Author : Anant Singh Mann

Published on Jul 07, 2020 Updated 0 Hours ago

वर्तमान में रक्षा पर ज़्यादा ख़र्च को प्रोत्साहन पैकेज की तरह पेश करने के अलावा ये कहकर भी सही ठहराया जाता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने कोविड-19 महामारी से लड़ने में अहम भूमिका निभाई है.

कोविड-19 के दौरान अपनी फ़ौज पर कितना ख़र्च कर रहा है चीन: एक विश्लेषण

22 मई को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में नया रक्षा बजट पेश होने के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CCP) ने न सिर्फ़ अपने देश की रक्षा रणनीति और बजट का एक दशक पूरा किया बल्कि इस नये बजट के पीछे अंतहीन अटकलों का दौर भी खत्म किया. 2020 के नये बजट में रक्षा पर 1.268 ट्रिलियन रेन्मिन्बी (178.6 अरब अमेरिकी डॉलर) का प्रावधान किया गया है. 2019 के 1.19 ट्रिलियन रेन्मिन्बी (177.5 अरब डॉलर) के मुक़ाबले इसमें 6.6% की बढ़ोतरी की गई है. हालांकि, ये बढ़ोतरी 2016 से इकाई अंक में बढ़ोतरी के रुझान (7.2% से लेकर 8.1% तक) के तहत ही था लेकिन ये वास्तव में 2010 से अब तक की सबसे कम बढ़ोतरी है.

चीन के सालाना रक्षा बजट को लेकर झूठी जानकारी की परंपरा को देखते हुए इस साल थोड़ी-बहुत बढ़ोतरी धोखे में डालने वाली हो सकती है

लेकिन चीन के सालाना रक्षा बजट को लेकर झूठी जानकारी की परंपरा को देखते हुए इस साल थोड़ी-बहुत बढ़ोतरी धोखे में डालने वाली हो सकती है. इस तरह की सोच का मुक़ाबला करने के लिए चीन आधिकारिक तौर पर कहता है कि 2007 से उसने हर साल अपने रक्षा ख़र्च का ब्यौरा संयुक्त राष्ट्र को दिया है. इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र के पास सिर्फ़ 2006, 2007, 2008 और 2017 के लिए चीन के रक्षा ख़र्च की जानकारी है. इससे भी महत्वपूर्ण ये है कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूशन (SIPRI) और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज़ (IISS) जैसे थिंक टैंक दावा करते हैं कि चीन की तरफ़ से जो बुनियादी जानकारी दी जाती है, वो भी काफ़ी हद तक ग़लत होती है. थिंक टैंक के अनुमान के मुताबिक़ चीन का वास्तविक रक्षा ख़र्च लगातार बढ़ रहा है.

इन दावों और जवाबी दावों के बीच ये तो साफ़ है कि चीन के सालाना रक्षा ख़र्च की सही-सही जानकारी का पता लगाना काफ़ी मुश्किल है लेकिन ये रुझान स्पष्ट है कि पिछले एक दशक के दौरान चीन के रक्षा ख़र्च से कोई समझौता नहीं किया गया है. पिछले एक दशक के दौरान चीन के आर्थिक विकास के साथ उसका रक्षा ख़र्च भी उसी अनुपात में बढ़ा है. इसकी वजह से 2010 से 2019 के बीच चीन का रक्षा बजट लगातार उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1.9% के स्तर पर बना हुआ है. 2011 और 2012 इस मामले में अपवाद हैं जब रक्षा बजट घटकर 1.8% हो गया था.

2020 के लिए चीन की अनुमानित GDP और रक्षा बजट में ये अंतर साफ़तौर पर पहले से अलग है जब चीन के रक्षा बजट में बढ़ोतरी को मज़बूत GDP की वजह से सही बताया जाता था

सरकारी ख़र्च में रक्षा बजट के हिस्से में नियमित कटौती (2010 के 7.64% से घटकर 2019 में 5.4%) के बावजूद चीन के आर्थिक विकास में बढ़ोतरी की वजह से पैसे के मामले में रक्षा ख़र्च बढ़ता ही गया. SIPRI के अनुमानों के मुताबिक़ 2010 के 143.9 अरब डॉलर के मुक़ाबले 2019 में रक्षा पर ख़र्च 266.5 अरब डॉलर हुआ. ये मौजूदा हालात के एकदम उलट है जहां कोविड-19 के बाद की दुनिया में चीन की अर्थव्यवस्था उथल-पुथल भरे हालात का सामना कर सकती है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमान के मुताबिक़ चीन की GDP 2019 के 6.1% के मुक़ाबले 2020 में सिर्फ़ 1.2% की दर से बढ़ेगी. 2020 के लिए चीन की अनुमानित GDP और रक्षा बजट में ये अंतर साफ़तौर पर पहले से अलग है जब चीन के रक्षा बजट में बढ़ोतरी को मज़बूत GDP की वजह से सही बताया जाता था. वर्तमान में रक्षा पर ज़्यादा ख़र्च को प्रोत्साहन पैकेज की तरह पेश करने के अलावा ये कहकर भी सही ठहराया जाता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने कोविड-19 महामारी से लड़ने में अहम भूमिका निभाई है. इस तरह के औचित्य के बावजूद जो चीज़ बिल्कुल साफ़ है वो है पिछले दशक के दौरान चीन के रक्षा बजट में कुछ ख़ास रुझानों का कायम रहना.

