Published on Aug 25, 2022 Updated 26 Days ago

नेटो की रणनीतिक संकल्पना समयानुकूल हो सकती है, लेकिन चूंकि यह गठबंधन क्षेत्र के हर इंच की रक्षा की बात बार-बार करती है, इसलिए यह इसका सबसे बड़ा इम्तिहान भी हो सकता है.

नेटो की आठवीं रणनीतिक संकल्पना : यूरोप में बदलती सैन्य तैनाती

‘नेटो शिखर सम्मेलन 2022’ 29-30 जून को मैड्रिड में आयोजित हुआ, जिसमें गठबंधन के नेताओं ने यूरोप और एशिया-प्रशांत के साझेदारों के साथ शिरकत की. एक ख़ास बात यह रही कि मैड्रिड शिखर सम्मेलन में पहली बार ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया से एशिया-प्रशांत के नेताओं की भागीदारी हुई. सम्मेलन का एक बड़ा परिणाम नाटो की आठवीं रणनीतिक संकल्पना को जारी किये जाने के रूप में सामने आया. इसके अलावा, स्वीडन और फिनलैंड को नेटो में शामिल होने का औपचारिक न्योता मिलने के साथ, इस दो-दिवसीय सम्मेलन का समापन खुले द्वार की अपनी नीति की पुन: पुष्टि के साथ हुआ. एक अन्य महत्वपूर्ण विकास नेटो इनोवेशन फंड का आरंभ था, जो दुनिया का पहला मल्टी-सॉवरेन वेंचर कैपिटल फंड है. यूक्रेन विवाद (जो अभी गठबंधन का प्राथमिक फोकस है) के अलावा, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गयी.

ख़ास बात यह रही कि मैड्रिड शिखर सम्मेलन में पहली बार ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया से एशिया-प्रशांत के नेताओं की भागीदारी हुई. सम्मेलन का एक बड़ा परिणाम नाटो की आठवीं रणनीतिक संकल्पना को जारी किये जाने के रूप में सामने आया. 

नेटो रणनीतिक संकल्पना 2022 का महत्व

नेटो की दीर्घजीविता का श्रेय बदलती सुरक्षा ज़रूरतों और ख़तरे की बदलती धारणाओं के प्रति उसके लगातार अनुकूलन को दिया जा सकता है. नेटो की नयी रणनीतियों और अनुकूलन संबंधी पुनर्सूत्रीकरणों को सामने लाने के लिए मुख्य साधन उसकी रणनीतिक संकल्पना रही है, जो ख़तरे के बदलते आकलनों के बीच यूरो-अटलांटिक सुरक्षा की गारंटी के लिए गठबंधन के रूपांतरण के वास्ते एक गाइडबुक है. इस दस्तावेज की लगभग हर 10 साल पर समीक्षा की जाती है और इसे अपडेट किया जाता है, जो गठबंधन को मौजूदा ख़तरों और भावी संभावित चुनौतियों के लिए तैयार होने में सक्षम बनाता है. इसके पूर्व की रणनीतिक संकल्पना को 2010 में नेटो के लिस्बन सम्मेलन में अंगीकार किया गया था. 12 सालों बाद, वैश्विक सुरक्षा वातावरण में आये बदलाव ने एक नवीनीकृत रणनीति की ज़रूरत को रेखांकित किया है.

