चीन: एवरग्रैंड मामला और देश के भविष्य को लेकर शी जिनपिंग का बड़ा नज़रिया
Published on Oct 01, 2021 Updated 0 Hours ago
शी चाहते हैं कि चीन के भावी आर्थिक विकास को रिएलिटी सेक्टर के मौसमी चढ़ावों की बजाए नई-नई खोजों या नवाचार के ज़रिए रफ़्तार दी जाए. लिहाज़ा चीनी सरकार एवरग्रैंड को मुसीबतों से उबारने को लेकर किसी भी तरह का उपाय करने से परहेज़ कर रही है.
हाल ही में दुनिया ने चीन की सबसे बड़ी रिएलिटी फ़र्म एवरग्रैंड के तमाम दफ़्तरों के बाहर ग़ुस्साए निवेशकों के धरना-प्रदर्शन की तस्वीरें देखी. इतना ही नहीं आक्रोशित प्रदर्शनकारियों और क़ानून का पालन कराने वाली एजेंसियों के बीच झड़प की तस्वीरें भी सामने आई. ये मसला चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है और इन तमाम तस्वीरों से इसी नज़रिए को हवा मिलती है. वैसे चीन की सरकार आपदा के रूप में आए इस अवसर को शायद ही हाथ से जाने देगी.
एवरग्रैंड आज चीन में सबसे ज़्यादा देनदारियों के बोझ तले दबी इकाइयों में शुमार हो गई है. कंपनी पर 300 अरब अमेरिकी डॉलर की देनदारी है. कर्ज़ के भारी-भरकम बोझ ने कंपनी की क्रेडिट रेटिंग और शेयर भाव का बंटाधार कर दिया है.
एवरग्रैंड आज चीन में सबसे ज़्यादा देनदारियों के बोझ तले दबी इकाइयों में शुमार हो गई है. कंपनी पर 300 अरब अमेरिकी डॉलर की देनदारी है. कर्ज़ के भारी-भरकम बोझ ने कंपनी की क्रेडिट रेटिंग और शेयर भाव का बंटाधार कर दिया है. देनदारियों और ऋण के इस मकड़जाल में कई आवासीय इमारतों का निर्माण कार्य अधूरा रह गया है. करीब 10 लाख घर ख़रीदार ऐसे हैं जिन्होंने जायदाद ख़रीदने की आस में आंशिक तौर पर भुगतान भी कर रखा है. एवरग्रैंड की इस पतली हालत ने चीनी अर्थव्यवस्था में खलबली मचा दी है. चीन स्टॉक्स में 9 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है. 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद चीनी शेयरों में आई ये सबसे बड़ी गिरावट है. इतना ही नहीं इस संकट का असर दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में महसूस किया जा रहा है.
अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रदूषण, असमानता और वित्तीय जोखिमों से निपटने को अपनी वरीयता सूची में स्थान दे रखा था. उनका मानना है कि इनमें से पहले दो लक्ष्यों मेंकाफ़ी प्रगतिदेखने को मिली है. बहरहाल कर्ज़ के मकड़जाल की सफ़ाई का काम अब भी चुनौती बनकर सामने खड़ा है. कर्ज़ की इस विरासत का चीन के आर्थिक मॉडल से बेहद करीबी नाता है. रिसर्चर वांग जियन ने इसे “अंतरराष्ट्रीय प्रसार” का नाम दिया है. इस रणनीति के तहत चीन कामगारों की अपनी विशाल फ़ौज का इस्तेमाल कर वैश्विक सप्लाई चेन में निर्यात आधारित विकास के रास्ते पर आगे बढ़ता रहा. 2000 के दशक के शुरुआती दौर में चीन के आर्थिक नीति-निर्माता इसी सिद्धांत को अपनाकर आगे बढ़ते रहे. 2015 तक इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों के निर्माण में चीन का क़रीब-क़रीब एकाधिकार बना हुआ था. उस वक़्त तक चीन की फ़ैक्ट्रियों में क़रीब 80 प्रतिशत कम्प्यूटर और एयर कंडीशनर्स और90 प्रतिशतमोबाइल हैंडसेट्स को या तो जोड़ा जाता था या उनका उत्पादन किया जाता था. हालांकि इस “आर्थिक चमत्कार” के मायने ये थे कि चीन को उत्पादन का वही स्तर बरकरार रखने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा कर्ज़ जारी करना पड़ा.
