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Published on Jan 24, 2025 Updated 0 Hours ago

भारत-बांग्लादेश के बीच मछुआरों की अदला-बदली भविष्य के संबंधों के लिए सकारात्मक दिशा का संकेत देती है लेकिन आगे एक अधिक व्यापक कार्य योजना की आवश्यकता है.

भारत-बांग्लादेश कूटनीतिक संबंध: मछुआरों की अदला-बदली से रिश्तों में सुधार

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छह महीने तक उथल-पुथल भरे द्विपक्षीय संबंधों के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच गिरफ्तार मछुआरों की आपसी अदला-बदली का समाचार नए साल की सकारात्मक शुरुआत का इशारा करता है. 3 जनवरी और 5 जनवरी के बीच 90 बांग्लादेशी मछुआरों/चालक दल के सदस्यों और दो मछली पकड़ने वाले जहाजों “FV लैला-2” और “FV मेघना-5” को वापस बांग्लादेश को सौंप दिया गया. इसके बदले में भारत की छह मछली पकड़ने वाली नावों और 95 भारतीय मछुआरों एवं चालक दल के सदस्यों, जिन्हें बांग्लादेश में हिरासत में लिया गया था, को भारत को वापस कर दिया गया. इस सहयोग वाले आदान-प्रदान को दोनों देशों के कोस्ट गार्ड ने संभव करके दिखाया जिसके कूटनीतिक निहितार्थ हैं. द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के समय अक्सर मानवीय मुद्दों पर सहयोग नए सिरे से भागीदारी के लिए तनाव कम करने का काम करता है. 

कूटनीतिक संबंधों पर पड़ी बर्फ पिघली

पिछले साल लंबे समय तक तनाव के बाद हाल के महीनों में दक्षिण एशिया के दोनों देशों के बीच संबंधों का नरम होना देखा गया है. 9 दिसंबर 2024 को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी का बांग्लादेश दौरा पहला ऐसा कूटनीतिक संकेत था. यात्रा के दौरान मिसरी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन के साथ बैठक की. साथ ही उन्होंने बांग्लादेश के विदेश सचिव जसीमुद्दीन के साथ विदेश मंत्रालय के स्तर पर बातचीत की. पानी, ऊर्जा और कनेक्टिविटी समेत कई मुद्दों पर चर्चा के अलावा विदेश सचिव ने “आपसी विश्वास एवं सम्मान और एक-दूसरे की चिंताओं एवं हितों को लेकर पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर बांग्लादेश के साथ एक सकारात्मक एवं रचनात्मक संबंध बनाने की भारत की इच्छा” को व्यक्त किया. 

पिछले साल लंबे समय तक तनाव के बाद हाल के महीनों में दक्षिण एशिया के दोनों देशों के बीच संबंधों का नरम होना देखा गया है. 9 दिसंबर 2024 को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी का बांग्लादेश दौरा पहला ऐसा कूटनीतिक संकेत था.

वैसे तो भारत के विदेश सचिव की यात्रा के जवाब में बांग्लादेश की तरफ से कोई दौरा नहीं हुआ है लेकिन पिछले दिनों एक मीडिया इंटरव्यू में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मां ने भारत और बांग्लादेश की एक-दूसरे पर निर्भरता पर ज़ोर दिया. इसी के अनुसार उन्होंने कहा, “हम अपने पड़ोसी के साथ ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो उनके सामरिक हितों के ख़िलाफ़ जाए. इसके साथ-साथ हम ये उम्मीद करेंगे कि हमारा पड़ोसी हमारे हितों के विपरीत कुछ नहीं करे.” इस पृष्ठभूमि में भारत और बांग्लादेश के बीच मछुआरों का आदान-प्रदान पूरा किया गया. ये द्विपक्षीय संबंधों में आने वाले दिनों में न केवल नरमी की संभावना को उजागर करता है बल्कि सहयोग का भी एक क्षेत्र है जिस पर अतीत में अपेक्षाकृत रूप से ध्यान नहीं दिया गया. 

