भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की आठ दिवसीय भारत यात्रा (3-10 नवंबर) का उद्देश्य संभवतः चीन के साथ संभावित सीमा समझौते की पूर्व संध्या पर भारत को प्रसन्न करना था. नरेश ने अप्रैल में भी दिल्ली का दौरा किया था. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी व सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी.
यात्रा की अहमियत
सरकार भूटान के साथ भारत के संबंधों को एक श्रेष्ठ द्विपक्षीय साझेदारी बताती है. यात्रा के बाद संयुक्त वक्तव्य में कई क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया गया. पर मौजूदा यात्रा की टाइमिंग से संकेत मिलता है कि इसका सरोकार चीन और भूटान के बीच तेजी से आगे बढ़ रही सीमारेखा-सम्बंधी वार्ताओं से है.
मौजूदा यात्रा की टाइमिंग से संकेत मिलता है कि इसका सरोकार चीन और भूटान के बीच तेजी से आगे बढ़ रही सीमारेखा-सम्बंधी वार्ताओं से है.
बातचीत का मुख्य बिंदु 3-स्टेप रोडमैप रहा है. यह एक एमओयू है, जिस पर अक्टूबर 2021 में कुनमिंग में अपने विशेषज्ञ समूह की बैठक के 10वें चरण के दौरान चीन और भूटान ने हस्ताक्षर किए थे. इसमें बातचीत के जरिए मानचित्रों पर सीमा के परिसीमन की परिकल्पना की गई है.
दोनों पक्षों के बीच संयुक्त सर्वेक्षण के बाद उनके बीच 470 किलोमीटर की सीमा का वास्तविक सीमांकन होगा. उस समय भारत की प्रतिक्रिया यह थी कि इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने की घटना उसकी नजर से चूकी नहीं है और भूटान की तरह, ‘भारत भी चीन के साथ ऐसी ही सीमा-वार्ताएं कर रहा है.’
पिछले महीने भी चीन और भूटान ने बीजिंग में 25वें दौर की सीमा-वार्ता की थी. पिछला दौर 2016 में आयोजित किया गया था. भूटानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने किया था और चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदॉन्ग चीनी टीम का नेतृत्व कर रहे थे.
सुन भारत में चीन के राजदूत रह चुके हैं. भारत में भूटान के राजदूत मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) वी. नामग्येल और भूटान के विदेश सचिव पेमा चोडेन भी भूटानी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. इस वर्ष जनवरी से विशेषज्ञ समूह की बैठकों का एक त्वरित क्रम शुरू हुआ.
मई में दोनों पक्षों ने थिम्पू में विशेषज्ञ समूहों की बैठक के 12वें दौर में कहा था कि उन्होंने अपने सीमा मुद्दे को सुलझाने की दिशा में 3-स्टेप रोडमैप पर बातचीत आगे बढ़ाई है. पिछले महीने बीजिंग में 25वें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें भूटान-चीन सीमा के परिसीमन और सीमांकन पर संयुक्त तकनीकी टीम के कामकाज का विवरण दिया गया था. इस पर अगस्त में 13वीं विशेषज्ञ समूह की बैठक के बाद सहमति बनी थी. बीजिंग में दोरजी ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से भी मुलाकात की और दोनों पक्षों ने संकेत दिया कि वे शीघ्र समाधान चाहते हैं.
चीन और भूटान के बीच विवाद में मुख्य क्षेत्र चुंबी घाटी के साथ पश्चिमी सीमा में 269 वर्ग किमी और जकारलुंग और पासमलुंग घाटियों के 495 वर्ग किमी के दो उत्तरी क्षेत्र हैं. 2020 के बाद से, चीनियों ने पूर्वी भूटान में भी अतिरिक्त दावा किया है.
पिछले महीने एक साक्षात्कार में भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग- जिनका कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है- ने पुष्टि की थी कि चीन और भूटान अपने 3 चरणों वाले रोडमैप को पूरा करने की दिशा में बढ़ रहे हैं. इसमें डोकलाम और उत्तरी भूटान में चीनी दावों के बीच संभावित समझौता भी शामिल है.
चीन और भूटान के बीच विवाद के मुख्य क्षेत्र
चीन और भूटान के बीच विवाद में मुख्य क्षेत्र चुंबी घाटी के साथ पश्चिमी सीमा में 269 वर्ग किमी और जकारलुंग और पासमलुंग घाटियों के 495 वर्ग किमी के दो उत्तरी क्षेत्र हैं. 2020 के बाद से, चीनियों ने पूर्वी भूटान में भी अतिरिक्त दावा किया है. वहीं पश्चिम में चीन के दावों में डोकलाम भी शामिल है, जो 2017 में भारत-चीन टकराव का स्थान था.
यह वह क्षेत्र है, जहां भारत-चीन-भूटान सीमाएं मिलती हैं. भारत डोकलाम को भूटानी क्षेत्र मानता है और चिंतित है कि इस पर चीनी नियंत्रण हो गया तो वह संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर नजर रखने में सक्षम हो जाएगा, जो भारतीय मुख्य भूमि को उत्तर-पूर्व से जोड़ता है.
अप्रैल में भारत के विदेश सचिव वीएम क्वात्रा ने इस दौरे के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा था कि भारत और भूटान निकट संपर्क में हैं और हमारे राष्ट्रीय और सुरक्षा हितों को लेकर ‘घनिष्ठ समन्वय’ बनाए हुए हैं. डोकलाम पर उन्होंने मंत्रालय के पहले के बयानों पर कायम रहने की बात कही थी.
पश्चिमी भूटान में चीन के दावों में डोकलाम शामिल है, जो 2017 में भारत-चीन टकराव का स्थान था. यहां भारत-चीन-भूटान सीमाएं मिलती हैं. भारत चिंतित है कि कहीं इस पर चीनी नियंत्रण नहीं स्थापित हो जाए.
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