Published on Jun 09, 2023 Updated 0 Hours ago
इज़राइल-जापान संबंधों में तेज़ी: आर्थिक और रक्षा क्षेत्र में बढ़ती साझेदारी

इज़राइली विदेश नीति की वर्तमान दिशा को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि एशिया का बहुत बड़ा हिस्सा इसके कूटनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव में है. चाहे किसी भी राजनीतिक विचारधारा की सरकार रही हों, सभी इज़राइली सरकारें दशकों से ज्यादातर एशियाई देशों के साथ अपनी साझेदारी को मज़बूत बनाने की दिशा में प्रयासरत रही हैं. विशेष रूप से भारत और चीन जैसे उभरते देशों के साथ राजनयिक संबंधों की स्थापना (1992 में) के बाद से एशिया के प्रति ऐसी ठोस विदेश नीति पहलों को और बढ़ावा मिला है. इसी तरह, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ संबंधों में भी हालिया वर्षों में प्रगति हुई है.

इन एशियाई देशों ने भी ख़ासकर व्यापार, तकनीकी सहयोग और व्यवसाय (ऊर्जा और तेल के अलावा दूसरे क्षेत्रों में) को लेकर मध्य-पूर्व क्षेत्र में व्यापक पहुंच बनाने पर ख़ासा ज़ोर दिया है, जो इन देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों के विस्तार की इज़राइली विदेश नीति से संगत है. इस संदर्भ में देखें, तो इज़राइल और जापान की सरकारें अपने द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए लगातार काम कर रही है, जो दोनों ही देशों के लिए फ़ायदे की स्थिति है.


दोनों देशों ने 2022 में अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं सालगिरह का जश्न मनाया और इसके साथ ही दोनों देशों ने लगभग सभी पारंपरिक क्षेत्रों (अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं तकनीक, रक्षा) और सुरक्षा, नागरिक सहयोग, संस्कृति आदि के मोर्चे पर आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए व्यवस्थित कदम उठाए हैं. पिछले दो दशकों के दौरान दोनों देशों के नेताओं की बढ़ती उच्चस्तरीय यात्राओं से यह स्पष्ट है कि आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की मंशा दोनों ही देशों में है. विशेष रूप से 2010 के मध्य से, जापान और इज़राइल का नेतृत्व संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जिस तरह से राजनीतिक प्रयास कर कर रहा है, उसके परिणामस्वरूप, न केवल वित्तीय-वाणिज्यिक क्षेत्रों में बल्कि रक्षा सहयोग में भी संबंधों का विस्तार हुआ है.

जापान और इज़राइल के बीच आर्थिक संबंधों में प्रगति हुई है, जहां दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंच गया. 2022 के आखिर में, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत की शुरुआत की. यहां उल्लेख किया जाना ज़रूरी है कि मार्च 2023 में जापान और इज़राइल के बीच आर्थिक साझेदारी समझौते (EPA) की संभावना को लेकर पहली बैठक (ऑनलाइन) का आयोजन किया गया था. इस तरह की कोई व्यवस्था दोनों देशों में काम कर रही कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित होगी, जिससे दोनों के लिए एक दूसरे के बाज़ारों में प्रवेश के नए अवसर तैयार होंगे.

तकनीकी सहयोग


वर्तमान में, कई जापानी प्रौद्योगिकी कंपनियां इज़राइल में मौजूद हैं. 2021 में, उनका अनुमानित निवेश 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर था. हालांकि, घरेलू (इज़राइली) एवं अमेरिकी निवेशकों की तुलना में यह काफ़ी कम है, लेकिन निप्पॉन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन (NTT) जैसी नई जापानी दूरसंचार कंपनियों के साथ-साथ कुछ अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इज़राइल में हाल ही अपने कदम पसारे हैं, जिससे दोनों देशों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा हुए हैं. वर्तमान में, इज़राइल में क़रीब 85 जापानी कंपनियां मौजूद हैं, जिन्होंने 2000 से लेकर अब तक देश में 13 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, जो इज़राइली तकनिकी उद्योग में सभी विदेशी निवेशों का 15.8 प्रतिशत है. इससे पता चलता है कि तकनीकी रूप से उन्नत इन दोनों देशों के लिए तकनीकी सहयोग, आर्थिक व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में आपसी साझेदारी कितनी महत्त्वपूर्ण है.


मई 2014 में इज़राइल के प्रधानमंत्री की जापान यात्रा और उसके बाद जनवरी 2015 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की  इज़राइल यात्रा ने दोनों देशों के बीच निवेश के माहौल को अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके परिणामस्वरूप निवेश में काफी वृद्धि हुई. इस साल मार्च में इज़राइल और टोक्यो के बीच सीधी EI AI (इज़राइली नेशनल कैरियर) उड़ानों की शुरुआत की घोषणा और अप्रैल में 'हॉलीडे-वर्क वीज़ा' समझौते पर हस्ताक्षर जैसे कदम सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक संबंधों को और मज़बूत बनाने वाले साबित होंगे. ऐसी औपचारिक व्यवस्थाएं हाई-टेक (अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी) उद्योग के पेशेवरों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकती हैं.



