चीन-ताइवान विवाद के बाद दुनिया की नजर उत्तर कोरिया पर टिकी है. उत्तर कोरिया की मिसाइल परीक्षण और बमवर्षक विमानों के चलते जापान और दक्षिण कोरिया की सेना विशेष रूप से सतर्क है. उत्तर की सैन्य गतिविधियों पर अमेरिका की भी पैनी नजर है. उधर, उत्तर कोरियाई सेना के एक्शन में आने के बाद दक्षिण कोरिया ने 30 लड़ाकू विमानों की तैनाती की है. खास बात यह है कि उत्तर कोरिया अपने मिसाइल परीक्षणों को ऐसे वक्त पर अंजाम दे रहा है, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर आने वाली है. आइए जानते हैं कि उत्तर कोरिया के इस मिसाइल परीक्षण का मकसद क्या है. क्या उसकी मिसाइलों की मारक क्षमता अमेरिका तक है. आखिर उत्तर कोरिया अपने मिसाइल परीक्षण से अमेरिका को क्या संदेश देना चाहता है.
खास बात यह है कि उत्तर कोरिया अपने मिसाइल परीक्षणों को ऐसे वक्त पर अंजाम दे रहा है, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर आने वाली है. आइए जानते हैं कि उत्तर कोरिया के इस मिसाइल परीक्षण का मकसद क्या है.
जापान और दक्षिण कोरिया के साथ अमेरिकी सेना
उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण के बाद अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने अपनी सैन्य तैयारियों को बढ़ा दिया है. तीनों देश उत्तर कोरिया के किसी भी हमले का सख्त जबाव देने का अभ्यास कर रहे हैं. इस सैन्य ड्रिल में अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन को भी उतारा है. इससे दक्षिण सागर में सैन्य हलचल बढ़ गई है. ताइवान स्ट्रेट के बाद दक्षिण सागर में अमेरिका की सैन्य गतिविधियां बढ़ गई हैं. उत्तर कोरिया के किसी भी सैन्य कार्रवाई के लिए यूएसएस रोनाल्ड रीगन अपने कैरियर फ्लीट के साथ कोरियाई प्रायद्वीप में मौजूद है.
उत्तर कोरिया के किसी भी सैन्य कार्रवाई के लिए यूएसएस रोनाल्ड रीगन अपने कैरियर फ्लीट के साथ कोरियाई प्रायद्वीप में मौजूद है.
उत्तर कोरिया से अमेरिका का विरोध क्यों
1- विदेश मामलों के जानका प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि जापान और दक्षिण कोरिया रणनीतिक रूप से अमेरिका के लिए बेहद उपयोगी है. दोनों मुल्क अमेरिका के सहयोगी राष्ट्र हैं. अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड संगठन में जापान एक प्रमुख सदस्य देश है. दक्षिण चीन सागर पर चीन की आक्रामकता पर नकेल कसने के लिए जापान और अमेरिका एक साथ हैं. दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग पर करार है. ऐसे में दक्षिण कोरिया और जापान पर किसी तरह के सैन्य हमले पर अमेरिका का सीधा दखल होगा. इस समय उत्तर कोरिया की मिसाइलें दक्षिण कोरिया और जापान को टारगेट कर रही हैं, ऐसे में अमेरिका का दक्षिण सागर में दखल देना लाजमी है.
2- उत्तर कोरिया से अमेरिका को क्या चिंता है? इस सवाल पर प्रो पंत ने कहा कि इसके दो प्रमुख कारण है. इसका बड़ा फैक्टर चीन भी है. चीन अमेरिका का घोर विरोधी है और उसकी उत्तर कोरिया के साथ गहरी दोस्ती है. चीन और उत्तर कोरिया की नजर जापान और दक्षिण कोरिया पर है. दूसरे, चीन और उत्तर कोरिया एक गैर लोकतांत्रिक देश हैं. दोनों देशों की व्यवस्था लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. इस आधार पर अमेरिका इन दोनों मुल्कों का विरोधी रहा है.
चीन और उत्तर कोरिया एक गैर लोकतांत्रिक देश हैं. दोनों देशों की व्यवस्था लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. इस आधार पर अमेरिका इन दोनों मुल्कों का विरोधी रहा है.
3- उत्तर कोरियाई बैलिस्टक मिसाइल की क्षमता भले ही अमेरिका के प्रमुख शहरों तक नहीं हो, लेकिन वह अमेरिका के प्रमुख नौ सैनिक अड्डा गुआम को निशाना बना सकती है. अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच दूरी करीब दस हजार किलोमीटर है, लेकिन अमेरिकी नौसेना का गुआम नौसैनिक अड्डे की दूरी महज 3400 किलोमीटर है. अमेरिका की प्रमुख चिंता गुआम का नौसैनिक अड्डा है. उत्तर कोरिया के पास इंटरकान्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें हैं.
उत्तर कोरिया की मिसाइल क्षमता
1- उत्तर कोरिया ह्वासोंग-14 बैलिस्टिक मिसाइल का भी परीक्षण कर रहा है. यह उत्तर कोरिया की पहली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है. यह भी दावा किया जा रहा है कि उत्तर कोरिया की यह मिसाइल दस हजार किमी की दूरी तक हमला कर सकती है. ऐसे में इसके उत्तर कोरिया से न्यूयार्क तक पहुंचने का खतरा है. खास बात यह है कि उत्तर कोरिया इसकी पूरी सीरीज विकसित कर रहा है. ह्वासोंग-12 इसकी मारक क्षमता 4500 किलोमीटर है. यह भी दावा किया जा रहा है कि इस सीरीज में ह्वासोंग-15 की मारक क्षमता 13000 किलोमीटर तक है.
उत्तर कोरिया ह्वासोंग-14 बैलिस्टिक मिसाइल का भी परीक्षण कर रहा है. यह उत्तर कोरिया की पहली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है. यह भी दावा किया जा रहा है कि उत्तर कोरिया की यह मिसाइल दस हजार किमी की दूरी तक हमला कर सकती है. ऐसे में इसके उत्तर कोरिया से न्यूयार्क तक पहुंचने का खतरा है.
2- इसके अलावा उत्तर कोरिया के पास पुकगुक्सोंग-3 मिसाइल है. यह दावा किया जाता रहा है कि इसकी मारक क्षमता 1900 किलोमीटर है. इसकी मिसाइल की दो सीरीज है. पुकगुक्सोंग-2 की मारक क्षमता दो हजार किलोमीटर है. इसकी जद में जापान और दक्षिण कोरिया हैं. इसके अलावा मुसुडान नामक मिसाइल की मारक क्षमता चार हजार किलोमीटर तक बताई जा रही है.
यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.