दोनज़रियोंकाटकराव
1970 के दशक में चीन की अर्थव्यवस्था का उदारीकरण हुआ था. उस समय “अमीर होना ही ख़ूबसूरती है” का मंत्र वहां की फ़िज़ाओं में गूंज रहा था. कारोबार के क्षेत्र में अपार अवसरों का लाभ उठाने के लिए कई लोगों ने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी. इन हालातों ने चीनी भाषा में उस मुहावरे (शियाहाई) को जन्म दिया जिसका मतलब होता है “समंदर की गहराइयों तक जाना.” ऐसे ही राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में शेन्ज़ेन में शू जियायिन ने अपनी नौकरी छोड़कर एवरग्रैंड ग्रुप की शुरुआत की. तब वो अपनी उम्र के चौथे दशक में थे. चीन के शेन्ज़ेन इलाक़े में उस वक़्त निर्माण गतिविधियां ज़बरदस्त रफ़्तार से चल रही थी. जियांग ज़ेमिन ने डेंग के बाद चीनी राष्ट्रपति का कामकाज संभाला था. उन्होंने आर्थिक सुधारों में तेज़ी लाकर चीन के वित्तीय केंद्र शंघाई में अपना आधार बना लिया था. इतना ही नहीं उन्होंनेकारोबार जगत से जुड़े लोगों के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में प्रवेशको भी हरी झंडी दिखा दी थी. जैसे-जैसे शू जियायिन की किस्मत चमकती गई, सीसीपी के रसूख़दार लोगों के साथ उनका रिश्ता परवान चढ़ता गया. 2017 में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने शू को चीन कासबसे समृद्धव्यक्ति बताया था.
1970 के दशक में चीन की अर्थव्यवस्था का उदारीकरण हुआ था. उस समय “अमीर होना ही ख़ूबसूरती है” का मंत्र वहां की फ़िज़ाओं में गूंज रहा था. कारोबार के क्षेत्र में अपार अवसरों का लाभ उठाने के लिए कई लोगों ने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी. इन हालातों ने चीनी भाषा में उस मुहावरे (शियाहाई) को जन्म दिया जिसका मतलब होता है “समंदर की गहराइयों तक जाना.”
शू अपनी दौलत का कुछ हिस्सा सीसीपी के इन रसूख़दार लोगों के साथ बांटना नहीं भूलते थे. अपनी क़िताब ‘Wen Jiabao: China’s Greatest Actor’ में यू जिये नेआरोप लगाया हैकि पूर्व प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के भाई वेन जियाहॉन्ग का एवरग्रैंड में हिस्सा था और वो इस कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर काम भी कर चुके थे. आगे चलकरन्यूयॉर्कटाइम्सने ख़ुलासा किया था कि वेन के रिश्तेदारों के पास 2.7 अरब डॉलर की छिपी हुई मिल्कियत है. हालांकि चीन ने इस ख़बर का खंडन किया था.
कुछ समय पहले शू द्वारा ऑस्ट्रेलिया के एक छोटे से उपनगर में3.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर की जायदाद ख़रीदनेकी ख़बर आई थी. शू की ये जायदाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति ज़ेग क्विंगहॉन्ग के बेटे की मिल्कियत के ठीक बगल में थी. इतना ही नहीं ऐसी भी ख़बरें आईं कि शू ने ऑस्ट्रेलिया में प्राइवेट जेट के ज़रिए रिएलिटी सेक्टर की परियोजनाओं का सर्वेक्षण किया था. ऐसी तमाम ख़बरों ने चीन में खलबली मचा दी. शू द्वारा ज़मीन जायदाद की अंधाधुंध ख़रीदारी और दौलतमंद लोगों से उनके रिश्ते आए दिन सुर्ख़ियों में छाए रहने लगे. 2012 में चाइनीज़ पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ़्रेंस के सदस्य के तौर परशूने ‘दो सत्रों’ की विधायी कार्यवाहियों में हिस्सा लिया था. बैठकों के दौरान उन्होंने विलासिता क्षेत्र की फ़्रांस की बड़ी कंपनी द्वारा तैयार किया गया बेल्ट पहन रखा था. इस बेल्ट के साथ उनकी तस्वीरें चीन के ऑनलाइन माध्यमों में ख़ूब वायरल हुई थीं. इसके बाद उन्हें ‘बेल्ट ब्रदर’ के तंज भरे ख़िताब से नवाज़ा जाने लगा था.(तस्वीर देखिए).
