Author : Vivek Mishra

Published on Apr 23, 2022 Updated 1 Days ago

यूक्रेन संकट पर अलग-अलग रुख़ों के बावजूद भारत और यूके अपने द्विपक्षीय रिश्तों को तवज्जो दे रहे हैं.

ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का भारत दौरा: वक़्त की नज़ाक़त से परे द्विपक्षीय मसलों को प्राथमिकता

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का दो दिनों का भारत दौरा एक अहम घटनाक्रम है. ख़ासतौर से इसलिए क्योंकि इससे पहले दो बार उनकी यात्रा टल चुकी थी. 

वक़्त की नज़ाक़त

दरअसल प्रधानमंत्री जॉनसन का ये दौरा माकूल वक़्त पर नहीं हुआ है. हाल ही में घरेलू मोर्चे पर उन्हें काफ़ी किरकिरी झेलनी पड़ी है. दूसरी ओर यूरोप में भीषण जंग का दौर है. ग़ौरतलब है कि कोविड-19 से जुड़े नियमों के उल्लंघन के चलते प्रधानमंत्री जॉनसन पर पुलिस ने जुर्माना लगाया है. वैसे तो जॉनसन ‘पार्टीगेट‘ (कोविड नियम तोड़कर जश्न और जमावड़ा करने) के मसले पर संसद के सामने बिना शर्त माफ़ी भी मांग चुके हैं, लेकिन विपक्ष इस मसले पर उनके इस्तीफ़े की मांग पर अड़ा है. उनके वित्त मंत्री ऋषि सुनक पर भी कोविड नियमों के उल्लंघन के मामले में जुर्माना लगा है. इसके अलावा वो टैक्स से जुड़े विवादों में भी फंस गए हैं. 

यूके ने रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगाते हुए यूक्रेन को राजनीतिक, आर्थिक और सैनिक सहायता मुहैया कराई है. दूसरी ओर भारत इस मसले पर तटस्थ रहा है. साफ़ तौर से रूस को लेकर भारत और यूके का रुख़ विपरीत रहा है.

फ़िलहाल यूरेशिया की सरज़मीं का भू-राजनीतिक तापमान गरमाया हुआ है. रूस के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों ने अभूतपूर्व गोलबंदी दिखाई है. ऐसे में संभावित तौर पर रूस-यूक्रेन मसले पर यूनाइटेड किंगडम की भारत से उम्मीदें जुड़ गई हैं. यूके ने रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगाते हुए यूक्रेन को राजनीतिक, आर्थिक और सैनिक सहायता मुहैया कराई है. दूसरी ओर भारत इस मसले पर तटस्थ रहा है. साफ़ तौर से रूस को लेकर भारत और यूके का रुख़ विपरीत रहा है. जॉनसन हाल ही में कीव का दौरा कर चुके हैं. दूसरी ओर रूसी सरकार उनके रूस में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा चुकी है. कुछ अर्सा पहले जॉनसन ने ‘निरंकुश राज्यसत्ताओं‘ से पेश ख़तरों पर तंज भी कसा था. भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत इन तमाम घटनाक्रमों के बीच हुई है. बहरहाल, बातचीत के बाद हुई घोषणाओं से ज़ाहिर है कि दोनों ही पक्षों ने हासिल किए जा सकने वाले लक्ष्यों और मसलों पर ही ज़ोर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात के बाद जॉनसन ने स्वीकार किया कि रूस को लेकर भारत का रुख़ जगज़ाहिर है, और इसमें बदलाव नहीं होने वाला. 

