Author : Sameer Patil

Published on Dec 12, 2022 Updated 0 Hours ago

युवाओं को भारत के प्रभावी ‘डिजिटल सिटीजन्स’ अर्थात ‘डिजिटल नागरिक’ बनाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें डिजिटल सिविक्स अर्थात डिजिटल नागरिक शास्त्र और साइबर हाइजिन अर्थात साफ-सुथरे साइबर आचरण पर केंद्रित साइबर सुरक्षा जागरूकता प्रदान करने की आवश्यकता है.

Digital Civics के माध्यम से ज़िम्मेदार युवा नेटिजन्स का पोषण!

भारत में 1980 के दशक में इंटरनेट की शुरुआत होने के बाद से डिजिटल डोमेन अर्थात क्षेत्र में व्यापक विस्तार हुआ है. 700 मिलियन से ज्यादा यूजर्स अर्थात उपयोगकर्ताओं के साथ चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्ता देश बन चुका है. पहली पीढ़ी के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में आज भी साइबर हाइजिन अर्थात साइबर क्षेत्र का साफ-सुथरा उपयोग कैसे किया जाए यानि इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग कैसे किया जाए इसे लेकर ज्ञान की कमी देखी जाती है. इसी बात से जुड़ा एक पहलू ‘डिजिटल सिविक्स’ अर्थात साइबर स्पेस में ज़िम्मेदारीपूर्ण बर्ताव करने से जुड़ा है. ऐसे में साइबर हाइजिन और साइबर सिविक्स को लेकर यह ख़ामी तेजी से बढ़ रही डिजिटल तकनीक से जुड़े खतरों और हानि को कई गुणा बढ़ा देती है. इसी  ख़ामी का लाभ उठाकर साइबर अपराधी और विध्वंसक जैसे दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को अपनी गतिविधियों को संचालित कर इसका लाभ उठाने का मौका मिल जाता है. 

एक पहलू ‘डिजिटल सिविक्स’ अर्थात साइबर स्पेस में ज़िम्मेदारीपूर्ण बर्ताव करने से जुड़ा है. ऐसे में साइबर हाइजिन और साइबर सिविक्स को लेकर यह ख़ामी तेजी से बढ़ रही डिजिटल तकनीक से जुड़े खतरों और हानि को कई गुणा बढ़ा देती है.

आज डिजिटल प्रौद्योगिकी हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी को निर्धारित करती है. कोविड-19 महामारी ने डिजिटल प्रौद्योगिकी पर हमारी निर्भरता को और भी बढ़ा दिया है. लेकिन इस निर्भरता के कारण बच्चों और युवाओं पर ख़ास प्रभाव पड़ा है. महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान घरों में कैद होने की वजह से जहां बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने पर मजबूर होना पड़ावहीं युवाओं को ‘वर्क फ्रॉम होम’ के तहत कार्यालय से जुड़ना पड़ा. इसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपना  काफ़ी अतिरिक्त समय डिजिटल डिवाइस अर्थात उपकरणों पर इंटरनेट का उपयोग करते हुए बिताया था. अनेक बच्चों के मामले में यह देखा गया कि उन्हें इंटरनेट का यह उपयोग अपने माता-पिता की पर्याप्त निगरानी के बगैर ही करना पड़ा था. 

 

हालांकि साइबर स्पेस और डिजिटल टूल्स ने इन युवा नेटिजन्स के लिए कई अवसर खोले हैंलेकिन इसकी वजह से अनेक सुरक्षा और संरक्षा चुनौतियां भी खड़ी हो गई है. कोविड-19 महामारी के अभूतपूर्व वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के साथ ही दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों ने युवा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं जैसे कमजोर समूहों को लक्षित करके अपनी गतिविधियों में वृद्धि करने का मौका भी मिला था. ऐसे में यह आश्चर्य की बात नहीं है कि महामारी के दौरान ऑनलाइन घोटालों और फिशिंगगलत सूचना और ऑनलाइन ट्रोलिंग और सबसे महत्वपूर्ण रूप से साइबर बुलिंग में वृद्धि देखी गई. यह पिछले वर्षों की प्रवृत्ति को जारी रखने जैसा ही था.