बेशक़ कारोबारी हितों और राजनीतिक रसूख़ का ये संगम अच्छे वक़्त में कुछ लोगों के लिए भारी मुनाफ़े वाला साबित होता है. हालांकि वक़्त बदलते ही जब हालात मुश्किलों भरे हो जाते हैं तो यही तौर-तरीक़े सियासी लोगों के लिए बदनामी का सबब बनते हैं. कोविड-19 महामारी ने चीन में आय की विषमता को सुर्ख़ियों में ला दिया. दरअसल दौलत के मामले में चीन में मौजूद इस भारी अंतर के बीच ऐसे कारोबारी लोगों की ऐश-मौज वाली ज़िंदगी से सीसीपी बेहद नाख़ुश है. सीसीपी को इस बात का एहसास है कि कारोबारी समुदाय एक दबाव समूह में तब्दील हो गया है. इस समूह द्वारा नीतिगत मसलों पर खुलेआम अपना नज़रिया पेश किए जाने से सीसीपी नाराज़ है. पिछले साल अलीबाबा ग्रुप के सह-संस्थापक जैक मा द्वारा वित्तीय मामलों में की गई टीका-टिप्पणियों के चलते एंट ग्रुप को 35 अरब अमेरिकी डॉलर के अपने आईपीओ प्लान से हाथ धोना पड़ा था. सितंबर में सीसीपी के पॉलित ब्यूरो के सदस्य वांग यांग ने उद्योगपतिसन फुलिंगकी जन्मशती मनाई. पार्टी ने उनकी कई उपलब्धियों का ज़ोर शोर से प्रचार किया. इनमें ख़ासतौर से चीनी गृह युद्ध के दौरान उद्योगों को फिर से खड़ा करने और उनके राष्ट्रीयकरण को लेकर उनके प्रयासों का उल्लेख किया गया. इतना ही नहीं पश्चिमी जगत के ख़िलाफ़ कोरियाई युद्ध में पीपुल्स वॉलंटियर आर्मी की भागीदारी से जुड़ा ख़र्च मुहैया कराने को लेकर उनके योगदान को भी याद किया गया. मौजूदा राष्ट्रपति शी के ज़माने में देश के कारोबारी जगत के सूरमा सन फुलिंग के नक्शे-क़दम पर चल रहे हैं. वो सुर्ख़ियों से दूर रहते हैं, राष्ट्र-निर्माण और समाज के लिए योगदान देते हैं और अपनी अमीरी का दिखावा करने से परहेज़ करते हैं.
बड़े कारोबारों के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति शी की ये कार्रवाई चीनी अर्थव्यवस्था में जोखिमों से निपटने को लेकर उन्हें काफ़ी छूट देती है. इतना ही नहीं अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों की तुलना में वो कारोबारियों के साथ सीसीपी के क़रीबी ताल्लुक़ात पर भी लगाम लगा सकते हैं.
जनवरी 2021 में अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिए आयोजित की गई पॉलित ब्यूरो की बैठक में ‘पूंजी के बेतरतीब विस्तार को रोकने’ की क़वायद करने पर ज़ोर दिया गया. तब से लेकर अब तक राष्ट्रपति शी पांच मौकों पर ‘पूंजी के बेतरतीब विस्तार को रोकने’ की चर्चा कर चुके हैं. तकनीकी और ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ी विशाल कंपनियों के ख़िलाफ़ अधिकारियों की ओर से की गईकठोर कार्रवाइयोंके पीछे इसी विचार को एक बड़ी वजह बताया गया है. सितंबर के महीने में चीन के सरकारी अख़बार ‘पीपुल्स डेली’ ने ऐसी कार्रवाइयों को ‘रेड रीसेट’ के तौर पर बतलाकर सुर्ख़ियों में स्थान दिया. बड़े कारोबारों के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति शी की ये कार्रवाई चीनी अर्थव्यवस्था में जोखिमों से निपटने को लेकर उन्हें काफ़ी छूट देती है. इतना ही नहीं अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों की तुलना में वो कारोबारियों के साथ सीसीपी के क़रीबी ताल्लुक़ात पर भी लगाम लगा सकते हैं.
