Author : Sitara Srinivas

Published on Dec 21, 2021 Updated 0 Hours ago

हालयू लहर को सॉफ्ट पॉवर के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हुए, दक्षिण कोरिया अपने सांस्कृतिक प्रभाव से दुनिया को प्रभावित करने में कामयाब रहा है.

हालयू और उसकी Global Army: दक्षिण कोरिया से सॉफ्ट पॉवर का पाठ

इन दिनों जिस प्रकार साउथ कोरिया की मीडिया और संस्कृति विश्व में हर तरफ छाई हुई है, ऐसे में यह कहना मुश्किल होगा कि कोई इसके संपर्क में नहीं आया हो. टेलीविज़न, सिनेमा से लेकर संगीत तक और फूड, स्किन केयर से लेकर लाइफ स्टाइल तक कई क्षेत्रों में कोरियाई संस्कृति का प्रभाव बढ़ रहा है.

जोसेफ नी की “सॉफ्ट पॉवर” की परिभाषा के अनुसार, “जो कुछ आप पाना चाहते हैं, उसे ताक़त से या पैसे खर्च कर के हासिल करने के बजाए, लुभा लेने और आकर्षित करके हासिल करने की क्षमता सॉफ्ट पॉवर है. यह शक्ति किसी भी देश की संस्कृति, राजनीतिक आदर्शों और नीतियों के माध्यम से आकर्षित करने की काबिलियत से पैदा होती है.” रंगीन लेंसों के माध्यम से दुनिया को रूबरू कराने के लिए, दक्षिण कोरिया ने ‘हालयू’ का सृजन किया है. ‘हालयू’ एक चीनी शब्द है, जिसका अर्थ है- दक्षिण कोरिया की सांस्कृतिक लहर. इसके ज़रिए साउथ कोरिया ने दुनिया में अपनी छवि को बदलने और नए सिरे से गढ़ने की कोशिश की है. इसके साथ ही साउथ कोरिया ने रणनीतिक तौर पर एक ऐसा आभामंडल तैयार करने का काम किया है, जो पूरी दुनिया में उसके रुतबे को बढ़ाता है. हालयू को समझने के लिए साउथ कोरिया के इतिहास को समझना बहुत महत्पूर्ण है, ख़ासकर छठे रिपब्लिक से.

छठे रिपब्लिक की शुरुआत 1988 में मानी जाती है, जिसने एक देश को तानाशाही शासन से लोकतांत्रिक शासन में बदलते हुए देखा है. देश ने अपनी अर्थव्यवस्था, अपनी प्रेस और अपनी सीमाओं को खोल दिया. इसने अपने पड़ोसी उत्तर कोरिया से अपने संबंधों को सुधारना शुरू कर दिया. 

छठे रिपब्लिक के तहत

छठे रिपब्लिक की शुरुआत 1988 में मानी जाती है, जिसने एक देश को तानाशाही शासन से लोकतांत्रिक शासन में बदलते हुए देखा है. देश ने अपनी अर्थव्यवस्था, अपनी प्रेस और अपनी सीमाओं को खोल दिया. इसने अपने पड़ोसी उत्तर कोरिया से अपने संबंधों को सुधारना शुरू कर दिया. हालांकि, 1997 में एशियाई वित्तीय संकट के दौरान इसमें अवरोध भी पैदा हुआ, जिसे इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड द्वारा एक बेलआउट पैकेज लाकर खत्म किया गया.

ज़ाहिर है कि साउथ कोरिया के दो समानांतर लक्ष्य थे. पहला, दक्षिण कोरियाई अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए राजस्व बढ़ाना और दूसरा, दुनिया के तमाम देशों से संबंध बनाते हुए अपनी वैश्विक छवि को बदलना. 1990 के दशक में साउथ  कोरिया अपने तटस्थतावादी कवच से बाहर निकला और हालयू उसके कई मसलों के सामाधान के साथ ही, उसे एक नई पहचान दिलाने का एक साधन था। एक ऐसी पहचान, जिसे वह पूरी दुनिया के सामने पेश करना चाहता था।

हालयू ने दक्षिण कोरिया के लिए कई क्षेत्रों में दीर्घकालिक पहचान और पहुंच सुनिश्चित की है. आज कई प्रमुख उद्योगों के आगे लगा “के” अक्षर सांस्कृतिक पहचान को एक ब्रांड में बदल रहा है. साउथ कोरिया अपने इस ब्रांड को दूसरे सेक्टरों में ले जाने में कतई संकोच नहीं करता है. 

