ये लेख रायसीना एडिट 2022 सीरीज़ का हिस्सा है.
पिछले कुछ वर्षों में ‘स्प्लिंटरनेट‘ और कथित तौर पर ‘बाल्कनाइजेशन‘ या वैश्विक इंटरनेट के विखंडन की संभावना के बारे में काफी चर्चा हुई है. एक प्रमुख चिंता यह रही है कि “खुले और वैश्विक स्तर पर जुड़े इंटरनेट जिसका इस्तेमाल हम सभी सरकारों या निगमों द्वारा नियंत्रित नेटवर्क के संग्रह में स्प्लिंटर्स का उपयोग करते हैं”. वास्तव में चीन, ईरान और रूस जैसे कई देशों ने पहले इस दिशा में कदम उठाए हैं, हालांकि वैश्विक इंटरनेट से ये देश अभी भी पूरी तरह से अलग–थलग नहीं हुए हैं.
यूक्रेन में युद्ध से पहले रूस और चीन पहले से ही एक “नए, टॉप-डाउन इंटरनेट प्रोटोकॉल के लिए आपस में बातचीत कर रहे थे जो इंटरनेट प्रदाताओं को किसी भी वेबसाइट या ऐप को ब्लॉक करने की क्षमता रखता है”, जो दुनिया भर में इस चिंता को बढ़ावा देता है कि किसी भी देश की महत्वाकांक्षी सरकार अपनी सीमाओं के साथ बाहर से आने वाली इंटरनेट सामग्रियों को नियंत्रित कर सकती हैं.
मिसाल के तौर पर यूक्रेन में युद्ध से पहले रूस और चीन पहले से ही एक “नए, टॉप-डाउन इंटरनेट प्रोटोकॉल के लिए आपस में बातचीत कर रहे थे जो इंटरनेट प्रदाताओं को किसी भी वेबसाइट या ऐप को ब्लॉक करने की क्षमता रखता है“, जो दुनिया भर में इस चिंता को बढ़ावा देता है कि किसी भी देश की महत्वाकांक्षी सरकार अपनी सीमाओं के साथ बाहर से आने वाली इंटरनेट सामग्रियों को नियंत्रित कर सकती हैं. इस मामले में चीन का ख़ास तौर से उल्लेख किया जाता है – चीन में कई ऑनलाइन सेवाएं अब बेहतर चीनी इंटरनेट कंपनियों में तब्दील हो चुकी हैं लेकिन चीन अपनी ऑनलाइन सेंसरशिप (जो ‘चीन के फ़ायरवॉल‘ के रूप में जाना जाता है) के लिए कुख्यात है, जो चीन को इस तौर पर सक्षम बनाता है कि वह वैश्विक इंटरनेट सामग्रियों को कभी भी रोक सकता है. हालांकि मौज़ूदा भावना यह है कि चीन वैश्विक इंटरनेट की सामग्रियों पर भरोसा करना जारी रखेगा और वह एक ऐसी स्थिति के लिए तैयार हो रहा है जहां वह एक बड़े संकट का सामना करने के बावज़ूद ख़ुद को वैश्विक इंटरनेट सामग्रियों से अलग-थलग रख सकता है लेकिन इस बीच, वह अपने लोगों को इंटरनेट कनेक्शन तक पहुंच को भी बढ़ावा देता है और विदेशों में अपने उत्पादों की बिक्री जारी रखने के साथ-साथ अपने हितों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट नियमों को भी विकसित करने में योगदान दे सकता है. ईरान को भी, केवल ईरान के लिए इंटरनेट के ज़रिए संचालित करने की क्षमता के रूप में जाना जाता है, हालांकि अगर उसे किसी विरोधी द्वारा दंडित किया जाता है तो वह ख़ुद को वैश्विक नेटवर्क से अलग-थलग करने की ज़रूरत महसूस करता है.
हालांकि, एक हद तक, साल 2020 में चल रहे तथाकथित ‘तकनीकी जंग‘ के बीच में, सुरक्षा के लिए चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद से, क्षेत्रीय और राजनीतिक बिखराव के जोख़िम को बढ़ाने का आरोप अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन पर लगाया गया था. तब यह तर्क दिया गया था कि यह संभावित रूप से प्रतिशोध और “अधिनायकवादियों के ब्लूप्रिंट” की बात करेगा, जहां पहले से ही अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच बढ़ती दूरियों के संकेत मिल रहे थे. अमेरिका पर तो सूचना के वैश्विक मुक्त प्रवाह के लिए सबसे बड़ा ख़तरा होने का भी आरोप लगा, इसे अमेरिका के ग्रैंड साइबर कैन्यन के रूप में जाना जाता है.
