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घातक वायरस से निपटने में ट्रंप की ग़लतियों से जो अराजकता फैली है, उससे निपटने की ज़िम्मेदारी अब जो बाइडेन की है.
‘प्लीज़, मैं आपसे गुज़ारिश करता हूं कि आप मास्क ज़रूर पहनें.’ अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चुनाव में अपनी जीत के बाद पहले भाषण में देशवासियों से यही अपील की. बाइडेन के सामने बुरी तरह विभाजित देश खड़ा है, जहां आज़ादी और स्वतंत्रता को लेकर ऐसा सांस्कृतिक युद्ध चल रहा है, जिसमें महामारी के दौरान चेहरे को ढकना और रसभरी को फोड़ना भी एक तरह का राजनीतिक संकेत माना जा रहा है.
जो बाइडेन ने अपनी जिस कोरोना वायरस टास्क फोर्स का गठन किया है, उसमें ऐसे वैज्ञानिकों को बड़ी संख्या में रखा गया है जिन्हें मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप ने बर्ख़ास्त कर दिया था. इस टास्क फ़ोर्स ने इस मुश्किल दौर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के संदेश देने के लिए मनोविज्ञान और मार्केटिंग की बात शुरू कर दी है. जो बाइडेन ने अपने चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के तौर पर रॉन क्लेन को चुना है, जो एक तजुर्बेकार लीडर हैं. 2014 में बराक ओबामा के शासनकाल में इबोला वायरस का प्रकोप हुआ था. रॉन क्लेन को उस चुनौती से निपटने का तजुर्बा है. रॉन क्लेन का व्हाइट हाउस के शीर्ष पद पर पहुंचना अपने आप में इस बात का संकेत है कि ट्रंप के शासनकाल की पहचान बन गए अराजक व्हाइट हाउस के दिन अब लद गए हैं.
2014 में बराक ओबामा के शासनकाल में इबोला वायरस का प्रकोप हुआ था. रॉन क्लेन को उस चुनौती से निपटने का तजुर्बा है. रॉन क्लेन का व्हाइट हाउस के शीर्ष पद पर पहुंचना अपने आप में इस बात का संकेत है कि ट्रंप के शासनकाल की पहचान बन गए अराजक व्हाइट हाउस के दिन अब लद गए हैं.
सर्दियों के साथ ही कोरोना वायरस ने अमेरिका और बाक़ी दुनिया पर नई ताक़त से हमला बोला है. हम 18वीं सदी से ही ये जानते हैं कि हर महामारी की सेकेंड वेव आती है, जो पहले हमले से कहीं अधिक घातक होती है. अमेरिका में चुनाव के दिन से लेकर अब तक देश के सभी 50 राज्यों में कोविड-19 के मामले बढ़ गए हैं: हर दिन एक लाख से ज़्यादा नए केस सामने आ रहे हैं. अकेले 11 नवंबर को अमेरिका में कोविड-19 के एक लाख 44 हज़ार नए केस सामने आए थे. नॉर्थ डकोटा राज्य की हालत तो इतनी ख़राब है कि राज्य के प्रशासन को कोविड पॉज़िटिव नर्सों को भी काम जारी रखने को कहना पड़ा है.
अमेरिका इस वक़्त कोविड-19 की सेकेंड (या तीसरी) वेव का सामना कर रहा है, और ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस डॉक्टर से बात करते हैं. अब तक इस महामारी से ढाई लाख से ज़्यादा अमेरिकी नागरिकों की मौत हो चुकी है. हालात इतने ख़राब हैं कि चल शवगृहों को काम पर लगाना पड़ा है क्योंकि अस्पतालों में अब लाशें रखने की जगह नहीं बची है. इस तबाही के लिए केवल और केवल डॉनल्ड ट्रंप ज़िम्मेदार हैं और उन्होंने चुनाव में हार से इस लापरवाही की क़ीमत चुकाई है. लेकिन, इस घातक वायरस से निपटने में ट्रंप की ग़लतियों से जो अराजकता फैली है, उससे निपटने की ज़िम्मेदारी अब जो बाइडेन की है.
77 वर्ष के जो बाइडेन ने अपने पूरे चुनाव अभियान को ख़ास सुरक्षा उपायों के साथ चलाया. उनकी रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग का ख़ास ख़याल रखा जाता था. लोगों के खड़े होने या कारों से आकर रुकने के लिए भी निशान बनाए जाते थे. सभी लोग मास्क ज़रूर पहनते थे. जबकि डॉनल्ड ट्रंप इन बातों का मज़ाक़ उड़ाते थे. अपने शोर मचाते समर्थकों के शोर-शराबे के बीच ट्रंप, जो बाइडेन के बारे में कहा करते थे कि, ‘वो कम से कम दो सौ फीट की दूरी से बात करते हैं और रैलियों में इतने बड़े मास्क पहनकर आते हैं, जैसे मैंने पहले कभी नहीं देखे.’ पता चला कि इन ओछी बातों के बावजूद ट्रंप को दोबारा चुनाव जीतने में सफलता नहीं मिली.
