चीन की पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (चीन का राजनीतिक सलाहकार संस्थान) के अध्यक्ष वांग यांग ने पिछले दिनों धर्मगुरुओं की समिति के नेताओं से मुलाक़ात की. इस विचार-विमर्श से चीन में संगठित धर्म के लिए भविष्य की राह का संकेत मिलता है. वांग ने “राजनीतिक तौर पर भरोसेमंद” धर्मगुरुओं की टुकड़ी बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि चर्च का नेतृत्व उन लोगों के पास बना रहे जो अपने देश एवं धर्म के प्रति प्यार महसूस करते हैं. वांग यांग ने चाइनीज़ कैथोलिक पैट्रियोटिक एसोसिएशन और चीन में बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ कैथोलिक चर्च के प्रतिनिधियों से कहा कि धार्मिक सिद्धांतों की व्याख्या में चीन की संस्कृति और भाषा बुनियाद होनी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि कैथोलिक मत के द्वारा ‘चीन के रंग-ढंग में ढलने’ को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है. महत्वपूर्ण बात ये है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के पदक्रम में चौथे नंबर के नेता वांग यांग चाहते हैं कि चर्च “विदेशी शक्तियों के द्वारा घुसपैठ” का विरोध करे और चीन के “सुरक्षा एवं विकास से जुड़े हितों” की रक्षा करे.
वांग यांग ने चाइनीज़ कैथोलिक पैट्रियोटिक एसोसिएशन और चीन में बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ कैथोलिक चर्च के प्रतिनिधियों से कहा कि धार्मिक सिद्धांतों की व्याख्या में चीन की संस्कृति और भाषा बुनियाद होनी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि कैथोलिक मत के द्वारा ‘चीन के रंग-ढंग में ढलने’ को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है
CCP के धर्म और संगठित धर्म के बीच बेचैनी स्पष्ट होती जा रही है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जहां महामारी की शुरुआत से लेकर समरकंद में SCO के शिखर सम्मेलन तक विदेश यात्रा नहीं की वहीं अक्टूबर में पार्टी के सम्मेलन से पहले तीनों अशांत क्षेत्रों- तिब्बत, हॉन्ग कॉन्ग और शिनजियांग का दौरा किया. अपनी शिनजियांग यात्रा के दौरान शी ने चीन में इस्लाम के द्वारा चीन की संवेदनशीलता के अनुकूल चलने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
अप्रैल 2016 में आयोजित धार्मिक काम-काज के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग ने चीन की विशेषताओं के साथ सामाजिक धर्म के सिद्धांत को विकसित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए इस बात को दोहराया कि देशभक्ति और समाजवाद दो बुनियादी गुण हैं जिनका पालन हर धर्म को निश्चित रूप से करना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने सरकारी प्रशासन में किसी भी तरह के धार्मिक हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ चेतावनी भी जारी की और धार्मिक संस्थानों के ज़रिए किसी भी तरह की विदेशी घुसपैठ के ख़िलाफ़ दृढ़ता के साथ रक्षा करने की अपील की. धर्म पर पार्टी की पकड़ को और भी मज़बूत करने के लिए धार्मिक मामलों के राज्य प्रशासन (SARA), जो पहले धार्मिक मामलों पर नज़र रखता था, को 2018 में CCP की केंद्रीय समिति के संयुक्त मोर्चा विभाग के भीतर मिला दिया गया.
साम दाम दंड भेद
CCP ज़बरदस्ती और सहयोगिता- दोनों का इस्तेमाल ये सुनिश्चित करने के लिए करती है कि संगठित धर्म उसके अस्तित्व के लिए ख़तरा नहीं बने और इसके बदले वो उसके हितों के साथ जुड़ा रहे.