2022 की रणनीतिक संकल्पना नेटो के 2030 के उस एजेंडे के अनुरूप है, जिसे 2021 के शिखर सम्मेलन में अंगीकार किया गया था. यह नवीनतम दस्तावेज, उत्तर अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 के अनुरूप, गठबंधन के तीन मुख्य कार्यभारों की बुनियाद पर निर्मित है : ‘भयावरोध (डिटरेंस) और रक्षा; संकट से बचाव और उसका प्रबंधन; और सहकारी सुरक्षा.’ यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत बनाते हुए, यह रणनीतिक संकल्पना यूक्रेन युद्ध के दूसरी जगहों पर पड़ने वाले किन्हीं प्रभावों के लिए तैयार रहने पर ध्यान केंद्रित करती है, साथ ही रूस द्वारा ‘संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता’ के उल्लंघन की निंदा करती है. यह दस्तावेज रूस को खुले तौर पर ‘गठबंधन की सुरक्षा और यूरो-अटलांटिक क्षेत्र की स्थिरता के लिए सबसे बड़ा और सीधा ख़तरा’ क़रार देता है. यूरोप में एक पूर्ण-स्तरीय युद्ध की ज़मीनी हक़ीक़त को देखते हुए, इस नवीनतम दृष्टि पत्र के मूल सिद्धांतों को हासिल करना नेटो के रूपांतरण की कुंजी होगी. अहम बात यह है कि यह दस्तावेज रूस और चीन के बीच उस ‘गहराती रणनीतिक साझेदारी’ से जुड़ी चिंताओं को भी सामने रखता है, जो नेटो के हितों के सीधे ख़िलाफ़ थी.

2010 से 2022 : नेटो की नयी सैन्य तैनाती (फोर्स पोश्चर)

2010 की रणनीतिक संकल्पना और 2022 के दस्तावेज के बीच स्वाभाविक लेकिन सबसे उल्लेखनीय बदलाव है, रूस का नेटो के एक ‘रणनीतिक साझेदार’ होने से लेकर उसके लिए ‘सबसे बड़ा और सीधा ख़तरा’ बनने तक का सफ़र. शब्दावली में आया यह बदलाव यूरोप में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का सीधा नतीजा है. नेटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ‘सबसे गंभीर सुरक्षा संकट’ क़रार दिये गये इस आक्रमण को, गठबंधन के पूर्वी हिस्से में नेटो सैनिकों की संख्या में वृद्धि के लिए मजबूर करना ही था.

2022 की रणनीतिक संकल्पना नेटो के 2030 के उस एजेंडे के अनुरूप है, जिसे 2021 के शिखर सम्मेलन में अंगीकार किया गया था. यह नवीनतम दस्तावेज, उत्तर अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 के अनुरूप, गठबंधन के तीन मुख्य कार्यभारों की बुनियाद पर निर्मित है 

सैन्य तैनाती में बदलाव का ऐलान  करते हुए स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, ‘पुतिन अपनी सीमाओं पर नेटो की कम मौजूदगी चाहते थे, लेकिन अपने कर्मों के कारण, उन्हें ज़्यादा मिल रही है.’ गठबंधन की उच्च-तैयारी वाली टुकड़ियों (रिस्पॉन्स फोर्स) में 2023 तक सात गुना की वृद्धि होगी और सैनिकों की संख्या 40,000 से बढ़कर 300,000 हो जायेगी. यह वृद्धि मुख्य रूप से पूर्वी यूक्रेन में नेटो-रूस सीमा पर देखने को मिलेगी. थल, जल, नभ, साइबर, अंतरिक्ष समेत सभी क्षेत्रों में क्षमताओं में वृद्धि किये जाने की उम्मीद है. इस तरह यह नया फोर्स मॉडल नेटो की सैन्य स्थिति को भयावरोध व रक्षा दोनों के लिहाज़ से और मज़बूत बनाता है.

