदाय के सदस्यों के साथ प्रिया की बातचीत ने न सिर्फ़ उसे आत्मविश्वासी बनाया है बल्कि उसके समुदाय के लोग जिन अलग-अलग चुनौतियों का सामना करते हैं, उनको लेकर ज़्यादा जागरुक भी बनाया है. हक़दर्शक होने की वजह से उसे ये समझने में मदद मिली है कि उसके आस-पास रहने वाले और परिवार के लोग किस हद तक वंचित हैं. इन योजनाओं की जानकारी नहीं होने से समुदाय और परिवार के लोगों को अच्छा जीवन हासिल करने के रास्ते में रुकावट आती थी जबकि ये उनके लिए आसान था. समय के साथ जैसे-जैसे लोगों को अपने आवेदन से फ़ायदे होने लगे, वैसे-वैसे प्रिया अपने समुदाय के लोगों के बीच सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी का एक प्राथमिक स्रोत बन गई है.

प्रिया एक हक़दर्शक के तौर पर और समुदाय के लोगों को आवेदन की सेवा प्रदान करने में मदद देकर ख़ुद को समर्थ मानती है. उसके काम ने उसे स्वतंत्र बनाया है और अब वो अपने परिवार की आमदनी में योगदान कर सकती है. प्रिया कहती है, “चूंकि काम-काज का समय लचीला है तो मैं अतिरिक्त आमदनी कमाने के लिए परिवार के स्टेशनरी स्टोर भी चला सकती हूं. हालांकि हक़दर्शक मेरी आमदनी का प्राथमिक स्रोत है और मैं अपनी कमाई से बच्चों की शिक्षा के लिए बचत कर रही हूं.”

सरकारी पात्रता आजीविका को बढ़ावा देने में मदद करते हैं और ग़रीब घरों के लिए जोखिम का असर सीमित करते हैं. लेकिन जागरुकता की कमी, मार्ग-दर्शन की अनुपस्थिति और तहसील में प्रशासनिक विभागों के चक्कर काटने में गंवाये गये समय की वजह से लोग कई सार्वजनिक सेवाओं को लेने के नाम पर हतोत्साहित हो गए हैं. हक़दर्शक के ज़रिए प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, आयुष्मान भारत आरोग्य और कृषि विकास योजना समेत कई योजनाओं के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाये जाते हैं. सरकारी कोशिशों को निचले स्तर पर असर में तब्दील करने की तरफ़ हक़दर्शक का विशेष रवैया सामाजिक भलाई के लिए तकनीक का फ़ायदा उठाने का अच्छा उदाहरण है. तकनीक ने आवेदन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बना दिया है, बार-बार आने की ज़रूरत को कम कर दिया है और नतीजों की रफ़्तार तेज़ कर दी है.

भारत के 16 राज्यों में गहराई से हुए हक़दर्शक एजेंट के एक सर्वे से पता चलता है कि किस तरह हक़दर्शक की पहल ने उन्हें डिजिटल साक्षरता हासिल करने के लिए, अपने समाज के लोगों का मार्ग-दर्शन करने के लिए और निचले स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सशक्त किया है. साथ ही डिजिटल माध्यम को अपनाने में मज़बूती देने के लिए, समुदायों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए, आजीविका के अवसरों के लिए और कल्याण योजनाओं को लेकर ज़्यादा जागरुकता एवं मांग के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. हक़दर्शक ने अपने एजेंटों को सामुदायिक नेता के तौर पर उभरने के लिए भी तैयार किया है. पूरे भारत में हक़दर्शक अपने कार्यक्रम से नागरिकों और सार्वजनिक सेवाओं के बीच बेहद महत्वपूर्ण आख़िरी संपर्क स्थापित करने में मदद कर रहा है. उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में हक़दर्शक परियोजना के ज़रिए सिर्फ़ जून 2019 से सितंबर 2020 के बीच सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं के लिए 1,00,000 आवेदन देकर एक विशेष उपलब्धि हासिल की गई है. हक़दर्शक 24 राज्यों में मौजूद है और इसने अभी तक 30,000 से ज़्यादा एजेंट को ट्रेनिंग दी है और 35,000 छोटे लघु व्यवसायों को प्रभावित किया है. हक़दर्शक ने 18 लाख से ज़्यादा लोगों को आवेदन करने में समर्थन प्रदान किया है और 20 लाख से ज़्यादा लोगों को 40 अरब रुपये से ज़्यादा का फ़ायदा पहुंचाया है.

