Published on Sep 29, 2020 Updated 0 Hours ago

ऐप पर पाबंदी लगाकर भारत अपने डिजिटल बॉर्डर की हिफ़ाज़त कर रहा है.

चीन के 118 ऐप पर पाबंदी उसके डिजिटल संक्रमण के ख़िलाफ़ खड़ी की गई एक ‘मज़बूत’ दीवार है

चीन के 118 और ऐप पर भारत में पाबंदी लगाने के तीन अर्थ हैं. पहला अर्थ ये है कि इससे चीन की कंपनियों की डिजिटल घुसपैठ के ख़िलाफ़ एक दीवार खड़ी होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने 2017 के राष्ट्रीय ख़ुफ़िया क़ानून के ज़रिए अपनी कंपनियों को क़ानूनी तौर पर मज़बूर कर दिया है कि वो जिस देश में काम कर रहे हैं वहां की ख़ुफ़िया जानकारी इकट्ठा करके उसे चीन की सरकार के साथ बांटें. दूसरा अर्थ ये है कि पाबंदी लगने से चीन की कंपनियों के लिए न सिर्फ़ भारत बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी व्यावसायिक तौर पर काम करना फ़ायदेमंद नहीं रह जाएगा क्योंकि इन ऐप को बनाने वाली कंपनियों की वैल्यूऐशन गिर जाएगी.

जून 2020 में 59 ऐप पर पाबंदी, जुलाई 2020 में 47 ऐप पर पाबंदी और 2 सितंबर को 118 और ऐप पर पाबंदी लगाकर भारत अपने डिजिटल बॉर्डर की हिफ़ाज़त कर रहा है. 224 ऐप पर पाबंदी के बाद भी चीन के ऐप पर पाबंदियों का सिलसिला शायद नहीं रुकेगा और रुकना भी नहीं चाहिए.

मिसाल के तौर पर, टिकटॉक की वैल्यूऐशन मई 2020 के 100 अरब डॉलर से गिरकर जुलाई 2020 में 50 अरब डॉलर रह गई यानी दो महीने में 50 प्रतिशत की कमी. दुनिया के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक भारत में यूज़र नहीं होने से टिकटॉक की वैल्यूऐशन में अभी और कमी आएगी. पाबंदी लगाने का तीसरा अर्थ ये है कि अमेरिका की अगुवाई में दूसरे देश भी ऐसा क़दम उठाएंगे क्योंकि अभी तक का अनुभव यही बताता है. जून 2020 में 59 ऐप पर पाबंदी, जुलाई 2020 में 47 ऐप पर पाबंदी और 2 सितंबर को 118 और ऐप पर पाबंदी लगाकर भारत अपने डिजिटल बॉर्डर की हिफ़ाज़त कर रहा है. 224 ऐप पर पाबंदी के बाद भी चीन के ऐप पर पाबंदियों का सिलसिला शायद नहीं रुकेगा और रुकना भी नहीं चाहिए.

इन ऐप पर पाबंदियों को चीन की डिजिटल घुसपैठ के ख़िलाफ़ टीकाकरण की तरह देखने की ज़रूरत है, उस चीन के ख़िलाफ़ जो मूर्खतापूर्ण विस्तारवादी नीति के तहत पहले से लद्दाख में ज़मीन हड़पने की कोशिश कर रहा है. सरहद और तकनीकी- दोनों घुसपैठ चीन की दुश्मनी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई है. चीन के दोनों तरीक़े “भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, देश की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए नुक़सानदायक है.”

सभी सबूत इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं कि चीन की आक्रामक कम्युनिस्ट पार्टी सभ्य देशों की मंडली के साथ काम करने के लिए तैयार नही है. ऐसे में चीन की मध्यकालीन और ज़मीन हड़पने की आदत के शिकार देश सबसे खराब हालात के मुताबिक़ अपनी नीति बनाएंगे.

लद्दाख में तो दांव पर ज़मीन है लेकिन देश के भीतर दांव पर भारतीय यूज़र का डाटा है जिसकी चोरी कर ये कंपनियां ऐसे देश के सर्वर तक भेज रही हैं जो खुले तौर पर भारत का दुश्मन है. चीन के इरादे का हिसाब करना मुश्किल है लेकिन समझना आसान और जैसा कि सभी सबूत इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं कि चीन की आक्रामक कम्युनिस्ट पार्टी सभ्य देशों की मंडली के साथ काम करने के लिए तैयार नही है. ऐसे में चीन की मध्यकालीन और ज़मीन हड़पने की आदत के शिकार देश सबसे खराब हालात के मुताबिक़ अपनी नीति बनाएंगे. चीन के सबसे ख़ास दोस्त की भारत में घुसपैठ की कोशिश के बावजूद ये सोचना कि चीन भारत की सरहद में नहीं घुसेगा, ठीक नहीं है. इस मौक़े का इस्तेमाल करके चीन की डिजिटल घुसपैठ को साफ़ कर सरकार ने भारत को वर्चुअल दुनिया में सुरक्षित बनाया है. ये आगे भी जारी रहेगा.

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