बुनियादी और गंभीर मसले

भारत में प्रधानमंत्री जॉनसन के कार्यक्रमों से उनके दौरे के प्राथमिक लक्ष्य साफ़ हो गए. उन्होंने अपने पहले ठिकाने के तौर पर अहमदाबाद को चुना. इसे दो वजहों से अहम माना जा रहा है. पहला, सांकेतिक तौर पर ये बेहद महत्वपूर्ण है. यूनाइटेड किंगडम के किसी प्रधानमंत्री की इस तरह की ये पहली यात्रा है. इस क़वायद के पीछे यूके में रहने वाले भारतीयों का गुजरात से रिश्ता है. दोनों ही देश एक-दूसरे के लोगों के स्तर पर अटूट जुड़ावों से बंधे हैं. भारत और यूके के बीच 2030 को लेकर बने रोडमैप के तमाम मसलों में इस तरह का जुड़ाव भी एक अहम एजेंडा है. दूसरा, दोनों देशों के बीच दोतरफ़ा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए गुजरात एक अहम ठिकाना है. ग़ौरतलब है कि दोनों ही देश मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर रज़ामंदी बनाने की कोशिशों में लगे हैं. भारत और यूके के बीच FTA को लेकर बातचीत का दौर जारी है. प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात के बाद जॉनसन ने बताया कि दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने वार्ताकारों को मुक्त व्यापार समझौते से जुड़ी वार्ता प्रक्रिया को इस साल दिवाली तक पूरा कर लेने को कहा है. अगर ये क़वायद कामयाब हो जाती है तो इससे ब्रिटेन के सालाना व्यापार में 2035 तक तक़रीबन 36.5 अरब अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है. ब्रिटेन में 95,000 नौकरियों के पीछे पहले से ही भारतीय निवेशों का हाथ है. विज्ञान, स्वास्थ्य और तकनीकी क्षेत्रों में नए निवेश सौदों और द्विपक्षीय भागीदारियों की क़वायद चालू है. इस तरह दोनों ही पक्ष निवेशों के ज़रिए नौकरियों के और ज़्यादा अवसर तैयार कर सकते हैं. 

यूनाइटेड किंगडम के किसी प्रधानमंत्री की इस तरह की ये पहली यात्रा है. इस क़वायद के पीछे यूके में रहने वाले भारतीयों का गुजरात से रिश्ता है. दोनों ही देश एक-दूसरे के लोगों के स्तर पर अटूट जुड़ावों से बंधे हैं.

दोनों ही देश आपसी हितों को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय रिश्तों के दायरे का अनेक क्षेत्रों में विस्तार कर रहे हैं. इस सिलसिले में रोडमैप 2030 पर हुए अमल की समीक्षा का काम जारी है. ग़ौरतलब है कि मई 2021 में भारत-यूके वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय रिश्तों के लिए एक दशक के रोडमैप पर सहमत हुए थे. प्रधानमंत्री जॉनसन की इस अहम द्विपक्षीय यात्रा से चंद दिनों पहले ही ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज़ ट्रस भारत दौरे पर आई थीं. ट्रस की यात्रा से ही कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. इनमें खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, रक्षा और ऊर्जा शामिल हैं. प्रधानमंत्री जॉनसन ने ख़ुद ही नौकरियों, आर्थिक वृद्धि, व्यापार और रक्षा को अपने दौरे का मुख्य मक़सद बताया था. इसके अलावा भारत और ब्रिटेन “नए और विस्तारित” रक्षा और सुरक्षा भागीदारी पर रज़ामंद हुए हैं. प्रधानमंत्री जॉनसन के मुताबिक उन्होंने अपने भारत दौरे में पांच दायरों- ज़मीन, समुद्र, हवा, अंतरिक्ष और साइबर- में अगली पीढ़ी के रक्षा और सुरक्षा गठजोड़ पर चर्चा की है. उनका कहना है कि दोनों ही देश इन तमाम क्षेत्रों में “नए और पेचीदा ख़तरों” का सामना कर रहे हैं. ग़ौरतलब है कि दोनों ही देश मई 2021 में सैन्य हार्डवेयर के सह-निर्माण, लड़ाकू विमानों के लिए तकनीकी गठजोड़ और भारत-यूके रक्षा और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा भागीदारी ढांचे पर सहमत हुए थे.  

हिंद-प्रशांत में मौजूदगी

दरअसल, ब्रिटेन ब्रेग्ज़िट के बाद के दौर में अपने लिए एक नई राह की तलाश कर रहा है. ऐसे में भारत के साथ अनेक क्षेत्रों में विस्तृत भागीदारी तैयार करना यूके के एजेंडा में काफ़ी ऊपर है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताज़ा आकलन में भारत में 8.2 फ़ीसदी का विकास दर का अनुमान लगाया गया है. विकास दर के पिछले अनुमान से ये आकड़ा भले ही कम हो, लेकिन इसके बावजूद विश्व में सबसे ज़्यादा विकास दर के अनुमान वाले देशों में भारत का स्थान बरकरार है. भारत की आर्थिक क्षमता निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. एक ओर भारत के आर्थिक-सामरिक मानचित्र में यूरोपीय संघ की अहम भूमिका क़ायम है तो वहीं ब्रेग्ज़िट के बाद यूके की रणनीति में भी विशाल बाज़ार वाला भारत काफ़ी अहमियत रखता है.  

