Published on Jul 22, 2021 Updated 0 Hours ago

सुरक्षा क़ानून ने हॉन्गकॉन्ग के क़ानूनी परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है. राजनीतिक सिस्टम के बाद न्यायपालिका ही वो प्रणाली है जहां सबसे गंभीर गूंज सुनाई दे रही है.

हॉन्गकॉन्ग: क़ानूनविद् करेंगे अब न्याय के सिद्धांतों और राष्ट्रीय हित के बीच समीक्षा

30 जून 2021 को हॉन्गकॉन्ग के ऊपर चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून थोपने का पहला साल पूरा हुआ. ये तथ्य कि यूनाइटेड किंगडम के द्वारा हॉन्गकॉन्ग को चीन के हाथों में सौंपने की सालगिरह की पूर्वसंध्या पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) को ये क़ानून बलपूर्वक लाना पड़ा, संकेत देता है कि चीन समझौतों की कोई परवाह नहीं करता. ये क़ानून किसी भी ऐसी चीज़ को अपराध बनाता है जिसे सरकारी अधिकारी अलगाववाद, विध्वंस, विदेशी शक्तियों के साथ सांठगांठ और आतंकवाद बता दें.  

सीसीपी ने कहा कि 2019 में लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन, जिसने कुछ जगहों पर हिंसक रूप अख़्तियार कर लिया था, ने उसे क़ानून लागू करने के लिए मजबूर कर दिया. सीसीपी के मुताबिक़ क़ानून लाने से स्थायित्व की बहाली होगी. चीन के आकलन के मुताबिक़, प्रदर्शनकारी सिर्फ़ सीसीपी के संकल्प की परीक्षा ले रहे थे और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रदर्शनकारियों को अलगाववादी बताया था और चेतावनी दी थी कि उन्हें चकनाचूर कर दिया जाएगा

सुरक्षा क़ानून का क़ानूनी परिदृश्य 

सुरक्षा क़ानून ने हॉन्गकॉन्ग के क़ानूनी परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है. राजनीतिक सिस्टम के बाद न्यायपालिका ही वो प्रणाली है जहां सबसे गंभीर गूंज सुनाई दे रही है. अब महत्वपूर्ण बात ये है कि सेंट्रल पीपुल्स गर्वनमेंट का राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यालय (सीपीजीएनएसओ)- जिसकी स्थापना राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत की गई थी इस बात पर विचार कर रहा है कि हॉन्गकॉन्ग की स्वतंत्र न्यायपालिका का फ़ैसला राष्ट्रीय संकल्प और राष्ट्रीय हित के मुताबिक़ हो. इसके पीछे दलील ये दी जा रही है कि हॉन्गकॉन्ग की स्वतंत्र न्यायपालिका को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (चीन की संसद) से ताक़त मिलती है. सीपीजीएनएसओ स्टेट काउंसिल जिसके प्रमुख प्रधानमंत्री ली कचियांग हैं के तहत काम करता है और वो हॉन्गकॉन्ग के क़ानून के दायरे में नहीं आता है. सीपीजीएनएसओ के प्रमुख झेंग यानशियोंग, जिनकी नियुक्ति जुलाई 2020 में चीन के द्वारा की गई थी, ने ज़ोर देकर कहा है कि हॉन्गकॉन्ग की स्थिरता और एक देश, दो सिस्टम ढांचे के दीर्घकालीन विकास के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे प्रमुख ज़रूरतों में से एक है. “एक देश, दो सिस्टम ढांचे के तहत ही हॉन्गकॉन्ग की शासन व्यवस्था चलती है. झेंग ने सवाल पूछा, “एक बार जब राष्ट्रीय सुरक्षा ख़त्म हो जाएगी तो स्वतंत्रता, पारस्परिक विनाश और स्वयं निर्णय के विचार हॉन्गकॉन्ग पर हावी हो जाएंगे. जब एक देश चला जाएगा तो उस वक़्त हम कैसे दो सिस्टम की रक्षा कर पाएंगे?” सीपीजीएनएसओ के पास दूसरे कामों के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा की देखरेख करने में स्थानीय अधिकारियों की मदद करने, राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डालने वाली खुफ़िया जानकारी इकट्ठा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने वाले आपराधिक मामलों से निपटने की ज़िम्मेदारी है. यह सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी द्वारा अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से ये कहने के लगभग बराबर है कि उनका फ़ैसला राष्ट्रीय संकल्प के मुताबिक़ होना चाहिए