अमेरिका की सैन्य तैनाती में बदलाव

अमेरिका की ओर से समर्थन नेटो के पुनर्गठन के केंद्र में है. नेटो के रक्षा इंतज़ाम पुख़्ता करने के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूरोप में सैन्य तैनाती में वृद्धि का ऐलान  किया. अमेरिका पोलैंड में रोटेशनल आर्मी ब्रिगेड कॉम्बैट टीम (बीसीटी) बनाये रखने को तैयार है, जबकि रोमानिया में एक आर्मी बीसीटी का मुख्यालय है. रोमानिया में रोटेशनल ब्रिगेड के 3000 सैनिकों और 2000 दूसरे कार्मिकों की तैनाती की जायेगी. ये दो बीसीटी यूरोप के पूर्वी हिस्से वाले देशों, ख़ासकर बाल्टिक देशों में अमेरिका की एक टिकाऊ हील-टू-टो (लगातार रोटेशन वाली) मौजूदगी को संभव बनायेंगी. इसके अलावा, अमेरिका पोलैंड में अपनी फिफ्थ आर्मी कोर की अग्रिम कमान चौकी के लिए एक स्थायी मुख्यालय स्थापित करेगा. फील्ड सपोर्ट बटालियन के साथ आर्मी गैरिसन मुख्यालय भी पोलैंड में स्थित होगा. यह ‘यूरोपियन एरिया ऑफ रिस्पॉन्सबिलिटी’ (एओआर) में प्रशिक्षण में नेटो गठबंधन सहयोगियों के साथ बढ़ी हुई अंतर-संचालनीयता मुहैया करायेगा.

गैर-ज़मीनी बलों की क्षमताओं के संदर्भ में, स्पेन के रोटा स्थित अमेरिकी नौसैनिक अड्डे में नौसेना के विध्वंसक पोतों की संख्या पहले के चार से बढ़ाकर छह की जायेगी. ब्रिटेन में भी एफ-35 लड़ाकू विमानों के दो अतिरिक्त स्क्वाड्रन होंगे. बाइडन ने जर्मनी और इटली में भी ‘हवाई रक्षा और दूसरी क्षमताओं’ की बढ़ी हुई तैनाती का एलान किया.

यूरोपीय सैन्य तैनाती में बदलाव

2014 में क्राइमिया पर रूसी क़ब्ज़े के बाद, नेटो ने बाल्टिक राष्ट्रों और पोलैंड में एक ‘इन्हान्स्ड फॉरवर्ड प्रेजन्स’ (बढ़ी हुई अग्रिम मौजूदगी) की तैनाती की, जिसमें चार रोटेशनल बहुराष्ट्रीय युद्धक समूह शामिल थे. मक़सद था कि यह रूसी आक्रामकता रोकने के लिए लक्ष्मण रेखा के रूप में काम करे. काला सागर में सैन्य अभ्यासों की बारंबारता और पैमाना भी बढ़ाया गया. हालांकि, रूस के यूक्रेन में आक्रमण के बाद, बुल्गारिया, हंगरी, रोमानिया और स्लोवाकिया में अतिरिक्त युद्धक समूह स्थापित किये गये हैं. इसके साथ सीधे नेटो की कमान के तहत रखे गये 40,000 से अधिक सैनिक थे.

इसके अलावा, नेटो के पूर्वी हिस्से को कीव को दिये जाने वाले ज़्यादा कुशल हथियारों से मज़बूत किया जायेगा. ब्रिटेन ने एस्तोनिया में एक नेटो युद्धक समूह के लिए अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाकर 1000 से 1700 सैनिक करने की पुष्टि की है. ये बल ब्रिटेन में स्थित होंगे, जो शॉर्ट नोटिस पर तैनाती के लिए तैयार रहेंगे. एस्तोनिया से लेकर बुल्गारिया तक, नेटो के अग्रिम पंक्ति के आठ युद्धक समूहों में 3000 से 5000 सैनिकों की ब्रिगेड स्तर तक की वृद्धि देखने को मिलेगी. जर्मनी ने भी लिथुआनिया के लिए सैनिक मुहैया कराने की अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाकर ब्रिगेड आकार का करने का वादा किया है.