 

साइबर अपराधों में आयी तेजी

साइबर अपराधों में आयी इस तेजी ने महिलाओं को विशेष रूप से अपना निशाने पर लिया था. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में 2018 से 2021 के बीच महिलाओं के खिलाफ होने वाले साइबर अपराधों ख़ासकर सेक्सुअली एक्सप्लीसिट कंटेंट अर्थात यौन रूप से स्पष्ट सामग्री के प्रकाशन में 110 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. इसी प्रकार 2018 में साइबर स्टॉकिंग और महिलाओं की बुलिंग के मामले 739 थेजो 2021 में बढ़कर 1,172 हो गए. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह थी कि अदालती स्तर पर काफी मामले लंबित पड़े थेआपत्तिजनक सामग्री का ट्रांसमिशन अथवा प्रकाशन करने से जुड़े 96 प्रतिशत मामले और साइबर स्टॉकिंग और बुलिंग के 97.3 प्रतिशत मामले अदालत में अटके पड़े हैं.

 

महिलाओं को लक्षित करने वाले तीन मामले-लिबरल डॉज, सुल्ली डील्स और बुली बाई ने इस ख़तरे की गहनता को उजागर किया है. इन मामलों में आरोपियोंजिसमें ज्यादातर छात्र (18-23 आयु वर्ग के) शामिल हैंने एक जाति विशेष की महिलाओं को अपना निशाना बनाते हुए उनके फोटो एक ऑनलाइन फ़र्जी नीलामी के लिए जारी कर दिए थे. जैसा कि उम्मीद थीइन घटनाओं ने न केवल आक्रोश को जन्म दियाबल्कि युवाओं के बीच साइबर हाइजिन और डिजिटल सिविक्स को लेकर चर्चा भी शुरू हुई. समाज में कई लोगों ने ज्ञान प्रदान करने और युवा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के बीच डिजिटल नागरिकता की भावना पैदा करने में शैक्षणिक संस्थानों के महत्व पर भी प्रकाश डाला.

इसलिएडिजिटल युग और जनसांख्यिकीय लाभांश का अवसर जैसे-जैसे एक साथ उपलब्ध हुआ हैयह ज़रूरी हो जाता है कि भारत की युवा आबादी को साइबर हाइजिन और साइबर सिविक्स में प्रशिक्षित कर इसके बारे में जानकारी दी जाए. साइबर हाइजिन का मतलब इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित साइबर स्पेस में क्या करें और क्या न करेंइसे लेकर जागरूकता रखनी होता है. यह इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके डेटा को साइबर अपराधियों और अन्य दुष्ट तत्वों से बचाने के लिए उठाए गए कदमों और प्रथाओं को संदर्भित करता है. डिजिटल सिविक्स,  डिजिटल डोमेन में नैतिक और जिम्मेदार नागरिक व्यवहारनागरिकताया लोकतांत्रिक जुड़ाव को संदर्भित करता है – जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए ऑनलाइन स्पेस को सुरक्षित बनाने में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है. यह साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों के लिए एक पूरक भूमिका भी  निभाता है.

 

नई दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की मेज़बानी में लगभग एक दशक पहले 2014 में साइबर सुरक्षान्याय और प्रशासन पर एक विशेषज्ञ परामर्श के दौरानसाइबर सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष और सीईओ और पूर्व अमेरिकी डिप्टी होमलैंड सिक्योरिटी के सचिव और आयुक्त जेन हॉल ल्यूट ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के प्रयासों का प्राथमिक ध्यान साइबर हाइजिन पर होना चाहिए. उन्होंने कहा था कि उचित साइबर हाइजिन का अभ्यास सभी ज्ञात ख़तरों को 80-90 प्रतिशत कम करने में मदद कर सकता हैं.

 

अब तक किए गए प्रयास

सरकार की ओर से इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं.

2014 मेंइलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने ‘सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता परियोजना चरण II को मंजूरी दी’. इसका उद्देश्य सूचना सुरक्षा के बारे में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष माध्यमों से जन जागरूकता फैलाना है. इस परियोजना के तहतएमईआईटीवाई ने एक वेबसाइट बनाई और सभी हितधारकों- शिक्षाविदोंसामान्य उपयोगकर्ताओं और सरकारी कर्मचारियों के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश और ई-पुस्तकें तैयार कींताकि घृणा अपराधोंसाइबर स्टॉकिंगमॉर्फिंगडॉकिंगऑनलाइन ट्रोलिंगसाइबर फ्लैशिंगडिजिटल पैरेंटिंग आदि के बारे में लोगों को जानकारी देने और शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सके. इसी तरह 2018 मेंगृह मंत्रालय ने साइबर सुरक्षा पर किशोरों/छात्रों के लिए एक पुस्तिका जारी की थी. 2020 मेंसाइबर पीस फाउंडेशन के सहयोग से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हाई स्कूल के छात्रों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ ऑनलाइन आदतों को विकसित करने में सहायता करने के लिए एक साइबर सुरक्षा मैनुअल विकसित किया था.