मछुआरों के सीमा उल्लंघन की संभावित चिंता 

भारत और बांग्लादेश सीमा पार जाने वाली 54 नदियां और बंगाल की खाड़ी में उससे सटे समुद्री ज़ोन साझा करते हैं. वैसे तो हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के निर्णय के अनुसार दोनों देशों के संप्रभु समुद्री क्षेत्र का परिसीमन करने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का निर्धारण 2014 में किया गया था लेकिन दोनों देश के मछुआरे अभी भी एक-दूसरे की समुद्री सीमा में अवैध घुसपैठ करते रहते हैं. अधिकतर मामलों में इस तरह का सीमा उल्लंघन अवैध ढंग से मछली पकड़ने के लिए किया जाता है जो अवैध, असूचित एवं अनियमित (IUU) मछली पकड़ने की गैर-पारंपरिक सुरक्षा चिंता को बनाए रखते हैं. कभी-कभी मछुआरे स्पष्ट समुद्री सीमा के न होने पर अनजाने में दूसरे देश के समुद्री क्षेत्र में चले जाते हैं. वो प्राकृतिक आपदाओं के शिकार भी होते हैं और अक्सर तेज़ लहरों और तूफानी हवाओं की चपेट में आकर भटक जाते हैं. और जब वे मिलते हैं तो सीमा का उल्लंघन करने वाले इन मछुआरों को गिरफ्तार किया जाता है और अक्सर कई महीनों तक वो दयनीय स्थिति में जेल में रहते हैं क्योंकि कोर्ट के केस लटक जाते हैं. इसकी वजह से उन मछुआरों की आजीविका के साथ-साथ उनके परिवार के कल्याण पर भी ख़राब असर पड़ता है. 

कभी-कभी मछुआरे स्पष्ट समुद्री सीमा के न होने पर अनजाने में दूसरे देश के समुद्री क्षेत्र में चले जाते हैं. वो प्राकृतिक आपदाओं के शिकार भी होते हैं और अक्सर तेज़ लहरों और तूफानी हवाओं की चपेट में आकर भटक जाते हैं.

इस संबंध में ये बताना उल्लेखनीय है कि मछुआरों की भारत वापसी के एक दिन के भीतर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश पर भारतीय मछुआरों से गलत बर्ताव का आरोप लगाया. वैसे तो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनके आरोपों को “बेबुनियाद और मनगढ़ंत” बताते हुए खारिज कर दिया लेकिन उनके दावों ने इस मानवीय संकट की तरफ ध्यान खींचा. 

कोस्ट गार्ड की भूमिका सबसे आगे 

भारत और बांग्लादेश इस संकट से अनजान नहीं हैं. यहां एक मुख्य बिंदु एक-दूसरे के समुद्र में अवैध रूप से घुसने के आरोप में पकड़े गए मछुआरों की अदला-बदली के लिए दोनों देश के कोस्ट गार्ड के बीच मानक संचालन प्रक्रिया (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) के बारे में है. इस समस्या को समझने के लिए 2015 में “भारतीय कोस्ट गार्ड (ICG) और बांग्लादेश कोस्ट गार्ड (BCG) के बीच समुद्र में अंतरराष्ट्रीय अवैध गतिविधियों से निपटने और क्षेत्रीय सहयोग को विकसित करने के लिए सहयोगात्मक संबंध की स्थापना” के उद्देश्य से हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन (MoU) पर नज़र डालना होगा. समझौता ज्ञापन जानकारी साझा करने, साझा गश्त, प्रशिक्षण और समन्वित प्रतिक्रियाओं के माध्यम से समुद्री सुरक्षा और अपराध की रोकथाम में सहयोग बढ़ाता है. इसके प्रमुख क्षेत्रों में तलाशी एवं बचाव, समुद्री प्रदूषण नियंत्रण, क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता को बढ़ावा और संयुक्त समुद्री संसाधनों का स्थिर प्रबंधन शामिल है. 