हॉन्गकॉन्ग अभी हाल के दिनों तक अपेक्षाकृत रूप से धार्मिक मामलों पर CCP के नियंत्रण से स्वतंत्र था. इसकी वजह बुनियादी क़ानून के द्वारा दी गई विशेष दर्जे की गारंटी थी लेकिन अब लगता है कि ये द्वीप भी CCP की इस परियोजना का केंद्र बिंदु बन गया है. जून 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू होने और उसके बाद विधायी और चुनावी प्रक्रिया में बदलाव की वजह से चीन ने उन संस्थानों को पहले ही नियंत्रित कर लिया है जिन्हें वो आज्ञा न मानने वाला समझता है. अब बारी प्रतिरोध के आख़िरी क्षेत्रों में से एक- एक्टिविस्ट और धर्मगुरु- की है. अक्टूबर 2021 में एक महत्वपूर्ण बैठक के तहत मेनलैंड के बिशपों ने हॉन्ग कॉन्ग के बिशपों के साथ मुलाक़ात की और उनसे अनुरोध किया कि वो “चीन की विशिष्टताओं के साथ धर्म” का प्रचार करें.
जून 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू होने और उसके बाद विधायी और चुनावी प्रक्रिया में बदलाव की वजह से चीन ने उन संस्थानों को पहले ही नियंत्रित कर लिया है जिन्हें वो आज्ञा न मानने वाला समझता है. अब बारी प्रतिरोध के आख़िरी क्षेत्रों में से एक- एक्टिविस्ट और धर्मगुरु- की है.
हॉन्ग कॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून को लेकर चिंता की वजह से कई पूजा स्थलों ने 1989 के तियानमेन स्क्वायर की कार्रवाई के दौरान मारे गए लोगों की याद में सालाना प्रार्थना करने से परहेज किया. लेकिन आदेश नहीं मानने वाले वार्ड मेमोरियल मेथडिस्ट चर्च ने आगे बढ़ते हुए एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया. कुछ लोग भी इस मामले में अडिग रहे. हॉन्ग कॉन्ग के रोमन कैथोलिक चर्च के सेवानिवृत प्रमुख कार्डिनल जोसफ़ ज़ेन लगातार लोकतंत्र के समर्थन में आयोजित प्रदर्शनों में शामिल हुए. उन्होंने 1989 की कार्रवाई की बरसी पर आयोजित जुलूस में भी भाग लिया. कार्डिनल जोसफ़ ज़ेन प्रदर्शनकारियों से जुड़ी अदालती कार्रवाइयों में भी शामिल हुए और जिस जेल में उन्हें क़ैद किया गया था, वहां जाकर उनसे मुलाक़ात भी की. पिछले दिनों कार्डिनल ज़ोसफ़ ज़ेन को राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत हिरासत में ले लिया गया और उन पर विदेशी ताक़तों के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया गया.
हालांकि, 2018 में वैटिकन सिटी और चीन के बीच रोमन कैथोलिक चर्च में बिशपों की नियुक्ति को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ. वैसे तो इस समझौते के ब्यौरे को अभी भी गुप्त रखा गया है लेकिन ख़बरों के मुताबिक़ इसमें पोप को चीन के रोमन कैथोलिक चर्च में बिशपों को नियुक्त करने की इजाज़त दी गई है. हालांकि पोप को चीन की सरकार के द्वारा मनोनीत उम्मीदवारों में से ही बिशपों की नियुक्ति करनी होगी. कार्डिनल ज़ेन इस समझौते का विरोध करने में सबसे आगे हैं और उन्होंने 2020 में वैटिकन का दौरा कर पोप को इसे आगे न बढ़ाने के लिए समझाया भी. उन्होंने पोप पर भूमिगत कैथोलिकों से विश्वासघात करने और उन्हें चीन की सरकार के हवाले करने का आरोप लगाया. लेकिन उनकी आपत्ति के बावजूद वैटिकन ने इस समझौते को अगले दो साल की अवधि के लिए बढ़ा दिया जो अक्टूबर 2022 में ख़त्म हो रहा है. लगता है कि ये समझौता CCP के लिए फ़ायदेमंद है क्योंकि ये इस सोच को आगे बढ़ाता है कि धार्मिक संप्रदाय के सदस्य कैथोलिक शिक्षा और चीन की विशेषताओं के साथ साम्यवाद- दोनों का पालन कर सकते हैं. महत्वपूर्ण बात है कि ये समझौता चर्च के आंतरिक तौर पर परस्पर व्यवहार के तरीक़े के ऊपर CCP को फ़ायदा पहुंचाता है.