वैश्विक सैन्य तैनाती पर प्रभाव

नेटो की सैन्य तैनाती को मज़बूत करने का मुख्य आधार यह आकलन है कि यूरो-अटलांटिक क्षेत्र शांति की स्थिति में नहीं है. इससे ज़्यादा अहम यह है कि, नेटो की रणनीतिक संकल्पना यह स्पष्ट करती है कि नेटो जिस ख़तरे का सामना कर रहा है वह वैश्विक है. हालांकि रूस को यूरोप में शांतिपूर्ण और पूर्वानुमेय सुरक्षा व्यवस्था को उलट-पुलट करने के प्राथमिक कारण के रूप में चिह्नित किया गया है, लेकिन ‘दुर्भावनापूर्ण हाइब्रिड और साइबर अभियानों’ को संचालित करने की चीन की क्षमता और ‘गठबंधन सहयोगियों को निशाना बनाने और गठबंधन सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए उसकी टकरावपूर्ण बयानबाजी और दुष्प्रचार’ को देखते हुए नेटो चीनी चुनौती को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानता है. नेटो की चुनौती को हिंद-प्रशांत से जोड़ते हुए, यह रणनीतिक संकल्पना प्रमुख तकनीकी और औद्योगिक सेक्टरों, अति महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे तथा रणनीतिक सामग्रियों व आपूर्ति श्रृंखलाओं को नियंत्रित करने की चीन की क्षमता को भी क़ुबूल करती है.

अमेरिका पोलैंड में अपनी फिफ्थ आर्मी कोर की अग्रिम कमान चौकी के लिए एक स्थायी मुख्यालय स्थापित करेगा. फील्ड सपोर्ट बटालियन के साथ आर्मी गैरिसन मुख्यालय भी पोलैंड में स्थित होगा. यह ‘यूरोपियन एरिया ऑफ रिस्पॉन्सबिलिटी’ (एओआर) में प्रशिक्षण में नेटो गठबंधन सहयोगियों के साथ बढ़ी हुई अंतर-संचालनीयता मुहैया करायेगा.

नेटो का सैन्य पुनर्गठन रूस को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करता है. लेकिन जब यूरोप में युद्ध जारी है, रूस के ख़िलाफ़ एक भरोसेमंद भयावरोध खड़ा करने की नेटो की सैन्य तैनाती सवालों के घेरे में है. शायद, नेटो के भयावरोध को चुनौती देने वाला सबसे महत्वपूर्ण पहलू नाभिकीय प्रश्न है और संभावनाएं नाभिकीय हथियारों को इस्तेमाल करने की रूसी क्षमता के पक्ष में हैं. यूक्रेन के ख़िलाफ़ चल रहे युद्ध के शुरुआती दौर में ही नाभिकीय सतर्कता के स्तर को बढ़ाने का रूसी निर्णय इस संबंध में रूस द्वारा एक प्रतीकात्मक निर्णय रहा है. इसे लेकर गंभीर चिंताएं हैं कि एनर्होदर में ज़ैपोरिज्झिया नाभिकीय विद्युत संयंत्र के आसपास तोपख़ाने की लगातार गोलाबारी के चलते यूक्रेन में एक नाभिकीय तबाही का साया मंडरा रहा है. इस घटनाक्रम की वजह से नेटो ने रणनीतिक तैनाती के पुनर्गठन पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान केंद्रित किया है. हालांकि, रणनीतिक संकल्पना के ज़रिये लक्षित ज़्यादातर संशोधन दीर्घकालिक परियोजनाएं हैं, जिनका यूरोप में मौजूदा युद्ध पर ज़्यादा असर होने की उम्मीद नहीं है. इसके बावजूद, रूस के ख़िलाफ़ भरोसेमंद रक्षात्मक और हमलावर प्रतिरोध खड़ा करने में, हथियारों और साजो-सामान के ज़रिये यूक्रेन को नेटो की फ़ौरी मदद को महत्वहीन नहीं माना जा सकता. नेटो की रणनीतिक संकल्पना समयानुकूल हो सकती है, लेकिन चूंकि यह गठबंधन क्षेत्र के हर इंच की रक्षा की बात बार-बार करती है, इसलिए रूस अगर नेटो के किसी सदस्य देश पर हमले का निर्णय करता है तो यह इसका सबसे बड़ा इम्तिहान भी हो सकता है.

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