स्रोत: हकदर्शक2[ii]

प्रिया उन योजनाओं के लिए ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों का नाम लिखने में उत्साहित महसूस करती है जिनसे उन्हें फ़ायदा होगा और इसकी वजह से उसके आस-पास रहने वाले लोग उसकी तारीफ़ करते हैं. महामारी के दौरान प्रिया और उसकी सहकर्मियों ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 100 आवेदकों का नाम लिखा. इस योजना में किसी भी वजह से बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये की मदद उसके परिवार को मिलती है. कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान हक़दर्शक मोबाइल ऐप बहुत मददगार साबित हुआ क्योंकि आवेदन का काम घर से ही पूरा हो जाता था. इसी तरह जब जून 2020 में निसर्ग चक्रवात रायगढ़ में आया तो प्रिया ने लोगों को हुए नुक़सान के आधार पर मुआवज़ा हासिल करने में मदद की. मुआवज़े की ये रक़म 5,000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये के बीच थी. इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रिया ने ग़रीबी रेखा के नीचे (BPL) रहने वाले क़रीब 50 परिवारों को स्वास्थ्य बीमा और समय पर इलाज कराने में मदद की है. प्रिया के लिए एक और व्यक्तिगत उपलब्धि ये है कि उसने लगभग 500 आवेदकों को आधार अपडेट कराने और आधार की आईडी को मोबाइल फ़ोन से जोड़ने में मदद की है.

हक़दर्शक ने अपने एजेंटों को सामुदायिक नेता के तौर पर उभरने के लिए भी तैयार किया है. पूरे भारत में हक़दर्शक अपने कार्यक्रम से नागरिकों और सार्वजनिक सेवाओं के बीच बेहद महत्वपूर्ण आख़िरी संपर्क स्थापित करने में मदद कर रहा है. उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में हक़दर्शक परियोजना के ज़रिए सिर्फ़ जून 2019 से सितंबर 2020 के बीच सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं के लिए 1,00,000 आवेदन देकर एक विशेष उपलब्धि हासिल की गई है.

प्रिया कहती है, “मैं जब अपने आस-पड़ोस के लोगों को उनका लाभ और अधिकार हासिल करने में मदद कर पाती हूं तो ये मेरे लिए बहुत ज़्यादा संतोषजनक होता है. मैंने कुटुंब लाभ योजना के लिए आवेदन करने में एक ग़रीब विधवा महिला की मदद की ताकि वो 20,000 रुपये की वित्तीय सहायता हासिल कर सके.” ये वित्तीय सहायता ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों को उनके परिवार में कमाने वाले प्रमुख व्यक्ति की मृत्यु होने पर प्रदान की जाती है. वित्तीय सहायता के लिए आवेदन कलेक्टर के कार्यालय/तहसीलदार को सौंपा जाता है लेकिन ये प्रक्रिया धीमी और जटिल है. प्रिया ने आवेदन की स्थिति जानने के लिए एक महीने से ज़्यादा समय तक कई बार प्रखंड विकास कार्यालय का दौरा किया. लेकिन उसका जाना कारगर रहा. वो कहती है, “इससे मुझे अपना ये काम जारी रखने की प्रेरणा मिलती है.” प्रिया ये तय कर चुकी है कि वो अपने समुदाय के लोगों की ज़िंदगी आसान बनाने के लिए काम जारी रखेगी और तकनीक का इस्तेमाल करके सरकारी सेवाओं, सामाजिक लाभ एवं कल्याणकारी योजनाओं को रायगढ़ तक लेकर लाएगी. और इस तरह वो रायगढ़ की प्रगति में योगदान देगी.

ज़रूरी सबक़

  • तकनीकी सहायता वाले मॉडल का इस्तेमाल करके विशेष सरकारी कल्याण योजनाओं के लिए नामांकन की सुविधा देना और लोगों के घर तक नामांकन के प्रावधान को ले जाना आख़िरी व्यक्ति तक पहुंच को बढ़ाने में परिवर्तनकारी हो सकता है क्योंकि ऐसा करने पर नामांकन के लिए किसी केंद्र तक जाने में लगने वाले समय और लागत को ख़त्म करने में मदद मिल सकती है.
  • प्रासंगिक सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में गांवों में रहने वाले लोगों को समझाने की कोशिश से इसका लाभ ज़्यादा लोगों तक पहुंच पाता है. समुदाय की महिला नेता लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने और फ़ायदा पहुंचाने वाली पहल से लोगों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

NOTES


[1]a ‘Haqdarshak’ is bridging the information and access gap between citizens and welfare schemes (both government and private) using tech and a last-mile field agent network (of mostly women).

[2]b A government scheme meant for old age protection and social security of unorganized workers.

[3]c The world’s largest health assurance scheme providing a health cover of INR 5 lakh per family per year for secondary and tertiary care hospitalization.

[i]1 National Family Health Survey (NFHS-5), 2019–21, International Institute for Population Sciences (IIPS), Volume 1, March 2022, http://rchiips.org/nfhs/NFHS-5Reports/NFHS-5_INDIA_REPORT.pdf

[ii]2 Haqdarshak Empowerment Solutions, Empowering Community Level Entrepreneurs to Provide Delivery of Welfare Schemes, November 2020

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