रक्षा क्षेत्र में साझेदारी



रक्षा एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें साझेदारी को बढ़ाने में इज़राइल और जापान, दोनों देशों की रुचि है. यह इज़राइल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि वह रक्षा क्षेत्र में लगातार साझेदारी की संभावनाएं तलाश रहा है, ख़ासकर हथियारों के निर्यात, सुरक्षा गठजोड़ और रक्षा प्रौद्योगिकी में आपसी भागीदारी के लिए वह प्रयासरत है. इसके अलावा, वह देश में निर्मित हथियारों को अपने घरेलू बाज़ार में पूरी तरह खपा नहीं सकता और अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की क्षमता भी सीमित है, इसलिए इज़राइल हथियारों के निर्यात से राजस्व कमाने के लिए दूसरे बाज़ारों की आवश्यकता है. हालिया वर्षों में, इज़राइल के रक्षा उद्योगों को वैश्विक स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है क्योंकि इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ती ही जा रही है. बदलते माहौल में इज़राइली उद्योग कंपनियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह मौजूदा बाज़ारों के साथ-साथ नए विदेशी बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा करे. ऐसे में, जापान को एक संभावित ग्राहक के रूप में देखा जा सकता है. चूंकि सुरक्षा संबंधी विभिन्न देशों के साथ इज़राइल के राजनीतिक संबंधों का एक अभिन्न हिस्सा हैं, इसलिए संभावना है कि जल्द ही जापान के साथ भी ऐसे संबंध स्थापित हो सकते हैं. 2021 में, इज़राइल का कुल वैश्विक हथियार निर्यात रिकॉर्ड 11.3 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो 2020 में 8.3 अरब अमेरिकी डॉलर था. पिछले कुछ सालों में, इज़राइल के कुल हथियार निर्यात में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की भागीदारी सबसे ज्यादा रही है, जहां 2021 में यह आंकड़ा 34 प्रतिशत था.

सितंबर 2022 में इज़राइल के तत्कालीन रक्षा मंत्री, बेनी गैंट्ज़, की जापान यात्रा (फरवरी 2012 के बाद पहली) के दौरान दोनों के बीच रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के लिए शुरुआती कदम उठाए गए थे, जिसके तहत "रक्षा, रणनीतिक एवं सैन्य आदान-प्रदान को और व्यापक बनाने" और सबसे महत्वपूर्ण बात कि संयुक्त रूप से सैन्य प्रौद्योगिकी के विकास के लिए एक रक्षा सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. सितंबर 2019 में भी एक ऐसा ही समझौता किया गया था. ऐसे आधिकारिक दस्तावेजों की मौजूदगी यह बताती है कि भविष्य में रक्षा संबंधों के विस्तार की पूरी संभावना है.

कई सारी आर्थिक-राजनीतिक छूटों के बावजूद, इज़राइल जापान को हथियारों देकर काफ़ी मुनाफ़ा कमा सकता है. जापान भी नए रक्षा साझेदारों की तलाश कर रहा है क्योंकि सैन्य रूप से बेहद मज़बूत चीन के अलावा उसे उत्तर कोरिया से भी ख़तरे की आशंका है और इसके लिए वह अपनी सेना के आधुनिकीकरण का प्रयास कर रहा है. ऐसे सुरक्षा ख़तरों और चुनौतियों के कारण, जापानी नीति-निर्माताओं ने (दिसंबर 2022 में) जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (JSDF) के लिए 2023 के लिए 52 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा बजट पेश किया. इस बजट का एक बड़ा हिस्सा हथियारों की खरीद, रक्षा अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों और इन हथियारों के "घरेलू निर्माण और उनकी रखरखाव क्षमता" को बढ़ावा देने के लिए खर्च किया जाएगा. इसलिए, यह इज़राइली कंपनियों को हथियारों का सौदा हासिल करने के लिए जापानी रक्षा प्रतिष्ठानों से नज़दीकी बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है. इज़राइली रक्षा कंपनियों (सरकारी एवं निजी) ने मिसाइलों, मिसाइल रोधी प्रणालियों, मानव रहित हवाई वाहनों (UAV), नौसैनिक रक्षा सामानों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों, एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, हथियार एवं गोला-बारूद, संचार और टारगेटिंग सिस्टम आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है, इसलिए उसे जापान के साथ हथियारों के सौदे के लिए प्रयास करना चाहिए.