2012 में शी जिनपिंग को बढ़ता हुआ चीन हू जिंताओ से विरासत में मिला और उन्होंने चीन को “तौऊ गुआंग यांग हुई” के सिद्धांत के तहत “सामंजस्यपूर्ण समाज” बनाने का लक्ष्य बदल दिया. चीन के लिए शी ने अपना लक्ष्य 2017 में CCP के 19वें राष्ट्रीय कांग्रेस में साफ़ कर दिया. उन्होंने विस्तार से बताया कि दो चरणों में उनकी योजना है जिसके तहत 2035 तक “समाजवादी आधुनिकीकरण” का लक्ष्य पूरा होगा. इसके बाद 2049 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की 100वीं सालगिरह के मौक़े पर चीन को “राष्ट्रीय ताक़त और अंतर्राष्ट्रीय असर के मामले में ग्लोबल लीडर” बनाना है.

CCP के द्वारा PLA का राजनीतिकरण और सीधा नियंत्रण शुरू से ही शी के समाजवादी आधुनिकीकरण के लक्ष्य को हासिल करने का अटूट हिस्सा रहा है. पिछले दशक के ज़्यादातर समय के दौरान सैन्य कर्मियों में निवेश समाजवादी आधुनिकीकरण के लिए अनुकूल बाहरी और आंतरिक माहौल बनाने में महत्वपूर्ण था. वास्तव में 2019 में प्रकाशित श्वेत पत्र स्पष्ट रूप से बताता है कि सेना पर बढ़ा हुआ ख़र्च दूसरी बातों के अलावा मुख्य रूप से “सैनिकों के वेतन, उनके काम-काज, ट्रेनिंग और रहन-सहन को बेहतर बनाने” पर किया गया.

दूसरे शब्दों में कहें तो श्वेत पत्र बताता है कि मशीनीकरण के ज़रिए ‘सैनिक मामलों में क्रांति’ काफ़ी हद तक पूरा नहीं हुआ है. आधुनिकीकरण की ये कोशिश अलग-अलग सिद्धांतों के तहत चल रही है जिसका मतलब है PLA के नेतृत्व में फेरबदल और PLA की आंतरिक बनावट में परिवर्तन.

इस समय दुनिया के ज़्यादातर देश महामारी की वजह से आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं. ऐसे में 2020 के लिए चीन की GDP में सिर्फ़ 1.2% की अनुमानित बढ़ोतरी निश्चित रूप से हाल में घोषित उसके रक्षा बजट के लिए चुनौती पेश करेगी

2049 तक चीन के वैश्विक नेतृत्व और अंतर्राष्ट्रीय असर से जुड़े शी के दूसरे लक्ष्य को लेकर श्वेत पत्र बताता है कि PLA आर्मी में काफ़ी हद तक कटौती की गई है और उसको संसाधनों को PLA नेवी और PLA रॉकेट फोर्स की तरफ़ मोड़ा गया है. PLA रॉकेट फोर्स पर ये बढ़ा हुआ ख़र्च साफ़तौर पर आसमान में चीन की ताक़त बढ़ाने के लिए किया गया है. वहीं PLA नेवी पर ज़्यादा ध्यान देने का मक़सद बेशक चीन और आसपास के समुद्री इलाक़ों में नौसैनिक शक्ति के तौर पर ख़ुद को दिखाना है. दिलचस्प बात ये है कि 2014 से 2018 के बीच चीन ने जर्मनी, भारत, ब्रिटेन और स्पेन की नौसेना के साझा जहाज़ उत्पादन को पीछे छोड़ दिया.

इस समय दुनिया के ज़्यादातर देश महामारी की वजह से आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं. ऐसे में 2020 के लिए चीन की GDP में सिर्फ़ 1.2% की अनुमानित बढ़ोतरी निश्चित रूप से हाल में घोषित उसके रक्षा बजट के लिए चुनौती पेश करेगी. ऐसी हालत में सामाजिक कल्याण, रोज़गार और ग़रीबी उन्मूलन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए पैसा नहीं बचने की उम्मीद है. शी जिनपिंग को रक्षा और विकास के लिए ख़र्च में नाज़ुक संतुलन बैठाना होगा. इस साल अनुमानित वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से विकास और रक्षा को एक मानने वाला चीन का पुराना मुहावरा शायद ग़लत साबित होगा.

PLA के आधुनिकीकरण के ज़रिए सैन्य मामलों में क्रांति लाने की चीन की तन्मयता के लिए आने वाले सालों में जैसा कि क्रिस्टोफर स्टोर्स ने कहा है ‘लोगों, पैसे और संसाधनों’ की ज़रूरत होगी. इसके अलावा शी की तरफ़ से 2018 में राष्ट्रपति के कार्यकाल की सीमा ख़त्म करने की वजह से रक्षा ख़र्च के मामले में चीन का मौजूदा लक्ष्य और रुझान बरकरार रहेगा. चीन रक्षा ख़र्च को प्राथमिकता बताकर उसमें बढ़ोतरी को जारी रख सकता है लेकिन आने वाले सालों में संपूर्ण आंतरिक विकास को नज़रअंदाज़ करने से वो असफल साबित हो सकता है.

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