हालयू ने दक्षिण कोरिया के लिए कई क्षेत्रों में दीर्घकालिक पहचान और पहुंच सुनिश्चित की है. आज कई प्रमुख उद्योगों के आगे लगा “के” अक्षर सांस्कृतिक पहचान को एक ब्रांड में बदल रहा है. साउथ कोरिया अपने इस ब्रांड को दूसरे सेक्टरों में ले जाने में कतई संकोच नहीं करता है. कोविड-19 महामारी के दौरान साउथ कोरियाई राष्ट्रपति मून जई-इन ने क्वारंटीन को के-क्वारंटीन कहा था. इसका मतलब यह है कि हालयू सोशल मीडिया पर इससे पहले आ चुके और भविष्य में आने वाले तमाम अभियानों जैसा ही नहीं है, बल्कि इसे इस रूप में भी देखा जा सकता है कि आने वाले समय में पूरा विश्व इसमें शामिल हो जाएगा. हालयू एक देश की उपज है और सरकार के समर्थन एवं प्रोत्साहन के भरोसे आगे बढ़ रहा है. पिछले साल कोरिया के सांस्कृति, खेल और पर्यटन मंत्रालय ने घोषणा की थी कि वो अपने तहत एक हालयू विभाग स्थापित करेगा। हालांकि, जब कोरियाई सरकार आपनी आदर्श छवि को हालयू के ज़रिए दिखाने की कोशिश करती है, तो ऐसे में यह कहना बहुत कठिन होगा कि सिर्फ़ यही वो चीज है, जिसे कोरियाई सरकार दुनिया को दिखाना चाहती है.

शायद यही वजह है कि हालयू पूरी दुनिया के सामने कसौटी पर ख़रा उतरा है. अक्सर देखा जाता है कि जब एक देश की संस्कृति दूसरे देशों में फैलती है, तो कई स्तरों पर अपने मूल स्वरूप से बदल जाती है, ताकि दुनिया उसे आसानी से अपना सके. यहां तक कि दुनियाभर के लोगों के बीच आसानी से पहुंचने के लिए प्रचार-प्रसार की मूल भाषा बदल जाती है, खाने-पीने की चीज़ों का स्वाद बदल जाता है, नाम तक बदल जाते हैं. लेकिन कोरियाई संस्कृति के दुनियाभर में फैलाव के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. इसके बजाए दुनिया में कोरियाई भाषा सीखने वाले लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। इतना ही नहीं खाने की डिश के नाम भी वही हैं, किंबैप को सुशी से नहीं मिलाया गया है. इसका एक सटीक उदाहरण है, ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में 26 कोरियाई शब्दों को शामिल करना, जिसमें हालयू भी है. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में इन शब्दों को शामिल करने के लिए राष्ट्रपति जई-इन ने कोरियाई भाषा हैंग्यूल को देश की सॉफ्ट पॉवर कहा.

आज, हालयू न सिर्फ़ अपने उद्देश्य में सफल है, बल्कि उससे भी कई कदम आगे निकल गया है. यह नॉर्थ कोरिया में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, खुलेआम भी और छिपकर भी. 2018 में शांति वार्ता के लिए कई कंसर्ट्स का आयोजन किया गया और गुपचुप तरीके से इसे साउथ कोरियाई जीवनशैली को प्रचारित करने के लिए टूल के रूप में इस्तेमाल किया गया. राष्ट्रपति के विशेष दूत के रूप में लोकप्रिय बैंड बीटीएस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रदर्शन किया और 2030 एसडीजीएस (SDGs) को बढ़ावा देने का काम किया. इस तरह का प्रदर्शन 2017 में घोषित किए गए पब्लिक डिप्लोमेसी प्लान का हिस्सा है।