हाल के प्रकाशित लेखों में और ज़्यादा बदलाव को लेकर किए जाने वाले विभाजनकारी कदमों के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं – ख़ास कर यह देखते हुए कि रूस ख़ुद को अंतर्राष्ट्रीय शासन निकायों से अलग-थलग करने का प्रयास कर रहा है, ऐसे में विशेषज्ञों को चिंता है कि अगर इंटरनेट को नियंत्रित करने वाले निकाय ऐसा करेंगे तो इससे भारी हलचल मचेगी.
फिर भी, एक ही मंच से विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करने वाले देशों से परे पूर्ण बिखराव का वक़्त अभी तक नहीं आया है और वास्तव में ऐसा इस ज़रिए हो सकता है : दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से द्वारा उपयोग किया जाने वाला तकनीकी रूप से असंगत प्रोटोकॉल ; या फिर अलग-अलग सरकारों द्वारा. इस तरह का विभाजन अभी तक व्यापक रूप से क्यों नहीं साकार हो पाया है, इसकी एक प्रमुख वजह राज्यों के रणनीतिक स्वार्थ से जुड़ा रहना हो सकता है, जबकि उनकी महत्वाकांक्षाओं के मुताबिक यथास्थिति को कम करने के लिए काम करते रहना भी है.
रूस के पीछे हटने की वजह: अस्थायी या स्थायी रणनीतिक दूरी?
ज़्यादा अलग नहीं, रूस ने हाल के वर्षों में अपने ऑनलाइन क्षेत्र पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, साल 2019 में रूस ने अपना ‘संप्रभु इंटरनेट‘ कानून लागू किया है और तथाकथित रूनेट का परीक्षण भी किया है जिससे देश को वैश्विक इंटरनेट से अलग-थलग करने की ओर बढ़ा जा सके. बहरहाल विशेषज्ञों के मुताबिक़ रूस को इन लक्ष्यों को अपनी शर्तों पर हासिल करने की क्षमता विकसित करने के लिए अभी भी अधिक समय और निवेश की ज़रूरत होगी. इस बीच, जो देश पहले से ही राज्य द्वारा संचालित मीडिया पर अपने नियंत्रण के लिए जाने जाते थे, उन्होंने वैश्विक ऑनलाइन सामग्री और सेवाओं तक पहुंच और कनेक्शन के एक स्तर को वहन किया है, जबकि सोशल मीडिया और वित्तीय गेटवे जैसी वैश्विक सेवाओं पर भी भरोसा करना जारी रखा है.
हालांकि, यूक्रेन पर आक्रमण के मद्देनज़र, रूस ने सूचना क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए पश्चिमी सेवाओं और सूचना प्रदाताओं तक पहुंच को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं और इसके साथ ही स्थानीय मीडिया संगठनों पर सख़्त सेंसरशिप की शुरुआत भी की है, और तो और प्रतिकूल सामग्री के वितरण को अपराध साबित करने के लिए कानून भी बनाया है. इस तरह के स्वैच्छिक कदम यक़ीनन देश को इंटरनेट की दुनिया में अलग-थलग करने के क़रीब ला रहे हैं. जैसे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसी ऑनलाइन सेवाओं तक रूसी नागरिकों की पहुंच पिछले कुछ सप्ताह में सीमित कर दी गई है. यह भी कहा जाता है कि सरकार व्यवसायों को अपनी वेब होस्टिंग और व्यावसायिक सेवाओं को रूसी सर्वर पर स्थानांतरित करने के लिए निर्देशित भी कर रही है (भले ही इस बारे में संदेह है कि क्या रूस के पास वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर इसे हासिल करने की क्षमता है भी या नहीं). हाल के प्रकाशित लेखों में और ज़्यादा बदलाव को लेकर किए जाने वाले विभाजनकारी कदमों के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं – ख़ास कर यह देखते हुए कि रूस ख़ुद को अंतर्राष्ट्रीय शासन निकायों से अलग-थलग करने का प्रयास कर रहा है, ऐसे में विशेषज्ञों को चिंता है कि अगर इंटरनेट को नियंत्रित करने वाले निकाय ऐसा करेंगे तो इससे भारी हलचल मचेगी.