डिजिटल सिविक्स,  डिजिटल डोमेन में नैतिक और जिम्मेदार नागरिक व्यवहार, नागरिकता, या लोकतांत्रिक जुड़ाव को संदर्भित करता है – जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए ऑनलाइन स्पेस को सुरक्षित बनाने में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है.

साइबर सिक्यूरिटी अर्थात सुरक्षासाइबर हाइजिन अर्थात स्वच्छता और सूचना सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इस तरह की शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध है. महामारी के बाद भारत में विशेष रूप से डिजिटल उपकरणों का उपयोग तेजी से बढ़ा है. ऐसे में इस स्थिति को देखकर छात्रों के लिए एक व्यापक कोर्स अर्थात पाठ्यक्रम/करिकूलम अर्थात अध्ययन सूची का अभाव देखा जा रहा है. 

 

एक ओर जहां सरकारी एजेंसियां ऑनलाइन क्राइम अर्थात अपराधोंनफ़रतस्टॉकिंग अर्थात पीछा करने और बुलिंग अर्थात डराने-धमकाने के मामलों से निपटने को लेकर अपनी क्षमता विकसित कर रही हैंवहीं इन कोशिशों के साथ ही हमें युवा आबादी में डिजिटल सिविक्स की भावना पैदा करनी चाहिए. क्योंकि भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में युवा वर्ग की हिस्सेदारी दो-तिहाई हैं. ऐसे में युवाओं को साइबर हाइजिन और ऑनलाइन सिविक्स का ज्ञान विकसित करने में मदद करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में एक अनिवार्य डिजिटल सिविक्स कार्यक्रम बनाया जाना आवश्यक है. ऐसा होने पर ही वे खुद को और दूसरों को इस क्षेत्र के ख़तरों से बचाने और इस क्षेत्र में जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करने के महत्व को समझने में सफल और सक्षम होंगे.

 

‘‘डिजिटल सिविक्स बिल, 2022’’ अर्थात ‘‘डिजिटल नागरिक शास्त्र विधेयक, 2022’’ शीर्षक वाले प्रस्तावित निजी सदस्य विधेयक[1] [1] का उद्देश्य साइबर स्पेस और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में युवाओं के बीच जिम्मेदार व्यवहार की भावना पैदा करना है. यह विधेयक स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल सिविक्स पाठ्यक्रमों के अनिवार्य शिक्षण के माध्यम से डिजिटल सुरक्षा को बढ़ावा देने का काम करने के उद्देश्य से पेश किया गया है.  साइबर शिक्षा और डिजिटल नैतिकता के क्षेत्र से आने वाले विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा तैयार किया जाने वाला पाठ्यक्रमडिजिटल नागरिकता और इससे जुड़े तीन घटकों: डिजिटल कौशलडिजिटल पहचान और डिजिटल सशक्तिकरण और एजेंसी को परिभाषित और विस्तृत करने वाला होगा. 

भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में युवा वर्ग की हिस्सेदारी दो-तिहाई हैं. ऐसे में युवाओं को साइबर हाइजिन और ऑनलाइन सिविक्स का ज्ञान विकसित करने में मदद करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में एक अनिवार्य डिजिटल सिविक्स कार्यक्रम बनाया जाना आवश्यक है.

जैसे-जैसे इंटरनेट पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही हैडिजिटल सिविक्स और साइबर हाइजिन पर ध्यान केंद्रित करने वाली साइबर सुरक्षा जागरूकतासुरक्षित रूप से ऑनलाइन काम करने अथवा इस क्षेत्र में भाग लेने और एक जिम्मेदार नेटिजनरी अर्थात इंटरनेट उपयोगकर्ताओं बढ़ाने का सबसे अच्छा बेहतरीन और भरोसेमंद तरीका है. यदि भारत को डिजिटल युग में युवा जनसांख्यिकी का लाभ उठाना है तोयुवा आबादी को भारत का प्रभावी डिजिटल नागरिक बनना जरूरी और अनिवार्य हो जाता है. प्रस्तावित ‘‘डिजिटल विधेयक, 2022’’, का उद्देश्य इसे बढ़ावा देना ही तो है.


[1] The bill has been proposed by Priyanka Chaturvedi, Member of Parliament, Rajya Sabha and will be tabled in the upcoming Winter Session of Parliament.

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