जो बाइडेन की दुनिया में मेडिकल विशेषज्ञों या बीमारी को सम्मान देने का मतलब कमज़ोरी नहीं है. जबकि डोनाल्ड ट्रंप तो पूरी महामारी के दौर में इसी सोच के साथ आगे बढ़ते रहे
अब सवाल ये है कि जो बाइडेन इस तबाही से देश को उबारने के लिए कौन से ऐसे क़दम उठाएंगे, जो पहले नहीं किए गए? इसकी पहली झलक हमें अभी से देखने को मिलने लगी है. कोविड-19 से निपटने की जो बाइडेन की योजना की पांच ख़ास बातें हम आपको बताते हैं.
जो बाइडेन की दुनिया में मेडिकल विशेषज्ञों या बीमारी को सम्मान देने का मतलब कमज़ोरी नहीं है. जबकि डोनाल्ड ट्रंप तो पूरी महामारी के दौर में इसी सोच के साथ आगे बढ़ते रहे. बाइडेन की निजी ज़िंदगी का इतिहास देखें तो वो निजी ज़िंदगी में तबाहियों और स्वास्थ्य के संकटों से जूझते रहे हैं. बचपन में बाइडेन हकलाया करते थे. 1972 में बाइडेन ने एक कार दुर्घटना में अपनी पहली पत्नी और नवजात बेटी को गंवा दिया था. 1988 में दो बार उनके दिमाग़ की नसें फट गई थीं. 2015 में उनके बेटे ब्यू की ब्रेन कैंसर से मौत हो गई थी. जब से डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को लेकर अपनी लंबी लंबी प्रेस वार्ताओं की शुरुआत की थी (जिन्हें तब अचानक रोक दिया गया, जब लोगों ने सारा ध्यान वैज्ञानिकों को देना शुरू कर दिया) तब से लेकर कोरोना वायरस को लेकर उनकी शोशेबाज़ियां हमेशा इसी बात को लेकर रहीं कि वो हमेशा ताक़त, इम्युनिटी और चमत्कारिक इलाज की बातें करते रहे. ये बातें बीमार, ठीक हो रहे या मर रहे लोगों पर बेअसर थीं. ट्रंप की भतीजी मैरी ट्रंप, जो एक मनोवैज्ञानिक भी हैं, ने बताया कि, ट्रंप के परिवार में ‘कमज़ोर होना’ सबसे बड़ा पाप था. मैरी का मानना है कि इसी वजह से ट्रंप ने युद्ध में घायल हुए लोगों को लूज़र और हारा हुआ कहा-ये एक ऐसी गाली थी जिससे चुनाव में ट्रंप को लाखों को वोटों का नुक़सान हुआ. जब ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित होकर व्हाइट हाउश से वाल्टर रीड मेडिकल सेंटर के लिए रवाना हुए या फिर संक्रमित होते हुए भी अस्पताल की सैर के लिए निकले तो उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर मिले अपने विशेषाधिकार (जो जनता के टैक्स से मिलता है) को मर्दानगी समझा. लेकिन ये भद्दा सियासी सर्कस अब देखने को नहीं मिलेगा, जब जो बाइडेन सत्ता संभालेंगे और कोरोना वायरस से निपटने का अभियान शुरू करेंगे. कम से कम जो बाइडेन का कोरोना वायरस से निपटने का अभियान, संयम की बहाली पर होगा न कि नीम-हकीमी के इलाज वाला. अगर ये अभियान पूरी तरह सफल रहा तो जो बाइडेन, अमेरिका की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की विशेषज्ञता की गहराई पर दोबारा अमेरिका का विश्वास क़ायम कर सकेंगे, क्योंकि इसी विश्वास के चलते अमेरिका ने इबोला वायरस के ख़िलाफ़ सफल वैश्विक अभियान का नेतृत्व किया था.