यूक्रेन पर रूस के हमले ने बहु-हितधारक इंटरनेट बुनियादी ढांचे के नियंत्रण को लेकर एक नई चुनौती पेश की है, जिसमें उचित प्रतिबंधों और उनके नतीज़ों के साथ-साथ एक संबद्ध शासन तंत्र के बारे में भी सवाल खड़े होते हैं.
संक्षेप में कहा जा सकता है कि इन स्वैच्छिक कदमों को और अधिक गंभीर रूप से वैश्विक इंटरनेट से अलग-थलग करने के लिए, और वैश्विक इंटरनेट के भविष्य को लेकर रूस जिस तरह से डिज़िटल अलगाव के लिए आगे बढ़ रहा था लगता है कि वह इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं था. यह घरेलू संकट या प्रतिकूल परिस्थितियों के समय में देश के रणनीतिक अलगाव के बावज़ूद के हालात हैं और इसके लिए रणनीतिक निर्णय लेने में तमाम तरह की पैंतरेबाज़ी की ज़रूरत है.
एक परित्यक्त राष्ट्र के तौर पर रूस के डिज़िटल अलगाव को बढ़ावा देने के कारक: ‘स्प्लिंटरिंग’ को लंबे और छोटे अवधि के लिए तैयार करना ?
कहा जाता है कि पश्चिमी देश रूस को आर्थिक, वित्तीय और तकनीकी तौर पर अलग-थलग करने के इरादे से एक प्रमुख अर्थव्यवस्था पर अब तक के सबसे गंभीर पाबंदियों को अमल में लाया है. यूक्रेन के प्रारंभिक हमले के बाद से वैश्विक स्तर पर सरकारों और निगमों द्वारा उठाए जा रहे कई कदम रूस को डिज़िटल अलगाव की ओर धकेल रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण तकनीकी प्रतिबंध हैं जो उन प्रौद्योगिकियों के लिए निर्यात नियंत्रण की ओर इशारा करते हैं, जो ढांचागत परिवर्तन लाने के लिए ज़रूरी हैं. सुर्ख़ियों में आने वाली अन्य सरकारी गतिविधियों में यूरोपीय संघ और वो देश शामिल हैं जो इंटरनेट से रूसी आउटलेट पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, जैसे वेबसाइटों को बाधित करना और सर्च इंजन और सामाजिक नेटवर्क पर दोहराई जाने वाली सामग्रियों को हटाना.
सबसे अहम प्रस्तावों में से एक यूक्रेन के डिज़िटल परिवर्तन मंत्रालय द्वारा फरवरी 2022 में इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) से रूस के ख़िलाफ़ इंटरनेट प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करना है. जबकि आईसीएएनएन (और आरआईपीई) ने नकारात्मक जवाब दिया है, लेकिन मल्टीस्टेकहोल्डर गवर्नेंस विशेषज्ञों के एक समूह ने बाद में इंटरनेट गवर्नेंस के सिद्धांतों पर मार्च 2022 में सिफारिशें जारी करके एक गवर्नेंस गैप को दूर करने को कोशिश की है. उनके प्रस्तावों में अन्य संभावित इंटरनेट प्रतिबंध भी शामिल हैं जिसे लेकर उनका तर्क है कि वे अधिक प्रभावी और सटीक होंगे और कम जोख़िम और कम लागत के साथ-साथ स्वीकृत आईपी पते और डोमेन नामों को प्रकाशित करने के लिए एक नए मल्टीस्टेकहोल्डर व्यवस्था के गठन का प्रस्ताव भी रखेंगे. यूक्रेन पर रूस के हमले ने बहु-हितधारक इंटरनेट बुनियादी ढांचे के नियंत्रण को लेकर एक नई चुनौती पेश की है, जिसमें उचित प्रतिबंधों और उनके नतीज़ों के साथ-साथ एक संबद्ध शासन तंत्र के बारे में भी सवाल खड़े होते हैं.
