ट्रेंड इंडिकेटर वैल्यू के मौजूदा रुझान जारी रहे तो रूसी हथियारों के आयात पर भारत की निर्भरता ख़त्म हो सकती है.
यूक्रेन में संकट का मौजूदा दौर जारी है. यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को लेकर भारत के ‘तटस्थ’ रुख़ से जुड़ी तमाम बहसों में रूसी हथियारों के आयातक के रूप में भारत की निर्भरता पर ज़ोर दिया गया है. इस लेख में रूस से भारत के हथियार आयातों की विस्तार से चर्चा करते हुए भारत की रक्षा औद्योगिक क्षमता और भारतीय विदेश नीति के लिए उसके मायनों की पड़ताल की गई है.
शीत युद्ध की विरासत
भारत ने 1950 के दशक में रूस से हथियार मंगाने शुरू किए थे. इल्यूशिन आईएल-14 कार्गो परिवहन विमान भारतीय भंडारों में शामिल किए जाने वाले पहले विमानों में से थे. इसके बाद मिग-12 लड़ाकू विमानों का आयात किया गया. 1962 के बाद से रूस पर भारत की आयात निर्भरता में लगातार बढ़ोतरी होती गई. इसी विरासत का नतीजा है कि भारत के पास आज भी एक बड़ी तादाद में सोवियत-निर्मित प्लेटफ़ॉर्म्स मौजूद हैं. शीतयुद्ध के बाद के कालखंड में भारत ने बड़ी तादाद में रूसी हथियारों का अधिग्रहण किया.
पिछले 30 सालों में भारत द्वारा रूस से किए गए आयातों को दर्शाया गया है. इससे पता चलता है कि 1991 से 2001 के बीच का दशक भारत में रूसी हथियारों के हस्तांतरण के लिहाज़ से सबसे सुस्त था.
टेबल 1 में 1999 से 2021 के बीच रूस से आयात किए गए हथियारों की क़िस्मों का ब्योरा दिया गया है. हमने 1999 से शुरुआत की है क्योंकि 1987-1998 के कालखंड में कुछ छिटपुट वाक़यों को छोड़कर ख़ास अहमियत वाली ज़्यादा ख़रीद नहीं हुई थी. दरअसल भारत के रक्षा अधिग्रहण इतिहास में इसे अक्सर “गुमशुदा दशक” के तौर पर जाना जाता है. बहरहाल, भारत की ख़रीद से जुड़े रुझान और तौर-तरीक़े से स्पष्ट है कि भारतीय रक्षा बाज़ार में रूस अब भी शीर्ष पर बना हुआ है. टेबल 1 में पिछले 2 दशकों से भी ज़्यादा के कालखंड में भारत द्वारा रूस से मंगवाए गए तमाम तरह के हथियारों का ब्योरा दिया गया है. इससे रूसी आयातों पर भारत की निर्भरता का अंदाज़ा होता है. इनमें से ज़्यादातर साजोसामान (चाहे सारे ना सही) कम से कम अगले 2 दशकों में भारतीय रक्षा भंडार में कार्यकारी रूप से सक्रिय रहेंगे.
टेबल 1: रूस से आयातित हथियारों के प्रकार (1999-2021)
हथियारों के प्रकार
हथियार/साज़ोसामान
मिसाइलों समेत मिसाइल सिस्टम और मिसाइल लॉन्चर और आर्टिलरी प्रणालियां
1999-2005: आर-27ईआरआई-40 आर-27ईटीआई-36 आर-73ई-100 आरवीवी-एई 30, यूरैन 3एम 24 ई, यूरैन 3एम 24ई युद्धक मिसाइल, यूरैन 3एम 24ई एनएच प्रैक्टिस मिसाइल, क्लब मिसाइल, जंगी, क्लब मिसाइल, अभ्यास, क्लब मिसाइल के लिए कंटेनर्स, आरवीवी एई मिसाइल के लिए लॉन्चर्स, क्लब एंटी-शिप मिसाइल लॉन्चर
2006-2011: हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, एसएएम (3एम 24ई), बड़ी क्षमता वाला मिसाइल सिस्टम 9ए52-2टी लॉन्चिंग सिस्टम स्मेर्च एमएलआरएस “स्मेर्च”, 9टी234-2टी ट्रांसपोर्ट लोडिंग व्हीकल्स, एसएएम (9एम38एम1), एसएसएम (3एम54ई), लैंड अटैक मिसाइल (3एम14ई), मिसाइल्स आर-73ई, एंटी-शिप मिसाइल
2017-: एस-400 ट्राइंफ़ मिसाइल रक्षा प्रणाली, 9एम114 कोकोन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, स्मेर्च रॉकेट लॉन्चर प्रणाली, 3एम-54ई क्लब क्रूज़ मिसाइल, आर-27आर, आर-73 और आर-77 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल
2006-2011: सीएसयू 30 एमके1, एसयू-30एमके1, मिग 29के, समुद्री जहाज आधारित लड़ाकू विमान (नौसेना), एमआई-17, वी5 मीडियम लिफ़्ट हेलिकॉप्टर (वायु सेना), केए-31 समुद्री जहाज आधारित हेलिकॉप्टर (नौसेना)
2012-2016: मिग 29के समुद्री जहाज आधारित लड़ाकू विमान (नौसेना), एमआई-17 वी5 मीडियम लिफ़्ट हेलिकॉप्टर (वायु सेना), केए31 समुद्री जहाज आधारित हेलिकॉप्टर (वायु सेना)
चार्ट 1 में पिछले 30 सालों में भारत द्वारा रूस से किए गए आयातों को दर्शाया गया है. इससे पता चलता है कि 1991 से 2001 के बीच का दशक भारत में रूसी हथियारों के हस्तांतरण के लिहाज़ से सबसे सुस्त था. भारत द्वारा रूस से सीमित तौर पर किए आयातों को 2 मुख्य कारकों से समझा जा सकता है. पहला, पूर्ववर्ती सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत संघ के उत्तराधिकारी यानी रूसी महासंघ से आपूर्ति और सुपुर्दगी में रुकावट आ गई थी. रूस से सीमित तादाद में भारतीय आयातों के ब्यौरे के तौर पर दूसरा कारक पूंजीगत अधिग्रहणों (जिनमें युद्धपोत, लड़ाकू विमान जैसे भारी-भरकम साज़ोसामान थे) को लेकर लगातार जारी कम आवंटन रहा. इस दशक के दौरान एक के बाद एक भारत के तमाम रक्षा बजटों में ऐसा ही देखने को मिला था. हालांकि इस कालखंड में रूस से कुल मिलाकर 7.65 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के हथियारों का हस्तांतरण हुआ था.
2011 से 2021 के बीच के दशक (जैसा कि चार्ट 2 से स्पष्ट है) में रूस से भारतीय आयातों का ट्रेंड इंडिकेटर वैल्यू (TIV) 22.8 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर था. इसी कालखंड में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, इज़राइल और फ़्रांस से भारत का कुल आयात 13.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. ये रूस से भारत में हुए कुल आयात का 59.21 प्रतिशत था.
2001-2010 के दशक में पिछले दशक के मुक़ाबले तक़रीबन दोगुनी बढ़ोतरी (14 अरब अमेरिकी डॉलर का इज़ाफ़ा) दर्ज की गई. 2011 से 2021 के बीच रूस ने भारत को 22.8 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के हथियार मुहैया कराए. पिछले दशक के मुक़ाबले ये 42.5 फ़ीसदी ज़्यादा रही है. अगर हम साल 2021 को इस ब्यौरे से बाहर कर दें तो भी 2001-2010 के मुक़ाबले 2011 से 2020 के बीच रूस से हथियारों का हस्तांतरण 36.4 फ़ीसदी ज़्यादा रहा. इस आंकड़े से कई ख़ुलासे होते हैं. नीचे दिए गए ब्यौरे से साफ़ है कि इस मियाद में दूसरे ग़ैर-रूसी आपूर्तिकर्ताओं को फ़ायदा पहुंचा है. पूंजीगत ख़र्चों के हिसाब से रूसी रक्षा आयातों पर भारतीय निर्भरता में बढ़ोतरी की रफ़्तार सबसे सुस्त रही.
चार्ट 1: 1991 के बाद से भारत को रूसी हथियारों का हस्तांतरण
2011 से 2021 के बीच के दशक (जैसा कि चार्ट 2 से स्पष्ट है) में रूस से भारतीय आयातों का ट्रेंड इंडिकेटर वैल्यू (TIV) 22.8 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर था. इसी कालखंड में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, इज़राइल और फ़्रांस से भारत का कुल आयात 13.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. ये रूस से भारत में हुए कुल आयात का 59.21 प्रतिशत था. इसी तरह समान कालखंड में इन चारों देशों का आयात हिस्सा तक़रीबन 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर था. ये भारत में रूस के कुल हिस्से के आधे से तक़रीबन 16.8 फ़ीसदी ज़्यादा था.