जो बाइडेन का कोरोना वायरस से निपटने का अभियान, संयम की बहाली पर होगा न कि नीम-हकीमी के इलाज वाला. अगर ये अभियान पूरी तरह सफल रहा तो जो बाइडेन, अमेरिका की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की विशेषज्ञता की गहराई पर दोबारा अमेरिका का विश्वास क़ायम कर सकेंगे
हां, जो बाइडेन मास्क पहनना अनिवार्य बनाएंगे- उन्होंने पहले ही ऐसा क़दम उठा लिया है और इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वो तेज़ी से बढ़ रहे नए संक्रमणों और ट्रंप के कट्टर समर्थक क्षेत्रों में सियासी चुनौतियों से कैसे निपटते हैं. हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के शासन वाले ट्रंप समर्थक राज्यों ने महामारी को बढ़ने दिया, लेकिन इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि जैसे-जैसे स्थानीय लोगों के बीच मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे रिपब्लिकन गवर्नर भी मास्क को अनिवार्य बनाने का क़दम उठाने के लिए तैयार दिख रहे हैं. ये रिपब्लिकन राज्य यूटा में देखने को मिला. ऐसा ही ओहायो राज्य में भी हुआ. दोनों ही राज्यों में ट्रंप ने जीत हासिल की थी. ट्रंप के अन्य मज़बूत इलाक़ों जैसे कि साउथ डकोटा ने लोगों पर थूकने की आज़ादी को अपने लिए उपलब्धि के तौर पर पेश किया. तो हां, मास्क पहनने को लेकर सार्वजनिक संवाद में काफ़ी बदलाव आना तय है. लेकिन, ट्रंप समर्थकों की दीवार अब भी ज़िद पर अड़ी रहने वाली है. राष्ट्रपति चुनाव में पहले ही 7.2 करोड़ लोगों ने ट्रंप को वोट दिया है, जबकि ट्रंप मास्क को अनिवार्य बनाने के बजाय उसे कोरोना वायरस से लड़ने का एक ‘वैकल्पिक औज़ार’ ही बताते रहे. एसोसिएटेड प्रेस के एक विश्लेषण में पाया गया कि सबसे ज़्यादा नए केस वाली 376 काउंटियों में से 9 में से 10 (93 प्रतिशत) में जीत हासिल की थी.
जो बाइडेन ने वादा किया है कि वो इस घातक महामारी पर सीधी सपाट बात करेंगे, संयम से काम लेंगे और विज्ञान का सम्मान करेंगे. ट्रंप की ज़ुबान से कई महीनों से ‘हर्ड मेंटैलिटी’ और ‘हर्ड इम्युनिटी’ के फ़ायदों की बात सुन रहे अमेरिका को अब जो बाइडेन की टास्क फ़ोर्स ने आईना दिखाना शुरू किया है: ‘कोविड नर्क’ और ‘लॉकडाउन’ की बातें हो रही हैं. जो बाइडेन ने बार-बार ये कहा है कि अमेरिका इस बात पर आसानी से विश्वास कर ले. जबकि ट्रंप का दावा था कि उन्होंने इस ‘घातक वायरस’ से जुड़ी जानकारी को जनवरी महीने से ही जनता से छुपाए रखा क्योंकि वो भय का माहौल नहीं बनाना चाहते थे. ट्रंप से बाइडेन के दौर का ये बदलाव बहुत सोच समझकर किया गया फ़ैसला तो है ही, वो दृश्यात्मक रूप से भी अधिक असरदार होगा. ओबामा के प्रमुख फोटोग्राफ़र पीट सूज़ा ने ओबामा के शासनकाल पर आधारित अपनी दो घंटों की डॉक्यूमेंट्री, ‘द वे आई सी इट’ में इस बारे में विस्तार से बात की. जब ओबामा (या जो बाइडेन) ख़ुद को किसी विषय का एक्सपर्ट नहीं मानते थे, तो वो ख़ुद लाउडस्पीकर लेकर बोलने को उतावले नहीं हुआ करते थे. वो विशेषज्ञों की बात सुना करते थे और दर्शक इस बात को तस्वीरों के ज़रिए देख पाते थे. जो बाइडेन के शासन काल में, विज्ञान का सम्मान दिखाई भी दे रहा है और इसके तत्व तो समझ में आ ही रहे हैं. अपने पहले डिस्पैच में ही जो बाइडेन की टास्क फ़ोर्स, मेडिकल भाषा में बात कर रही है, लोगों को ये बताया जा रहा है कि उनकी देख-रेख, जानकारी, क्वालिटी कंट्रोल और ज़रूरी चीज़ों के भंडारण की एक टिकाऊ व्यवस्था होगी- न कि कभी हां-कभी ना का स्विच होगा.
