Authors : Ayjaz Wani | Sameer Patil

Published on Jun 27, 2023 Updated 0 Hours ago
पाकिस्तान की मौजूदा बदहाली को लेकर कश्मीर के युवाओं की सोच

पाकिस्तान इस वक़्त एक गंभीर राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा हैपाकिस्तानी सेना पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीकइंसाफ (PTI) के साथ बुरी तरह उलझी हुई हैवैसे तो सेना ने इमरान खान और PTI को कमजोर करने के लिए अपने हर दांव का इस्तेमाल किया है लेकिन इमरान भी सेना को जवाब देने के लिए कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे हैंताजा घटनाक्रम के तहत इमरान खान ने आरोप लगाया है कि मौजूदा राजनीतिक पार्टियों के लोगों को चुनकर “बादशाह की पार्टी“- जो परोक्ष रूप से सेना का हवाला है– बनाने की कोशिशें की जा रही हैंइसके साथसाथ कथित तौर पर सरकार ने राष्ट्रीय मीडिया को कहा है कि वो इमरान खान के भाषणोंबयानोंट्वीट या उनकी तस्वीर दिखाने या छापने से बाज आए

मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अप्रैल 2022 में सत्ता संभालने के फौरन बाद दावा किया था कि कश्मीरियों का खून “कश्मीर की सड़कों पर बह रहा है और घाटी उनके खून से लाल है” और “अगस्त 2019 में जबरन अतिक्रमण किया गया था”.

चूंकि पाकिस्तान में राजनीतिक लड़ाई जारी हैऐसे में जम्मू और कश्मीर के युवा वहां की गतिविधियों पर काफी उत्सुकता के साथ नजर रखे हुए हैं

पाकिस्तान के अलगअलग प्रधानमंत्रियों के साथसाथ सेना के लिए भी देश की राजनीतिक और आर्थिक कठिनाइयों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कश्मीर एक सामान्य नैरेटिव बना हुआ हैमिसाल के तौर परमौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अप्रैल 2022 में सत्ता संभालने के फौरन बाद दावा किया था कि कश्मीरियों का खून “कश्मीर की सड़कों पर बह रहा है और घाटी उनके खून से लाल है” और “अगस्त 2019 में जबरन अतिक्रमण किया गया था“. इसी तरह इमरान खान ने भी अपनी राजनीतिक नौटंकी और संकुचित राजनीतिक हितों के लिए अक्सर कश्मीर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया थाअगस्त 2019 में भारत के द्वारा जम्मू और कश्मीर में प्रशासनिक पुनर्संरचना की घोषणा के ठीक बाद सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र (UN) में उनके आक्रामक भाषण से कश्मीर में कई लोग उनके मुरीद बन गएइमरान खान ने UN में अपने भाषण के दौरान कश्मीर को मुख्य मुद्दा बनाया और इस तरह पाकिस्तान को लेकर कश्मीर के एक तबके के लोगों के बीच अपनापन का नया माहौल बनाया.

G20 के टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की सफल बैठक ने भी घाटी के हरित, समावेशी और लचीले पर्यटन विकास में स्थानीय युवाओं की भागीदारी की संभावना में बढ़ोतरी की है. उन्हें उम्मीद है कि पश्चिमी देश ट्रैवल एडवाइजरी वापस ले लेंगे और कश्मीर में एक बार फिर से पश्चिमी देशों के सैलानी आने लगेंगे.

लेकिन अपनापन का ये दौर कुछ ही समय तक रहावैसे कश्मीर घाटी के बहुत कम लोगों को ही ये उम्मीद थी कि इमरान खान, PTI या पाकिस्तान अपने जुबानी दावों और कश्मीर के समर्थन के वादे पर काम करेंगेइसके अलावा कश्मीर घाटी से सुरक्षा एवं इंटरनेट से जुड़ी पाबंदियों को वापस लेने और इस केंद्र शासित प्रदेश के नये प्रशासन के द्वारा गवर्नेंस और विकास से जुड़ी कई पहल के कारण कुछ ही समय में घाटी में स्थायित्व का दौर  गया.   

लगभग चार साल के बाद कश्मीर में हालात पहले के समय के ठीक विपरीत लग रहे हैंआतंकवादी हमलों में कमी के साथ घाटी के सुरक्षा हालात में नाटकीय सुधार हुआ हैभले ही टारगेट किलिंग (निशाना बनाकर हमलाकी छिटपुट घटनाएं हो रही हैंइसके अलावा उग्रवादियों की भर्ती में काफी कमी आई है. 2023 में अभी तक घाटी के भीतर सिर्फ सात नौजवान उग्रवादी संगठनों में शामिल हुए हैंपिछले दिनों G20 के टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की सफल बैठक ने भी घाटी के हरितसमावेशी और लचीले पर्यटन विकास में स्थानीय युवाओं की भागीदारी की संभावना में बढ़ोतरी की हैउन्हें उम्मीद है कि पश्चिमी देश ट्रैवल एडवाइजरी वापस ले लेंगे और कश्मीर में एक बार फिर से पश्चिमी देशों के सैलानी आने लगेंगे. 