शीत युद्ध के सबक़
संगठित धर्म को लेकर चीन के वहम का एक कारण 80 के दशक में अमेरिका के द्वारा अपनाया गया तरीक़ा है जिसने पूर्वी यूरोप में उसके क़रीबी हुकूमतों के पतन को तेज़ किया है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के अटॉर्नी जनरल के तौर पर काम करने वाले एडविन मीसे ख़ुलासा करते हैं कि पश्चिमी देशों ने साम्यवाद के ख़िलाफ़ सैन्य तौर-तरीक़ा इस्तेमाल करने या मार्क्सवाद विरोधी समूहों का समर्थन किए बिना प्रतिरोध का इस्तेमाल करने की रणनीति अपनाई. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रिचर्ड एलन ने वैटिकन और अमेरिका के बीच समझौते को “इतिहास के सबसे बड़े गुप्त गठबंधनों में से एक” बताया था. वैटिकन और रीगन प्रशासन के बीच इस समझौते ने ये सुनिश्चित किया कि महत्वपूर्ण खुफ़िया जानकारियों का आदान-प्रदान बना रहे. इस रणनीति को लागू करने के लिए पोलैंड को चुना गया क्योंकि पोलैंड धर्म से ओत-प्रोत देश था. इस तरह पोलैंड के एक मज़दूर संघ जैसे कि सॉलिडैरिटी को अमेरिका और वैटिकन से पैसे की मदद मिली. [i] हॉन्ग कॉन्ग से मिलते-जुलते क़दम की तरह पोलैंड ने तब मार्शल लॉ की घोषणा की और कार्रवाई के तहत सॉलिडैरिटी मज़दूर संघ के सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया. हॉन्ग कॉन्ग ने भी 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के लागू होने के बाद कई कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया था. उस वक़्त पोलैंड ने बाहरी दुनिया के साथ संचार को तोड़ लिया था और अब हॉन्ग कॉन्ग भी अलग-थलग होता जा रहा है. दोनों ही मामलों में केंद्रीकृत राजनीतिक शासन और आर्थिक मुश्किलों (कोविड-19 महामारी और इसको लेकर चीन के जवाब के कारण) की वजह से हालात बिगड़े. उस वक़्त पोलैंड में 3.5 करोड़ की आबादी में से लगभग 90 प्रतिशत लोग चर्च के प्रति निष्ठा रखते थे. हॉन्ग कॉन्ग की सरकार के अनुमान से पता चलता है कि 2020 में 72 लाख की आबादी में से प्रोटेस्टैंट और कैथोलिक संप्रदाय की आबादी क्रमश: 5,00,0000 और 4,03,000 है.
संगठित धर्म को लेकर चीन के वहम का एक कारण 80 के दशक में अमेरिका के द्वारा अपनाया गया तरीक़ा है जिसने पूर्वी यूरोप में उसके क़रीबी हुकूमतों के पतन को तेज़ किया है
राष्ट्रीय सुरक्षा की तलाश
लगता है कि हॉन्ग कॉन्ग में धर्म को चीन के रंग-ढंग में ढालने की तरफ़ नई कोशिश इस राय का नतीजा है कि हॉन्ग कॉन्ग CCP के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों के लिए पुल का काम कर सकता है. हॉन्ग कॉन्ग की राजनीति और सुरक्षा के क्षेत्र में परस्पर व्यवहार से इसका सबूत मिलता है. एक वक़्त नागरिक प्रशासन या वाणिज्य और उद्योग की पृष्ठभूमि से जुड़े लोग इस विशेष प्रशासनिक क्षेत्र की ज़िम्मेदारी संभालते थे लेकिन अब सत्ता से नज़दीकी संबंध रखने वाले या सुरक्षा सेवा की पृष्ठभूमि वाले लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है. हॉन्ग कॉन्ग और मकाऊ के मामलों से निपटने में चीन की मदद करने वाली एजेंसी हॉन्ग कॉन्ग और मकाऊ मामलों के कार्यालय (HKMAO) के प्रमुख शिया बाओलॉन्ग हैं जो संयोग से मेनलैंड में ईसाई चर्चों को ध्वस्त करने के ज़िम्मेदार भी हैं. शिया राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सहयोगी हैं और HKMAO में पिछले दिनों नियुक्त शिया के सहायक वांग लिंगकुई राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ हैं.