रूस ने प्रमुख क्रेडिट कार्ड प्रदाताओं के संचालन बंद होने के बाद कई रूसी नागरिक निजी नेटवर्किंग ऐप्स के लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं, जबकि प्रमुख क्रेडिट कार्ड प्रदाताओं जैसे माइक्रोसॉफ़्ट और ओरैकल ने वहां भी सॉफ़्टवेयर बेचना बंद कर दिया है.
यह इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि, जैसा कि मार्च की सिफ़ारिशों में कहा गया है, ये यूक्रेनी प्रस्तावित प्रतिबंध दूसरे देशों को प्रासंगिक साइबर रक्षा उपायों को लागू करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जो संभावित रूप से अलगाव को बढ़ावा देने वाले हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, डोमेन नाम समाधान या स्थापना के लिए विदेशी नेमसर्वर पर निर्भरता को कम कर सकता है या फिर वैकल्पिक कदम जो पहले से प्रशासित लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. यह ख़ास तौर पर विचार के लायक है हालांकि इसकी चुनौती को साफ तौर से हल करने की आवश्यकता होगी – अनपेक्षित दीर्घकालिक परिणामों से बचने के लिए – यह भविष्य के रणनीतिक योजना के उद्देश्यों के लिए राज्यों की गणना में बदलाव को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है. इन प्रतिबंधों के लिए यूक्रेन का प्रस्ताव संभवतः रूस (और अन्य) जैसे देशों को यह संकेत देगा कि उन्हें भविष्य के परिदृश्यों के लिए काउंटर मेजर (प्रति-उपाय) विकसित करना चाहिए क्योंकि ऐसे प्रतिबंध कभी भी लागू हो सकते हैं.
अन्य गतिविधियां जो कि अलग-अलग स्तर के बिखराव को बढ़ावा देती हैं, उनमें कई इंटरनेट और तकनीकी कंपनियों के रूस से स्वैच्छिक वापसी और इंटरनेट के कामकाज़ को कमतर करने वाली तकनीक के तौर पर शामिल हैं. ऐप्पल पे और गूगल पे जैसी वित्तीय सेवाएं, और क्रेडिट कार्ड प्रदाता ई-कॉमर्स को प्रभावित कर रहे हैं लेकिन क्लाउड स्टोरेज़ की निकट-अवधि की उपलब्धता को लेकर भी कई चिंताएं हैं. इसके अलावा रूसी आबादी की जानकारी तक पहुंच और अलगाव के जोख़िम पर संभावित प्रभाव को देखते हुए निजी कंपनियों के कदमों को संभावित रूप से विवादित बनाया जा रहा है. उदाहरण के लिए, रूस ने प्रमुख क्रेडिट कार्ड प्रदाताओं के संचालन बंद होने के बाद कई रूसी नागरिक निजी नेटवर्किंग ऐप्स के लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं, जबकि प्रमुख क्रेडिट कार्ड प्रदाताओं जैसे माइक्रोसॉफ़्ट और ओरैकल ने वहां भी सॉफ़्टवेयर बेचना बंद कर दिया है. विशेषज्ञ आगे उल्लेख करते हैं कि रूस को सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर उत्पादों को ख़रीदने के लिए चीन से मदद लेने की दरकार हो सकती है अगर रूस बहुत लंबे समय तक अमेरिका और यूरोपीय उत्पादों से अलग-थलग हो जाता है, और संभवतः अपने इंटरनेट ट्रैफ़िक के लिए फिज़िकल कनेक्शन की तलाश करता है. यह भी है कि अगर पड़ोसी देश या गैर-रूसी कंपनियां उसे फ़ाइबर ऑप्टिक केबल्स के माध्यम से चलने वाले ट्रैफ़िक देने से इनकार करती हैं (इस प्रकार उनकी गैर राजनीतिक प्रकृति की पूर्व धारणाओं को चुनौती देता है). इसके साथ ही इस बात को लेकर कम चर्चा हो रही है कि रूस से तकनीकी समुदाय में पेशेवरों के सामूहिक पलायन और रूसी तकनीकी कंपनियों के कर्मचारियों के स्थानांतरण के दीर्घकालिक प्रभाव क्या होंगे.
यूक्रेन युद्ध से इतर : वैश्विक स्तर पर बिखराव को आमंत्रण?
