Author : Abhijit Singh

Published on Apr 24, 2019 Updated 0 Hours ago

श्रीलंका में रविवार की घटनाओं ने पूरी दुनिया को दहला दिया है। ईस्टर के मौके पर तीन चर्चों और इतने ही होटलो में बेहद सुसंयोजित तरीके से हुए ये हमले अधिवास्तविक ही नहीं, विचित्र से लगते हैं। अंतिम समाचारों के आने तक 250 से अधिक लोग मारे जा चुके थे और 500 से अधिक घायल थे। इस घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि इन हमलों की योजना बहुत सफाई से बनाई गई थी ताकि अधिकतम नुकसान सुनिश्चित किया जा सके।

खतरनाक संकेत है श्रीलंका में बमबारी

क्षेत्रीय गतिविधियों पर निगाह रखने वाले बहुत से लोगों के लिए रविवार के हमले मुम्बई में 2008 में हुए हमले जैसे ही थे। उस साल मुम्बई में एकदूसरे से जुड़ी बम विस्फोटों और गोलीबारी की 12 घटनाएं हुई थीं। इनमें एक कैफे, ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और एक यहूदी चबाड पर हुआ हमला शामिल था। ये हमले पाकिस्तान स्थित लश्करे ताइबा के इशारों पर हुए थे, लेकिन श्रीलंका में हुई घटनाओं से अलग इन्हें बंदूकधारियों ने अंजाम दिया था।

रिपोर्टों से पता चलता है कि श्रीलंका में हमलावरों ने तीन चर्चों पर हमला किया है — नेगोम्बो में सेंट सेबेस्टियन्स चर्च, कोलम्बो में सेंट एंथनी’ज श्राइन और बट्टीकलोआ में जिअन चर्च। कोलम्बो के तीन होटलों — सिनेमन ग्रांड, शांग्री-ला, और किंग्सबरी — में भी हमला हुआ जो एक ही प्रमुख सड़क पर स्थित हैं।

इसी समय यह बात भी सामने आई है कि इस महीने की शुरुआत में कोलम्बो पुलिस के प्रमुख ने चर्चों तथा इन होटलों के निकट स्थित भारतीय उच्चायोग के कार्यालय परिसर पर हमलों की धमकी मिलने के बारे में चेतावनी दी थी। फिर भी, लगता है कि अपनी ही सूचना के प्रति श्रीलंकाई अधिकारी बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं थे क्योंकि पुलिस प्रमुख द्वारा एक स्थानीय इस्लामी समूह की ओर से धमकी मिलने के संबंध में चेतावनी जारी करने के बाद भी ईस्टर के मौके पर सुरक्षा प्रबंध वास्तव में सुदृढ़ नहीं किए गए थे।

निश्चय ही, सभी के दिमाग में सबसे पहला सवाल यह कि “ये हमले किसने करवाये?” अभी तक कोई संगठन जिम्मेदारी लेने के लिए आगे नहीं आया है, लेकिन लोगों का अंदाजा है कि यह अलग-थलग पड़े किसी तमिल उग्रवादी गुट या फिर इस्लामिक स्टेट (दाएश) का काम हो सकता है। विशेषज्ञों का दावा है कि इसके पीछे दाएश के होने की संभावना ज्यादा है क्योंकि फिलहाल उसी के पास ऐसी गहन योजना और संयोजन के साथ कई स्थानों पर एक साथ उच्च घातकता वाले जटिल हमले करने की क्षमता, दक्षता और प्रेरणा है। निश्चित रूप से इन हमलों का तरीका भी इसमें इस्लामिक स्टेट का हाथ होने का संकेत करता है क्योंकि इन हमलों के लिए महत्वपूर्ण स्थानों का बहुत चालाकी से चयन करने के अलावा ईसाई धर्मस्थलों को निशाना बना कर बौद्ध-बहुल देश में धार्मिक अलगाव पैदा करने का प्रयास भी साफ दिखाई दे रहा है।

इन घटनाओं से क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। पिछले कुछ समय से दक्षिण एशिया में कट्टर इस्लामी समूहों के फैलने को लेकर नई दिल्ली चिंतित रही है। भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि कथित इस्लामिक स्टेट समूह का भारत के पड़ोस में कोई खास असर नहीं है, लेकिन बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में आईएसआईएस की मौजूदगी के निशान मिले हैं। श्रीलंका में हुए इन हमलों से इस तरह के खतरों के सामने कमजोर और इनसे निपटने की ओर से बेखबर दक्षिण एशिया में आतंक के प्रसार को लेकर भारत निश्चित रूप से भयभीत होगा।


यह लेख मूल रूप से Valdai Discussion Club में प्रकाशित हो चुका है।

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