दोटूकहक़ीक़त
रिएलिटी सेक्टर में एवरग्रैंड की अब तक की कामयाबी के पीछे रियल एस्टेट को लेकर चीनी अवाम की दीवानगी काम करती रही है. चीन के लोग रियल एस्टेट में ज़्यादा से ज़्यादा पैसा लगाना चाहते हैं. चूंकि चीन में निवेश के विकल्प बेहद सीमित हैं, लिहाज़ा परिवारों की कुल दौलत में प्रॉपर्टी का हिस्सा तक़रीबन40 प्रतिशततक है. चीन में एक औसत शहरी परिवार के पास 1.5 आवासीय संपत्ति है. शहरों में मकानों के स्वामित्व के मामले में चीन दुनिया में सबसे ऊपर है. चीन में तकनीकी कंपनियों के केंद्र शेन्ज़ेन ने रिएलिटी सेक्टर में ख़रीदारी को लेकर कई तरह की पाबंदियों का एलान किया है. इस साल की पहली छमाही में आर्थिक सुस्ती के बावजूद शेन्ज़ेन में घरों की क़ीमतों में11.4 प्रतिशतका भारी भरकम उछाल देखने को मिला था
नए नियमोंके तहत चीन के “हुकोउ” सिस्टम के तहत शहरों में रहने वाले निवासियों द्वारा घर ख़रीदने को लेकर और सख्त प्रावधान किए गए हैं. अब उनको केवल तभी घर ख़रीदने की छूट मिलेगी जब उनके पास तीन सालों से अधिक का स्थानीय परिवार रजिस्ट्रेशन दस्तावेज़ मौजूद रहेगा. शी को इस बात का अंदाज़ा है कि रियल एस्टेट सेक्टर में जारी सट्टेबाज़ी के चलते चीन की विकास प्रक्रिया को धक्का लग रहा है. शेन्ज़ेन जैसे कारोबारी इलाक़े में मकान बेहद महंगे हो गए हैं. इस महंगाई का चीन में प्रचलित मज़दूरी दरों पर भी असर हुआ है. मज़दूरी लागत बढ़ जाने से अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में चीन की प्रतिस्पर्धी क्षमता कमज़ोर होती है. ऊंची लागत और जीवनयापन के जुड़ी ये महंगाई परिवारों के आकार को भी छोटा कर रही है. इससे चीन के भविष्य पर बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में चीन मेंविशेषज्ञोंने एक से अधिक घर ख़रीदने वालों पर प्रॉपर्टी टैक्स लगाए जाने का विचार भी पेश किया है.
महामारी की शुरुआत के बाद से ही शी ने विकास का नया तौर-तरीक़ा अपनाने से जुड़े अपने इरादों का संकेत दिया है. इसे दोहरेप्रसारका नाम दिया गया है. शी चाहते हैं कि चीन के भावी आर्थिक विकास को रिएलिटी सेक्टर के मौसमी चढ़ावों की बजाए नई-नई खोजों या नवाचार के ज़रिए रफ़्तार दी जाए. लिहाज़ा चीनी सरकार एवरग्रैंड को मुसीबतों से उबारने को लेकर किसी भी तरह का उपाय करने से परहेज़ कर रही है. इतना ही नहीं रियल एस्टेट क्षेत्र की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने को लेकर स्थानीय अधिकारियों द्वारा सरकारी डेवलपर्स के साथसौदेबाज़ीकरने का निर्देश देने से भी वहां की सरकार कतरा रही है. हालांकि किसी भी तरह की सामाजिक अव्यवस्था और गड़बड़ी को रोकने के लिए ऐसा क़दम उठाना ज़रूरी हो जाता है. बहरहाल एवरग्रैंड की इस बदहाली का सबसे बड़ा असर विदेशी लेनदारों पर पड़ने वाला है. इस बीच चीनी लोगों को निवेश के और अधिक अवसर मुहैया कराने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. इस सिलसिले में बीजिंग में एकस्टॉक एक्सचेंजशुरू करने की भी क़वायद चल रही है. शी ने एलान किया है कि चीनी राजधानी में तैयार होने वालाशेयर बाज़ारतकनीक से जुड़े क्षेत्रों में नई-नई खोजों पर आधारित इकाइयों को फ़ायदा पहुंचाएगा.