जमीनी हकीकत में इस बदलाव ने पाकिस्तान को लेकर स्थानीय युवाओं की बदलती सोच में काफी योगदान दिया हैपिछले दिनों युवाओं की राय जानने पर पाकिस्तान को लेकर उनकी सोच की झलक मिलती है. जब पाकिस्तान में गंभीर राजनीतिक और आर्थिक संकट को लेकर युवाओं से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना और सरकार ने पिछले डेढ़ दशक के दौरान सोशल मीडिया का फायदा उठाकर अपने प्रोपेगेंडा को फैलाया और स्थानीय नौजवानों के एक तबके को कट्टरपंथी बनायालेकिन अब उसी सोशल मीडिया ने पाकिस्तान की गहराती राजनीतिक और आर्थिक बदहाली का पर्दाफाश किया है

कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी राय 

पिछले कुछ वर्षों से कश्मीर में इमरान खान से हमदर्दी रखने वाले लोगों का एक वर्ग है लेकिन इस बार कश्मीर में इमरान के हमदर्दों की राय उनके बारे में अच्छी नहीं हैखास तौर पर इमरान के द्वारा खुलकर सेना को कोसने और PTI समर्थकों के द्वारा 9 मई 2023 को इमरान की गिरफ्तारी के बाद दंगा करने और सेना की संपत्तियों और निशानियों में तोड़फोड़ के बाद से. PTI कैडर के द्वारा अराजकता पैदा करने वाले प्रदर्शन की तस्वीरों पर कश्मीर के युवाओं ने व्यापक रूप से चर्चा की हैकुछ युवाओं ने पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के द्वारा महिला प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट के वायरल वीडियो की तुलना कश्मीर घाटी में कुछ वर्ष पहले के प्रदर्शन से भी कीउन्होंने जोर देकर कहा कि कश्मीर में 2016 से 2019 के बीच हिंसक प्रदर्शनों के दौरान भी महिला प्रदर्शनकारियों को सुरक्षाबलों के हाथों इस तरह की शारीरिक बदसलूकी का सामना नहीं करना पड़ा थाउनके मुताबिक मुमलिकातखुदादाद (अल्लाह की देनयानी पाकिस्तान अब एक ऐसी राजनीतिक संस्कृति के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है जो बंटवारेभाईभतीजावादभ्रष्टाचार और लालच को जन्म देता है

कश्मीर में आतंकवाद को पाकिस्तान का समर्थन कश्मीरी मुसलमानों के प्रति उसके अपनेपन की वजह से नहीं है बल्कि दुनिया के मंच पर भारत की तेज प्रगति को रोकने के लिए पाकिस्तान की सेना और सरकार की अपनी भू-सामरिक और भू-राजनीतिक साजिशों की वजह से है.

ये नजरिया कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान की भूमिका के बारे में युवाओं की सोच के बारे में भी बताता हैयुवा महसूस करते हैं कि पाकिस्तान ने धर्म का फायदा उठाकर कई बार कश्मीरियों को मूर्ख बनाया हैइसकी आड़ में पाकिस्तान गंदी हरकतों और नीच व्यवहार में शामिल रहा है जैसे कि नारकोटिक्स की तस्करी जिसके जरिए पाकिस्तान  सिर्फ घाटी में आतंकवाद और हिंसा के लिए पैसे का इंतजाम करता है बल्कि कश्मीर की मिली जुली संस्कृति के बचे हुए हिस्से को भी खत्म करता हैअब युवाओं के बीच इस बात को लेकर सही एहसास है कि कश्मीर में आतंकवाद को पाकिस्तान का समर्थन कश्मीरी मुसलमानों के प्रति उसके अपनेपन की वजह से नहीं है बल्कि दुनिया के मंच पर भारत की तेज प्रगति को रोकने के लिए पाकिस्तान की सेना और सरकार की अपनी भूसामरिक और भूराजनीतिक साजिशों की वजह से है. इसके नतीजतन घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हिंसा की हर घटना को लेकर एक निर्णायक और कभीकभी बेहद उग्र प्रतिक्रिया होती हैमिसाल के तौर परप्रवासी मजदूरों या कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग की ज्यादातर वारदात के बाद स्थानीय युवाओं ने मशाल जुलूस निकाल कर पाकिस्तान के समर्थन से होने वाली आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ प्रदर्शन किया

साफ तौर परकश्मीर अब पाकिस्तान को लेकर अपने रवैये के मामले में निश्चित बदलाव के मुहाने पर खड़ा हैइसके जवाब में पाकिस्तानी हुकूमत वो करेगी जो वो सबसे ज्यादा जानती है यानी आतंकवादी हिंसा करके परेशानी पैदा करना और भारत में सांप्रदायिक घटनाओं के इर्दगिर्द केंद्रित प्रोपेगेंडा फैलानासाथ ही दक्षिणपंथी महत्वहीन तत्वों के बड़बोले बयान को लेकर दुष्प्रचार करनाबहुत ज्यादा राजनीतिक अराजकता की स्थिति भी पाकिस्तान को अपनी रणनीति बदलने से रोक नहीं सकती है.


समीर पाटिल ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं

एजाज़ वानी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम में फेलो हैं.

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Ayjaz Wani

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Ayjaz Wani (Phd) is a Fellow in the Strategic Studies Programme at ORF. Based out of Mumbai, he tracks China’s relations with Central Asia, Pakistan and ...

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Sameer Patil

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Dr Sameer Patil is Director, Centre for Security, Strategy and Technology at the Observer Research Foundation.  His work focuses on the intersection of technology and national ...

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