आर्थिक लाभ प्राप्त करना

हालयू से होने वाली प्रत्यक्ष कमाई और पर्यटन के ज़रिए अन्य उद्योगों पर इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव, या हालयू स्टार्स द्वारा प्रमोट किए जाने वाले उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी, इन सभी को मिलाकर हालयू से होने वाले कुल आर्थिक फायदे इतने हैं कि उनका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है.

Source: http://eng.kofice.or.kr/data/[KOFICE]%202020%20Global%20Hallyu%20Trends.pdf

कोरियन फाउंडेशन की एक स्टडी में सामने आया है कि 2016 से 2019 तक हालयू का सीधा आर्थिक असर दोगुना हो गया है और यह लगातार बढ़ रहा है. सीधी सी बात है कि इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव उपभोक्ता वस्तुओं के निर्यात और पर्यटन पर है. हालयू से साउथ कोरिया की इकोनॉमी को लाभ हो रहा है और आने वाले वर्षों में भी यह इसी तरह जारी रहेगा.

कोरिया की इकोनॉमी पर हालयू के असर को जानने और बैंगटन सोनिओन्डन (बीटीएस, प्रमुख के-पॉप बैंड) के प्रभाव को संक्षेप में समझने के लिए “बीटीएस प्रभाव” का उपयोग किया जा सकता है. 

कोरिया की इकोनॉमी पर हालयू के असर को जानने और बैंगटन सोनिओन्डन (बीटीएस, प्रमुख के-पॉप बैंड) के प्रभाव को संक्षेप में समझने के लिए “बीटीएस प्रभाव” का उपयोग किया जा सकता है. फोर्ब्स ने अनुमान के मुताबिक साउथ कोरिया की जीडीपी में बीटीएस का योगदान फिज़ी, मालदीव और टोगो की अलग-अलग जीडीपी से अधिक होगा। ह्युंडई रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार बीटीएस का प्रत्यक्ष आर्थिक मूल्य हर साल 3.54 बिलियन यूएस डॉलर और अप्रत्यक्ष प्रभाव 1.26 बिलियन यूएस डॉलर होने का अनुमान है. 10 वर्षों में इसका आर्थिक असर 2018 में हुए पेओंगचांग विंटर ओलंपिक्स को पार करने की उम्मीद है, वो भी बिना किसी निवेश के. इतना ही नहीं 13 में से एक टूरिस्ट सिर्फ़ बीटीएस की वजह से साउथ कोरिया घूमने आता है. सियोल सिटी प्रशासन ने अपनी टूरिज्म़ इंडस्ट्री की उन्नति का श्रेय बीटीएस को दिया है, जो टीएचएएडी सिस्टम लागू करने के बाद चीनी पर्यटन में गिरावट से प्रभावित हुआ था.

Source: https://www.statista.com/chart/19854/companies-bts-share-of-south-korea-gdp/

 

हालयू और इसके तमाम पहलू आज इतने अधिक लोकप्रिय हो गए हैं कि उनके प्रशंसकों का वैश्विक नेटवर्क (या सेना, जैसा कि बीटीएस फैन क्लब को बुलाया जाता है) कुछ समूहों के गैर-राजनीतिक रहने के बावजूद अक्सर कुछ न कुछ करते रहते हैं. 2020 में अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर्स विरोध प्रदर्शन के दौरान बीटीएस प्रशंसकों ने सच्चाई और जागरूकता से जुड़े कई हैशटैग के माध्यम से अभियान चलाकर नस्लवादी सर्विलांस नेटवर्क में तहलका मचा दिया था। इतना ही नहीं इन प्रशंसकों ने आपसी सहयोग से एक मिलियन यूएस डॉलर से अधिक का दान भी दिया। चिली की सरकार ने मौतों पर सवाल उठाने, मानवाधिकारों का उल्लंघन करने और ख़ामोशी की आलोचना करने में उनकी भूमिका बताते हुए प्रदर्शनों और नागरिक के गुस्से का आरोप अंतर्राष्ट्रीय के-पॉप फैन्स पर लगाया था. के-पॉप का उपयोग अब संयुक्त राष्ट्र और दूसरी शरणार्थी एजेंसियों द्वारा अल्जीरिया में सीरियाई शरणार्थियों के बीच बातचीत शुरू करने के लिए मध्यस्थ के रूप में भी किया जा रहा है।