रूस के परित्यक्त राष्ट्र की स्थिति और डिज़िटल अलगाव की डिग्री और स्थायित्व को देखा जाना अभी बाकी है. जबकि रूस और अन्य राष्ट्रों के उठाए गए कदम मौज़ूदा संघर्ष के कारण बहुत तेज़ी से सामने आ रहे हैं, हालांकि अभी यह देखा जाना बाकी है कि क्या एक देश जो व्यावहारिक रूप से डिज़िटल रूप से अलग हो जाता है, वह क्या कभी भी वह कनेक्शन के स्तर पर पूर्व-यूक्रेन हमले की स्थिति पर वापस आ सकता है. प्रतिबंधों का संयोजन, कंपनियों की स्वैच्छिक निकासी, और रूस के अपने उपाय नए सवाल पैदा करेंगे कि क्या रूस के डिज़िटल अलगाव से वैश्विक इंटरनेट सर्विस के स्वरूप में कोई अस्थायी या अधिक स्थायी बदलाव पैदा होगा. इसके अलावा, यूरोप, रूस और विश्व स्तर पर इस संघर्ष के कारण होने वाले संभावित संकेत जल्द ही पूर्व अंतर्संबंध और अन्योन्याश्रयता की वापसी को प्रोत्साहित कर सकते हैं. इसके बजाय, कुछ समय के लिए आत्मनिर्भरता की प्राथमिकता हो सकती है. यह स्वेच्छा से आता है या थोपे गए साधनों के माध्यम से उस बिंदु पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता.
जबकि विश्व स्तर पर इसकी बहुत अधिक संभावना नहीं है कि वैश्विक इंटरनेट से एक संपूर्ण अलगाव निकट समय में अपने रणनीतिक स्वार्थ से काम करने वाले अधिकांश देशों के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प होने जा रहा है. कनेक्शन तक लोगों की पहुंच की अनुमति देना और वैश्विक ई-कॉमर्स से लाभ प्राप्त करना राष्ट्रों के हित में बना रहने वाला है.
प्रतिबंधों का संयोजन, कंपनियों की स्वैच्छिक निकासी, और रूस के अपने उपाय नए सवाल पैदा करेंगे कि क्या रूस के डिज़िटल अलगाव से वैश्विक इंटरनेट सर्विस के स्वरूप में कोई अस्थायी या अधिक स्थायी बदलाव पैदा होगा.
ख़ास तौर से जो ट्रेंडलाइन पहले से ही कुछ देशों के बीच अपने घरेलू सूचना पर अधिक नियंत्रण रखने की इच्छा रखते हैं, इसके साथ जो अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट शासन नियमों में सुधार में शामिल हैं (संघर्ष के समय प्रतिबंधों के आसपास के अनसुलझे प्रश्नों सहित). इस संघर्ष के दौरान ख़ुद लगाए गए और दूसरों द्वारा किए गए उपायों का संयोजन वैश्विक सोच में एक और बदलाव का पल साबित होगा. हालांकि चीन, रूस और ईरान जैसे देश पहले वांछित होने पर वैश्विक नेटवर्क से डिस्कनेक्ट करने की अपनी क्षमता को और बढा़ने में जुटे हैं. ऐसे में यूक्रेन युद्ध संभवतः कई अन्य राष्ट्रों के लिए एक तरह का अलर्ट होगा. रणनीतिक योजना के मक़सद के लिए अब यह संभावना है कि घरेलू संकट या प्रतिकूल परिस्थितियां आने पर वैश्विक नेटवर्क से पूरी तरह से डिस्कनेक्ट करने के लिए रणनीतिक सुरक्षित विकल्प बनाने के लिए और भी अधिक प्रयास किए जाएंगे. इस तरह के विकल्प को तैयार करने के लिए, वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र पर इस तरह की निर्भरता को कम करने के लिए राज्यों को तकनीकी और इंटरनेट आत्मनिर्भरता लाने के लिए राष्ट्रीय संरचनाओं में समय और निवेश समर्पित करने की आवश्यकता होगी. संक्षेप में कहा जा सकता है कि यह तकनीकी विघटन, तकनीकी-राष्ट्रवाद, और घरेलू विकल्प में निवेश की ओर पहले से मौज़ूद वैश्विक रुझानों को और बढ़ावा दे सकता है जो यूक्रेन के हमले से पहले ही साफ हो गया था.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.