बहरहाल चार्ट 2 पर ग़ौर करने पर पता चलता है कि रूस के बाद अगले दो सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता देश- फ़्रांस और अमेरिका से भारत का कुल हथियार आयात 9.2 अरब अमेरिकी डॉलर (हर एक से 4.6 अरब अमेरिकी डॉलर) पर रहा. इसी कालखंड में भारत में फ़्रांस और अमेरिका का मिला-जुला आयात हिस्सा 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर था. ये आंकड़ा रूस से भारत में होने वाले कुल आयात के आधे हिस्से से 21.3 प्रतिशत कम रहा. इससे पता चलता है कि निरपेक्ष रूप से रूस पर हथियारों के लिए भारत की निर्भरता अब भी काफ़ी ऊंची है. हालांकि ग़ैर-रूसी स्रोतों से भारत के आयातों की TIV भारत के कुल आयात में रूसी हिस्से के मुक़ाबले तेज़ी से आगे बढ़ी है. 2001-2011 के दशक के मुक़ाबले ग़ैर-रूसी स्रोतों के आंकड़ों में उछाल देखने को मिला है.
2011-21 के बीच चार सबसे बड़े ग़ैर-रूसी आपूर्तिकर्ताओं का भारत के आयात में हिस्सा रूस से हुए कुल आयात के मुक़ाबले 59.21 प्रतिशत रहा.
जैसा कि चार्ट 3 से स्पष्ट है 2001 से 2011 के बीच के वर्षों में रूस से भारत का कुल हथियार आयात 17.29 अरब अमेरिकी डॉलर पर था. चार्ट 3 से पता चलता है कि रूस से भारत में होने वाला आयात ऊसके बाद के चार सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं से हुए कुल आयात (3.32 अरब अमेरिकी डॉलर) के मुक़ाबले 5 गुणा से भी ज़्यादा था. इस कालखंड में भारत के आयातों में चार सबसे बड़े ग़ैर-रूसी आपूर्तिकर्ताओं का हिस्सा रूस से हुए कुल आयात का 19.20 प्रतिशत रहा. 2011 से 2021 के बीच के दशक के इसके ठीक उलट आंकड़ा नज़र आया है. 2011-21 के बीच चार सबसे बड़े ग़ैर-रूसी आपूर्तिकर्ताओं का भारत के आयात में हिस्सा रूस से हुए कुल आयात के मुक़ाबले 59.21 प्रतिशत रहा. पिछले दशक की तुलना में ये तीन गुणा से भी थोड़ा ज़्यादा है. 2011 से 2021 के बीच के दशक में रूस से भारत का कुल आयात 2001 से 2011 के बीच के दशक की तुलना में 5 अरब अमेरिकी डॉलर ज़्यादा था. बहरहाल, ट्रेंड इंडिकेटर वैल्यू के हिसाब से ग़ैर-रूसी स्रोतों से भारत में हो रहे आयातों में (कम से कम पिछले दशक में) उछाल का पता चलता है. हालांकि अकेले सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में रूस अब भी बढ़त बनाए हुए है. वैसे दूसरे स्रोतों से रूस की बढ़त पहले के मुक़ाबले कम हो गई है.
चार्ट 2: भारत द्वारा हथियारों के आयातों का ट्रेंड इंडिकेटर वैल्यू (2011-2021)
चार्ट 3: भारत द्वारा हथियारों के आयातों का ट्रेंड इंडिकेटर वैल्यू (2001-2011)
आख़िरकार भारत द्वारा किए जाने वाले आयातों में रूस का हिस्सा बाक़ी के चार बड़े आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में ऊंचा बना हुआ है. चार्ट 4 पर सरसरी निगाह डालने से पता चलता है कि 2021 में भारत ने फ़्रांस से 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा आयात किया था. इस तरह भारत के हथियार आयातों में रूसी हिस्से से पार निकलने वाला फ़्रांस इकलौता ग़ैर-रूसी स्रोत था. फ़्रांस के अलावा 2011 से 2021 के कालखंड में कोई और देश रूसी आयात हिस्से से आगे नहीं निकल पाया. 2014 में अमेरिका ने 1.1 अरब अमरिकी डॉलर की आपूर्ति कर रूस के बाद दूसरा स्थान हासिल करने में कामयाबी पाई थी. हालांकि दोनों के बीच का अंतर काफ़ी बड़ा था. कुल मिलाकर रूस 1 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर आपूर्ति सुनिश्चित करने में कामयाब रहा है. हालांकि चार्ट 2 से स्पष्ट है कि बाक़ी के चार ग़ैर-रूसी आपूर्तिकर्ता भारत के हथियार आयात में एक बड़ा हिस्सा जुटाने में सफल रहे हैं.
चार्ट 4: अन्य प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में रूस का भारत के हथियार आयातों में हिस्सा (2011-2021)
अगर अगले दशक (2021-2031) में मौजूदा TIV के रुझान जारी रहते हैं और अगर भारत की मौजूदा रक्षा औद्योगिकरण मुहिम पटरी पर बरक़रार रहती है तो रूस और अन्य आपूर्तिकर्ताओं के बीच का अंतर और कम हो सकता है.
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