जो बाइडेन के शासन काल में, विज्ञान का सम्मान दिखाई भी दे रहा है और इसके तत्व तो समझ में आ ही रहे हैं. अपने पहले डिस्पैच में ही जो बाइडेन की टास्क फ़ोर्स, मेडिकल भाषा में बात कर रही है
जब टेफ्लॉन ट्रंप व्हाइट हाउस से विदा होते हैं, तो इस बात की काफ़ी संभावना है कि हम डॉक्टर एंथनी फाउची को एक ऐसे नेतृत्व की भूमिका में देखेंगे, जिसे सियासी तंज़ भरे हमले नहीं झेलने पड़ेंगे. फाउची ने ट्रंप की घटिया बयानबाज़ी का लंबा दौर बड़ी सहजता से झेला है, क्योंकि उन्हें छह अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ काम करने का लंबा अनुभव है. ट्रंप द्वारा फाउची और उनके जैसे अनुभवी लोगों को ‘मूर्ख’ कहने और अपने समर्थकों के बीच ‘फाउची को बर्ख़ास्त करो’ के नारे लगवाने के बावजूद, फाउची देश को और यहां तक कि ट्रंप समर्थकों के बीच भी, एकजुट करने वाली शक्ति स्तंभ बने रहे. ट्रंप के दस में से पांच से अधिक समर्थक, फाउची के उनके पद पर बने रहने के समर्थक थे, जबकि जो बाइडेन के दस में से 9 समर्थक, फाउची को बनाए रखने के हक़ में थे. एपी के वोटकास्ट पॉल्स में देश भर के 73 प्रतिशत मतदाताओं ने फाउची के पक्ष में मतदान किया. डॉक्टर फाउची अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिज़ीजे़स के निदेशक हैं. पिछले नौ महीनों के दौरान पहली बार, फाउची हमें धीरे-धीरे उत्साह बढ़ाने की दिशा में ले जा रहे हैं. उन्होंने एबीसी नेटवर्क के गुड मॉर्निंग अमेरिका कार्यक्रम में 12 नवंबर को कहा कि, ‘घुड़सवार दस्ता आ रहा है!’ फाउची का इशारा फाइज़र के कोविड-19 की वैक्सीन की ओर था, जो सफलता के मुहाने तक पहुंच चुकी है. फाउची अभी भी ट्रंप की टीम के सदस्य हैं, लेकिन, उन्होंने अपने सार्वजनिक बयानों में इशारा किया है कि वो पाला बदलने के लिए तैयार हैं.
ट्रंप के दस में से पांच से अधिक समर्थक, फाउची के उनके पद पर बने रहने के समर्थक थे, जबकि जो बाइडेन के दस में से 9 समर्थक, फाउची को बनाए रखने के हक़ में थे. एपी के वोटकास्ट पॉल्स में देश भर के 73 प्रतिशत मतदाताओं ने फाउची के पक्ष में मतदान किया.
जिन अफसरों को डोनाल्ड ट्रंप ने बर्ख़ास्त कर दिया था आज वो जो बाइडेन-कमला हैरिस की टीम में सबसे प्रमुख पद पा रहे हैं. ट्रंप द्वारा बर्ख़ास्त ऐसे अफ़सरों की लिस्ट में भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर और अमेरिका के पूर्व सर्जन जनरल विवेक मूर्ति भी हैं, जिन्हें ट्रंप ने वर्ष 2017 में पद संभालने के चार महीने के अंदर बर्ख़ास्त कर दिया था. एक अन्य प्रमुख हस्ती डॉक्टर रिक ब्राइट भी हैं, जो वैक्सीन एक्सपर्ट हैं. जब रिक ब्राइट ने मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन को लेकर ट्रंप के अपुष्ट दावों को ग़लत ठहराया, तो ट्रंप ने उन्हें हाशिए पर धकेल दिया था. जिसके बाद रिक ब्राइट ने व्हिसलब्लोअर की शिकायत दर्ज कराई थी. विवेक मूर्ति के साथ, अमेरिका के पूर्व फू़ड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन आयुक्त डॉक्टर डेविड केसलर और याल यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर डॉक्टर मार्सेला नुनेज़-स्मिथ, जो बाइडेन की कोरोना टास्क फ़ोर्स के सह-अध्यक्ष हैं. विवेक मूर्ति और रिक ब्राइट के अलावा बाइडेन की टास्क फ़ोर्स में ट्रंप के कई मुखर आलोचक शामिल हैं, जो अमेरिका में सार्वजनिक स्वास्थ्य की इस आपदा के दौरान हो रही लापरवाहियों पर लाचारी से हाथ मलते रहे थे. इनमें मशहूर लेखक और सर्जन डॉक्टर अतुल गवांडे, महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर माइकल ओस्टरहोम, बायोडिफेंश विशेषज्ञ लूशियाना बोविरो, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ में कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर एज़ेकिएल इमैन्युअल, डॉक्टर सेलीन, गॉउन्डर, बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जूली मोरिटा, वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ लॉयस पेस, इमरजेंसी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर रॉबर्ट रोडरिग्ज़ और संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर एरिक गूज़बी शामिल हैं, जिन्हें AIDS/HIV की विशेषज्ञता हासिल है.
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Nikhila Natarajan is Senior Programme Manager for Media and Digital Content with ORF America. Her work focuses on the future of jobs current research in ...
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