चीन की मुख्य भूमि में शंघाई के वित्तीय केंद्र और शेन्ज़ेन के रूप में दो बड़े बाज़ार मौजूद हैं. एवरग्रैंड प्रकरण चीन में पतझड़ के मौसम के बीचोबीच मनाए जाने वाले उत्सव की लंबी छुट्टियों के दौरान सामने आया. इस मौके पर चीन ने कर्ज़ न चुका पाने से जुड़े इस कांड पर चुप्पी साधे रखी. इसके चलते दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में स्टॉक धराशायी हो गए. साफ़ है कि शी के नज़रिए से एवरग्रैंड प्रकरण एक साथ कई मकसद पूरे करता है. पहला, ये दर्शाता है कि आज की वैश्विक व्यवस्था में चीन का दखल कितना बढ़ गया है और कैसे चीन के पास दूसरे देशों की आर्थिक रफ़्तार को थामने की क्षमता आ गई है. दूसरा, ये चीन की पिछली हुकूमतों द्वारा कारोबारियों को सरपरस्ती देने की व्यवस्था पर भी चोट करता है. तीसरा, इस समूचे प्रकरण से इस बात के संकेत मिलते हैं कि शी चीन की आर्थिक विकासरणनीतिको बदलने को लेकर कितने गंभीर हैं और कैसे वो राष्ट्रीय पूंजी को तकनीक क्षेत्र से जुड़े वास्तविक नवाचारों और सामाजिक नीतियों की तरफ़ मोड़ना चाहते हैं.
2022 में सीसीपी की नेशनल कांग्रेस होने वाली है. ये कांग्रेस 10 सालों में एक बार आयोजित होती है. शी जिनपिंग ने संकेत दिए हैं कि वो लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति का कार्यकाल चाहते हैं. चीन के हालिया इतिहास में ऐसी कोई दूसरी मिसाल मौजूद नहीं है. पुरानी हुकूमतों द्वारा स्थापित की गई सरपरस्ती और पक्षपातपूर्ण व्यवस्था को चोट पहुंचाकर शी ने पहले ही किसी भी विरोधी नेता या धड़े के ख़िलाफ़ अपनी स्थिति मज़बूत बना ली है. सत्ता पर आगे भी क़ाबिज़ रहने के लिए उन्हें अपना पुख़्ता रिपोर्ट कार्ड पेश करना होगा. लिहाज़ा वो निजी कॉरपोरेशंस पर नकेल कसने जैसी “कामयाबियों” का इस्तेमाल कर अपना पक्ष मज़बूत कर सकते हैं.
एवरग्रैंड से जुड़े इस समूचे प्रकरण से भारतीय नीति-निर्माता भी कई सबक ले सकते हैं. भारत-चीन सीमा पर गलवान में हुई झड़प के बाद भारत में चीनी साज़ोसामानों के बहिष्कार की आवाज़ उठी थी. इस साल जनवरी से लेकर जून तक भारत और चीन के बीच निर्यात और आयात में65 प्रतिशतसे भी ज़्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई. चीन भारतीय निर्यातों का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है. ऐसे में ज़ाहिर तौर पर चीन पर भारत की निर्भरता कम करने की कोशिश की जानी चाहिए क्योंकि चीन कभी भी भारत की इस कमज़ोरी का फ़ायदा उठा सकता है
चीन भारतीय निर्यातों का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है. ऐसे में ज़ाहिर तौर पर चीन पर भारत की निर्भरता कम करने की कोशिश की जानी चाहिए क्योंकि चीन कभी भी भारत की इस कमज़ोरी का फ़ायदा उठा सकता है.
इंफ़ोग्राफ़िक: एवरग्रैंड
– चीन के सबसे बड़े रिएलिटी डेवलपमेंट फ़र्म एवरग्रैंड ने 1996 में शेन्ज़ेन में अपना कामकाज शुरू किया था.
-कंपनी ने 2020 में 507.2 अरब युआन (78.4 अरब अमेरिकी डॉलर) का राजस्व कमाया.
– चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने एवरग्रैंड के संस्थापक शू जियायिन को 2018 में “निजी क्षेत्र के बेहतरीन उद्यमी” के ख़िताब से नवाज़ा था.
– एवरग्रैंड के पास अपनी फुटबॉल टीम गुआंगझाउ एफसी है. कंपनी ने थीम पार्क से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक अपने कारोबार का विस्तार कर लिया है.
– 300 अरब अमेरिकी डॉलर की देनदारियों के साथ कंपनी सबसे बड़ी ऋणग्रस्त इकाइयों में तब्दील हो गई है.
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