अब महत्वपूर्ण बात ये है कि सेंट्रल पीपुल्स गर्वनमेंट का राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यालय (सीपीजीएनएसओ)- जिसकी स्थापना राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत की गई थी- इस बात पर विचार कर रहा है कि हॉन्गकॉन्ग की स्वतंत्र न्यायपालिका का फ़ैसलाराष्ट्रीय संकल्पऔर राष्ट्रीय हित के मुताबिक़ हो.

सितंबर 2020 में शक्तियों के विभाजन’ (कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच) को लिबरल स्टडी के टेक्स्टबुक से हटा दिया गया. 2009 में लिबरल स्टडी को हॉन्गकॉन्ग की विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा में चार प्रमुख विषयों में से एक के रूप में शामिल किया गया. इसका मक़सद छात्रों की आलोचनात्मक सोच के कौशल को बढ़ावा देना और सामाजिक मुद्दों पर उनकी जागरुकता को बेहतर करना था. हॉन्गकॉन्ग प्रोफेशनल टीचर्स यूनियन ने राजनीतिक सेंसरशिप बताते हुए इसकी निंदा की लेकिन हॉन्गकॉन्ग के चीफ एग्ज़ीक्यूटिव कैरी लैम ने इस कवायद का समर्थन किया. लैम ने बयान दिया कि मेनलैंड की केंद्रीय सरकार ने हॉन्गकॉन्ग को प्रशासनिक, विधायी और न्यायिक शक्तियां दी हैं और ये तीनों संस्थान अंतत: चीन के प्रति जवाबदेह हैं. 2019 के अधिवेशन में सीसीपी के बड़े नेताओं ने संकल्प लिया था कि चीन की शासन व्यवस्था की प्रणाली और क्षमता को दुरुस्त किया जाएगा. इसके तहत हॉन्गकॉन्ग और मकाऊ में राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए क़ानूनी सिस्टम और लागू करने वाली प्रणाली को दुरुस्त करना शामिल था

इन घटनाक्रमों से सवाल उठता है: क्या ये निकट भविष्य में चीन की सरकार और हॉन्गकॉन्ग, विशेषकर उसकी न्यायिक शाखा, के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है

जजों के ख़िलाफ़ आक्षेप लगाए गए हैं, ख़ास तौर पर सीसीपी का समर्थन करने वाले मीडिया संगठनों में

हॉन्ककॉन्ग की आज़ादी पर हमला

एक समाचार पत्र ने हुड़दंगियों का राज, पुलिस को कोई मानवाधिकार नहीं के शीर्षक से एक ख़बर प्रकाशित की. ये ख़बर एक मुक़दमे को लेकर थी जिसमें हॉन्गकॉन्ग हाईकोर्ट ने पहचान नहीं बताने के लिए पुलिस अधिकारियों की निंदा की और इसे मानवाधिकार क़ानून का उल्लंघन बताया. इसमें एक कार्टून भी बनाया गया था जिसमें पेट्रोल बम से लैस एक प्रदर्शनकारी को एक पुलिस अधिकारी को ये कहते हुए दिखाया गया है कि: “जज मेरा समर्थन कर रहे हैं, अपनी पहचान के दस्तावेज़ दिखाओ.” इसके अलावा अख़बार ने विग पहने एक जज की तस्वीर भी छापी है और इस तरह यूनाइटेड किंगडम, जिसने 1997 तक हॉन्गकॉन्ग पर शासन किया, में चल रही ऐसी ही परंपरा से इसकी तुलना की गई है. सीसीपी ने हॉन्गकॉन्ग की समस्याओं के लिए लगातार उपनिवेशवाद को ज़िम्मेदार ठहराया है. हॉन्गकॉन्ग बार एसोसिएशन (एचकेबीए) ने न्याय सचिव टेरेसा चेंग को चिट्ठी लिखकर अख़बार की इस कवरेज का विरोध किया और अख़बार की रिपोर्ट को अदालत की अवमानना के क़रीब बताया