इस पूरे घटनाक्रम से एक और पहलू नास्तिक CCP की धार्मिक शिक्षा के मामले में सहयोगिता की क्षमता उभर कर आती है. चर्च ने धर्म को लेकर स्थानीय संस्कृति की विशेषताओं को ‘अपनाने’ की नीति का पालन किया है. लगता है कि CCP इसी का फ़ायदा उठाना चाहती है लेकिन वास्तविकता ये है कि चर्च का ‘चीन के रंग-ढंग में ढलना’ धर्म के मामले में CCP-सरकार की प्रधानता पर ज़ोर देती है. इसके अलावा चीन की केंद्रीय सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा को संरक्षित रखने के कार्यालय- एक एजेंसी जिसकी स्थापना चीन ने हॉन्ग कॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत की थी- ने राष्ट्रीय सुरक्षा को “एक देश, दो सिस्टम” ढांचे के तहत हॉन्ग कॉन्ग की स्थिरता और दीर्घकालीन विकास के लिए प्रमुख आवश्यकताओं में से एक बताया है. कार्यकर्ताओं-धर्मगुरुओं जैसे लोगों को नियंत्रित करने की आवश्यकता हॉन्ग कॉन्ग प्रशासन की प्राथमिकताओं से भी पैदा होती है.
इस पूरे घटनाक्रम से एक और पहलू नास्तिक CCP की धार्मिक शिक्षा के मामले में सहयोगिता की क्षमता उभर कर आती है. चर्च ने धर्म को लेकर स्थानीय संस्कृति की विशेषताओं को ‘अपनाने’ की नीति का पालन किया है. लगता है कि CCP इसी का फ़ायदा उठाना चाहती है
हॉन्ग कॉन्ग के छोटे संविधान बुनियादी क़ानून के अनुच्छेद 23 के तहत ये हॉन्ग कॉन्ग प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वो राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने वाली हरकतों को रोकने के लिए अपने आप क़ानून बनाए. राजनीतिक अभियान के दौरान हॉन्गकॉन्ग के मुख्य कार्यकारी जॉन ली ने संकेत दिया था कि 2020 में चीन की तरफ़ से थोपे गए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून की सहायता के लिए क़ानून को लागू करना उनकी प्राथमिकता है. पहले के अवसरों जैसे कि 2003 में जब प्रशासन ने अनुच्छेद 23 का नियम लागू करने की कोशिश की थी तो उसे विरोध का सामना करना पड़ा था. ली के पूर्ववर्ती कैरी लैम ने भी इस विचार में दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन राजनीतिक विवाद की वजह से उन्होंने इसे छोड़ दिया. हॉन्ग कॉन्ग में धार्मिक स्वतंत्रता में कमी आगे भी जारी रहेगी क्योंकि वो चीन के साथ राजनीतिक रूप से ज़्यादा एकजुटता की तरफ़ बढ़ रहा है और हॉन्ग कॉन्ग के राजनीतिक संवाद में सुरक्षा का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है.
[i] Tony Judt, Postwar: A History of Europe Since 1945 (Penguin, 2005), pp. 589.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.