प्रधानमंत्री जॉनसन की इस अहम द्विपक्षीय यात्रा से चंद दिनों पहले ही ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज़ ट्रस भारत दौरे पर आई थीं. ट्रस की यात्रा से ही कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. इनमें खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, रक्षा और ऊर्जा शामिल हैं.

ज़ाहिर तौर पर हिंद-प्रशांत में मज़बूती से मौजूदगी बनाने के ब्रिटिश नज़रिए में भारत के साथ ठोस भागीदारी एक अहम कारक है. नई दिल्ली में प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा है कि हिंद-प्रशांत को मुक्त और स्वतंत्र बनाए रखने से भारत और ब्रिटेन के साझा हित जुड़े हैं. दरअसल, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूके का किरदार बड़ी तेज़ी से उभर रहा है. ज़्यादा तैनातियों और गश्त के ज़रिए वो बड़ी तेज़ी से सामरिक रूप अख़्तियार करता जा रहा है. लचीले आर्थिक नेटवर्क, चीन के ख़िलाफ़ संतुलनकारी नीतियों और विश्व मंच पर अपना रसूख़ बहाल करने जैसी नीतियों के ज़रिए यूके हिंद-प्रशांत में अपनी स्थिति लगातार मज़बूत कर रहा है. पिछले साल जुलाई में दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर में ब्रिटिश कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती की गई थी. इससे पहले यूके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने रॉयल थाई नेवी के साथ पहली बार जुड़ाव बनाते हुए थाईलैंड के जलक्षेत्र में साझा समुद्री सैन्य अभ्यास किया था. 1997 के बाद यूके की ओर से इस तरह की ये पहली तैनाती थी. ये घटना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटिश सामरिक नीतियों में एक बड़े बदलाव का संकेत थी. दरअसल प्रधानमंत्री जॉनसन की सरकार यूरोप की अगुवा नौसैनिक ताक़त के तौर पर ब्रिटेन का पुराना रसूख़ बहाल करना चाहती है. जॉनसन के शासन काल में ब्रिटेन के सैनिक ख़र्चे में भी बढ़ोतरी हुई है. रक्षा ख़र्चों के लिए अनेक वर्षों के फ़ंडिंग पैकेज का प्रावधान किया गया है. नीचे दिए गए ग्राफ़ से ज़ाहिर होता है कि इस सिलसिले में अनुमानित ख़र्च में आगे और बढ़ोतरी होने के आसार हैं.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूके का किरदार बड़ी तेज़ी से उभर रहा है. ज़्यादा तैनातियों और गश्त के ज़रिए वो बड़ी तेज़ी से सामरिक रूप अख़्तियार करता जा रहा है. लचीले आर्थिक नेटवर्क, चीन के ख़िलाफ़ संतुलनकारी नीतियों और विश्व मंच पर अपना रसूख़ बहाल करने जैसी नीतियों के ज़रिए यूके हिंद-प्रशांत में अपनी स्थिति लगातार मज़बूत कर रहा है.

Source: https://www.bbc.com/news/uk-42774738

दोनों देश अपनी व्यापक सामरिक भागीदारी के ज़रिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा दृष्टिकोण विकसित करने की क़वायदों में लगे हैं. यूके और भारत का ये महत्वाकांक्षी रोडमैप “लोकतंत्र, मौलिक स्वतंत्रताओं, बहुपक्षीयवाद और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की साझा प्रतिबद्धता” पर टिका है. 2021 में सुरक्षा, रक्षा, विकास और विदेश नीति की एकीकृत समीक्षा से प्रधानमंत्री जॉनसन के ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ का दृष्टिकोण सामने आया था. इस दस्तावेज़ की अनेक बातें हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे परे भारत के अपने नज़रिए से मेल खाती हैं. मई 2021 में दोनों देशों के बीच रसद से जुड़े समझौते पर रज़ामंदी हुई थी. इससे दोनों देशों के लिए हिंद-प्रशांत में सामुद्रिक तालमेल बढ़ाने के नए अवसर खुले हैं. यूके के लायज़न ऑफ़िसर को भारत के इन्फ़ॉरमेशन फ़्यूज़न सेंटर द्वारा दिया गया न्योता और भारत-यूके सालाना सामुद्रिक वार्ताओं की शुरुआत इसी दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण क़दम हैं. सबसे अहम बात ये है कि दोनों ही देश वैश्विक नज़रिए के साथ साझा तौर पर ज़िम्मेदारियों का बोझ उठा रहे हैं.

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