स्वतंत्र न्यायिक संस्थानों को भी नहीं बख्शा जा रहा है. एचकेबीए के अध्यक्ष पॉल हैरिस को चीन के द्वारा इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून में बदलाव होना चाहिए. हॉन्गकॉन्ग के फ़ाइनल अपील कोर्ट द्वारा मीडिया एंटरप्रेन्योर जिम्मी लाई की ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई करने से कुछ दिन पहले मुख्य न्यायाधीश एंड्रयू च्यूंग ने चीफ एग्ज़ीक्यूटिव कैरी लैम के साथ व्यक्तिगत मुलाक़ात की

अगर भविष्य में क़ानूनविदों को राष्ट्रीय हित (सीसीपी का आदेश पढ़िए) का पालन करने के लिए धमकाया जा सकता है तो करियर की शुरुआत करने वाले वक़ीलों को भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों से अलग होने के लिए कहा जा सकता है. [/pullquote]

1 जुलाई 2020 और 29 जून 2021 के बीच पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के मामले में कमसेकम 118 लोगों को गिरफ़्तार किया या गिरफ़्तारी का आदेश दिया. गिरफ़्तारी के वक़्त कमसेकम तीन व्यक्ति 18 साल से कम उम्र के थे. 29 जून 2021 को 64 लोगों पर आरोप दायर किए गए हैं जबकि 47 लोग आरोपों को लेकर ट्रायल से पहले की हिरासत में हैं. लेकिन उन लोगों के इंसाफ़ पाने की संभावना को लेकर बड़ा सवाल बना हुआ है. अगर भविष्य में क़ानूनविदों को राष्ट्रीय हित (सीसीपी का आदेश पढ़िए) का पालन करने के लिए धमकाया जा सकता है तो करियर की शुरुआत करने वाले वक़ीलों को भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों से अलग होने के लिए कहा जा सकता है. जजों को भी क़ानून को बनाए रखने और क़ानूनी औज़ार बनने के बीच संतुलन बनाना होगा

जिस वक़्त राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून को लागू किया गया था, उस वक़्त सीसीपी ने कहा कि हॉन्गकॉन्ग में शांति को ख़तरे में डालने के लिए बेकरार मुट्ठी भर लोग ही क़ानून की प्रक्रिया की चपेट में आएंगे. लेकिन एप्पल डेली जैसे अख़बार को भी उस वक़्त बंद होना पड़ा जब पुलिस ने उसके बैंक खातों को फ्रीज़ कर दिया, उसके दफ़्तर पर छापेमारी की और संपादकों को गिरफ़्तार किया. इस तरह से ये द्वीप ऐसी जगह में तब्दील हो गया है जहां कोई नागरिक स्वतंत्रता नहीं है, प्रेस की स्वतंत्रता नहीं है और मनमाने ढंग से क़ैद कर लिया जाता है. अपनी ट्रैवल एडवाइज़री में अमेरिका की सरकार ने अपने नागरिकों को स्थानीय क़ानूनों के मनमाने ढंग से लागू होने की चेतावनी दी है. 1 जुलाई को हॉन्गकॉन्ग ने सीसीपी के 100 साल पूरे होने पर पहली बार स्मारक डाक टिकट जारी किए जिनमें विज्ञान और शहरीकरण में उपलब्धियों को दिखाया गया था जो शी जिनपिंग  दिखाना चाहते हैं. इस तरह हॉन्गकॉन्ग के लोग एक पूरी तरह अलग विरासत को दिमाग़ में रखेंगे

राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून और कैरी लैम की बेचैनी

हॉन्गकॉन्ग और एक पार्टी के शासन वाले चीन के बीच संबंधों में किसी भी तरह के जुड़ाव का निश्चित तौर पर व्यापक नतीजा होगा. वर्तमान में विदेशी जज हॉन्गकॉन्ग की न्यायिक पीठ की अध्यक्षता करते हैं. यूनाइटेड किंगडम के पूर्व उपनिवेश के चीन के नियंत्रण में जाने के बाद इसे क़ानून के राज की पहचान के तौर पर लंबे समय से देखा जाता रहा है. हॉन्गकॉन्ग की सबसे बड़ी अदालत की पीठ की अध्यक्षता करने वाले ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम के दो जजों ने इस्तीफ़ा दे दिया है. राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के असर को लेकर वैश्विक बेचैनी के बीच कैरी लैम का कहना है कि विदेशी जजों को रोका नहीं जाएगा और हॉन्गकॉन्ग की न्यायिक व्यवस्था चट्टान की तरह मज़बूत बनी रहेगी. लेकिन बेंच में शामिल क़ानूनविद इसी तरह की भावना ज़ाहिर नहीं कर रहे हैं. मार्च 2021 में ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष रॉबर्ट रीड, जो फ़ाइनल अपील कोर्ट में भी हैं, ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स की एक समिति से कहा कि अगर हॉन्गकॉन्ग की न्यायपालिका की स्वतंत्रता को किसी भी तरह से खोखला किया गया तो वो काम करने के लिए तैयार नहीं होंगे. ये बयान उस वक़्त आया है जब यूनाइटेड किंगडम की संसद में इस परंपरा पर फिर से विचार करने की मांग हो रही है जिसके तहत यहां के जज हॉन्गकॉन्ग की न्यायिक खंडपीठ में काम करने के लिए जाते हैं. इसका कारण ये है कि जिस वक़्त यूनाइटेड किंगडम जैसे देश हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकार उल्लंघन के लिए अभियान चला रहे हैं, उस वक़्त हॉन्गकॉन्ग में उनके न्यायिक प्रणाली से जुड़े लोगों का काम करना मेल नहीं खाता. इससे बदनामी मिलती है और लोग इसे मंज़ूर नहीं करते

2020 में ताइवान के राष्ट्रीय चेंगची विश्वविद्यालय के एक सर्वे में पता चला कि यहां के 64 प्रतिशत निवासी ख़ुद को पूरी तरह ‘ताइवान का नागरिक’ समझते हैं. वहीं 2020 में ताइवान के सिर्फ़ 3 प्रतिशत लोगों ने ख़ुद को चीनी बताया. 1990 के दशक में क़रीब 26 प्रतिशत लोगों ने ख़ुद को चीनी बताया था

एक देश, दो सिस्टम का मूल उद्देश्य है ताइवान

एक देश, दो सिस्टम के फॉर्मूले का मूल उद्देश्य ताइवान को ये संदेश देना था कि चीन मेनलैंड से अलग एक राजनीतिक और आर्थिक प्रणाली का संरक्षण कर सकता है. हॉन्गकॉन्ग और मकाऊ जैसे ब्रिटेन के पूर्व उपनिवेशों का मतलब था कि ताइवान के लोगों को ये व्यवस्था दिखाकर उन्हें अपने पाले में लाने के लिए तैयार किया जा सके. 2020 में ताइवान के राष्ट्रीय चेंगची विश्वविद्यालय के एक सर्वे में पता चला कि यहां के 64 प्रतिशत निवासी ख़ुद को पूरी तरह ताइवान का नागरिक समझते हैं. वहीं 2020 में ताइवान के सिर्फ़ 3 प्रतिशत लोगों ने ख़ुद को चीनी बताया. 1990 के दशक में क़रीब 26 प्रतिशत लोगों ने ख़ुद को चीनी बताया था. ख़ुद की चीनी पहचान बताने वाले लोगों की संख्या में कमी ताइवान में लोकतंत्र की मज़बूती के अनुरूप है. 1990 के दशक के मध्य से ताइवान में राष्ट्रपति का सीधा चुनाव हो रहा है. हॉन्गकॉन्ग के लोगों के दमन का गवाह बनने के बाद क्या ताइवान के लोग अपनी इच्छा से एकीकरण पर विचार करने के लिए जिन्न को फिर से बोतल में रखेंगे

31 मई को एक भाषण में शी चीन की एक सम्मानजनक छवि बनाने की ज़रूरत पर बोले लेकिन ‘एक देश, दो सिस्टम के तहत जिस नागरिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई थी, उसको वापस लेने का मतलब है कि अविश्वास सीसीपी की 100वीं सालगिरह के रंग में भंग करेगा

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