दोनों पक्ष इस बात के लिए सहमत हुए हैं कि सहयोग से जुड़ी सभी गतिविधियों को दोनों देशों के कानून और नियमों के अनुसार लागू किया जाना चाहिए. इसके अनुसार 3 अक्टूबर को नई दिल्ली में छठी सालाना ICG-BGC उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित हुई. इस दौरान समुद्री सुरक्षा, सीमा पार मछली पकड़ने, सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों और क्षमता निर्माण की पहल को लेकर चर्चा हुई. अगस्त 2024 में बांग्लादेश की शेख़ हसीना सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद भारतीय कोस्ट गार्ड ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर निगरानी में बढ़ोतरी की. ICG के अधिकारियों ने एयर कुशन वेसल और इंटरसेप्टर बोट के साथ दो से तीन जहाज़ों को शामिल करने की जानकारी भी दी जिन्हें अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सुंदरबन क्रीक में तैनात किया गया.    

एक व्यापक कार्य योजना की ओर

वैसे तो दोनों देशों के तटरक्षकों के बीच MoU और नीली अर्थव्यवस्था पर MoU (दोनों पर 2015 में हस्ताक्षर किए गए) में मछुआरों के सीमा उल्लंघन और उन्हें जल्द वापस भेजने की आवश्यकता की समस्या को उजागर किया गया है लेकिन इन्हें समझौते में बदला जाना बाकी है. इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के लिए गिरफ्तार मछुआरों की वापसी की प्रक्रिया में तेज़ी लाने की कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं है. 

भारत और बांग्लादेश के संबंधों के चरम पर मछुआरों की ये अवैध घुसपैठ महज़ छोटी-मोटी घटना है जबकि तनावपूर्ण रिश्तों के समय ये सीमा उल्लंघन तेज़ी से ख़तरे में बदल सकते हैं.

हालांकि इन MoU को समझौतों में बदलने में देरी को दो कारणों के माध्यम से समझा जा सकता है. पहला कारण ये है कि दोनों देशों में नीली अर्थव्यवस्था की धारणा शुरुआती अवस्था में है और इसके लिए कोई स्पष्ट नीतिगत निर्देश नहीं है. इस तरह कोई भी देश इस संबंध में किसी तरह की द्विपक्षीय प्रतिबद्धता नहीं दे सकता है. दूसरा कारण ये है कि मछुआरों के सीमा उल्लंघन के मामले अपेक्षाकृत कम होने की वजह से इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ज़रूरी उपाय नहीं किए गए हैं. अफसोस की बात ये है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी. भारत और बांग्लादेश के संबंधों के चरम पर मछुआरों की ये अवैध घुसपैठ महज़ छोटी-मोटी घटना है जबकि तनावपूर्ण रिश्तों के समय ये सीमा उल्लंघन तेज़ी से ख़तरे में बदल सकते हैं. भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों के सीमा उल्लंघन के मुद्दे, जिसमें कमी लाने के उपाय नहीं किए गए थे, ने लोगों और देश- दोनों की सुरक्षा को ख़तरे में डाल दिया था. भारत और श्रीलंका के बीच का उदाहरण भारत और बांग्लादेश के लिए एक चेतावनी की तरह है कि मछुआरों के सीमा उल्लंघन के मुद्दे को जल्द-से-जल्द सुलझाया जाए.   


सोहिनी बोस कोलकाता में ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंजेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में एसोसिएट फेलो हैं. 

अनसुइया बासु राय चौधरी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन की नेबरहुड इनिशिएटिव में सीनियर फेलो हैं. 

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Authors

Sohini Bose

Sohini Bose

Sohini Bose is an Associate Fellow at Observer Research Foundation (ORF), Kolkata with the Strategic Studies Programme. Her area of research is India’s eastern maritime ...

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Anasua Basu Ray Chaudhury

Anasua Basu Ray Chaudhury

Anasua Basu Ray Chaudhury is Senior Fellow with ORF’s Neighbourhood Initiative. She is the Editor, ORF Bangla. She specialises in regional and sub-regional cooperation in ...

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