हालांकि, हालयू ने साउथ कोरिया की छवि को बदलने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन राजनयिक छवि के लिए इसे जादुई हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और करना भी नहीं चाहिए. उदाहरण के लिए कोई इस सच्चाई को झुठला नहीं पाएगा कि साउथ कोरिया अपने पड़ोसी डीपीआर कोरिया के साथ युद्धरत है। एक ऐसा देश जहां सेना में भर्ती अनिवार्य है, वहां 18 से 28 वर्ष के बीच के युवाओं को अनिवार्य रूप से सेना में जाना चाहिए. साउथ कोरिया के तमाम के-पॉप सितारे इसी आयु वर्ग के हैं, ऐसे में वहां देश की वैश्विक छवि गढ़ने और देश की पहली प्राथमिकता को पूरा करने के बीच टकराव है. हालांकि, वहां सेना में भर्ती की उम्र में के-पॉप से जुड़े युवाओं को छूट दी गई है, लेकिन यह पूरी छूट कोरियाई समाज को पतन की ओर ले जाएगी।

इसके साथ ही यह कोरियाई समाज को उसके असल रूप में दिखाता है. अन्य देशों की भांति ही साउथ कोरिया भी असमान विकास का सामना कर रहा है, जहां अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, गरीब और अधिक गरीब। कोरियाई समाज का दैनिक जीवन ‘स्क्विड गेम्स’ (जिसमें लोकतांत्रिक विरोधों पर वास्तविक जीवन की कार्रवाई के संदर्भ शामिल हैं) जैसे के-ड्रामा और ‘पैरासाइट’ जैसी फिल्मों, जो वर्ग असमानता और आर्थिक भेदभाव से जुड़ी हुई हैं, की पृष्ठभूमि जैसा है.

जोसेफ नी ने साउथ कोरिया की सॉफ्ट पॉवर क्षमता के बारे में बात की थी. धीरे-धीरे साउथ कोरिया एक ऐसी महत्वपूर्ण मध्यम श्रेणी की शक्ति के रूप में उभर रहा है, जिसे भौगोलिक रूप से कमज़ोर राष्ट्र के रूप में आंका गया था. 

हार्वर्ड बेलफर सेंटर के लिए 2009 में लिखे गए एक लेख में जोसेफ नी ने साउथ कोरिया की सॉफ्ट पॉवर क्षमता के बारे में बात की थी. धीरे-धीरे साउथ कोरिया एक ऐसी महत्वपूर्ण मध्यम श्रेणी की शक्ति के रूप में उभर रहा है, जिसे भौगोलिक रूप से कमज़ोर राष्ट्र के रूप में आंका गया था. नी के मुताबिक, “साउथ कोरिया के पास सॉफ्ट पॉवर को पैदा करने के लिए संसाधन हैं  और इसकी सॉफ्ट पॉवर भौगोलिक सीमाओं में बंधी नहीं है, जिसने अपने पूरे इतिहास में अपनी हार्ड पॉवर को सीमित कर दिया है,” इसके कई संसाधनों में से एक कोरियाई संस्कृति के विस्तार व प्रभाव से सॉफ्ट पॉवर को हासिल किया जा सकता है. देखिए, बारह साल बाद दक्षिण कोरिया ने खुद को फिर से खोजने और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए जिन-जिन संसाधनों का उपयोग किया है, उनमें शायद हालयू सबसे क़ामयाब है.

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