ऐसा लगता है कि इज़राइल के लिए भी रक्षा संबंध स्थापित करने का यही सही मौका है क्योंकि वह हथियारों के निर्यात के लिए नए बाज़ारों की तलाश में है, जबकि जापान अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK) जैसे पारंपरिक रक्षा भागीदारों से परे धीरे-धीरे सैन्य-सुरक्षा सहयोग का विस्तार कर रहा है. दरअसल, इज़राइल और जापान, दोनों देश प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मिलकर प्रभावी नवाचारों और ज़रूरी उपकरणों का सह-उत्पादन कर सकते हैं, जिसे वे एशिया एवं दूसरे क्षेत्रों में संभावित ख़रीदारों को बेच सकते हैं. मार्च 2023 में टोक्यो में आयोजित डिफेंस एंड सिक्योरिटी इक्विपमेंट इंटरनेशनल (DSEI) की प्रदर्शनी में 14 इज़राइली रक्षा कंपनियों ने भाग लिया, जिसे भविष्य में इस क्षेत्र में दोनों देशों की आपसी भागीदारी के संकेत के रूप में देखा जा सकता है. शुरुआती स्तर पर, इज़राइल और जापान अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS: मानव रहित हवाई प्रणाली) पर मिलकर काम कर सकते हैं, और यह तार्किक भी है क्योंकि जापान अगले कुछ सालों में सैकड़ों हमलावर ड्रोनों का इस्तेमाल करना चाहता है.


साइबर क्षेत्र में आपसी सहयोग



पारंपरिक रक्षा क्षेत्र के परे, दोनों देश विभिन्न साइबर सुरक्षा ख़तरों से परिचित हैं. इस क्षेत्र में अपनी ताकत को देखते हुए दोनों देशों ने क़रीब एक दशक पहले ही साइबर क्षेत्र में आपसी सहयोग की संभावना को देख लिया था. इसके कारण, तत्कालीन इज़राइली सरकार (2015 में) ने अंतरिक्ष और साइबर डोमेन में अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में जापान के साथ संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए एक निवेश योजना को मंजूरी दी थी. इस दिशा में और प्रगति करते हुए, विशेष रूप से अनुसंधान एवं विकास में भागीदारी को बढ़ाने, सूचनाएं साझा करने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए 2018 में एक और समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. चूंकि इज़राइल को वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा क्षेत्र में एक ताकतवर देश माना जाता है, इसलिए जापान इस क्षेत्र की बड़ी इज़राइली कंपनियों के साथ संबंध स्थापित करने चाहिए और देश की महत्त्वपूर्ण संस्थाओं को साइबर हमले से बचाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करना चाहिए. सितंबर 2022 और नवंबर 2022 के बीच साइबर हमलों में अमेरिका के बाद जापान का दूसरा स्थान था. जापान के बढ़े हुए रक्षा बजट से इज़राइली साइबर कंपनियों को भी फ़ायदा हो सकता है, क्योंकि यह उन्हें जापानी सरकार के साथ नए सौदों के लिए प्रेरित कर सकता है. इज़राइली कंपनियों जापानी अधिकारियों की ज़रूरतों के अनुसार उपयुक्त समाधान पेश कर सकती हैं. आगे चलकर, डिजिटल हेल्थ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स में भी आपसी सहयोग का विस्तार हो सकता है, और बाद में, संयुक्त रूप से विकसित प्रौद्योगिकियों को दुनिया भर में दूसरे ख़रीदारों को बेचने की संभावना पर विचार किया जा सकता है.


हालिया घटनाक्रमों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि इज़राइल और जापान, दोनों ही अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं क्योंकि इससे उनके साझे रणनीतिक हित जुड़े हैं. इसके कारण उन्होंने कुछ राजनीतिक मतभेदों को जानबूझकर अनदेखा किया है, जिनमें से ज्यादातर फिलिस्तीन के मुद्दे को लेकर रहे हैं लेकिन वास्तव में, अब ये मतभेद उतने महत्वपूर्ण नहीं रहे. जापान ने बड़ी चतुराई से इज़राइल और फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों का संतुलन बनाया हुआ है. जबकि, टोक्यो (इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर) अभी भी "टू-स्टेट सॉल्यूशन" का समर्थन करता है, लेकिन इससे उसके इज़राइल के साथ रणनीतिक संबंधों को मज़बूत बनाने के  प्रयासों पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है.

दोनों देशों को यह एहसास है कि मज़बूत आपसी सहयोग से उन्हें काफ़ी लाभ होगा क्योंकि (आर्थिक, रक्षा, रणनीतिक, प्रौद्योगिकी और राजनीतिक मोर्चे पर) उनके हित साझे हैं, और यही कारण उन्हें अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहा है. आपसी सहयोग की मौजूदा दिशा को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ संबंधों को लेकर गंभीर हैं और इसे बनाए रखने के लिए वे सारे ज़रूरी प्रयास करेंगे और इस संबंध में किसी तीसरे पक्ष को बाधा खड़ी करने का मौका नहीं देंगे.

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